Tuesday, June 23, 2020

मछली हलाल क्यूँ है जबकि वह ज़िबह नहीं की जाती?

 

मछली हलाल क्यूँ है जबकि वह ज़िबह नहीं की जाती?

विज्ञान ने गैर मुसलमानों के सबसे बड़े सवाल का जवाब दे दिया

इस्लाम ने हलाल खाने का हुक्म  देते हुए हराम खाने  से मना किया है और ऐसे जानवर का गोश्त का उपयोग करने के लिए हुक्म  दिया है जिसे इस्लामी तरीके से ज़िबह किया गया हो।

(झटके से मारे गए जानवर का गोश्त इस्लाम में हराम है)                    

गैर मुस्लिम  इस्लाम के इस हुक्म के  मुताल्लिक  मछली के बारे मे सवाल करते हैं कि उसे ज़िबह नहीं किया जाता तो यह कैसे हलाल हो गई

लेकिन अब विज्ञान ने इस सवाल का जवाब दे दिया है और ऐसा आश्चर्यजनक खुलासा किया है! अल्लाह ने दुनिया में मौजूद हर शै को सही तरीके से बनाया है और ऐसा ही मामला मछली के साथ भी है वो  जैसे ही पानी से बाहर आती है तो उसके शरीर में मौजूद सभी रक्त तुरंत अपना रास्ता बदल लेता है और मछली के मुंह में इकठ्ठा होकर " एपीगलोटस" में जमा होना शुरू हो जाता है।

मछली के पानी से निकलने के कुछ ही देर बाद उसके शरीर में मौजूद रक्त एक एक बूंद एपीगलोटस में जमा हो जाता है और उसका  गोश्त पाक और हलाल रहता है और यही कारण है कि मछली ज़िबह  करने की जरूरत ही पेश नहीं आती  और जिस दौरान मछली का गोश्त बनाया जाता है तो " एपीगलोटस"को बाहर निकाल दिया जाता है।

यही नहीं विज्ञान ने इस्लाम में हलाल भोजन के हुक्म  के पीछे छिपे तथ्य को भी प्रकट किया है जिससे गैर मुस्लिम भी हक्का-बक्का रह गए हैं क्योंकि जब किसी जानवर को ज़िबह किया जाता है तो उसके दिल और दिमाग का संपर्क समाप्त नहीं होता और दिल जानवर की वाहिकाओं और धमनियों में मौजूद सभी रक्त बाहर निकलने तक धड़कता रहता है और इस तरह उसका गोश्त खून से पाक और हलाल हो जाता है।

दूसरी ओर जब किसी जानवर को गैर इस्लामी तरीके से  यानी "झटके"  से मार दिया जाता है तो उसका दिल भी तुरंत धड़कन बंद कर देता है और इस प्रकार शरीर से खून निकल ही नहीं पाता। वैज्ञानिकों का मानना है कि विभिन्न प्रकार के गंभीर रोग पैदा करने वाले जरासीमों और बैक्टरियाज़ के  प्रजनन के लिए रक्त बहुत अच्छा माध्यम है और जब जानवर के शरीर से खून निकल ही नहीं पाता तो यह गोश्त ही खराब कर देता है और जब इंसान उसे खाता हैं तो कई बीमारियों से पीड़ित हो जाता हैं।

याद रखिये ज़िबह किये हुए गोश्त की फ्रिज लाइफ झटके के गोश्त से कहीं ज़्यादा होती है। इसीलिए कहा जाता है के इस्लाम 100 परसेंट एक प्राकृतिक तथा वैज्ञानिक धर्म है।

इस्लाम पूरी दुनिया के लिए सही मज़हब है. क्योंकि वह एक अल्लाह को पूजने का हुक्म देता है.और इस्लाम के  नियम अल्लाह ने ख़ुद बनाए है अपने बंदो के लिए, आज साइंस इस्लाम के हर नियम पर रिसर्च कर रहा है, और संतुष्ट भी हो रहा है.


Monday, June 22, 2020

रात को सोते समय करने के कुछ काम...

रात को सोते समय करने के कुछ काम...
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♥नबी करीम (सल्ललाहु तआला अलैही वसल्लम) ने एक मर्तबा हज़रत अली (रज़ियल्लाहु तआला अन्हु) से फरमाया--
ऐ अली (ع) रोज़ाना रात को पाँच काम करके सोया करो।
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•1) चार हजार दीनार सदका करके सोया करो।
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•2) एक कुरआन शरीफ पढ़कर सोया करो।
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•3) जन्नत की कीमत देकर सोया करो।
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•4) दो लड़ने वालो मे सुलह-समझौता कर के सोया करो।
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•5) एक हज कर के सोया करो।

हज़रत अली(ع) ने कहा ऐ अल्लाह के रसूल ! यह काम तो असंभव है। मझसे कैसे हो सकेंगे?? 
फिर नबी (सल्ललाहो तआला अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया-

•1/- चार मर्तबा सूर: फातीहा पढ़कर सोया करो। इसका सवाब चार हजार दीनार सदका देने के बराबर है।
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●2)- तीन मर्तबा “कुल हुवल्लाहु अहद” पढ़कर सोया करो इसका सवाब एक कुरआन शरीफ के बराबर है।
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●3)- दस मर्तबा “इस्तिग़फ़ार” पढ़कर सोया करो। दो लड़ने वालो के बीच सलाह कराने के सवाब के बराबर सवाब मिलेंगा।
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●4)- दस मर्तबा “दरूद शरीफ़” पढ़कर सोया करो, जन्नत की कीमत अदा होंगी।
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●5)- चार मर्तबा “तीसरा कलिमा” पढ़कर सोया करो, एक हज का सवाब मिलेंगा। 
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☆●●●सुब्हान अल्लाह●●●☆
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✿यह सुनकर हज़रत अली(ع) ने कहा ऐ अल्लाह के रसूल ! अब तो मै रोज़ाना इन्ही दुआओ को पढ़कर सोया करूंगा।

Sunday, June 7, 2020

सात सवालों के जवाब

क्या आप इन सात सवालों के जवाब जानते हैं??

 

सवाल नम्बर 1

 जन्नत कहाँ है?

 जवाब:

 जन्नत सातों आसमानों के ऊपर सातों आसमानों से जुदा है, क्योंकि सातों आसमान क़यामत के वक़्त फ़ना और ख़त्म होने वाले हैं,

जबकि जन्नत को फ़ना नहीं है, वो हमेशा रहेगी, जन्नत की छत अर्शे रहमान है,

 

सवाल नम्बर 2:

 जहन्नम कहाँ है?

 जवाब:

 जहन्नम सातों ज़मीनों के निचे ऐसी जगह है जिसका नाम "सिज्जिन"है, जहन्नम जन्नत के बाज़ू में नहीं है जैसा कि बाज़ लोग सोंचते हैं,

जिस ज़मीन पर हम लोग रहते हैं यह पहली ज़मीन है, इसके अलावा छह ज़मीन और हैं, जो हमारी ज़मीन के निचे हमारी ज़मीन से अलहिदा ओर जुदा है,


सवाल नम्बर 3:

 सिदरतल मुंतहा क्या है ?

 जवाब:

 सिदरत अरबी में बेरी /और बेरी के दरख़्त को कहते हैं, अलमुन्तही यानी आख़री हद,

 यह बेरी का दरख़्त वो आख़री मुक़ाम है जो मख़लूक़ की हद है, इसके आगे हज़रत जिब्राइल भी नहीं जा पाते हैं,

 सिदरतल मुंतहा एक अज़ीमुश्शान दरख़्त है,इसकी जड़ें छटे आसमान में और ऊँचाई सातवें आसमान से भी बुलन्द है, इसके पत्ते हाथी के कान जितने ओर फ़ल बड़े घड़े जैसे हैं, इस पर सुनहरी तितलियां मंडलाती हैं,

यह दरख़्त जन्नत से बाहर है,रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम ने जिब्राइल अलैहीसलाम को इस दरख़्त के पास इनकी असल सूरत में दूसरी मर्तबा देखा था, जबकि आप सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम ने इन्हें पहली मर्तबा अपनी असल सूरत में मक्का मुकर्रमा में मक़ाम अजीद पर देखा था,

 

सवाल नम्बर 4:

 हुरे ईन कौन है:

 हुरे ईन जन्नत में मोमिन की बीवियाँ होंगी, यह ना इंसान हैं ना जिन हैं, और ना ही फ़रिश्ते हैं,

 अल्लाह तआला ने इन्हें मुस्तक़िल पैदा किया है, यह इतनी ख़ुबसूरत हैं कि अगर दुनिया में इन में से किसी एक की महज़ झलक दिखाई दे जाए, तो मशरिक और मग़रिब के दरमियान रोशनी हो जाए, हूर अरबी ज़बान का लफ्ज़ है, और हूरआ की जमाअ है,इसके मानी ऐसी आँखें जिसकी पुतलियां निहायत सियाह हों और उसका अतराफ़ निहायत सफ़ेद हों, और ईन अरबी में आईना की जमा है, इसके माईने हैं बड़ी आँखों वाली,

 

सवाल नम्बर 5:

 विलदान मुख़लदून कौन हैं?

 जवाब:

यह एहले जन्नत के ख़ादिम हैं, यह भी इंसान या जिन या फ़रिश्ते नहीं हैं,

इन्हें अल्लाह तआला ने एहले जन्नत की ख़िदमत के लिये मुस्तक़िल पैदा किया है,यह हमेशा एक ही उम्र के यानी बच्चे ही रहेंगे, इस लिये इन्हें "अल्वीलदान अलमुख़लदुन" कहा जाता है, सब से कम दर्जे के जन्नती को दस हज़ार विलदान मुख़लदुन अता होंगे,

सवाल नम्बर 6:

 अरफ़ा क्या है?

 जवाब:

 जन्नत की चौड़ी फ़सील को अरफ़ा कहते हैं, इस पर वो लोग होंगे जिनके नेक आमाल और बुराइयां दोनों बराबर होंगी, एक लंबे अरसे तक वो इस पर रहेंगे और अल्लाह से उम्मीद रखेंगे के अल्लाह तआला इन्हें भी जन्नत में दाख़िल करदे,

 इन्हें वहाँ भी खाने पीने के लिए दिया जाएगा,फ़िर अल्लाह तआला इन्हें अपने फ़ज़ल से जन्नत में दाख़िल कर देगा,

 

सवाल नम्बर 7:

क़यामत के दिन की मिक़दार और लम्बाई कितनी है?

 जवाब:

पचास हज़ार साल के बराबर,

 जैसा की क़ुरआन मजीद में अल्लाह ने फ़रमाया है,

 हज़रत इब्ने अब्बास रज़ि-रिवायत है कि "क़यामत के पचास मोक़फ़ हैं,और हर मोक़फ़ एक हज़ार साल का होगा"

 हज़रत आयशा रज़ि, ने नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम से पूंछा के "या रसूल अल्लाह जब यह ज़मीन व आसमान बदल दिये जायेंगे तब हम कहाँ होंगे"?

 

आप सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम ने फ़रमाया:

 "तब हम पुल सिरात पर होंगे पुल सिरात पर से जब गुज़र होगा उस वक़्त सिर्फ़ तीन जगह होंगी

 1.जहन्नम

 2.जन्नत

 3.पुल सिरात"

 रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम ने फ़रमाया:

 सब से पहले में और मेरे  उम्मती पुल सिरात को तय करेंगे"

   "पुल सिरात की तफ़सील"

क़यामत में जब मौजूदा आसमान और ज़मीन बदल दिये जाएंगे और पुल सिरात पर से गुज़रना होगा वहाँ सिर्फ़ दो मक़ामात होंगे जन्नत ओर जहन्नम,

 जन्नत तक पँहुचने के लिए लाज़मी जहन्नम के ऊपर से गुज़रना होगा,

 जहन्नम के ऊपर एक पुल बनाया जाएगा, इसका नाम "अलसिरात"है इससे गुज़र कर जब इसके पार पंहुचेंगे वहाँ जन्नत का दरवाज़ा होगा,

 वहाँ नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम मौजूद होंगे और अहले जन्नत का इस्तग़बाल करेंगे,

 यह पुल सिरात दर्जा ज़ेल सिफ़त का हामिल होगा:

 

1.बाल से ज़्यादा बारीक होगा,

2.तलवार से ज़्यादा तेज़ होगा,

3.सख़्त अंधेरे में होगा,

 

     उसके निचे गहराईयों में जहन्नम भी निहायत तारीकी में होगी. सख़्त भपरी हुई ओर गज़ब नाक होगी,

 

4.गुनाह गारों के गुनाह इस पर से गुज़रते वक़्त मजिस्म ईसकी पीठ पर होंगे, अगर इस के गुनाह ज़्यादा    होंगे तो उसके बोझ से इसकी रफ़्तार हल्की होगी,

 "अल्लाह तआला उस सूरत से हमें अपनी पनाह में रखे", और जो शख़्स गुनाहों से हल्के होंगे तो उसकी रफ़्तार पुल सिरात पर तेज़ होगी,

 

5.उस पुल के ऊपर आंकड़े लगे हुए होंगे और निचे कांटे लगे हुए होंगेजो क़दमों ज़ख़्मी करके उसे मुतास्सिर करेंगे लोग अपनी बद आमालियों के लिहाज़ से उससे मुतास्सिर होंगे,

 

6.जिन लोगों की बेईमानी ओर बद आमालियों की वजह से पैर फ़िसल कर जहन्नम के गढ़े में गिर रहे होंगे बुलन्द चीख़ पुकार से पुल सिरात पर दहशत तारी होगी,

 

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम पुल सिरात की दूसरी जानिब जन्नत के दरवाज़े पर खड़े होंगे, जब तुम पुल सिरात पर पहला क़दम रख रहे होंगे

 आप सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम तुम्हारे लिए अल्लाह तआला से दुआ करते हुए कहेंगे। "या रब्बी सल्लिम, या रब्बि सल्लिम"

  आप भी नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम पर दरूद पढें:

"अल्लाहुम्मा सल्ली व सल्लिम अलल हबीब मुहम्मद"

 

लोग अपनी आँखों से अपने सामने बहुत सों को पुल सिरात से गिरता हुआ देखेंगे और बहुत सों को देखेंगे कि वह उससे निजात पा गए,

 बन्दा अपने वाल्दैन को पुल सिरात पर देखेगा, लेकिन उनकी कोई फ़िक्र नहीं करेगा,

 वहां तो बस एकही फ़िक्र होगी के किसी तरह ख़ुद पार हो जाएँ,

 

रिवायत में है कि हज़रत आएशा रज़ि. क़यामत को याद कर के रोने लगीं,

 रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम ने पूंछा:

 आएशा क्या बात है?

 हज़रत आएशा रज़ि. ने फ़रमाया:  मुझे क़यामत याद आगई,

 या रसूल अल्लाह क्या वहाँ हम अपने वाल्दैन को याद रखेंगे?

 क्या वहाँ हम अपने मेहबूब लोगों को याद रखेंगे?

 आप सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम ने फ़रमाया:

  हाँ याद रखेंगे,

  लेकिन वहाँ तीन मक़ामात ऐसे होंगे जहां कोई याद नहीं रहेगा,

 

1.जब किसी के आमाल तोले जाएंगे

2.जब नामाए आमाल दिए जाएंगे

3.जब पुल सिरात पर होंगे

 

दुनियावी फ़ितनों मुक़ाबले में हक़ पर जमे रहो ,

 दुनियावी फ़ितने तो सर आब हैं उनके मुक़ाबले में हमेशां मुजहदा करना चाहिए और हर एक को दूसरे की जन्नत हाँसिल पर मदद करना चाहिए जिसकी वुसअत आसमानों ओर ज़मीन भी बढ़ी हुई है,

 

इस पैग़ाम को आगे बढ़ाते हुए सदक़ए जरिया करना ना भूलें,

ए रहमतुल लिल अलमीन के रब हमें उन ख़ुश नसीबों में शामिल कर दीजिए जो पुल सिरात को आसानी से पार कर लेंगे,

ए परवर दिगार हमारे लिए हुस्ने ख़ात्मा के फ़ैसले फ़रमा दीजिए।  "आमीन"

इस तफ़सील के बाद भी क्या गुमान है कि जिस के लिए तुम यहाँ अपने आमाल बर्बाद कर रहे हो?

 अपने नफ़्स की फ़िक्र करो कितनी उम्र गुज़र चुकी है और कितनी बाक़ी है क्या अब भी लापरवाही और ऐश की गुंजाइश है?

 

इस पैग़ाम को दूसरों तक भी पँहुचाईये,

 

या अल्लाह इस तहरीर को मेरी जानिब से और जो भी इसको आम करने में मदद करे सब को सदक़ाए जारिया बना दीजिए आमीन.

 

अस्सलामुअलैकुम व रहमतुल्लाही व बराकातुह  बशुक्रिय  🌴🌴🌴


सुल्तान सलाहुद्दीन अय्युबी रेमतुल्लाह का वाकीया

गवर्नर  नज्मुद्दीन अय्युबी काफी उमर होने तक शादी से इंकार करते रहे,,
एक दिन उनके भाई असद्दुदीन शेर कोह ने उनसे कहा,
भाई तुम शादी क्यूँ नहीं करते?
तो नज्मुद्दीन ने जवाब दिया।
में किसी को अपने क़ाबिल नहीं समझता,
ये सुनकर असद्दुदीन ने कहा।
मे आपके लिये रिश्ता माँगू ।
किसका?
मलिक शाह बिन सुल्तान मुहम्मद बिन  मलिक शाह सल्जूक़ी की  बेटी का या वजीर उल मलिक की बेटी का???
ये सुनकर नज्मुद्दीन बोले ,
वो मेरे लायक़ नहीं,,,,
असद्दुदीन धक से रह गया,
फिर कौन आपके लायक़ है?
नज्मुद्दीन ने जवाब दिया,
मुझे ऐसी नेक बीवी चाहिये जो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे जन्नत में ले जाये और उस से मेरा ऐसा बेटा पैदा हो जिसकी वो अच्छी तर्बियत करे  वो शाह सवार हो और मुसलमानों का क़िब्ला अव्वल वापस ले,,,
असद्दुदीन को ये बात पसंद न आई और उसने कहा 
ऐसी लड़की आपको कहां मिलेगी?
नज्मुद्दीन ने कहा नियत मे खुलूस हो तो अल्लाह नसीब करेगा,,
ये सुनकर असद्दुदीन खामोशी से उसे तकने लगा
एक दिन नज्मुद्दीन मस्जिद में एक शैख के पास बैठे थे एक लड़की आई और पर्दे के पीछे ही से शैख़ को आवाज़ दी 
शैख ने लड़की से बात करने के लिये नज्मुद्दीन से माज़रत की ,,नज्मुद्दीन सुनते रहे की शैख लड़की से क्या कह रहे हैं 
शैख़ ने कहा कि तुम ने उस लड़के का रिश्ता क्यूँ क़ुबूल नही किया जिसको मेने तुम्हारे लिये भेजा था।
ए हमारे शैख़ और मुफ्ती!वो लडक़ा वाक़ई खूबसुरत और रूतबे वाला था मगर मेरे लायक़ नही था ।
शैख़ हैरत से बोले,क्या मतलब तुम क्या चाहती हो??
शैख़!मुझे ऐसा लड़का चाहिये जो मेरा  हाथ पकड़ कर मुझे जन्नत मे ले जाये और उस से मुझे अल्लाह ऐसा बेटा दे जो शाह सवार हो और मुसलमानो का क़िब्ला वापस ले,,,
नज्मुद्दीन सुनकर हैरान रह गये क्यूंकि वो जो सोचते थे ये लड़की भी वही सोचती थी,
नज्मुद्दीन जिस ने बड़े बड़े हुक्मरानो और वज़ीरों की बेटियों के रिश्ते ठुकराय थे, शैख़ से कहा,
इस लड़की से मेरी शादी करवा दें,,,
ये महिल्ले की सबसे फक़ीर घराने की लड़की है ।
ये सुनकर नज्मुद्दीन ने कहा,,
में यही चहता हूँ,,
 फिर नज्मुद्दीन ने उस फक़ीर मुफ्ती लड़की से शादी कर ली और उसी से वो शाह सवार पैदा हुआ जिसको दुनिया ""सुल्तान सलाहुद्दीन अय्युबी रेमतुल्लाह""के नाम से जानती है 
जिन्हों ने मुसलमानों के क़िबला ए अव्वल बैतुल मुक़द्दस को आज़ाद करवाया,,,

एक अखरी बात और अर्ज़ करता चलूँ 
की अगर कोई पोस्ट,क़ौल,वाक़िया , अच्छा लगा करे तो पढ़ने के बाद उसे अपने दोस्तों रिश्ते दारों को भी भेज दिया कीजिये ताकि दूसरे लोग भी उस से फायदा हासिल का सकें।।।

65 मना की गई चीज़ें

*65 मना की गई चीज़ें वह चिज़ें जिस से नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें मना फ़रमाया है*🏾
1.🏾न किसी को नुक़्सान पहुंचाओ न नुक़्सान पहुंचाने का ज़रिया बनो । [अहमद]
2.🏾 नफ़रतें न फैलाओ । [अहमद]
3.🏾 पैसाब या पाख़ाना करते वक़्त क़िबला की तरफ़ मुंह और पीठ न करे । [अबु दाऊद]
4.🏾 बर्तन मे सांस न ले । [मुस्लिम]
5.🏾 सिधे हाथ से शर्मगाह न छुऐ । [मुस्लिम]
6.🏾 खड़े हो कर पैसाब न करे । [इब्न माजह]
7.🏾 गुस्ल ख़ाने मे पैसाब न करे । [अबु दाऊद]
8.🏾 रोज़ाना कंगी न करे । [अबु दाऊद]
9.🏾 पैसाब और पाख़ाना रोक कर नमाज़ न पढ़े । [इब्न माजह]
10.🏾 क़ज़ा ए हाज़त के वक़्त बात न करे । [अबु दाऊद]
11.🏾 किसी को उठा कर उस की जगह न बैठे । [बुखारी]
12.🏾 कच्चा लहसन और पयाज़ खा कर मस्जिद मे न आए । [मुस्लिम]
13.🏾 नमाज़ी के आगे से न जाए । [बुखारी]
14.🏾 नमाज़ मे इधर उधर न झांके । [अबु दाऊद]
15.🏾 वज़ू के बाद दोनो हाथों की उंगलीयाँ एक दुसरे मे न ड़ाले । [अबु दाऊद]
16.🏾 जुमा के दिन ख़ुत्बे के दौरान कुछ न बोले । [मुस्लिम]
17.🏾 मैय्यत पर नोहा न करे । [इब्न माजह]
18.☝🏾 मौत की तमन्ना न करो । [तिर्मिज़ी]
19.☝🏾 झुट बोल कर कुछ न बेचे । [बुखारी]
20.☝🏾 मर्द सोना और रेशम न पहने । [नसाइ]
21.☝🏾 च्युंटी और शहद की मख्खी न मारे । [अबु दाऊद]
22.☝🏾 मेंड़क न मारे । [अबु दाऊद]
23.☝🏾 उलटे हाथ से न खाए और न पिये । [मुस्लिम]
24.☝🏾 बर्तन के बीच मे से न खाओ । [तिर्मिज़ी]
25.☝🏾 खाने के बाद उंगलीयाँ चाटने से पहले उसे साफ़ न करो । [मुस्लिम]
26.☝🏾 न बर्तन मे सांस ले न ही उस मे फूंक मारे । [अबु दाऊद]
27.☝🏾 मश्किज़े [बोतल, जग, वगैरा] मे मुंह लगा कर पानी न पिये । [बुखारी]
28.☝🏾 जब तुम मे से कोई पिये तो बर्तन मे सांस न ले । [बुखारी]
29.☝🏾 सोने चांदी के बर्तनों मे न पियो न खाओ । [बुखारी]
30.☝🏾 तुम मे से कोई भी खड़े हो कर न पिये । [मुस्लिम]
31.☝🏾 वालदैन की क़सम न खाओ । [बुखारी]
32.☝🏾 मुसलमान के ख़िलाफ़ हथयार न उठाओ । [बुखारी]
33.☝🏾 चुगल ख़ोरी न करो । [बुखारी]
34.☝🏾 ज़माने को बुरा न कहो । [बुखारी]
35.☝🏾 जादुगर के पास न जाओ । [बुखारी]
36.☝🏾 घरों मे [जानदार की] तस्वीर न रखो । [तिर्मिज़ी]
37.☝🏾 [जानदार की] तस्वीर न बनाओ । [तिर्मिज़ी]
38.☝🏾 खड़े हो कर जुता न पहने । [अबु दाऊद]
39.☝🏾 मर्द औरतों जैसा कपड़ा न पहने । [अबु दाऊद]
40.☝🏾 औरतें मर्दों जैसा कपड़ा न पहने । [अबु दाऊद]
41.☝🏾 औरतें बारीक और फ़िट कपड़ा न पहने । [मुस्लिम]
42.☝🏾 सिर्फ़ एक जुता पहेन कर न चले । [बुखारी]
43.☝🏾 नमाज़ ए इशा से पहले न सोए । [अबु दाऊद]
44.☝🏾 किसी के घर मे न झांको । [बुखारी]
45.☝🏾 [अजनबी] औरतों के पास [तन्हाई मे] न जाओ । [बुखारी]
46.☝🏾 दो आदमी तिसरे को छोड़ कर काना फुसी न करे । [मुस्लिम]
47.☝🏾 किसी मुसलमान से तीन दिन से ज़्यादा नाराज़गी न रखो । [मुस्लिम]
48.☝🏾 ग़ुस्सा न करो । [बुखारी]
49.☝🏾 किसी के चेहरे पर न मारे । [मुस्लिम]
50.☝🏾 एक दुसरे पर हसद न करो । [मुस्लिम]
51.☝🏾 एक दुसरे से दिली दुशमानी न रखो । [मुस्लिम]
52.☝🏾 मुर्दों को बुरा न कहो । [बुखारी]
53.☝🏾 लोगों को हंसाने के लिये झुट न बोलो । [अबु दाऊद]
54.☝🏾 रास्तो पर बैठने से बचो । [मुस्लिम]
55.☝🏾 बेचने ख़रीदने मे क़सम न खाओ । [मुस्लिम]
56.☝🏾 यहुदीयों और इसाईयों का तरीक़ा न अपनाओ । [तिर्मिज़ी]
57.☝🏾 कोई किसी को क़त्ल न करे । [अबु दाऊद]
58.☝🏾 कोई किसी को ज़ख़्मी न करे । [अबु दाऊद]
59.☝🏾 लेटते वक़्त एक टांग दुसरी टांग पर न रखे । [तिर्मिज़ी]
60.☝🏾 क़िबला की तरफ़ न थुको । [अबु दाऊद]
61.☝🏾 क़िबला की तरफ़ नाक साफ़ न करो । [इब्न हब्बान]
62.☝🏾 टेक लगा कर न खाए । [इब्न असाकिर]
63.☝🏾 औरत शौहर की इजाज़त के बगैर घर से न निकले । [अबु दाऊद]
64.☝🏾 अपनी बीवी को ग़ुलामों की तरह न मारे । [बुखारी]
65.☝🏾 कोई शौहर अपनी बीवी से बुग़्ज़ न रखे । [मुस्लिम]
*🌿ऐ अल्लाह! हमें हर तरह की बुराई से बचा और हमें मुत्तक़ी व परहेज़गार बना दे । आमीन*