Thursday, August 10, 2023

दास्तानें करबला, क़िस्त 03*

*दास्तानें करबला, क़िस्त 03*

*हज़रत इमाम हसन ए मुजतबा का कौम पर एहसान*

  *हज़रत इमाम हसन* रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के तख़्ते खिलाफ़त संभालने के बाद, आपने देखा कि उम्मते मुस्लिमा *दो हुकूमतों*  में तक़सीम है।  और दोनों में जंग भी हो चुकी है. लिहाज़ा अगर ऐसा ही चलता रहा तो उम्मत हमेशा दो हिस्सों में बटी रह जाएगी ।  

  इसलिये हज़रत इमामे हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने *उम्मते मुस्लिमा को एक करने के लिए और क़ुव्वते  इस्लाम को  बढ़ाने की खातिर* हजरत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु की बैत को कुबूल कर लिया और अपनी खिलाफत से दस्त बरदा हो गए । और इस तरह सय्यिदना हसन मुजतबा की कुर्बानी से *हुकूमते इस्लामीया फिर से  एक जगह पर यक़्जा (जमा) हो गई।* आलमे इस्लाम की हुकूमत का एक ही जगह मरकज़ हो गया। अब वह हुकूमत तो रही लेकिन खिलाफ़ते राशिदा ना बन सकी जिसका बयान हुज़ूर ने अपनी पेंशनगोई में किया था। 

आपकी बैत से खवारिज (सारे ख़ारजी) लोग घबरा उठे, उनके मनसूबों पर पानी फिर गया जिनका मनसूबा था कि उम्मते मुस्लिमा को आपस में लडवा कर हुकूमत को हड़पा जाए।

☘️      इस बैत से *हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक और पेशनगोई मुकम्मल हुई* जो आप ने हज़रते हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के बारे में फ़रमाई थी कि: 

 "येह मेरा फ़रज़ंद सय्यद (सरदार) है और अल्लाह त‘आला इस की बदौलत *मुसलमानों की दो जमाअतों में सुलह करेगा।"*

इस तरह हज़रत हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु की बैत करने से खिलाफ़ते राशिदा का 30 साल का दौर मुकम्मल हो गया। और इस्लामी सलतनत मलूकियत (ownership) की शकल में आगे चल पड़ी।  

हज़रते हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु और हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के बिच *एक मुआहदा (contract) हुआ जिसमे ये तय हुआ :*

1️⃣     हज़रते मुआविया अपना दौरे हुकुमत ख़त्म होने के बाद अपना कोई जानशीन नामजद नहीं करेंगे और इस हुकूमत को दोबारा उम्मतें मुस्लिमा की और लौटा देंगे और उम्मत अपने ख़लीफ़ा का मुन्तख़ब वैसे ही करेगी जैसे इमाम हसन मुन्तख़ब हुवे थे यानी खुलफ़ा ए राशिदीन के तरीक़े पर।

2️⃣     अहले मदीना और अहले हिजाज़ और अहले इराक़ में किसी शख़्स से भी जमाना ए हज़रत अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के मुतल्लिक कोई मुआखज़ा और मुतालबा ना किया जाए। 

3️⃣     अमीरे मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु हज़रत इमामे हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के दुयून को अदा करें। 

ये वाक़िआ रबीउल अव्वल सि. 41 हिजरी का है। 

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाकी अगली पोस्ट में)*

*मिन जानिब-जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा गुमला झारखंड*

*Next........*

*सवाब हासिल करने के लिए अपने दोस्तों को शेयर करें ताकि वह लोग भी अपने इल्मे दीन में इज़ाफ़ा करने के लिए हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें👇🏿*

https://chat.whatsapp.com/Gi6tSyqbwag39Z80B5Z8Zz
*__________________________*

*🌹 तालिबे दुआ 🤲👇*

*ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत-🌹*

  🌹🌿☘️🌳☘️🌿🌹
*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
        *🌹ज़िन्दाबाद 🌹*
  🌷🌺🌸🌻🌸🌺🌷

No comments:

Post a Comment

tell me your islamic-related information you want .I am try give you