Sunday, August 27, 2023

दास्ताने करबला, क़िस्त-13*

*दास्ताने करबला,  क़िस्त-13*

*हज़रत इमाम हुसैन और अहले बैअ्त की कूफ़े को रवानगी*

हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील रज़िअल्लाहु तआला अन्हु का खत मिलने पर आपने सफ़रे इराक़ का इरादा फ़रमाया । लेकिन सहाबा ए किराम और आपके दीगर असहाब, इमाम हुसैन के इस सफ़र से राज़ी ना थे। *उन्होंने आपको सफ़र मुल्तवी करने पर इसरार किया।* लेकिन कूफ़ियों की दरख़्वास्त और हज़रत मुस्लिम का ख़त आपको सफ़र करने से ना रोक पाया। 

*चुनांचे, सन 60 हिजरी 3 जिल हिज्जा को, हज़रत इमामे हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु मक्का ए मुअज़्ज़मा से कूफ़ा की तरफ़ रवाना होते हैं। आपके साथ आपके अहले बैअ्त और ख़ुद्दाम इस तरह कुल मिला कर 82 लोग शामिल थे ।*

यह मुख़्तसर सा अहले बैअ्त का क़ाफ़िला मक्का मुअज़्ज़मा से रुख़सत हुआ *तो, मक्का शरीफ़ का बच्चा- बच्चा इस क़ाफ़िले को रुख़सत होता देखकर आबदीद और गमगीन हो रहा था।* 

हज़रत इब्ने अब्बास, हज़रत इब्ने उमर, हज़रते जाबिर, हज़रत अबू सईद खुदरी, अबू वाकिद लैशी और दूसरे असहाबे किराम रज़िअल्लाहु तआला अन्हुम आखिर तक यही कोशिश करते रहे कि, आप मक्का मुअज़्ज़मा से तशरीफ़ ना ले जाएं, *लेकिन यह तमाम कोशिशें आपके इरादे को ना बदल पाईं।*

रास्ते में बतने जिलरमा नामी मक़ाम से रवाना होने के बाद हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुतीअ् से मुलाक़ात हुई। उन्होंने भी आपको सफ़र तर्क करने पर इसरार किया। 

          *लेकिन हज़रत इमाम हुसैन ने फ़रमाया:*
          "हमें वही मुसीबत पहुंच सकती है, जो ख़ुदावंदे आलम ने हमारे लिये मुक़र्रर फ़रमा दी"

📚 सूरह इब्राहीम: आयत 27)

क़ाफ़िला जब मक़ामे  शकुक मे पहुंचा तो कूफ़ा से आने वाले *एक आदमी ने हज़रत इमाम हुसैन को बताया कि कूफ़ियों ने बेवफ़ाई की और हज़रत मुस्लिम (रज़िअल्लाहु तआला अन्हु) शहीद कर दिये गये।*

हज़रत इमाम हुसैन यह ख़बर सुनकर गमगीन और आबदीदा हो गए और पढ़ा,

*انا لله وانا اليه راجعون*

आप ने ख़ैमे में आकर ये खबर दी और लोगो की इस पर राय मांगी। क़ाफ़िले वालों ने मुख़्तलिफ़ राय दी, एक दफ़ा आपने भी वापसी का इरादा फ़रमाया। *लेकिन बहुत मशवरे के बाद ये तय किया गया की सफ़र जारी रखा जाए और वापसी का ख़याल तर्क किया जाए।*

📚 सवानहे करबला, मुतर्जम सफ़ह 129)

*सबक👇🏿*

हजरत इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु और आपके अहले बैअ्त सभी हक़ के ख़ातिर कमर कसे हुए थे और उन्हे मौत का कोई डर न था, यज़ीद के फ़िस्क़ व फुजूर के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद करने मे उन्हें किसी दुनियावी नुक़सान का  डर नहीं था. आपने अल्लाह तआला की रज़ा के लिए और शरिअते मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को बचाने के लिए सफ़र जारी रखा,, हम मुसलमानों को भी चाहिए कि जब भी कोई आंच दीने इस्लाम पर आए तो अपनी जान माल को क़ुरबान करने के लिए हमेशा तैयार रहें और नमाज़ रोज़ा यानी मुकम्मल तौर पर शरिअते मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पाबंदी करें जब ही हम सच्चे हुसैनी कहलाएंगे...........

*इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाक़ी अगली पोस्ट में*

*मिन जानिब जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा, गुमला, झारखंड, इंडिया*

*Next........*

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*🌹 तालिबे दुआ 🤲👇*

*ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत-🌹*

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*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
        *🌹ज़िन्दाबाद 🌹*
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