Saturday, August 12, 2023

दास्ताने करबला, क़िस्त 05*

*दास्ताने करबला, क़िस्त 05*

*इमामे हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु* ने जो वक़्ते विसाल गुमान किया था कि क़ौम के कुछ लोग मुझे अपने नाना जान *हुज़ूर ﷺ* के कदमे मुबारक में दफ़्न होते हुवे रोकेंगे, वैसा ही हुआ... *मरवान जो कि मुस्लिम की शक्ल में एक ख़ारजी और मुर्तद शख्स था, इनकार करने लगा, और रिवायत में येह भी आता है कि मरवान के लोगो ने आप के जिस्मे मुबारक पर तीर भी चलाए*

*हज़रत इमामे हुसैन* रज़िअल्लाहु तआला अन्हु और आपके हमराही भी उनके मुक़ाबले के लिये हथियार ले कर खड़े हुए।  

जब हज़रते अबू हुरैरह रज़िअल्लाहु तआला  अन्हु ने देखा की, आपस में जंग शुरू होने की तैयारी है, *तो आप ने हज़रते इमामे हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को अपने भाई की वसियत याद दिलाई (की इमामे हसन ने कहा था कि एतराज करने वालो से तकरार मत करना )*

 हज़रत इमामे हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु वापस हो गये और इमामे हसन-ए-मुजतबा को आपकी वालिदा-ए-मोहतरमा ख़ातूने जन्नत *हज़रत फ़ातिमा* रज़िअल्लाहु तआला अन्हा के पहलु में दफ्न किया गया।

 *हज़रत इमाम हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को ज़हर किस ने दिया*

 हज़रत इमाम हसन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को ज़हर किस ने दिया इस बात पर लोग क़यास लगाकर आपकी ही किसी ज़ौजा की तरफ इशारा करते हैं, जो कि बिलकुल गलत और बेअसल है। 

*तारीख में इस बात की कोई सनद नहीं मिलती।* और जो रिवायात मिलती है वह बग़ैर मो'तबर या मो'तमद हवाले से झूट लिख दिया गया है।  

जब हज़रत इमाम हसन इस बात पर खामोश रहे और आपने अपने भाई हज़रत इमामे हुसैन को नहीं बताया..... तो तो हम कौन होते हैं जो कियास की बुनियाद पर ज़हर खुरानी को किसी की तरफ मन्सूब करें ।

 लेकिन एक बात साफ थी कि, आप को जहर देने की साज़िश करने वाले लोग *यजीदी* और *खारजी* तबक़े से ताल्लुक रखने वाले ही थे...............

*मिन जानिब-जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा गुमला झारखंड इंडिया*

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाकी आने वाली पोस्ट में)*

*Next........*

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*🌹ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत-🌹*

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*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
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