Saturday, October 30, 2021

दरूद पाक का विर्द अपना मामूल बना ले

रसूलुल्लाह ﷺ का हर उम्मती यह तहरीर ज़रूर ज़रूर पढ़ें 

*अगर आप अपने दिमाग को रौशन करना चाहते हैं और रूहानियत की दुनिया में परवाज़ करना चाहते हैं तो एक एक लफ़्ज़ गौर से पढ़ें*

* अल्लामा इक़बाल रहमतुल्लाह अलैह से किसी ने पूछा कि आप ना ही किसी मदरसे में पढ़ें ना दर्से निज़ामी की तो आपको अल्लामा क्यों कहा जाता है ?*

* अल्लामा इक़बाल रहमतुल्लाह अलैह ने फरमाया कि वाक़ई मैं ने कोई आलिम फाजिल का कोर्स नहीं किया लेकिन बात अस्ल में कुछ और है फरमाने लगे की दुनिया की मुझे यह इज़्ज़त देना और मेरे कलाम में यह असर और मेरे क़्लब व रुह कि यह ताज़गी यह सब रसूलुल्लाह ﷺ से वालिहाना मोहब्बत की बदौलत है और यह सब तब मुमकिन हुई जब मैं ने रसूल ﷺ पर दुरूद ए पाक पढ़ना शुरू किया फरमाया कि दरूदे पाक का यह वीर्द बढ़ता गया और मैं इस तादाद को महसूस करता गया लाख दो लाख और ऐसे ही जों जों आगे बढ़ता गया अल्लाह मेरे दिमाग़ को मेरे दिल को मेरी रूह को रौशन करता रहा और जब मैंने रसूल ﷺ की जाते गिरामी पर एक करोड़ दरूद पाक मुकम्मल किया तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने मेरा अंग-अंग रौशन कर दिया लोगों के दिलों में मेरी इज़्ज़त बैठ गई मेरे कलाम में ऐसा असर हुआ कि अल्लाह अल्लाह जब कलाम लिखने बैठता अल्फाज़ बारिश की तरह उतरते उसके बाद अल्लामा साहब दरूदे पाक तवातीर से पढ़ते रहे*

* मेरे एक अज़ीज़ हैं जो एयर फोर्स में मुलाज़िमत कर रहे थे वहां उनकी मुलाक़ात हुई जिन से यह राज़ उनको मालूम हुआ और उन्होंने खुद मुझे बताया कि मेरी जिंदगी पहले की बहुत अजीब थी लेकिन जब मैं ने मुसम्मम इरादा किया और मोहब्बत से दरूदे पाक का विर्द शुरू किया और जब पहली दफा एक लाख दरूदे पाक गिन के पूरा किया तो एक ख्वाब देखता हूं कि मैं कहीं सफर हूं और मेरे सामने एक निहायत गलीज़ नाला है और उस नाले के पास बहुत सुहानी सर सब्ज़ और जन्नत जैसी दुनिया है खैर मैं ने जैसे तैसे कर के बहुत मुश्किल से वह नाला पार किया और उस पार पहुंच गया जब मैंने पीछे देखा तो वही नाला जिसमें गिलाज़त थीं वह निहायत साफ शिफाफ नहर में तब्दील हो चुका है हत्ता की उस बहते पानी के नीचे रंग बिरंग के पत्थर तक नज़र आ रहे हैं और जिसे देख कर रुह खुश हो जाए और मेरे कपड़े निहायत साफ-सुथरे उजले और सफेद हो चुके हैं और मेरा ज़ाहिरी हुस्न भी बढ़ चुका है अल्हम्दु लिल्लाह मुझे ख्वाब ही में बताया गया कि यह नाला में बहता पानी तुम्हारे आमाल है जो पहले गलीज़ थे और अब दरूदे पाक की बदौलत उनकी सफाई हो चुकी है अब यह सारे नेकियों में तब्दील हो चुके हैं*

 यक़ीनन जानिए वह दिन और आज का दिन वह बंदा कब से सर्विस से रिटायर हो चुका है आज भी उनका दरूदे पाक का विर्द जारी व सारी है और बहुत से जवान लड़कों को दरूदे पाक के विर्द की लज़्ज़त से रुशनास करा चुके हैं और आज उस बंदा की रूहानी कैफियत मा शा अल्लाह कमाल की है और उस बंदे के दिलों दिमाग और रूह उस पाक विर्द यानी रसूल ﷺ पे दरूद पाक की बदौलत रौशन है !!
तो दोस्तों आज ही से पुख्ता इरादा करें की इन शा अल्लाह इन शा अल्लाह 
*मैं ने रसूल ﷺ की ज़ाते मुक़द्दस पर एक करोड़ मर्तबा मोहब्बत व शौक़ से दरूद पाक ज़रूर पढ़ना है*

* यक़ीन माने जैसे-जैसे आप रसूल ﷺ पर दरूद पाक पढ़ते जाएंगे आप भी बहुत सारे इन्कशाफात होते जाएंगे और दिलों दिमाग व रूह के ऐसे दरीचे खुलेंगे की आप शशदर (हक्का-बक्का) रह जाएंगे, रोज़ना की बुनियाद पे दरूद पाक का विर्द अपना मामूल बना ले*

* अल्लाह हम सबको आक़ा व मौला रसूलुल्लाह ﷺ दुरूद पाक पढ़ने की सआदत नसीब फरमाए आमीन इस पर खुद भी अमल करें और अपने घर वालों को भी आगाह करें,*

*👉🏻 मेहरबानी करके आगे सेंड करते जाएं जितने लोग दूरूद पाक पढ़ेंगे आपको भी सवाब मिलता रहेगा *

Wednesday, October 20, 2021

મીલાદ મુસ્તફાﷺ ‏

આલા હઝરત ઇમામે એહલે સુન્નત મુજદ્દીદે દીનો મિલ્લત આશીકે રસુલ ﷺ *ઇમામ અહમદ રઝા* કે કલમ સે નાતીયા અંદાજ મે મીલાદ મુસ્તફાﷺ .

🌹 *મીલાદ મુબારક* 🌹 

જીસ સુહાની ઘડી ચમકા તૈયબા ચાંદ 
ઉસ દિલ અફરોઝ સાઅત પે લાખો સલામ.

🌹 *સર મુબારક* 🌹 

જીસકે આગે સરે સરવરાં ખમ રહે 
ઉસ સરે તાજે રિફઅત ૫ે લાખો સલામ

🌹 *સર કી માંગ મુબારક* 🌹 

લૈલતુલ કદર મે મતલઇલ ફજર હક્ક 
માંગ કી ઇસ્તેકામત પે લાખો સલામ

🌹 *પેશાની મુબારક* 🌹 

જીસકે માથે શફાઅત કા સેહરા રહા 
ઉસ જબીને સઆદત પે લાખો સલામ

🌹  *ભંવેં મુબારક* 🌹 

જીસકે સજદે કો મેહરાબે કાબા ઝુકી 
ઉન ભંવો કી લતાફત પે લાખો સલામ

🌹 *મુંહ મુબારક* 🌹 

ચાંદ સે મુંહ પે તાબાં દરખશાં દુરૂદ 
નમક આગેં સફાહત પે લાખો સલામ

🌹 *આંખે મુબારક* 🌹 

જીસ તરફ ઉઠ ગઇ દમ મે દમ આ ગયા 
ઉસ નિગાહે ઇનાયત પે લાખો સલામ 
★ કિસ કો દેખા યે મુસા સે પુછે કોઇ 
આંખ વાલોં કી હિમ્મત પે લાખો સલામ

🌹 *નાક મુબારક* 🌹 

નીચી નજરોં કી શરમો હયા પે દુરૂદ 
ઉંચી બીની કી રિફઅત પે લાખો સલામ

🌹 *કાન મુબારક* 🌹 

દુરો નઝદીક કે સુનનેવાલે વો કાન 
કાને લઅલે કરામત પે લાખો સલામ 

🌹 *ઝુબાન મુબારક* 🌹 

વો ઝબાં જીસકો સબ કુન કી કુંન્જી કહેં 
ઉસકી નાફીઝ હુકુમત પે લાખો સલામ

🌹 *હોંટ મુબારક* 🌹 

પતલી પતલી ગુલે કુદસ કી પત્તીયાં  
ઉન લબોં કી નઝાકત પે લાખો સલામ 

🌹 *મુસ્કુરાહત મુબારક* 🌹

જીસકી તસકીં સે રોતે હુએ હંસ પડે 
ઉસ તબસ્સુમ કી આદત પે લાખો સલામ

🌹 *રંગ મુબારક* 🌹 

જીસ સે તારીક દિલ જગમગાને લગે 
ઉસ ચમકવાલી રંગત પે લાખો સલામ 

🌹 *હાથ મુબારક* 🌹

હાથ જીસ સિમ્ત ઉઠા ગની કર દિયા
મૌજે બહરે સમાહત પે લાખો સલામ 

🌹 *ઉંગલીયા મુબારક* 🌹 

નુર કે ચશ્મે લહરાએ દરીયા બહેં 
ઉંગલીયોં કી કરામત પે લાખો સલામ.

*મુસ્તફા જાને રહમત પે લાખો સલામ* 
*શમ્એ બઝમે હિદાયત પે લાખો સલામ* 

      દુઆ કી ગુઝારીશ 

*હાફેઝ ઇલ્યાસ રઝવી - જંબુસર*

Tuesday, October 5, 2021

इमामे अली मक़ाम हज़रत इमामे हसन रज़ियल्लाहु अ़न्हु


28 सफ़र उल मुज़फ़्फ़र
यौम ए शहादत
ख़लीफ़ा-ए-राशिद, अमीरूल मोमनीन, नवासा-ए-रसूल, शहज़ादा-ए-हैदरो बतूल, इमाम उल मुस्लमीन, सरदारे शबाबुल अहलुल जन्नाह, सय्यदुल क़ौमी अहलुल जन्नाह, इमामे आली मक़ाम हम शबीहे मुस्तफ़ा, जिगर पारा ए मुर्तज़ा, कुर्रतुल ऐने बतूल सिब्ते रसूल, फ़ख़्रे आइम्मा ए अहलेबैत, वारिसे उलूमे अहलेबैत, मोहसिने आज़म, बिरादरे इमामे हुसैन #हज़रत_इमाम_हसन_इब्न_अली_रदियल्लाहु_तआला_अन्हु

Saturday, August 21, 2021

बहोत प्यारी दुआ

आज  ये बहोत प्यारी दुआ जरूर मांगे 

ये दुआ बहोत प्यारी हैं इसे सुकून से पढ़े और दिल में आमीन कहें औऱ इसे दूसरों तक  पहुँचाए, हों सकता हैं दूसरे लोगोँ की आमीन से अपनी दुआ कुबूल हो जाए (आमीन)😰😰
⚡अय अल्लाह रब्बूल इज्ज़त 
💧अय सारी क़ायनात के शहंशाह 
💧अय सारी मखलूक के पालने वाले 
💧 अय मौत का फ़ैसला करने वाले 
💧 अय आसमानों औऱ जमीनों के मालिक 
💧अय पहाड़ों औऱ समुद्रों के मालिक 
💧अय इंसानो औऱ जिन्नातो के महमूद 
💧अय अर्श आजम के मालिक 
💧अय फरिश्तों के मालिक 
💧अय इज्जत औऱ ज़िल्लत के मालिक 
💧 अय बीमारों को शीफा देने वाले 
💧अय बादशाहों के बादशाह 
💧अय अल्लाह हम तेरे गुनाहगार हैं 
💧तेरे खताकार बंदे हैं 
💦 हमारे गुनाहों को माफ़ फर्मा 🤲🏻🤲🏻
💦हमारे खताओं को माफ़ फर्मा 🤲🏻
💦अय अल्लाह हम अपने अगले पिछले सकीरा कबीरा सभी गुनाहों, ख़ताओं औऱ  नाफरमानियों की माफ़ी मांगते हैं 🤲🏻🤲🏻
💦अय अल्लाह रब्बूल इज्ज़त हम अपने गुनाहों से तौबा करते हैं हमारी तौबा कुबूल फर्मा 
💦अय अल्लाह हम गुनाहगार है,बदकार है ,तेरे अहकाम के नाफरमान हैं,ना शुक्रे हैं लेकिन तेरी तौहीद की गवाही देते हैं.
💦तेरे सिवा कोई इबादत के लायक नहीं हैं 
💦 तेरे सिवा कोई बंदगी के लायक नहीं हैं 
💦तेरे सिवा कोई तारीफ़ के लायक नहीं हैं 
💦हमारे माबूद हमारे गुनाह तेरी रहमत से बड़े नहीं हैं 
💦तू अपनी रहमत से हमारे गुनाह माफ़ कर दे 🤲🏻🤲🏻
💦अय अल्लाह पाक हमे गुमराही के रास्ते से हटा कर सिरातुम  मुस्तकिम के रास्ते पर चलने वाला बना दे 
💦अय अल्लाह ऐसी नमाज़ पढ़ने की तौफिक अता कर जिस नमाज़ से तू राजी हों जाये 
💦 जिंदगी में ऐसे नेक आमाल करने की तौफिक अता कर जिन आमालों से तू राज़ी हों जाए 
💦ईमान पे जिंदा रख और इमान पर ही मौत अता कर 
💦अय अल्लाह हमे तेरे अहकाम की फर्माबरदारी करने वाला बना 
💦और तेरे प्यारे हबीब जनाब मोहम्मद रसूल अल्लाह (s.a.w) के नेक और पाक़ीजा आदाब को अपनाने वाला बना दे 
💦 अय अल्लाह हमारी परेशानियों को दूर कर 
💦अय अल्लाह जो बिमार हैं उन्हे शिफा अता फर्मा 
💦अय अल्लाह जो कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं उनका कर्ज जल्द से जल्द अदा करवा दे 
💦अय रब्बूल इज्ज़त शैतान से हमारी हिफाज़त फर्मा 
💦 अय अल्लाह इस्लाम के दुश्मनों को हिदायत दे 
💦 अय अल्लाह हलाल रिज़क कमाने की तौफिक अता फर्मा 
💦 अय अल्लाह हमे तुझसे मांगना नहीं आता लेकिन तुझे देना आता हैं तू हर चीज़ पर कादिर हैं 
💦अय अल्लाह जों माँगा हैं वो भी अता फर्मा औऱ जो मांगने से रह गए हैं वो भी अता फर्मा 
💦 हमारी दुआ अपने रहम से अपने करम से कूबुल फर्मा औऱ जिसने ये दुआ भेजी हैं औऱ इसे आगे बढ़ा रहा हैं उसकी सारी परेशानियों,तकलीफों औऱ बीमारियो को दूर फर्मा औऱ सेहत अता कर : ये दुआ पूरी ज़रूर पढ़े 

"और अल्लाह अपने प्यारे महबूब हज़रत मोहम्मद (s.a.w)के सदके पूरी दुनियाँ में जितने मुसलमान वफात चुके हैं उनकी मगफिरत फर्मा,उन्हें कब्र के अज़ाब से बचा..
जो बिमार हैं या परेशान हैं तो उनको अपने करम से माफ़ फर्मा औऱ उनकी बीमारियो औऱ परेशानियों को दूर फर्मा"..
अय मेरे अल्लाह अपने प्यारे महबूब हज़रत मोहम्मद (s.a.w)के सदके जिस ने मुझे ये दुआ भेजी हैं उसके तमाम गुनाह माफ़ फर्मा और हर काम में कामयाबी अता फर्मा और उसका नसीब खोल दे.. आमीन 🤲!
Note ये दुआ आगे शेयर कर

Wednesday, August 18, 2021

इमाम आ़ली मक़ाम रज़ियल्लाहु अ़न्हु

*✍🏻इमाम आ़ली मक़ाम रज़ियल्लाहु अ़न्हु क़ुइज़(57) सुवाल व जवाब👇🏻*

*सुवाल(1):- ह़ज़रते इमाम आ़ली मक़ाम रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम क्या है ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम आ़ली मक़ाम रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु है।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)*

*सुवाल(2):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के वालिदे माजिद का नाम क्या है ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के वालिदे माजिद का नाम ह़ज़रते अ़ली कर्रमल्लाहु वज्हहुल करीम है।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 67)*

*सुवाल(3):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की वालिदा माजिदा का नाम क्या है ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की वालिदा माजिदा का नाम ह़ज़रते फ़ात़िमतुज़्ज़हरा रज़ियल्लाहु अ़न्हा है ।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)*

 *सुवाल(4):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कितने भाई थे ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु तीन भाई थे।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)* 

*सुवाल(5):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के तीनों भाइयों के नाम बतायें ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के तीनों भाइयों के नाम ये हैं 1-ह़सन 2-ह़ुसैन 3-मुह़्सिन रज़ियल्लाहु अ़न्हुम।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)* 

*सुवाल(6):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की कितनी बहनें थीं ?*

 *जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीन बहनें थीं। (अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)*

*सुवाल(7):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीनों बहनों के नाम बतायें?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीनों बहनों के नाम ये हैं 1-ज़ैनब 2-रुक़य्या 3-उम्मे कुल्सूम रज़ियल्लाहु अ़न्हुन्न। (अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)* 

 *सुवाल(8):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की पैदाइश कब और कहाँ हुई?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की पैदाइश 5 शअ़्बानुल मुअ़ज़्ज़म 4 हिजरी को मदीना शरीफ़ में हुई।(स़वाइ़क़े मुह़र्रिक़ा स़फ़्ह़ा 118)*

*सुवाल(9):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम किसने रखा?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम आप के नाना जान ह़ज़रत मुह़म्मद स़ल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम ने रखा।(स़वाइ़क़े मुह़र्रिक़ा स़फ़्ह़ा 118)*

*सुवाल(10):-यज़ीद पलीद की तख़्त नशीनी के बअ़्द मदीना शरीफ़ के जिस गवर्नर ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को बैअ़त के लिए बुलाया था उसका नाम क्या था?*

*जवाब:- यज़ीद पलीद की तख़्त नशीनी के बाद मदीना शरीफ़ के जिस गवर्नर ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को बैअ़त के लिए बुलाया था उसका नाम वलीद बिन अ़क़बा था।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 349)*

*सुवाल(11):-यज़ीद पलीद ने तख़्त नशीनी के बाद सबसे पहले जिन मुक़द्दस हस्तियों से बैअ़त के लिए कहा था उनके नाम बतायें?*

*जवाब:- यज़ीद पलीद ने तख़्त नशीनी के बअ़्द सबसे पहले जिन मुक़द्दस हस्तियों से बैअ़त के लिए कहा था उनके नाम ये हैं 1-ह़ुसैन बिन अ़ली 2-अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर 3- अ़ब्दुल्लाह इब्ने उ़मर रज़ियल्लाहु अ़न्हुम।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 349)*

*सुवाल(12):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को सबसे पहले क़त्ल करने के लिए किसने किस से कहा और कब कहा?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु जब वलीद बिन अ़क़्बा के पास गए तो मरवान बिन ह़कम ने वलीद बिन अ़क़्बा से आप रज़ियल्लाहु अ़न्हु को क़त्ल करने के लिए कहा।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 350)*

*सुवाल(13):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ से मक्का शरीफ़ के लिए कब  रवाना हुवे?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ से मक्का शरीफ़ के लिए 5 शअ़्बानुल मुअ़ज़्ज़म 60 हिजरी को रवाना हुए।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 352)*

*सुवाल(14):-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ छोड़ कर मक्का शरीफ़ जा रहे थे तो अहले बैत में से कौन कौन रह गए थे?*

*जवाब(15):- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ छोड़ कर मक्का शरीफ़ जा रहे थे तो अहले बैत में से आप की स़ाह़िबज़ादी ह़ज़रते स़ुग़रा और मुह़म्मद बिन ह़नफ़िया ह़ज़रते अ़ली के बेटे रह गए थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 27)*

*सुवाल(16):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मक्का शरीफ़ में कब तक रहे और कैसे रहे ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मक्का शरीफ़ में सात ज़िल ह़िज्जा तक अमनो अमान में रहे।(अलकामिल फ़ित्तारीख़)*

*सुवाल(17):-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मक्का शरीफ़ में थे तो कूफ़ियों ने कितने ख़ुत़ूत़ भेजे?*

*जवाब:-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  मक्का शरीफ़ में थे तो कूफ़ियों ने तक़रीबन डेढ़ सौ ख़ुत़ूत़ भेजे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 30)*

*सुवाल(18):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने कूफ़ा के ह़ालात पता करने के लिए सबसे पहले किसको भेजा?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने कूफ़ा के ह़ालात पता करने के लिए सबसे पहले अपने चचा ज़ाद भाई मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को भेजा।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 30)*

*सुवाल(19):-जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा जा रहे थे तो आप के साथ और कौन कौन थे?* 

*जवाब:- जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा जा रहे थे तो आप के साथ आप के छोटे छोटे दो स़ाह़िबज़ादे 1-मुह़म्मद 2-इब्राहीम थे।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 355)*

*सुवाल(20):- जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा पहुँचे तो कितने लोगों ने आप के दस्ते पाक पर बैअ़त की?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा पहुँचे तो अठारह हज़ार  लोगों ने आप के दस्ते पाक पर बैअ़त की।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 30)*

*सुवाल(21):-जब यज़ीद पलीद को इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु के दस्ते पाक पर कूफ़ियों की बैअ़त की ख़बर पहुँची तो आप को शहीद करने के लिए किसको ह़ाकिम बना कर भेजा?*

*जवाब:- जब यज़ीद पलीद को इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु के दस्ते पाक पर कूफ़ियों की बैअ़त की ख़बर पहुँची तो आप रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के लिए अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़्याद को ह़ाकिम बना कर भेजा।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 31)*

*सुवाल(22):- अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़्याद के बहकाने पर कितने लोगों ने इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु का साथ दिया?*

*जवाब:- अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़्याद के बहकाने पर सब मुकर गए किसी ने भी इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु का साथ नहीं दिया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 31)*

*सुवाल(23):-इमाम मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने शहादत से पहले तीन वस़िय्यतें किस से की थी?*

*जवाब:- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने शहादत से पहले तीन वस़िय्यतें अ़म्र बिन सअ़्द से की थी।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 33)*

*सुवाल(24):- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीन वस़िय्यतें क्या थीं?*

 *जवाब:- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीन वस़िय्यतें ये थीं 1-कूफ़ा में मैंने सात सौ रुपये क़र्ज़ लिए हैं उनको अदा कर देना,2-क़त्ल के बाद मेरा जनाज़ा इब्ने ज़्याद से ले कर दफ़्न कर देना,3- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के पास किसी को भेज कर कूफ़ा आने से मना कर देना।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 33)*

*सुवाल(25):-जब इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के लिए लाया गया उस वक़्त आप की ज़बान किस चीज़ में मश्ग़ूल थी?* 

*जवाब:- जब इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के लिए लाया गया उस वक़्त आप की ज़बान तस़्बीह़ और इस्तिग़्फ़ार में मश्ग़ूल थी(अल्कामिल फ़ित्तारीख़)*

*सुवाल(26):- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के बअ़्द आप के सरे मुबारक को कहाँ भेजा गया?*

*जवाब:- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के बाद आप के सरे मुबारक को मुल्के शाम में यज़ीद पलीद के पास भेजा गया(अल्कामिल फ़ित्तारीख़)*

*सुवाल(27):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कब मक्का शरीफ़ से कूफ़ा के लिए रवाना हुए?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु आठ ज़िल्ह़िज्जा साठ हिजरी को मक्का शरीफ़ से कूफ़ा के लिए रवाना हुए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 36)*

*सुवाल(28):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को किन किन जलीलुल क़द्र स़ह़ाब ए किराम ने कूफ़ा जाने से रोका था?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को उ़मर बिन अ़ब्दुर्रहमान और अ़ब्दुल्लाह इब्ने  अ़ब्बास और अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर,अ़ब्दुल्लाह इब्ने उ़मर रज़ियल्लाहु अ़न्हुम ने कूफ़ा जाने से रोका था।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 36)*

*सुवाल(29):-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु को इमाम मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत की ख़बर मिली तो आप ने क्या कहा ?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत की ख़बर मिली तो आप ने फ़रमाया कि “तुम्हारे बअ़्द ज़िंदगी बेकार है “।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 41)*

*सुवाल(30) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु का सामना कहाँ हुआ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को ह़ज़रते हुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु का सामना मक़ामे शराफ़ में हुआ ।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 41)*

*सुवाल(32) जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु का सामना ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के लश्कर के साथ हुआ तो आप उनके साथ कैसे पेश आए?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु का सामना ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के लश्कर के साथ हुआ तो आप उनके साथ अख़्लाक़ के साथ  पेश आए और उनके लश्कर को पानी पिलाया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 41)*

*सुवाल(33) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर कब पहुँचे?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर 2 मुह़र्रमुल् ह़राम 61 हिजरी को जुमेअ़रात के दिन पहुँचे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 47)*

*सुवाल(34) जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर पहुँचे तो सब से पहले आप से मुक़ाबला के लिए कौन आया और किस ने भेजा था?*

*जवाब:-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर पहुँचे तो सब से पहले आप से मुक़ाबला के लिए अ़म्र बिन सअ़द आया जिसको इब्ने ज़्याद ने भेजा था।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 47)*

*सुवाल(35)जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने अ़म्र बिन सअ़द के साथ स़ुलह़ कर ली थी तो किस ने वर्ग़लाया?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने अ़म्र बिन सअ़द के साथ स़ुलह़ कर ली थी तो शिम्र लईन ने वर्ग़लाया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 48)*

*सुवाल(36):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु अ़म्र बिन सअ़द के साथ कर्बला की सरज़मीं पर कितने दिन तक मुस़ालह़त की कोशिश करते रहे?*

*जवाब:- ):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु अ़म्र बिन सअ़द के साथ कर्बला की सरज़मीं पर चार रात - दिन तक मुस़ालह़त की कोशिश करते रहे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 48)*

*सुवाल(37):-इब्ने ज़्याद ने शिम्र लई़न को अ़म्र बिन सअ़द के पास क्या कह कर भेजा?*

*जवाब:- इब्ने ज़्याद ने शिम्र लई़न से कहा कि “तू अमीरे लश्कर है अ़म्र बिन सअ़द के पास जा और अगर वो बात मान ले तो इत़ाअ़त करना वरना उसका सर काट कर मेरे पास भेज देना”  कह कर भेजा।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 49)*

*सुवाल(38):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से मुक़ाबला के लिए कब जहन्नमी यज़ीदी लश्कर को तय्यार किया गया तारीख़,महीना और हिजरी भी बयान कीजिये?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से मुक़ाबला के लिए 9 मुह़र्रमुल ह़राम 61 हिजरी बरोज़ जुमेअ़रात को  जहन्नमी यज़ीदी लश्कर को तय्यार किया गया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 50)*

*सुवाल(39):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने 9 मुह़र्रमुल् ह़राम को एक दिन की मुहलत क्यूँ माँगी?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने 9 मुह़र्रमुल ह़राम को एक दिन की मुहलत पसमान्दों को वस़िय्यत करने और इ़बादत करने के लिए माँगी।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 51)* 

 *सुवाल(40):-कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ कुल कितने लोग थे?*

*जवाब:- कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ कुल 72(बहत्तर) लोग थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 57)*

*सुवाल(41) कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ कितने सवार और कितने पैदल थे?*

*जवाब:- कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ बत्तीस सवार और चालीस पैदल थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 57)*

*सुवाल(42)ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु को इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की त़रफ़दारी करते हुए दुश्मनों ने देखा तो क्या किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु को इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की त़रफ़दारी करते हुए दुश्मनों ने देखा तो पत्थर बरसाना शुरूअ़ कर दिये।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 62)*

*सुवाल(43)जब दुश्मनों ने पत्थर बरसाना शुरूअ़ कर दिये तो ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने क्या किया?*

*जवाब:- जब दुश्मनों ने पत्थर बरसाना शुरू कर दिये तो ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु वापस हो कर इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सामने खड़े हो गए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 62)*

*सुवाल(44)क्या ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने दुश्मनों को क़त्ल भी किया?*

*जवाब:-हाँ, ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने दुश्मनों(यज़ीदियों) में यज़ीद बिन सूफ़ीयान के इ़लावा पूरी दिलेरी के साथ क़ेताल किया जिसमे बहुत से दुश्मन मारे गए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 64)*

*सुवाल(45):-जब ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ज़ख़्मी हुए तो ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से अर्ज़ किया कि "हुज़ूर क्या अब आप मुझ से राज़ी हैं "?तो आप ने क्या जवाब दिया?*

*जवाब:- जब हज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ज़ख़्मी हुए तो ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से अर्ज़ किया कि "ह़ुज़ूर क्या अब आप मुझ से राज़ी हैं "?तो आप ने जवाब दिया कि हाँ मैं आप से राज़ी हूँ और अल्लाह भी आप से राज़ी हो ।(आईन ए क़ियामत स़फ़ह़ा 67)*

*सुवाल(46):-किस ज़ालिम ने आवाज़ दी तो दुश्मनों ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु पर चारों त़रफ़ से हमला कर दिया?*

*जवाब):- शिम्र लई़न ज़ालिम ने आवाज़ दी तो दुश्मनों ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु पर चारों तरफ़ से ह़मला कर दिया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(47):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला में कितने दिन प्यासे रहे?*

*जवाब):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला में तीन  दिन प्यासे रहे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(48):-सबसे पहले किस ज़ालिम ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के बाएँ शाने पर तलवार मारी?*

*जवाब:-सबसे पहले ज़रआ़ बिन शरीक तमीमी ज़ालिम ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के बाएँ शाने पर तलवार मारी।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(49):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के जिस्मे मुबारक पर कितने नेज़ों के ज़ख़्म और तलवारों के घाव लगे थे?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के जिस्मे मुबारक पर 33 नेज़ों के ज़ख्म और 34 तलवारों के घाव और बेशुमार तीर लगे थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(50):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से किस ज़ालिम मरदूद ने जुदा किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से ज़ालिम मरदूद सिनान् बिन अनस नख़ई शक़ी नारी जहन्नमी लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि ने जुदा किया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(51) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से जुदा करने के बाद ज़ालिमों ने आपके जिस्मे मुबारक के साथ क्या किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से जुदा करने के बाद ज़ालिमों ने आपके जिस्मे मुबारक को घोड़ों से पामाल किया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 84)*

*सुवाल(52):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत के बाद सरे मुबारक को ज़ालिमों ने क्या किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत के बाद सरे मुबारक को ज़ालिम नेज़े पर रख कर खुशियाँ मानते हुए मुल्के शाम यज़ीद पलीद “लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि इला यौमिल क़ियामह” के पास ले गए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 87)*

*सुवाल(53) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को यज़ीद पलीद “लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि इला यौमिल क़ियामह” के पास ले जाने के बाद कहाँ भेजा गया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को यज़ीद पलीद “लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि इला यौमिल क़ियामह” के पास ले जाने के बाद मदीना शरीफ़ भेजा गया।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 440)*

*सुवाल(54):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को कहाँ दफ़्न किया गया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को मदीना शरीफ़ में आप की वालिदा माजिदा के पहलू में दफ़्न किया गया।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 440)*

*सुवाल(55) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  ने इतनी बड़ी क़ुर्बानी क्यूँ दी?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  ने इतनी बड़ी क़ुर्बानी मज़हबे इस्लाम की बक़ा के लिए दी।(तारीख़े इस्लाम)*

*सुवाल:-(56) जो हर कलिमागो (फ़िरक़-ए-बात़िला) से इत्तिह़ाद की बातें करते हैं उनको ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की इतनी बड़ी क़ुर्बानी से क्या सबक़ मिलता है?*

*जवाब:-जो हर कलिमागो (फ़िरक़-ए-बात़िला) से इत्तिह़ाद की बातें करते हैं उनको ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की इतनी बड़ी क़ुर्बानी से हर गुस्ताख़ फ़िरक़-ए-बात़िला से दूर रहने और हर कुर्ता पाजामा टोपी दाढ़ी वाले (कसो ना कस) को मुक़्तदा न बनाने का सबक़ मिलता है।(अल्ह़ुब्बु फ़िल्लाह अल् बुग़्ज़ु फ़िल्लाह)*

*सुवाल(57) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने बज़ाहिर कलिमागो,नमाज़ियों, रोज़ेदारों के मुक़ाबले इतनी बड़ी क़ुर्बानी दे कर हम सुन्नियों को क्या दर्स दिया?*

*जवाब:-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने बज़ाहिर कलिमागो,नमाज़ियों रोज़ेदारों के मुक़ाबले इतनी बड़ी क़ुर्बानी दे कर हम सुन्नियों को यह दर्स दिया कि जो अल्लाह रब्बुल इ़ज़्ज़त और उसके ह़बीब स़ल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम का वफ़ादार है वही हमारा है और उसी की तअ़ज़ीम व तक़लीद दुरूस्त है, और जो अल्लाह रब्बुल इ़ज़्ज़त और उसके ह़बीब स़ल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम का वफ़ादार नहीं वोह हमारा नहीं इसलिए हर कलिमागो,नमाज़ी,रोज़ेदार,लाइक़े तअ़ज़ीम व तक़लीद और हमारा मुक़्तदा नहीं।(अल्ह़ुब्बु फ़िल्लाह अल् बुग़्ज़ु फ़िल्लाह)*


*✍क़ाज़ी-ए-शहर*
*सग-ए-ह़ुज़ूर ताजुश्शरीआ़ अ़ब्दुल क़ुद्दूस क़ुद्सी अस्सअ़्दी,मातुरीदी, ह़नफ़ी,क़ादिरी,बरकाती, रज़वी,नूरी,बरेलवी*

*जमाअ़त रज़ा-ए-मुस़्त़फ़ा  बिहार शरीफ़ मोबा॰9631395946**✍🏻इमाम आ़ली मक़ाम रज़ियल्लाहु अ़न्हु क़ुइज़(57) सुवाल व जवाब👇🏻*

*सुवाल(1):- ह़ज़रते इमाम आ़ली मक़ाम रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम क्या है ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम आ़ली मक़ाम रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु है।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)*

*सुवाल(2):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के वालिदे माजिद का नाम क्या है ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के वालिदे माजिद का नाम ह़ज़रते अ़ली कर्रमल्लाहु वज्हहुल करीम है।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 67)*

*सुवाल(3):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की वालिदा माजिदा का नाम क्या है ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की वालिदा माजिदा का नाम ह़ज़रते फ़ात़िमतुज़्ज़हरा रज़ियल्लाहु अ़न्हा है ।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)*

 *सुवाल(4):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कितने भाई थे ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु तीन भाई थे।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)* 

*सुवाल(5):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के तीनों भाइयों के नाम बतायें ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के तीनों भाइयों के नाम ये हैं 1-ह़सन 2-ह़ुसैन 3-मुह़्सिन रज़ियल्लाहु अ़न्हुम।(अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)* 

*सुवाल(6):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की कितनी बहनें थीं ?*

 *जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीन बहनें थीं। (अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)*

*सुवाल(7):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीनों बहनों के नाम बतायें?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीनों बहनों के नाम ये हैं 1-ज़ैनब 2-रुक़य्या 3-उम्मे कुल्सूम रज़ियल्लाहु अ़न्हुन्न। (अल्बतूल स़फ़्ह़ा 110)* 

 *सुवाल(8):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की पैदाइश कब और कहाँ हुई?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की पैदाइश 5 शअ़्बानुल मुअ़ज़्ज़म 4 हिजरी को मदीना शरीफ़ में हुई।(स़वाइ़क़े मुह़र्रिक़ा स़फ़्ह़ा 118)*

*सुवाल(9):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम किसने रखा?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु का नाम आप के नाना जान ह़ज़रत मुह़म्मद स़ल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम ने रखा।(स़वाइ़क़े मुह़र्रिक़ा स़फ़्ह़ा 118)*

*सुवाल(10):-यज़ीद पलीद की तख़्त नशीनी के बअ़्द मदीना शरीफ़ के जिस गवर्नर ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को बैअ़त के लिए बुलाया था उसका नाम क्या था?*

*जवाब:- यज़ीद पलीद की तख़्त नशीनी के बाद मदीना शरीफ़ के जिस गवर्नर ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को बैअ़त के लिए बुलाया था उसका नाम वलीद बिन अ़क़बा था।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 349)*

*सुवाल(11):-यज़ीद पलीद ने तख़्त नशीनी के बाद सबसे पहले जिन मुक़द्दस हस्तियों से बैअ़त के लिए कहा था उनके नाम बतायें?*

*जवाब:- यज़ीद पलीद ने तख़्त नशीनी के बअ़्द सबसे पहले जिन मुक़द्दस हस्तियों से बैअ़त के लिए कहा था उनके नाम ये हैं 1-ह़ुसैन बिन अ़ली 2-अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर 3- अ़ब्दुल्लाह इब्ने उ़मर रज़ियल्लाहु अ़न्हुम।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 349)*

*सुवाल(12):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को सबसे पहले क़त्ल करने के लिए किसने किस से कहा और कब कहा?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु जब वलीद बिन अ़क़्बा के पास गए तो मरवान बिन ह़कम ने वलीद बिन अ़क़्बा से आप रज़ियल्लाहु अ़न्हु को क़त्ल करने के लिए कहा।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 350)*

*सुवाल(13):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ से मक्का शरीफ़ के लिए कब  रवाना हुवे?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ से मक्का शरीफ़ के लिए 5 शअ़्बानुल मुअ़ज़्ज़म 60 हिजरी को रवाना हुए।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 352)*

*सुवाल(14):-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ छोड़ कर मक्का शरीफ़ जा रहे थे तो अहले बैत में से कौन कौन रह गए थे?*

*जवाब(15):- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मदीना शरीफ़ छोड़ कर मक्का शरीफ़ जा रहे थे तो अहले बैत में से आप की स़ाह़िबज़ादी ह़ज़रते स़ुग़रा और मुह़म्मद बिन ह़नफ़िया ह़ज़रते अ़ली के बेटे रह गए थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 27)*

*सुवाल(16):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मक्का शरीफ़ में कब तक रहे और कैसे रहे ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मक्का शरीफ़ में सात ज़िल ह़िज्जा तक अमनो अमान में रहे।(अलकामिल फ़ित्तारीख़)*

*सुवाल(17):-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु मक्का शरीफ़ में थे तो कूफ़ियों ने कितने ख़ुत़ूत़ भेजे?*

*जवाब:-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  मक्का शरीफ़ में थे तो कूफ़ियों ने तक़रीबन डेढ़ सौ ख़ुत़ूत़ भेजे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 30)*

*सुवाल(18):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने कूफ़ा के ह़ालात पता करने के लिए सबसे पहले किसको भेजा?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने कूफ़ा के ह़ालात पता करने के लिए सबसे पहले अपने चचा ज़ाद भाई मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को भेजा।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 30)*

*सुवाल(19):-जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा जा रहे थे तो आप के साथ और कौन कौन थे?* 

*जवाब:- जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा जा रहे थे तो आप के साथ आप के छोटे छोटे दो स़ाह़िबज़ादे 1-मुह़म्मद 2-इब्राहीम थे।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 355)*

*सुवाल(20):- जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा पहुँचे तो कितने लोगों ने आप के दस्ते पाक पर बैअ़त की?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु कूफ़ा पहुँचे तो अठारह हज़ार  लोगों ने आप के दस्ते पाक पर बैअ़त की।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 30)*

*सुवाल(21):-जब यज़ीद पलीद को इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु के दस्ते पाक पर कूफ़ियों की बैअ़त की ख़बर पहुँची तो आप को शहीद करने के लिए किसको ह़ाकिम बना कर भेजा?*

*जवाब:- जब यज़ीद पलीद को इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु के दस्ते पाक पर कूफ़ियों की बैअ़त की ख़बर पहुँची तो आप रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के लिए अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़्याद को ह़ाकिम बना कर भेजा।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 31)*

*सुवाल(22):- अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़्याद के बहकाने पर कितने लोगों ने इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु का साथ दिया?*

*जवाब:- अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़्याद के बहकाने पर सब मुकर गए किसी ने भी इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु का साथ नहीं दिया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 31)*

*सुवाल(23):-इमाम मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने शहादत से पहले तीन वस़िय्यतें किस से की थी?*

*जवाब:- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने शहादत से पहले तीन वस़िय्यतें अ़म्र बिन सअ़्द से की थी।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 33)*

*सुवाल(24):- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीन वस़िय्यतें क्या थीं?*

 *जवाब:- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की तीन वस़िय्यतें ये थीं 1-कूफ़ा में मैंने सात सौ रुपये क़र्ज़ लिए हैं उनको अदा कर देना,2-क़त्ल के बाद मेरा जनाज़ा इब्ने ज़्याद से ले कर दफ़्न कर देना,3- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के पास किसी को भेज कर कूफ़ा आने से मना कर देना।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 33)*

*सुवाल(25):-जब इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के लिए लाया गया उस वक़्त आप की ज़बान किस चीज़ में मश्ग़ूल थी?* 

*जवाब:- जब इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के लिए लाया गया उस वक़्त आप की ज़बान तस़्बीह़ और इस्तिग़्फ़ार में मश्ग़ूल थी(अल्कामिल फ़ित्तारीख़)*

*सुवाल(26):- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के बअ़्द आप के सरे मुबारक को कहाँ भेजा गया?*

*जवाब:- इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु को शहीद करने के बाद आप के सरे मुबारक को मुल्के शाम में यज़ीद पलीद के पास भेजा गया(अल्कामिल फ़ित्तारीख़)*

*सुवाल(27):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कब मक्का शरीफ़ से कूफ़ा के लिए रवाना हुए?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु आठ ज़िल्ह़िज्जा साठ हिजरी को मक्का शरीफ़ से कूफ़ा के लिए रवाना हुए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 36)*

*सुवाल(28):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को किन किन जलीलुल क़द्र स़ह़ाब ए किराम ने कूफ़ा जाने से रोका था?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को उ़मर बिन अ़ब्दुर्रहमान और अ़ब्दुल्लाह इब्ने  अ़ब्बास और अ़ब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर,अ़ब्दुल्लाह इब्ने उ़मर रज़ियल्लाहु अ़न्हुम ने कूफ़ा जाने से रोका था।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 36)*

*सुवाल(29):-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु को इमाम मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत की ख़बर मिली तो आप ने क्या कहा ?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को इमाम मुस्लिम बिन अ़क़ील रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत की ख़बर मिली तो आप ने फ़रमाया कि “तुम्हारे बअ़्द ज़िंदगी बेकार है “।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 41)*

*सुवाल(30) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु का सामना कहाँ हुआ?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु को ह़ज़रते हुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु का सामना मक़ामे शराफ़ में हुआ ।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 41)*

*सुवाल(32) जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु का सामना ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के लश्कर के साथ हुआ तो आप उनके साथ कैसे पेश आए?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु का सामना ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के लश्कर के साथ हुआ तो आप उनके साथ अख़्लाक़ के साथ  पेश आए और उनके लश्कर को पानी पिलाया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 41)*

*सुवाल(33) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर कब पहुँचे?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर 2 मुह़र्रमुल् ह़राम 61 हिजरी को जुमेअ़रात के दिन पहुँचे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 47)*

*सुवाल(34) जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर पहुँचे तो सब से पहले आप से मुक़ाबला के लिए कौन आया और किस ने भेजा था?*

*जवाब:-जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला की सरज़मीं पर पहुँचे तो सब से पहले आप से मुक़ाबला के लिए अ़म्र बिन सअ़द आया जिसको इब्ने ज़्याद ने भेजा था।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 47)*

*सुवाल(35)जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने अ़म्र बिन सअ़द के साथ स़ुलह़ कर ली थी तो किस ने वर्ग़लाया?*

*जवाब:- जब ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने अ़म्र बिन सअ़द के साथ स़ुलह़ कर ली थी तो शिम्र लईन ने वर्ग़लाया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 48)*

*सुवाल(36):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु अ़म्र बिन सअ़द के साथ कर्बला की सरज़मीं पर कितने दिन तक मुस़ालह़त की कोशिश करते रहे?*

*जवाब:- ):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु अ़म्र बिन सअ़द के साथ कर्बला की सरज़मीं पर चार रात - दिन तक मुस़ालह़त की कोशिश करते रहे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 48)*

*सुवाल(37):-इब्ने ज़्याद ने शिम्र लई़न को अ़म्र बिन सअ़द के पास क्या कह कर भेजा?*

*जवाब:- इब्ने ज़्याद ने शिम्र लई़न से कहा कि “तू अमीरे लश्कर है अ़म्र बिन सअ़द के पास जा और अगर वो बात मान ले तो इत़ाअ़त करना वरना उसका सर काट कर मेरे पास भेज देना”  कह कर भेजा।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 49)*

*सुवाल(38):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से मुक़ाबला के लिए कब जहन्नमी यज़ीदी लश्कर को तय्यार किया गया तारीख़,महीना और हिजरी भी बयान कीजिये?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से मुक़ाबला के लिए 9 मुह़र्रमुल ह़राम 61 हिजरी बरोज़ जुमेअ़रात को  जहन्नमी यज़ीदी लश्कर को तय्यार किया गया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 50)*

*सुवाल(39):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने 9 मुह़र्रमुल् ह़राम को एक दिन की मुहलत क्यूँ माँगी?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने 9 मुह़र्रमुल ह़राम को एक दिन की मुहलत पसमान्दों को वस़िय्यत करने और इ़बादत करने के लिए माँगी।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 51)* 

 *सुवाल(40):-कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ कुल कितने लोग थे?*

*जवाब:- कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ कुल 72(बहत्तर) लोग थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 57)*

*सुवाल(41) कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ कितने सवार और कितने पैदल थे?*

*जवाब:- कर्बला की सरज़मीं पर ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के साथ बत्तीस सवार और चालीस पैदल थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 57)*

*सुवाल(42)ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु को इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की त़रफ़दारी करते हुए दुश्मनों ने देखा तो क्या किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु को इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की त़रफ़दारी करते हुए दुश्मनों ने देखा तो पत्थर बरसाना शुरूअ़ कर दिये।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 62)*

*सुवाल(43)जब दुश्मनों ने पत्थर बरसाना शुरूअ़ कर दिये तो ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने क्या किया?*

*जवाब:- जब दुश्मनों ने पत्थर बरसाना शुरू कर दिये तो ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु वापस हो कर इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सामने खड़े हो गए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 62)*

*सुवाल(44)क्या ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने दुश्मनों को क़त्ल भी किया?*

*जवाब:-हाँ, ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने दुश्मनों(यज़ीदियों) में यज़ीद बिन सूफ़ीयान के इ़लावा पूरी दिलेरी के साथ क़ेताल किया जिसमे बहुत से दुश्मन मारे गए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्ह़ा 64)*

*सुवाल(45):-जब ह़ज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ज़ख़्मी हुए तो ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से अर्ज़ किया कि "हुज़ूर क्या अब आप मुझ से राज़ी हैं "?तो आप ने क्या जवाब दिया?*

*जवाब:- जब हज़रते ह़ुर रज़ियल्लाहु अ़न्हु ज़ख़्मी हुए तो ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु से अर्ज़ किया कि "ह़ुज़ूर क्या अब आप मुझ से राज़ी हैं "?तो आप ने जवाब दिया कि हाँ मैं आप से राज़ी हूँ और अल्लाह भी आप से राज़ी हो ।(आईन ए क़ियामत स़फ़ह़ा 67)*

*सुवाल(46):-किस ज़ालिम ने आवाज़ दी तो दुश्मनों ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु पर चारों त़रफ़ से हमला कर दिया?*

*जवाब):- शिम्र लई़न ज़ालिम ने आवाज़ दी तो दुश्मनों ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु पर चारों तरफ़ से ह़मला कर दिया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(47):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला में कितने दिन प्यासे रहे?*

*जवाब):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु कर्बला में तीन  दिन प्यासे रहे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(48):-सबसे पहले किस ज़ालिम ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के बाएँ शाने पर तलवार मारी?*

*जवाब:-सबसे पहले ज़रआ़ बिन शरीक तमीमी ज़ालिम ने ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के बाएँ शाने पर तलवार मारी।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(49):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के जिस्मे मुबारक पर कितने नेज़ों के ज़ख़्म और तलवारों के घाव लगे थे?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के जिस्मे मुबारक पर 33 नेज़ों के ज़ख्म और 34 तलवारों के घाव और बेशुमार तीर लगे थे।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(50):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से किस ज़ालिम मरदूद ने जुदा किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से ज़ालिम मरदूद सिनान् बिन अनस नख़ई शक़ी नारी जहन्नमी लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि ने जुदा किया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 83)*

*सुवाल(51) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से जुदा करने के बाद ज़ालिमों ने आपके जिस्मे मुबारक के साथ क्या किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु के सरे मुबारक को तन से जुदा करने के बाद ज़ालिमों ने आपके जिस्मे मुबारक को घोड़ों से पामाल किया।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 84)*

*सुवाल(52):-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत के बाद सरे मुबारक को ज़ालिमों ने क्या किया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की शहादत के बाद सरे मुबारक को ज़ालिम नेज़े पर रख कर खुशियाँ मानते हुए मुल्के शाम यज़ीद पलीद “लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि इला यौमिल क़ियामह” के पास ले गए।(आईन ए क़ियामत स़फ़्हा 87)*

*सुवाल(53) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को यज़ीद पलीद “लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि इला यौमिल क़ियामह” के पास ले जाने के बाद कहाँ भेजा गया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को यज़ीद पलीद “लअ़नतुल्लाहि अ़लैहि इला यौमिल क़ियामह” के पास ले जाने के बाद मदीना शरीफ़ भेजा गया।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 440)*

*सुवाल(54):- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को कहाँ दफ़्न किया गया?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  के सरे मुबारक को मदीना शरीफ़ में आप की वालिदा माजिदा के पहलू में दफ़्न किया गया।(ख़ुत़बाते मुह़र्रम स़फ़्ह़ा 440)*

*सुवाल(55) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  ने इतनी बड़ी क़ुर्बानी क्यूँ दी?*

*जवाब:- ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु  ने इतनी बड़ी क़ुर्बानी मज़हबे इस्लाम की बक़ा के लिए दी।(तारीख़े इस्लाम)*

*सुवाल:-(56) जो हर कलिमागो (फ़िरक़-ए-बात़िला) से इत्तिह़ाद की बातें करते हैं उनको ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की इतनी बड़ी क़ुर्बानी से क्या सबक़ मिलता है?*

*जवाब:-जो हर कलिमागो (फ़िरक़-ए-बात़िला) से इत्तिह़ाद की बातें करते हैं उनको ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु की इतनी बड़ी क़ुर्बानी से हर गुस्ताख़ फ़िरक़-ए-बात़िला से दूर रहने और हर कुर्ता पाजामा टोपी दाढ़ी वाले (कसो ना कस) को मुक़्तदा न बनाने का सबक़ मिलता है।(अल्ह़ुब्बु फ़िल्लाह अल् बुग़्ज़ु फ़िल्लाह)*

*सुवाल(57) ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने बज़ाहिर कलिमागो,नमाज़ियों, रोज़ेदारों के मुक़ाबले इतनी बड़ी क़ुर्बानी दे कर हम सुन्नियों को क्या दर्स दिया?*

*जवाब:-ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन रज़ियल्लाहु अ़न्हु ने बज़ाहिर कलिमागो,नमाज़ियों रोज़ेदारों के मुक़ाबले इतनी बड़ी क़ुर्बानी दे कर हम सुन्नियों को यह दर्स दिया कि जो अल्लाह रब्बुल इ़ज़्ज़त और उसके ह़बीब स़ल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम का वफ़ादार है वही हमारा है और उसी की तअ़ज़ीम व तक़लीद दुरूस्त है, और जो अल्लाह रब्बुल इ़ज़्ज़त और उसके ह़बीब स़ल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम का वफ़ादार नहीं वोह हमारा नहीं इसलिए हर कलिमागो,नमाज़ी,रोज़ेदार,लाइक़े तअ़ज़ीम व तक़लीद और हमारा मुक़्तदा नहीं।(अल्ह़ुब्बु फ़िल्लाह अल् बुग़्ज़ु फ़िल्लाह)*


*✍क़ाज़ी-ए-शहर*
*सग-ए-ह़ुज़ूर ताजुश्शरीआ़ अ़ब्दुल क़ुद्दूस क़ुद्सी अस्सअ़्दी,मातुरीदी, ह़नफ़ी,क़ादिरी,बरकाती, रज़वी,नूरी,बरेलवी*

*जमाअ़त रज़ा-ए-मुस़्त़फ़ा  बिहार शरीफ़ मोबा॰9631395946*

Thursday, July 29, 2021

Farmane- HazaratAli Shere khuda

जब_रिज़्क_अल्लाह_की_बारगाह_में_बद्दुआ_करता_है

हज़रत अलीرضي الله عنه की खिदमत में एक औरत आ कर पूछने लगी या अली औरत की वो कौन सी आदत है जो घर से बरकत को ख़त्म कर के मुसीबतों में धकेल देती है..? 

हज़रत अली رضي الله عنهने फ़रमाया  :- 

ए औरत...!    याद रखना इस ज़मीं पर बदतरीन औरत वो है जो बर्तन धोते वक़्त वो  रिज़्क जो बर्तन पर लगा होता है वो अनाज के दाने या रोटी के टुकड़े जो बर्तन में मौजूद होते है वो कचरे में फेंक देती है... 

याद रखना..!! जो भी औरत बर्तन धोते के वक़्त अल्लाह के रिज़्क को ज़ाया करती है तो वो रिज़्क अल्लाह के दरबार में बद्दुआ देता है की  ए अल्लाह..!! इस घर से रिज़्क को ख़त्म करदे..!!  क्यूंकि  के ये  लोग तेरे रिज़्क की क़दर  नहीं करते..!!

तो इसी तरह उस घर के लोग मुसीबतों में गिरफ्तार होने लगते है... ! उस घर में रिज़्क की किल्लत दिन ब दिन बढ़ने लगती है..... 

तो उस औरत ने कहाँ या अली उस रोटी के टुकड़ो और दानो का क्या करे जो बर्तन पर लगे होते है...?? 

खाने के बाद जो रिज़्क बच जाये उसको घर के बहार किसी ऐसे कोने में रख दिया करो जहाँ अल्लाह की दूसरी मख्लूक़ात उस रिज़्क को आराम से खा सके... 

क्यूंकि जो भी मख्लूकात उस रिज़्क को खाती है तो वो रिज़्क अल्लाह की दरबार में दुआ करता है..!!

और जब भी कोई अल्लाह की मख्लूक़ अल्लाह के रिज़्क को ज़ाया करती है तो वो रिज़्क अल्लाह की दरबार में बद्दुआ करता है !

#mohsinchishty

Wednesday, July 28, 2021

Farmane- HazaratAli Shere khuda

मक्का मुकर्रमा

🌷بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ🌷
🌷‏اللَّهُمَّ صَلِّ عَلى سَيِّدِنا مُحَمَّدٍ حَبيب قَلبي ورُوح رُوحي ، وطَبيبي وشِفاء جُروحي ، ومُلهِمي وخَطيبي الذي في القَلبِ يُوحي ، وكِفايَتي وجَنَّتي وغَاية فُتوحي ، وعَلى آلهِ وصَحبهِ وسَلِّم🌷
#इस्लामी_अक़ाइद_व_मालूमात 
Topic : #मक्के_मदीने_के_फ़ज़ाइल 

दुनिया के कई शहर अपनी तारीख़ी , षक़ाफ़ती और अलाक़ई ख़ुसूसियात के सबब मशहूर हैं मगर शहरे अरब , मक्का मुकर्रमा शरीफ़ की क्या ही बात है ! जहां सुल्ताने दो जहां صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ की विलादत हुई , शहंशाहे बनी आदम صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इसी शहर में ऐलाने नुबूव्वत फ़रमाया , यहीं से नूरे इस्लाम फैलना शुरू हुआ , सफ़रे मेअराज का आग़ाज़ इसी शहर से हुआ , वह शहर जो कुफ़्फ़ार के होश रुबा मज़ालिम के मुक़ाबला में रह़मते आलम صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अख़्लाक़े करीमाना का गवाह है , जिस की तरफ़ मुसलमानों के दिल खींचे आते हैं , वह हमारे मक्की मदनी आक़ा صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ का प्यारा शहर मक्का मुकर्रमा शरीफ़ है जहाँ आप صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपनी ज़िंदगी के कम व बेश 53 साल बसर किए । 

🌷 हसन हज कर लिया काबे से आंखों ने ज़िया पाई 🌷
🌷 चलो देखें वह बस्ती जिस का रस्ता दिल के अंदर है 🌷 
(ज़ौक़े नात , सफा 178) 

दूसरी तरफ़ मक्का मुकर्रमा से तक़रीबन 425 km दूरी पर वाक़ेअ वह अज़ीम शहर जिसे सरकारे दो आलम , नूरे मुजस्सम صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ की हिजरतगाह बनने का शर्फ़ मिला , इस्लाम के उरूज का नुक़्ताए आग़ाज़ बनना जिस का मुक़द्दर बना , मुहाजिर सहाबए किराम علیہم رضوان की क़ुर्बानी , अंसार सहाबए किराम علیہم رضوان का बेमिसाल जज़्बाए इसार और जांनिसाराने मुस्तफा صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इश्क़ व वफ़ा की दास्ताने जहां रक़म हुई , वह फ़िरिश्तों में घिरा , नूर में डूबा शहर , मदीनाए मुनव्वरा है । 

🌷 वह मदीना जो कोनैन का ताज है 🌷 
🌷 जिसका दीदार मोमिन की मेअराज है 🌷 

#फ़ज़ाइले_मक्का_मुकर्रमा_पर_3_फ़रामीने_मुस्तफ़ा ﷺ

1️⃣ जो मक्का में एक दिन बीमार होता है अल्लाह पाक उसके जिस्म को जहन्नम की आग पर ह़राम फ़रमा देता है । एक रिवायत में है : अल्लाह तआला उस बंदे के लिए ग़ैरे ह़रम में की हुई 60 साल की इबादत का सवाब लिख देता है । 

2️⃣ जो मक्का मुकर्रमा में गर्मी पर दिन में एक साअत भी सब्र करता है अल्लाह तआला उसे जहन्नम से 500 साल की मुसाफ़त दूर कर देता है और उसे जन्नत से 200 साल की मुसाफ़त क़रीब फ़रमा देता है । 
(फ़ज़ाइले मक्का इमाम हसन बसरी , सफा 27) 

3️⃣ मक्का मुकर्रमा की मस्जिद (यानी मस्जिदुल ह़राम) वालों पर हर रोज़ अल्लाह पाक की 120 रह़मतें नाज़िल होती हैं उन में से 60 तवाफ़ करने वालों के लिए , 40 नमाज़ियों के लिए और 20 काबाए मुअज़्मा की ज़ियारत करने वालों के लिए । 
(मोजम अवसत , 4/381 , हदीस : 6314) 

#फ़ज़ाइले_मदीनाए_मुनव्वरा_पर_3_फ़रामीने_मुस्तफ़ाﷺ

1️⃣ मदीनाए मुनव्वरा में दाख़िल होने वाले रास्तों पर फ़िरिश्तें हैं , इस में ताऊन दाख़िल होगा न दज्जाल । 
(बूख़ारी , 1/619 , हदीस : 1880) 

2️⃣ रसूले अकरम صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने दुआ फ़रमाई : या अल्लाह ! जितनी बरकतें तूने मक्के में रखी हैं उस से दुगुनी मदीने में रख दे । 
(बुख़ारी , 1/620 , हदीस : 1885) 

3️⃣ यह तैबा है और गुनाहों को इसी तरह मिटाता है जैसे आग चांदी का खोट दूर कर देती है । 
(बुख़ारी , 3/36 , हदीस : 4050) 

अल्लाह पाक हमें इन मुक़द्दस शहरों की बार बार हाज़री नसीब फ़रमाए । 
اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللہ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلہٖ وَسَلَّم
صَلُّو ا عَلَی الْحَبِیب ! صلَّی اللّٰہُ تعالٰی علٰی محمَّد
                ❍°•┈┈•⇓❤❃❤⇓•┈┈•°❍

Sunday, July 25, 2021

शादीशुदा ज़िन्दगी" के लिए 10 कीमती नसीहतें

इमाम अहमद बिन हंबल" की अपने बेटे को खुशहाल* *"शादीशुदा ज़िन्दगी" के लिए 10 कीमती नसीहतें* ~

 *"इमाम अहमद बिन हंबल" ने शादी की रात अपने बेटे को 10 नसीहतें (सलाह) दी , हर शादीशुदा मर्द को चाहिए कि इनको ग़ौर से पढ़े और अपनी ज़िन्दगी में अमल में लाये .* .!!

आपने कहा, "मेरे बेटे , तुम घर का सुकून हासिल नहीं कर सकते जबतक कि अपनी बीवी के मामले में इन 10 आदतों को न अपनाओ ..!!"

इसलिए उन्हें ध्यान से सुनें और अमल का इरादा करें ..!!

 1). औरतें आपका तवज्जो (ध्यान) चाहती हैं , और चाहती हैं कि तुम उनसे वाज़े (स्पष्ट) अल्फ़ाज़ में अपनी मोहब्बत का इज़हार करते रहो , इसलिए समय-समय पर अपनी बीवी को अपनी मोहब्बत का एहसास दिलाते रहो , और उन्हें वाज़े (स्पष्ट) अल्फ़ाज़ में बताओ कि वह तुम्हारे लिए किस कदर अहम (महत्वपूर्ण) और महबूब (प्यारी) है ..!!
(इस गुमान में न रहो की वह खुद समझ जाएगी , रिश्तों को इज़हार की ज़रूरत हमेशा रहती है)

2). याद रखो अगर तुमने इस इज़हार में कंजूसी से काम लिया , तो तुम दोनों के दरमियान एक तल्ख दरार आजायेगी , जो वक़्त के साथ बढ़ती रहेगी और मोहब्बत को खत्म कर देगी ..!!

 3). औरतो का सख्त मिजाज़ (स्वभाव) होता है और वे मर्दो की तुलना में ज़्यादा सतर्क होती हैं , लेकिन वे नर्म मिजाज़ मर्द की नरमी का फायदा उठाना भी बखूबी जानती हैं , इसलिए इन दोनों सिफ़ात (विशेषताओं) में संयम से काम लेना ताकि घर में संतुलन बना रहे और आप दोनों को ज़हनी सुकून (शांति) हासिल हो ..!!

4). औरतें अपने शौहर से वही उम्मीद रखती है जो शौहर अपनी बीवी से रखता है , यानी इज़्ज़त , मोहब्बत भरी बातें , ज़ाहिरी जमाल (बाहरी सुंदरता) , साफ सुथरा लिबास और खुशबूदार जिस्म , इसलिए हमेशा इसका ध्यान रखें ..!!

5). याद रखें कि घर की चार दीवारें औरत की सल्तनत (राज्य) है , जब वह वहां होती है तो ऐसा लगता है जैसे वह अपने सल्तनत के तख्त (सिंहासन) पर बैठी है , कभी भी उसके सल्तनत में मुदाखलत (हस्तक्षेप) न करना , कभी उसके तख्त को छीनने की कोशिश भी न करना और जिस हद तक मुमकिन हो घर के मामलात उसके हवाले करना और उन्हें निपटाने की उसको आज़ादी देना ..!!

6). हर बीवी अपने शौहर से मुहब्बत करना चाहती है लेकिन याद याद रखो उसके अपने माँ बाप , बहन भाई और परिवार के बाक़ी लोग भी हैं , जिनसे वह ताल्लुक़ खत्म नही कर सकती , और न ही उससे ऐसी उम्मीद करना जायज है , इसलिए कभी भी उसके और उसके घर वालो के बीच मुकाबले की सूरत (प्रतिस्पर्धा) पैदा न होने देना क्योंकि अगर उसने मजबूरन तुम्हारे खातिर अपने घरवालों को छोड़ भी दिया तब भी वह बेचैन रहेगा और यह बेचैनी तुम्हे उस से दूर कर देगी  ..!!

7). बेशक औरत टेढ़ी पसली से पैदा की गई है , और उसी में उसका हुस्न (सुंदरता) भी है , ये हरगिज़ कोई नख़्स (दोष) नही , वह ऐसे ही अच्छी लगती है जिस तरह भौहें गोलाई में खूबसूरत लगती हैं, इसलिए उसके टेढ़ेपन (कुटिलता) और खूबसूरती से फायदा उठाओ , कभी उसकी कोई बात बुरी भी लगे तो सख्ती (कठोरता) और तल्खी (कड़वाहट) से उसको सीधा करने की कोशिश न करो वरना वह टूट जाएगी , और उसका टूटना बालाख़िर तलाक तक नौबत ले जाएगा , मगर इसके साथ-साथ ऐसा भी न करना कि उसकी हर गलत और बेकार बात मानते ही चले जाओ , वरना वह मग़रूर (अभिमानी) हो जाएगी जो उसके अपने ही लिए नुकसानदेह है , इसीलिए हिकमत (समझदारी) से काम लेना ..!!

 8). शौहर की नाकद्री (अनादर) और नाशुक्री अक्सर औरतो की फितरत में होती है , अगर सारी उमर भी उसपर नवाज़िशें करते रहो लेकिन गलती से भी कभी कोई कमी रह गयी तो वह यही कहेगी कि, "तुमने मेरी कौनसी बात सुनी है आजतक ..?" लिहाज़ा उसकी इस फितरत से ज़्यादा परेशान मत होना , और न ही इसकी वजह से उस से मोहब्बत ने कमी करना , ये एक छोटा सा ऐब (कमी) है उसके अंदर , लेकिन इसके मुकाबले में उसके अंदर बेशुमार खूबियां भी हैं , बस तुम उनपर नज़र रखना और अल्लाह की बन्दी समझ कर उससे मुबब्बत करते रहना और हुकूक (अधिकार) अदा करते रहना ..!! 

9). हर औरत पर जिस्मानी कमज़ोरी के कुछ दिन आते हैं , उन दिनों में अल्लाह ने भी उनको इबादत में छूट दी है , उसको नमाज़ें माफ कर दी हैं और उसको रोज़ो में उस वक़्त तक ताख़ीर की इजाज़त दी है जबतक वह दोबारा सेहतयाब (स्वस्थ) न हो जाये , बस इन दिनों में तुम उसके साथ वैसे ही मेहरबान रहना जैसे अल्लाह ने इसपर मेहरबानी की है , जिस तरह अल्लाह ने उस पर से इबादात हटा ली , वैसे ही तुम भी उन दिनों में उसकी कमज़ोरी का लिहाज़ रखते हुए उसकी ज़िम्मेदारियों में कमी कर दो  , उसके कामकाज में मदद करा दो और उसके लिए सहूलियत (आसानी) पैदा करो ..!! 

10). आखिर में बस ये याद रखो कि तुम्हारी बीवी तुम्हारे पास एक कैदी की तरह है , जिसके बारे में अल्लाह तुमसे सवाल करेगा , बस उसके साथ इन्तेहाई रहम और करम का मामला करना ..!!
Arham Zuberi

Sunday, July 11, 2021

या रसूलल्लाह ‎ﷺ! ‏आप पाकीज़ा जिये और पाकीज़ा ही दुनियां से रुख्सत ‎

बहुत ही प्यारा पैगाम है आपसे गुज़ारिश है कि आप इसे पूरा सुकून व इत्मिनान के साथ दिल की आंखों से पढ़ें इन शा अल्लाह आपका ईमान ताज़ा हो जाएगा..!!
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वफात से 3 रोज़ क़ब्ल जबकि हुज़ूर ए अकरम ﷺ उम्मुल मोमिनीन हज़रत मैमूना رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا के घर तशरीफ फरमां थे.इरशाद फरमाया कि:
         "मेरी बीवियों को जमा करो-"
तमाम अज़वाजे मुत्तहरात जमा हो गईं- तो हुज़ूरे अकरम ﷺ ने दरियाफ्त फरमाया:
         "क्या तुम सब मुझे इजाज़त देती हो कि बीमारी के दिन मैं आयशा (رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا) के यहां गुज़ार लूं?"
सबने कहा:
        "अय अल्लाह के रसूल ﷺ ! आपको इजाज़त है-"
फिर उठना चाहा लेकिन उठ ना पाए तो हज़रत अली इब्न अबी तालिब और हज़रत फज़्ल बिन अब्बास رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہما आगे बढ़े और नबी علیہ الصلاۃ والسلام को सहारे से उठा कर सैय्यदा मैमूना رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا के हुजरे से सैय्यदा आयशा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا के हुजरे की तरफ ले जाने लगे-

उस वक़्त सहाबा ए किराम ने हुज़ूर ए अकरम ﷺ को इस (बीमारी और कमज़ोरी के) हाल में पहली बार देखा तो घबरा कर एक दूसरे से पूछने लगे:
         "रसूलुल्लाह ﷺ को क्या हुआ?"
          "रसूलुल्लाह ﷺ को क्या हुआ?"
चुनांचा सहाबा मस्जिद में जमा होना शुरू हो गए और मस्जिद शरीफ में एक रश हो गया- 
आक़ा करीम ﷺ का पसीना शिद्दत से बह रहा था- 
हज़रत आयशा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا फरमाती हैं कि:
          "मैंने अपनी ज़िंदगी में किसी का इतना पसीना बहते नहीं देखा-"
और फरमाती हैं:
        "मैं रसूलुल्लाह ﷺ के दस्ते मुबारक को पकड़ती और उसी को चेहरा ए अक़दस पर फेरती क्यूंकि नबी علیہ الصلاۃ والسلام का हाथ मेरे हाथ से कहीं ज़्यादा मुहतरम और पाकीज़ा था-"
मज़ीद फरमाती हैं कि:
         "हबीबे खुदा ﷺ से बस यही विर्द सुनाई दे रहा था कि"لا إله إلا الله، बेशक मौत की भी अपनी सख्तियां हैं-"
इसी अस्ना में मस्जिद के अंदर रसूलुल्लाह ﷺ के बारे में खौफ की वजह से लोगों का शोर बढ़ने लगा- 
नबी علیہ السلام ने दरियाफ्त फरमाया:
        "ये कैसी आवाज़ें हैं?"
अर्ज़ किया गया कि:
        "अय अल्लाह के रसूल ﷺ ! ये लोग आपकी हालत से खौफज़दा हैं-"
इरशाद फ़रमाया कि:
         "मुझे उनके पास ले चलो-"
फिर उठने का इरादा फरमाया लेकिन उठ ना सके तो आप पर सात मशकीज़े पानी के बहाए गए तब कहीं जाकर कुछ अफाक़ा हुआ तो सहारे से उठा कर मिम्बर पर लाया गया- 
ये रसूलुल्लाह ﷺ का आखरी खुत्बा था- और आप ﷺ के आखरी कलिमात थे- फरमाया:
           "ऐ लोगो...! शायद तुम्हें मेरी मौत का खौफ है?"
सबने कहा:
          "जी हां अय अल्लाह के रसूल ﷺ-"
इरशाद फ़रमाया:
          "ऐ लोगो...!
तुमसे मेरी मुलाक़ात की जगह दुनियां नहीं.. तुमसे मेरी मुलाक़ात की जगह हौज़ (कौसर) है खुदा की क़सम गोया कि मैं यहीं से उसे (हौज़े कौसर को) देख रहा हूं-
ऐ लोगो....! मुझे तुम पर तंगदस्ती का खौफ नहीं बल्कि मुझे तुम पर दुनियां (की फारावानी) का खौफ है कि तुम इस (के मुआमले) में एक दूसरे से मुक़ाबले में लग जाओ जैसा कि तुम से पहले (पिछली उम्मतों) वाले लग गए और ये (दुनियां) तुम्हे भी हलाक कर दे जैसा कि उन्हें हलाक कर दिया-"

फिर मज़ीद फ़रमाया:
           "ऐ लोगो..! नमाज़ के मुआमले में अल्लाह से डरो.. अल्लाह से डरो...... नमाज़ के मुआमले में अल्लाह से डरो.. अल्लाह से डरो-"
(यानी अहद करो कि नमाज़ की पाबंदी करोगे और यही बात बार बार दोहराते रहे)
फिर फ़रमाया:
      "ऐ लोगो...! औरतों के मुआमले में अल्लाह से डरो.. मैं तुम्हें औरतों से नेक सुलूक की वसीयत करता हूं-"
मज़ीद फ़रमाया:
        "ऐ लोगो...!एक बंदे को अल्लाह ने इख्तियार दिया कि दुनियां को चुन ले या उसे चुन ले जो अल्लाह के पास है तो उसने उसे पसंद किया जो अल्लाह के पास है-"
इस जुमले से हुज़ूर ﷺ का मक़सद कोई ना समझा हालांकि उनकी अपनी ज़ात मुराद थी- जबकि हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ वो तन्हा शख्स थे जो इस जुमले को समझे और ज़ारो क़तार रोने लगे और बलंद आवाज़ से गिरिया करते हुए उठ खड़े हुए और नबी علیہ السلام की बात क़तअ करके पुकारने लगे:
          "हमारे बाप दादा आप पर क़ुर्बान हमारी माएं आप पर क़ुर्बान.. हमारे बच्चे आप पर क़ुर्बान हमारे मालो दौलत आप पर क़ुर्बान......"
रोते जाते हैं और यही अल्फाज़ कहते जाते हैं-
सहाबा ए किराम नागवारी से हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ की तरफ देखने लगे कि उन्होंने नबी علیہ السلام की बात कैसे क़तअ कर दी? इस पर नबी ए करीम ﷺ ने हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ का दिफा इन अल्फाज़ में फरमाया:
         "ऐ लोगो...! अबूबक्र को छोड़ दो कि तुम में से ऐसा कोई नहीं कि जिसने हमारे साथ कोई भलाई की हो और हमने उसका बदला ना दे दिया हो..सिवाय अबूबक्र के कि उसका बदला मैं नहीं दे सका- उसका बदला मैंने अल्लाह جل شانہ पर छोड़ दिया- मस्जिद (नबवी) में खुलने वाले तमाम दरवाज़े बंद कर दिए जाएं सिवाय अबूबक्र के दरवाज़े के कि जो कभी बंद ना होगा-"

आखिर में अपनी वफात से क़ब्ल मुसलमानों के लिए आखिरी दुआ के तौर पर इरशाद फ़रमाया:
          "अल्लाह तुम्हे ठिकाना दे..तुम्हारी हिफाज़त करे.. तुम्हारी मदद करे.. तुम्हारी ताईद करे-"
और आखरी बात जो मिम्बर से उतरने से पहले उम्मत को मुखातिब करके इरशाद फरमाई वो ये कि:
       "ऐ लोगो...! क़यामत तक आने वाले मेरे हर एक उम्मती को मेरा सलाम पहुंचा देना-"
फिर आक़ा करीम ﷺ को दोबारा सहारे से उठा कर घर ले जाया गया- इसी अस्ना में हज़रत अब्दुर्रहमान बिन अबीबक्र رضی اللّٰہ عنہ खिदमते अक़दस में हाज़िर हुए और उनके हाथ में मिस्वाक थी- नबी ए करीम ﷺ मिस्वाक को देखने लगे लेकिन शिद्दते मर्ज़ की वजह से तलब ना कर पाए- चुनांचा सैय्यदा आयशा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا हुज़ूर अकरम ﷺ के देखने से समझ गईं और उन्होंने हज़रत अब्दुर्रहमान رضی اللّٰہ عنہ से मिस्वाक ले नबी ए अकरम ﷺ के दहन मुबारक में रख दी- लेकिन हुज़ूर ﷺ उसे इस्तेमाल ना कर पाए तो सैय्यदा आयशा ने हुज़ूर ए अकरम ﷺ से मिस्वाक लेकर अपने मुंह से नर्म की और फिर हुज़ूर नबी करीम ﷺ को लौटा दी ताकि दहन मुबारक उससे तर रहे-
 फरमाती हैं:
             "आखरी चीज़ जो नबी ए करीम ﷺ के पेट में गई वो मेरा लुआब था- और ये अल्लाह तबारक व तआला का मुझ पर फज़्ल ही था कि उसने विसाल से क़ब्ल मेरा और नबी करीम علیہ السلام का लुआबे देहन यकजा कर दिया-"
उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا मज़ीद इरशाद फरमाती हैं:
         "फिर आप ﷺ की बेटी फातिमा तशरीफ़ लाईं और आते ही रो पड़ीं कि नबी ए करीम ﷺ उठ ना सके क्यूंकि नबी ए करीम ﷺ का मामूल था कि जब भी फातिमा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا तशरीफ़ लातीं हुज़ूर ए अकरम ﷺ उनके माथे पर बोसा देते थे-"
फिर हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया:
          "ऐ फातिमा ! क़रीब आ जाओ...."
फिर हुज़ूर ﷺ ने उनके कान में कोई बात कही तो हज़रत फातिमा और ज़्यादा रोने लगीं- उन्हे इस तरह रोता देखकर हुज़ूर ﷺ ने फिर फ़रमाया:
        "ऐ फातिमा! क़रीब आओ...."
दोबारा उनके कान में कोई बात इरशाद फरमाई तो वो खुश होने लगीं-
हुज़ूर ए अकरम ﷺ के विसाल के बाद मैंने सैय्यदा फातिमा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا से पूछा था कि:
          "वो क्या बात थी जिस पर रोईं और फिर खुशी का इज़हार किया था?"
सैय्यदा फातिमा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا कहने लगीं कि पहली बार ( जब मैं क़रीब हुई) तो फरमाया:
           "फातिमा! मैं आज रात (इस दुनियां से) कूच करने वाला हूं-"
जिस पर मैं रो दी.....
जब उन्होंने मुझे बेतहाशा रोते देखा तो फरमाने लगे:
          "फातिमा! मेरे अहले खाना में सबसे पहले तुम मुझसे आ मिलोगी...."
जिस पर मैं खुश हो गई...
सैय्यदा आयशा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا फरमाती हैं फिर आक़ा करीम ﷺ ने सबको घर से बाहर जाने का हुक्म देकर मुझे फरमाया:
           "आयशा! मेरे क़रीब आ जाओ..."
हुज़ूर ﷺ ने अपनी ज़ौजा ए मुतह्हरा के सीने पर टेक लगाई और हाथ आसमान की तरफ बलंद करके फरमाने लगे:
        "मुझे वो आला व उम्दा रिफाक़त पसंद है-(मैं अल्लाह की,अम्बिया,सिद्दीक़ी न,शुहदा और स्वालेहीन की रिफाक़त को इख्तियार करता हूं-)"
सिद्दीक़ा आयशा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا फरमाती हैं:
            "मैं समझ गई कि उन्होंने आखिरत को चुन लिया है-"

जिब्राईल علیہ السلام खिदमते अक़दस में हाज़िर होकर गोया हुए:
         "या रसूलल्लाह ﷺ! मल्कुल मौत दरवाज़े पर खड़े शर्फे बारयाबी चाहते हैं- आपसे पहले उन्होंने किसी से इजाज़त नहीं मांगी-"
आप علیہ الصلاۃ والسلام ने फ़रमाया:
          "जिब्राईल! उसे आने दो...."
मल्कुल मौत नबी ए करीम ﷺ के घर में दाखिल हुए और अर्ज़ की:
         "अस्सलामु अलैका या रसूलल्लाह! मुझे अल्लाह ने आपकी चाहत जानने के लिए भेजा है कि आप दुनियां में ही रहना चाहते हैं या अल्लाह  سبحانہ وتعالی के पास जाना पसंद करते हैं?"
फ़रमाया:
         "मुझे आला व उम्दा रिफाक़त पसंद है.. मुझे आला व उम्दा रिफाक़त पसंद है-"
मल्कुल मौत आक़ा ए करीम ﷺ के सिरहाने खड़े हुए और कहने लगे:
          "अय पाकीज़ा रूह......!
अय मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह की रूह....!
अल्लाह की रिज़ा और खुशनूदी की तरफ रवाना हो...!
राज़ी हो जाने वाले परवर दिगार की तरफ जो ग़ज़बनाक नहीं...!"
सैय्यदा आयशा फरमाती हैं:
         "फिर नबी ए करीम ﷺ का हाथ नीचे आन रहा और सरे मुबारक मेरे सीने पर भारी होने लगा.. मैं समझ गई कि रसूलल्लाह ﷺ का विसाल हो गया... मुझे और तो कुछ समझ नहीं आया सो मैं अपने हुजरे से निकली और मस्जिद की तरफ का दरवाज़ा खोल कर कहा..
रसूलल्लाह का विसाल हो गया.....! रसूलल्लाह का विसाल हो गया...!"
मस्जिद आहों और नालों से गूंजने लगी-
इधर अली  کرم الله وجہہ जहां खड़े थे वहीं बैठ गए हिलने की ताक़त तक ना रही-
उधर उस्मान बिन अफ्फान رضی اللّٰہ عنہ मासूम बच्चों की तरह हाथ मलने लगे-
और सैय्यदना उमर رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ तलवार बलंद करके कहने लगे:
          "खबरदार जो किसी ने कहा रसूलुल्लाह ﷺ वफात पा गए हैं मैं ऐसे शख्स की गर्दन उड़ा दूंगा...! मेरे आक़ा तो अल्लाह तआला से मुलाक़ात करने गए हैं जैसे मूसा علیہ السلام अपने रब से मुलाक़ात को गए थे..वो लौट आएंगे बहुत जल्द लौट आएंगे...! अब जो वफात की खबर उड़ाएगा मैं उसे क़त्ल कर डालूंगा..."
  इस मौक़े पर सबसे ज़्यादा ज़ब्त, बर्दाश्त और सब्र करने वाली शख्सियत सैय्यदना अबूबक्र सिद्दीक़ رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ की थी....आप हुजरा ए नबी में दाखिल हुए रहमते आलम ﷺ के सीना ए मुबारक पर सर रख कर रो दिए...

कह रहे थे:
وآآآ خليلاه، وآآآ صفياه، وآآآ حبيباه، وآآآ نبياه
(हाय मेरा प्यारा दोस्त...!हाय मेरा मुख्लिस साथी....!हाय मेरा महबूब...!हाय मेरा नबी....!)"
फिर आक़ा करीम ﷺ के माथे पर बोसा दिया और कहा:
          "या रसूलल्लाह ﷺ! आप पाकीज़ा जिये और पाकीज़ा ही दुनियां से रुख्सत हो गए-"
सैय्यदना अबूबक्र सिद्दीक़ رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ बाहर आए और खुत्बा दिया:
          "जो शख्स मुहम्मद ﷺ की इबादत करता है सुन रखे महबूबे खुदा ﷺ का विसाल हो गया और जो अल्लाह की इबादत करता है वो जान ले कि अल्लाह तआला की ज़ात हमेशा ज़िन्दगी वाली है जिसे मौत नहीं-"
सैय्यदना उमर رضی اللّٰہ عنہ के हाथ से तलवार गिर गई..
उमर رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ फरमाते हैं:
          "फिर मैं कोई तन्हाई की जगह तलाश करने लगा जहां अकेला बैठ कर रोऊं..."
महबूबे रब्बिल आलमीन ﷺ की तदफीन कर दी गई...
सैय्यदा फातिमा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا फरमाती हैं:
         "तुमने कैसे गवारा कर लिया कि नबी علیہ السلام के चेहरा ए अनवर पर मिट्टी डालो...?"
फिर कहने लगीं:
"يا أبتاه، أجاب ربا دعاه، يا أبتاه، جنة الفردوس مأواه، يا أبتاه، الى جبريل ننعاه."
"(हाय मेरे प्यारे बाबा जान कि रब के बुलावे पर चल दिए..हाय मेरे प्यारे बाबा जान कि जन्नतुल फ़िरदौस में अपने ठिकाने को पहुंच गए..हाय मेरे प्यारे बाबा जान कि हम जिब्राईल को उनके आने की खबर देते हैं)"
اللھم صل علی محمد کما تحب وترضا۔

Friday, July 9, 2021

शबे जुमुआ का दुरुद शरीफ

*शबे जुमुआ का दुरुद शरीफ*
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

बुज़ुर्गो ने फ़रमाया की जो शख्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमेरात की दरमियानी रात, जो आज है) इस दुरुद शरीफ को पाबंदी से कम अज़ कम एक मर्तबा पढेगा तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना ﷺ की ज़ियारत करेगा और कब्र में दाखिल होते वक़्त भी, यहाँ तक की वो देखेगा की सरकारे मदीना ﷺ उसे कब्र में अपने रहमत भरे हाथो से उतार रहे है.
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اللّٰھُمَّ صَلِّ وَسَلّـِمْ وبَارِکْ عَلٰی سَیّـِدِ نَا مُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمّـِىِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِ الْعَظِیْمِ الْجَاھِ وَعَلٰی اٰلِهٖ وَصَحْبِهٰ وَسَلّـِم

*अल्लाहुम्म-सल्ली-वसल्लिम-व-बारीक-अ'ला-सय्यिदिना-मुहम्मदीन-नबिय्यिल-उम्मिय्यिल-ह्-बिबिल-आ'लिल-क़द्रील-अ'ज़िमील-जाहि-व-अ'ला आलिही व-स्ह्-बिहि व-सल्लिम*

*सारे गुनाह मुआफ़*
     हज़रते अनस رضي الله عنه से मरवी है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जो शख्स जुमुआ के दिन नमाज़े फज्र से पहले 3 बार 
اٙسْتٙغْفِرُ اللّٰهٙ الّٙذِىْ لٙآ اِلٰهٙ اِلّٙا هُوٙوٙاٙتُوْبُ اِلٙيْهِ
पढ़े उस के गुनाह बख्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर की झाग से ज़्यादा हो।
*✍🏽अलमुजमुल अवसत लीत्तिब्रनि, 5/392, हदिष:7717*
*✍🏽फैज़ाने जुमुआ, 17*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
Juma Mubarak
Duoa me Yad.😊🌹

Monday, July 5, 2021

इस्लाम_की_शेरनियां

*#इस्लाम_की_शेरनियां*

शाम में हज़रत खालिद बिन वलीद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ जबला बिन ऐहम की क़ौम के साथ मुक़ाबला कर रहे थे एक रोज़ मुसलमानों के क़लील लश्कर का दुश्मन से आमना सामना हुआ तो उन्होंने रूमियों के बड़े अफसर को मार दिया.. उस वक़्त जबला ने तमाम रूमी और ईसाई फौज को यकबारगी हमला करने का हुक्म दिया- सहाबा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہم की हालत निहायत नाज़ुक थी और राफेअ इब्न उमर ताई ने खालिद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ से कहा:
       "आज मालूम होता है कि हमारी क़ज़ा आ गई-"
खालिद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ ने कहा:
       "सच कहते हो इसकी वजह ये है कि मैं वो टोपी भूल आया हूं जिसमें हुज़ूर ﷺ के मूए मुबारक हैं-"

इधर ये हालत थी और उधर रात ही को आप ﷺ ने अबू उबैदा बिन जर्राह رضی اللّٰہ عنہ को जो फौज के सिपहसालार थे ख्वाब में ज़ज्रो तौबीख (डांट डपट,तम्बीह) फरमाई कि:
           "तुम इस वक़्त ख्वाबे गफलत में पड़े हो उठो और फौरन खालिद बिन वलीद की मदद को पहुंचो कि कुफ्फार ने उनको घेर लिया है- अगर तुम इस वक़्त जाओगे तो वक़्त पर पहुंच जाओगे-"
अबू उबैदा رضی اللّٰہ عنہ ने उसी वक़्त लश्कर को हुक्म दिया कि:
           "जल्द तैयार हो जाए-" 
चुनांचा वहां से वो मअ फौज यलगार के लिए रवाना हुए- रास्ते में क्या देखते हैं कि फौज के आगे आगे निहायत तेज़ी से एक सवार घोड़ा दौड़ाते हुए चला जा रहा है इस तरह कि कोई उसकी गर्द को नहीं पहुंच सकता था- उन्होंने ख्याल किया कि : 
          शायद कोई फरिश्ता है जो मदद के लिए जा रहा है-"
मगर एहतियातन चंद तेज़ रफ्तार सवारों को हुक्म किया कि:
    "इस सवार का हाल दरियाफ्त करें-"
जब क़रीब पहुंचे तो पुकार कर उस जवान को ठहरने के लिए कहा ये सुनते ही वो जिसे जवान समझ रहे थे रुका तो देखा कि वो तो खालिद बिन वलीद की अहलिया मुहतरमा थीं- उनसे हाल दरियाफ्त किया गया तो वो गोया हुईं:
           "ऐ अमीर ! जब रात के वक़्त मैंने सुना कि आपने निहायत बेताबी से लोगों से फरमाया कि खालिद बिन वलीद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ को दुश्मन ने घेर लिया तो मैंने ख्याल किया कि वो नाकाम कभी ना होंगे क्यूंकि उनके साथ आक़ा करीम ﷺ के मुए मुबारक हैं- मगर इत्तिफाक़न उनकी टोपी पर नज़र पड़ी जो वो घर भूल आए थे और जिसमें मुए मुबारक थे- ब उजलत तमाम मैंने टोपी ली और अब चाहती हूं कि किसी तरह इसको उन तक पहुंचा दूं-"

हज़रत अबू उबैदा رضی اللّٰہ عنہ ने फ़रमाया:
          "जल्दी से जाओ खुदा तुम्हे बरकत दे-"
चुनांचा वो घोड़े को ऐड़ लगा कर आगे बढ़ गईं- हज़रत राफेअ बिन उमर जो हज़रत खालिद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ के साथ थे बयान करते हैं कि:
         "हमारी ये हालत थी कि अपनी ज़िंदगी से मायूस हो गए थे यकबारगी तहलील व तकबीर की आवाज़ें बुलंद हुईं-"
हज़रत खालिद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ को तजस्सुस हुआ कि ये आवाज़ किधर से आ रही है कि अचानक उनकी रूमी सवारों पर नज़र पड़ी जो बदहवास होकर भागे चले आ रहे थे और एक सवार उनका पीछा कर रहा था- हज़रत खालिद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ घोड़ा दौड़ा कर उस सवार के क़रीब पहुंचे और पूछा कि:
          "ऐ जवां मर्द तू कौन है?"
आवाज़ आई कि:
          "मैं तुम्हारी अहलिया उम्मे तमीम हूं और तुम्हारी मुबारक टोपी लाई हूं जिसकी बरकत से तुम दुश्मन पर फतह पाया करते थे-"
रावी ए हदीस क़सम खाकर कहते हैं कि:
       "जब हज़रत खालिद رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ ने टोपी पहन कर कुफ्फार पर हमला किया तो लश्करे कुफ्फार के पांव उखड़ गए और लश्करे इस्लाम को फतह नसीब हुई..!!"
(تاریخ واقدی ۔ مقاصد الاسلام، 9 : 273 - 275)

इमाम आला हज़रत

💐💐 इमाम आला हज़रत 💐💐💐

मुल्के शाम के एक बुजु़र्ग ने ख्वाब में देखा, बहुत ही आलीशान दरबार लगा हुआ है बेशुमार नूरानी हस्तियां जमा हैं और ताजदारे मदीना शहंशाहे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जलवा अफरोज़ हैं, पूरे इजतेमा में सुकूत तारी है और ऐसा महसूस हो रहा है जैसे किसी आने वाले का इंतजा़र किया जा रहा है।

 उस बुजु़र्ग ने सुकूत तोड़ते हुए अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह मेरे मां-बाप आप पर कुर्बान, किसका इंतजा़र फरमाया जा रहा है, प्यारे मुस्तफा़ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लबे मुबारक को जुंबिश हुई  आपने इरशाद फ़रमाया,  हमें 'अहमद रजा़ हिंदी' का इंतजार है।

कौन अहमद रजा़, बुजु़र्ग ने पूछा, सरकार ने इरशाद फ़रमाया हिंदुस्तान में बरेली के बाशिंदे हैं। फिर वह शामी बुजु़र्ग रहमतुल्लाह तआला अलैहे बेदार हो गए। इमामे अहले सुन्नत अहमद रजा़ खां साहब की गाएबाना अकी़दत दिल में घर कर गई। और उस खुशनसीब की जियारत का शौक दिल में मौजें मार रहा था। यकीनन अहमद रजा़ हिंदी रहमतुल्लाहे तआला अलैह किसी ज़बरदस्त आशिक ए रसूल का नाम है। उनकी जियारत करके कुछ सीखना चाहिए चुनांचे वो शामी बुजु़र्ग मुल्के शाम से बरेली शरीफ़ रवाना हो गए। बरेली शरीफ़ पहुंचकर लोगों से आला हज़रत की क़ियाम गाह का पता पूछा तो लोगों ने बताया कि आला हज़रत का 25 सफ़रुल मुज़फ्फर को इंतकाल हो गया है। शामी बुजु़र्ग ने इंतकाल का वक्त दरयाफ्त किया तो लोगों ने बताया कि हिंदुस्तान के वक़्त के मुताबिक आला हज़रत का विसाल दोपहर के 2:38 बजे हुआ था। यह सुनकर वह बुजु़र्ग आब दीदा हो गए क्योंकि जब उन्होंने ख्वाब में सरकारे मदीना सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का दीदार किया था और सरकारे मदीना ने भरे दरबार में फ़रमाया था कि 'हमें अहमद रजा़ हिंदी' का इंतजार है। वह दिन 25 सफ़र ही का था और वक्त भी तकरीबन वही था उस वक्त ख्वाब की ताबीर ना समझ सके थे  लेकिन अब समझ में आ चुकी थी।

(मकालाते यौमे रज़ा)

                       💐💐💐

{नोट : आला हज़रत रहमतुल्लाह तआला अलैह की तारीखे़ विसाल 25 सफ़र उल मुज़फ्फर सन 1340 हिजरी है}

Sunday, May 23, 2021

मुरीद होने का फायदा

मुरीद होने का फायदा_____

हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन अजमेरी रहमतुल्लाह अलयह की आदते मुबारका थी कि आप हमसाये के हर जनाज़ा मे पहुंचते थे_______
अक्सर अवकात मय्यत के साथ कब्र पर भी तशरीफ ले जाते और तदफीन के बाद जब सब लोग चले जाते तो फिर भी कुछ वक्त के लिए आप रहमतुल्लाह अलयह कब्र पर बैठे रहते___
एक दिन हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलयह का एक मुरीद फौत हो गया___
हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलयह नमाज़े जनाज़ा के बाद हस्बे आदत उसकी कब्र पर बैठे रहे और मुराकबा फरमाया___
हज़रत ख्वाजा कुत्बुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलयह भी साथ मे थे___
अचानक हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलयह दहशत के आलम मे अपनी जगह से गभरा कर उठे और आपके चेहरे का रंग भी बदल गया____
कुछ वक्त के बाद आपकी तबीयत बहाल हुई तो आपने फरमाया____
*बयअत भी अजीब चीज़ है*
हज़रत ख्वाजा कुत्बुद्दीन बख्तियार काकी ने अर्ज़ किया कि___
मेने अजीब कैफ़ियत देखी है पहेले आपका रंग बदल गया था और फिर कुछ वक्त के बाद बहाल हो गया था उसकी क्या वजह थी___??
फरमाया____
जब लोग इस मैयत को दफन करके चले गए तो इसे अज़ाब देने के लिए दो फ़रिश्ते आए__
वोह इसे अज़ाब देना चाहते थे कि हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलयह की सूरत सामने आ गई____
आप हाथ मे असा लिए हुए थे___
आपन फरमाया__
अय फरिश्तो ये हमारे मुरीदो मे से है इसे अज़ाब ना दो___
फरिश्तो ने कहा आपका ये मुरीद आपके तरीके पर नही चलता था______
आपने फरमाया अगर चे ये हमारे तरीके के खिलाफ चलता था लेकिन इसने अपना हाथ मेरे दामन मे डाला हुआ है___
गैब से हुक्म हुआ अय फरिश्तो इसे छोडदो हमने इसके पीर के तुफैल इसके गुनाह बख्श दिए______
तरीकत की बयअत अयसे कठीन मरहले मे काम आती है________!!!

( मिरअतुल आशीकीन 221/222 )

Tuesday, May 18, 2021

सदक़ा

🌹 *GULAM-E-PANJATAN*🌹
                                 *सदक़ा*

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* क़ुरान में मौला तआला इरशाद फरमाता है कि "और जो बुख्ल (कंजूसी) करते हैं उस चीज़ में जो अल्लाह ने उन्हें अपने फज़्ल से दी हरगिज़ उसे अपने लिए अच्छा ना समझें बल्कि वो उनके लिए बुरा है 

📕 पारा 4,सूरह आले इमरान,आयत 180 

* हदीसे पाक में आता है हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि "जाहिल सखी इबादत गुज़ार कंजूस से बेहतर है 

📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 165

* सदक़ा गुनाहों को इस तरह मिटाता है जैसे पानी आग को बुझा देता है 

📕 मजमउज़ ज़वायेद,जिल्द 3,सफह 419

* सदक़ा रब के गज़ब को ठंडा करता है और बुरी मौत को दफा करता है 

📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 527

* सदक़ा वो है कि साईल के हाथ में जाने से पहले मौला तआला क़ुबूल फरमा लेता है 

📕 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 460 

* सदक़ा क़ब्र की गर्मी को कम करता है एक मुसलमान का भूले हुए को राह बताना किसी से मुस्कुराकर बात करना रास्ते से पत्थर हटा देना या कुछ भी ऐसा करना जिससे किसी को फायदा पहुंचता है तो ये उसकी तरफ से सदक़ा है और सदक़ा बन्दे को रब से क़रीब यानि जन्नत से क़रीब कर देता है और कंजूसी रब से दूर और जहन्नम से क़रीब कर देता है 

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 80--84

* मौला तआला ने जब ज़मीन को पैदा फरमाया तो वो रब के जलाल से कांपने लगी तो उस पर पहाड़ बसा दिए जिससे उसकी हरकत मौक़ूफ हो गयी,फरिश्तो को पहाड़ की ताक़त पर बड़ा ताज्जुब हुआ उन्होंने मौला से पूछा कि क्या पहाड़ से भी ताकतवर कोई चीज़ दुनिया में है तो मौला फरमाता है कि हां वो लोहा है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या लोहे से भी ताकतवर कोई चीज़ है तो मौला फरमाता है कि हां वो आग है फिर फरिश्तो ने अर्ज़ किया कि ऐ मौला क्या आग से भी ताकतवर कोई चीज़ है तो मौला फरमाता है कि हां वो पानी है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या पानी से ताक़तवर भी कुछ है तो मौला फरमाता है कि हां वो हवा है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या हवा से भी कोई चीज़ ताक़तवर है तो मौला इरशाद फरमाता है कि हां इंसान का किया हुआ वो सदक़ा जो उसने छिपाकर दिया हो वो हर चीज़ से ज़्यादा ताकतवर है 

📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 530

* हदीसे पाक में है कि हज़रत सअद बिन उबादा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की मां का इंतेकाल हो गया आपने नबी की बारगाह में अर्ज़ की या रसूल अल्लाह ﷺम मेरी मां का इंतेकाल हो गया अगर मैं उनके लिए सदक़ा करूं तो क्या उनको सवाब पहुंचेगा आप ﷺ ने फरमाया हां फिर उन्होंने पूछा कि कौन सा सदक़ा अफज़ल है तो आप ﷺ ने फरमाया कि पानी 

📕 अबू दाऊद,जिल्द 1,सफह 266

* जो किसी मुसलमान को खाना खिलाये तो मौला उसे जन्नत के मेवे खिलायेगा और जो किसी मुसलमान को पानी पिलाए तो मौला उसे जन्नत का शर्बते खास पिलायेगा और जो किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाये तो मौला उसे जन्नती लिबास पहनायेगा और जब तक उस कपड़े का एक टुकड़ा भी उसके बदन पर रहेगा वो अल्लाह की हिफाज़त में रहेगा 

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 4,सफह 204-218

* फर्ज़ो के बाद एक मुसलमान का अपने मुसलमान भाई का दिल खुश करना अल्लाह को सबसे ज़्यादा पसंद है और जो शख्स किसी मुसलमान की कोई हाजत पूरी करता है तो अल्लाह उसकी हाजत पूरी करता है और जो कोई किसी मुसलमान से कोई तकलीफ दूर करता है तो मौला तआला क़यामत के दिन उसकी तकलीफ को दूर कर देगा 

📕 इज़ानुल अज्रे फी अज़ानिल क़ब्रे,सफह 19-20

* तालिबे इल्म पर एक रुपया खर्च करना ऐसा है जैसे उसने उहद पहाड़ के बराबर सदक़ा किया 

📕 क्या आप जानते हैं,सफह 385

* हुज़ूर ﷺ फरमाते हैं कि बन्दे का राहे खुदा में 1 दरहम खर्च करना कभी कभी 1 लाख दरहम खर्च करने से भी आगे बढ़ जाता है सहाबा इकराम ने पूछा या रसूल अल्लाह ﷺ किस तरह तो आप फरमाते हैं कि किसी के पास कसीर माल है और उसने उसमे से 1 लाख दरहम खर्च किया मगर किसी के पास 2 ही दरहम थे और उसने उसमे से 1 दरहम खर्च कर दिया तो उसके 1 दरहम का सवाब 1 लाख दरहम से भी आगे बढ़ जायेगा 

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 89

* जो अल्लाह की रज़ा के लिए मस्जिद तामीर कराये (यानि उसमे हिस्सा ले) तो अल्लाह उसके लिए जन्नत में मोतियों और याक़ूत से महल बनायेगा

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 591

*ⓩ सदक़ा क्या होता है और क्या कर सकता है उसके लिये ये रिवायत पढ़िये*

* एक ज़िनाकार औरत एक जगह से गुज़री जहां एक कुत्ता प्यासा था वो कुंअे में मुंह लटकाए पानी को देख रहा था,उस औरत ने अपने चमड़े का मोज़ा उतारा और अपने दुपट्टे में बांधकर कुंअे से पानी निकालकर उस कुत्ते को पिलाया उसके इस अमल से मौला खुश हो गया और उसकी मगफिरत हो गई 

📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 409

* हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास एक शख्स आया और कहने लगा कि हज़रत आप मुझे जानवरों की बोलियां सिखा दीजिये आपने उसको मना किया कि इसमे कसीर हिकमतें है लिहाज़ा अपने इस शौक से रुजू करो मगर वो नहीं माना आपने मौला से बात की तो वो फरमाता है कि अगर ये बाज़ नहीं आता तो सिखा दो तो आपने उसे जानवरों की बोलियां सिखा दी
उसके घर में एक मुर्गा और एक कुत्ता पला हुआ था मालिक ने जब रोटी का टुकड़ा फेंका तो मुर्गे ने झट से उठा लिया इस पर कुत्ता बोला कि ये तूने गलत किया कि तेरी गिज़ा दाना दुनका है और तूने मेरी रोटी उठा ली,तो मुर्गा बोला परेशान ना हो कल मालिक का बैल मर जायेगा वो उसे यहीं कहीं फेंक देगा जितना चाहे खा लेना,मालिक ने उन दोनों की बात सुन ली और दूसरे दिन सुबह सुबह ही वो बैल को बाज़ार में बेच आया दूसरे दिन कुत्ते ने कहा कि तुमने झूठ बोला और बिला वजह मुझे उम्मीद दी तो मुर्गा कहने लगा कि मैंने झूठ नहीं कहा था मालिक ने अक्लमंदी दिखाते हुए अपनी मुसीबत दूसरे के गले डाल दी खैर कल मालिक का घोड़ा मर जायेगा तब तुम उसे खा लेना,मालिक ने सुना और दूसरे दिन घोड़ा भी बेच आया अब कुत्ते ने झल्लाते हुए कहा कि तुम बिल्कुल झूठे हो तुम्हारी कोई बात सच्ची नहीं,तो मुर्गा बोला कि ऐसा नहीं है मालिक जिसको अक़्लमंदी समझ रहा है वो उसकी सबसे बड़ी बेवकूफी है क्योंकि मौला ने उस पर कुछ मुसीबतें डाली थी जिसको उसके घर के जानवरों ने अपने सर पर ले लिया कि अगर वो मर जाते तो उसका फिदिया बन जाता मगर अब जबकि उसने अपना माल कुछ ना छोड़ा तो अब कल वो खुद मरेगा अब तो घर में दावत होगी जितना चाहे खा लेना

अब जो मालिक ने सुना तो उसके होश उड़ गए वो भागता हुआ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बारगाह में पहुंचा और सारी बात कह डाली,तो आप फरमाते हैं कि मैंने तो पहले की कहा था कि जो कुछ बन्दों से छिपाकर रखा गया है उसमें उनके ही लिए भलाई है मगर तुम ना माने अगर तुम उनकी बोली ना सीखते तो उन जानवरों की मौत तुमहारी तरफ से सदक़ा हो जाती और तुम्हारी जान बच जाती मगर तुमने उन्हें दूर कर दिया अब ये क़ज़ा टल नहीं सकती कल तुम यक़ीनन मरोगे,और दूसरे दिन वो मर गया 

📕 सच्ची हिकायत,सफह 97

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                                 *END*
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Saturday, May 15, 2021

मस्जिद अल अक्सा

मस्जिद अल अक्सा :-

दरअसल दो दिन पहले ट्विटर पर #indiastandwithisrael टाॅप ट्रेन्ड कराया गया। वह इसलिए कि इज़राईल ने "अल-अक्सा" मस्जिद में नमाज़ पढ़ते मुसलमानों पर गोली चलाइ।



खैर , जहरीले लोग अपनी हरकत से बाज नहीं आने वाले। आईए देखते हैं कि वहाँ गोली क्युँ चली ? क्युँकि मौजूदा दौर में किसी एक धर्मस्थल को लेकर जो सबसे अधिक विवाद है वह है 

                                       "अल अक्सा मस्जिद"

इजरायल के येरुसलम में बनी अल अक्सा मस्जिद दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शुमार है तो यह मस्जिद दुनिया के सबसे बड़े विवाद के कारण फिलिस्तीन और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष की वजह भी है।

असल में कभी कभी दया , नेकी , इंसानियत , मदद और हमदर्दी , इसके करने वाले के लिए ही काल बन जाती है। फिलिस्तीनी आज उसी काल से जूझ रहे हैं।

जर्मनी में हिटलर के जनसंहार के आतंक से जब यहूदी जर्मनी से भाग कर 1943 से पहले विभिन्न देशों में शरण लिए तो मानवता के नाते मुस्लिम बहुल मुल्क फिलिस्तीन की तब की "अग्रेजी हुकूमत" ने भी तब अपने यहाँ उनको बड़े पैमाने पर शरण दी , और फिलिस्तीन की बंजर ज़मीनों पर उनको बसाया और उस सरकार की यही दया , नेकी , इंसानियत , मदद और हमदर्दी, मुसलमानों पर भारी पड़ गयी जिसकी कीमत वह आज भी अपनी जान देकर चुका रहे हैं।

इसके पहले 1-2% यहूदी जिस ज़मीन पर रह रहे थे वह बहुत बड़ी संख्या में आकर फिलिस्तीन के एक बंजर हिस्से पर काबिज़ हो गये। यह यहूदी धीरे धीरे उस ज़मीन पर अपना अधिकार जताने लगे और अमेरिकी व्यवस्था में घुन की तरह घुसे यहूदियों ने फिलिस्तीन का 1947 में संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से बँटवारा कर दिया।

और फिलिस्तीन को दो हिस्सों में विभाजित किया। इस तरह 55 प्रतिशत हिस्सा यहूदियों को मिला जिसे आज "इज़राईल" कहा जाता है और बाकी 45 प्रतिशत जमीन फिलिस्तीनियों के हिस्से में आई।

यह मानवीय आधार पर किसी देश में शरणार्थी बने लोगों द्वारा उसी देश पर कब्ज़ा करने का इकलौता उदाहरण है।

1967 में इजरायल के वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी समेत पूर्वी जेरुसलम पर कब्जा करने के बाद से "अल अक्सा मस्जिद" की इस जमीन को लेकर विवाद और बढ़ गया क्युँकि यह पूर्वी जेरूसलम में ही स्थित है। 

बाद में जॉर्डन और इजरायल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि "इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ" का अल अक्सा मस्जिद के कंपाउंड के भीतर के मामलों पर नियंत्रण रहेगा जबकि बाहरी सुरक्षा इजरायल संभालेगा। 

इसके साथ गैर-मुस्लिमों को मस्जिद परिसर में आने की इजाजत होगी लेकिन उनको प्रार्थना करने का अधिकार नहीं होगा।

यथास्थिति बनाए रखने के वादे के बावजूद, पिछले कुछ सालों में यहूदियों ने मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की जिससे तनाव की स्थिति भी बनी।

इन यहूदी लोगों ने येरूसलम स्थित "अल अक्सा" मस्जिद को हड़पने की कोशिश की और इसी कारण फिलिस्तीन और इज़राईल में संघर्ष बढ़ता गया।

इस "अल अक्सा मस्जिद" को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया हुआ है जो कि तीन धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है।

यह प्राचीन शहर येरूसशम यहूदी, ईसाई और मुसलमानों का पिछले सैकड़ों सालों से विवाद का केंद्र है। तो इसका कारण यह है कि तीनों ही धर्म के लोगों का "पैगंबर हज़रत सुलेमान अलैहिससलाम" को लेकर अलग अलग मत है और वह "अल अक्सा मस्जिद" को लेकर अलग अलग योजनाएँ रखते हैं।

ध्यान रहे कि "हज़रत सुलेमान अलैहिससलाम" तीनों ही धर्म ईसाई , यहूद और इस्लाम के स्विकार्य पैगंबर हैं। इस्लाम और कुरान भी इन धर्मों और इनकी किताबों तौरात , जबूर और इंजील को मान्यता देता है।

"तौरात" हज़रत मूसा अलैहेस्सलाम पर तो "ज़बूर" हज़रत दाउद अलैहेस्सलाम पर और "इंजील" हज़रत ईसा (मसीह) अलैहेस्सलाम पर उतारी गई। और कुरआन इस्लाम की वह अंतिम किताब है जो आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम पर उतारी गयी।

इन तीनों धर्मों में महत्वपुर्ण विवाद केवल किताबों को सबसे अधिक महत्व देने का है वर्ना इनकी सत्यता सभी तीनों धर्म के लोग स्विकार करते हैं।

आज से कोई 5000 साल पहले के हज़रत इब्राहिम अलैहेस्लाम तीनों धर्म के लोगों के पैगंबर हैं , इसीलिए तीनों धर्म को "अब्राहम धर्म" भी कहा जाता है।

खैर , अब आते हैं "अल अक़्सा मस्जिद" पर

मुसलमानों का ईमान है कि "मस्जिद अलअक़्सा" हज़रत आदम अलैहेस्लाम (धरती के पहले मानव) के ज़माने की है और ज़मीन पर बनी दूसरी मस्जिद है।

"मस्जिद अल अक़्सा" के बारे में क़ुरआन में "सुरह अलक़सास" में ज़िक्र है। 

इस्लाम के इतिहास में "मस्जिद अलअक़्सा" को "क़िबला ए अव्वल" कहकर पुकारा जाता है। क्युँकि सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत मुहम्मद के ज़माने में जब तक काबा पर गैरमुस्लिमों का क़ब्ज़ा था , मुसलमान "अलअक़्सा मस्जिद" की तरफ़ मुँह करके नमाज़ पढ़ते थे।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत मुहम्मद ने 17 महीनों तक मस्जिद अल अक़्सा की तरफ़ रुख़ करके नमाज़ अदा की है।

अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों के लिए मक्का , मदीना के बाद तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। "अल अक्सा मस्जिद के पास ही सुनहरा गुम्बद 'डोम ऑफ द रॉक' भी है, जिसे सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम हज़रत मोहम्मद के स्वर्ग जाने से जोड़कर देखा जाता है।

"अल अक़्सा मस्जिद" का 35 एकड़ का हाता है जिसमें इस्लामिक इतिहास के इसी तरह के 44 पुरातात्विक साक्ष्य मौजूद हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब फ़िलस्तीन का बंटवारा हुआ तब भी "मस्जिद अल अक़्सा" फ़िलस्तीन का हिस्सा मानी गई।

अब सवाल यह है कि जो "मस्जिद अलअक़्सा" हज़रत आदम के ज़माने से लेकर हज़रत याक़ूब, हज़रत सुलैमान, हज़रत इब्राहीम, हज़रत इस्माईल, हज़रत मूसा और हज़रत ईसा अलैहिससलाम से लेकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक मुसलमानों के पास रही, उस पर यहूदी क़ब्ज़ा क्यों करना चाहते हैं ? 

दरअसल यहूदियों का मानना है कि "मस्जिद अल अक़्सा" ही वह जगह है जहाँ इज़राईल बनाने वाले हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ और उन्हें वहाँ अपना धर्मस्थल बनाना है। इसलिए यहूदी "मस्जिद अलअक़्सा" पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं।

यहूदी दावा करते हैं कि इस जगह पर पहले यहूदियों के प्रार्थना स्थल हुआ करते थे, लेकिन बाद में यहूदी कानून और इजरायली कैबिनेट ने उनके यहां प्रार्थना करने पर प्रतिबंध लगा दिया। यहां मौजूद वेस्टर्न वॉल को वह अपने उस मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं।

जबकि मुसलमान इसी दीवार को "अल बराक की दीवार" कहता है। उनका मानना है कि ये वही दीवार है जहां पैगंबर मोहम्मद साहब ने "अल बराक" को बांध दिया था। ऐसा वहाँ पुरातात्विक साक्ष्य भी है।

मुसलमानों का इमान है कि कि पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह से बातचीत के लिए इसी अल-बराक जानवर की सवारी की थी।

यहूदी मानते हैं जिस दिन वह इसी स्थान पर हज़रत सुलैमान अलैहिससलाम का धर्मस्थल बना लेंगे तो उन्हें वह तिलिस्मी किताबें हासिल हो जाएंगीं जिनकी मदद से वह अपने मसीहा "दज्जाल" को जल्दी बुला लेंगे और वह दुनिया से इस्लाम को ख़त्म कर देगा।

और वह यहूदियों को वह इस्राइल अता करेगा जिसकी झूठी दलील वह अपनी किताब "तौरेत" में गढ़ चुके हैं। यहूदी भी मस्जिद में इस्राइली पुलिस की सिक्योरिटी के साथ अब भी पूजा के लिए आते हैं।

एक आँख वाले दज्जाल का ज़िक्र हदीस में भी है , जिसका आगमन कयामत की कई निशानियों में से एक बतायी गयी है।

अब इसाईयों का पक्ष समझिए

दरअसल "मस्जिद अलअक्सा" की 35 एकड़ ज़मीन के एक हिस्से पर ही "हज़रत ईसा(मसीह) का जन्म हुआ था और वहाँ उनका "बैतुल अहम" है। इसाई लोग उस जगह को पाना चाहते हैं।

कुल मिलाकर तीन धर्मों के विवाद में एक मस्जिद फंसी है जो हमेशा से मुसलमानों की मस्जिद थी। और कई बार इस्राइली फौजों और पुलिस ने कई हथकंडे अपना कर "मस्जिद अलअक़्सा" पर क़ब्ज़े की कोशिश की है।

कई बार वह 50 साल से ज़्यादा उम्र के फ़िलस्तीनियों के मस्जिद में एंट्री पर रोक लगाते रहे हैं और मस्जिद की बुनियाद को खोदते रहे हैं ताकि मस्जिद को कमज़ोर करके उसे गिराकर हादसे के तौर पर दिखा दिया जाए।

यही नहीं जब मस्जिद पर इस्राइल का क़ब्ज़ा था उसकी दीवारों पर इस्राइलियों ने ख़तरनाक कैमीकल पेंट कर दिया जिससे वह जर्जर हो जाए।

अपने अगले प्रयास में इस्राइली पुलिस ने "मस्जिद अलअक़्सा" से जुड़े दस्तावेज़ चुरा लिए जो मस्जिद की देख रेख कर रही "अलक़ुद्स इस्लामी वक़्फ़" के दफ्तर में रखे हुए थे। यह दस्तावेज़ साबित करते हैं कि मस्जिद अलअक़्सा पर फ़िलस्तीनियों और मुसलमानों का हज़ारों साल का हक़ है।

इस्राइली पुलिस अब भी मस्जिद कम्पाउंड में ही डेरा डाले हुए है और बात बेबात पर गोलियाँ चलाती हैं जिसमें अब तक हज़ारो लोग मारे जा चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले भी नमाज़ियों पर गोली चलाई गयी।

"मस्जिद अल अक़्सा" की आज़ादी तब होगी जब वहाँ इस्राइली यहूदी पुलिस हटेगी, उसका पूरी तरह से क़ब्ज़ा फ़िलस्तीनियों को मिलेगा।

18 अक्टूबर 2016 को "संयुक्त राष्ट्र" की सांस्कृतिक शाखा "यूनेस्को" की कार्यकारी बोर्ड ने तमाम अध्ययन और रिसर्च के बाद एक प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा है कि यरूशलम में मौजूद ऐतिहासिक "अल-अक्सा मस्जिद" पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है।

https://www.bbc.com/hindi/international-37695142

उसने अरब देशों के ज़रिए पेश किए गए एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक़्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है।

हालांकि यहूदी उसे आज भी "टेंपल माउंट" कहते हैं और ना तो वह संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को मान रहे हैं और ना "मस्जिद अल अक्सा" को आज़ाद करने को तैय्यार है।

Wednesday, May 12, 2021

रूह_अफज़ा पसंदीदा_शर्बत

आज रूह_अफज़ा मुस्लिम दुनिया में पिया जाने वाला सब से पसंदीदा_शर्बत है.💞☝️✅

इसके_ईजाद_होने_की_कहानी ये है।
पीलीभीत में पैदा होने वाले हाफिज़ अब्दुल मजीद साहब दिल्ली में आ कर बस गए.
 यहां हकीम अजमल खां के मशहूर हिंदुस्तानी दवाखाने में मुलाज़िम हो गए. 
बाद में मुलाज़मत छोड़ कर अपना "हमदर्द दवाखाना" खोल लिया. 
हकीम साहब को जड़ी बूटियों से खास लगाव था. इसलिए जल्द ही उनकी पहचान में माहिर हो गए. हमदर्द दवाखाने में बनने वाली सब से पहली दवाई 'हब्बे मुक़व्वी ए मैदा" थी.
उस ज़माने में अलग अलग फूलों, फलों और बूटियों के शर्बत दसतियाब थे. मसलन गुलाब का शर्बत, अनार का शर्बत वगैरह वगैरह. 
हमदर्द दवाखाने के दवा बनाने वाले डिपार्टमेंट में सहारनपुर के रहने वाले हकीम उस्ताद हसन खां थे जो एक माहिर दवा बनाने वाले के साथ साथ अच्छे हकीम भी थे. 
हकीम अब्दुल मजीद साहब ने उस्ताद हसन से ये ख्वाहिश ज़ाहिर की कि फलों, फूलों और जड़ी बूटियों को मिला एक ऐसा शर्बत बनाया जाए जिसका ज़ायक़ा बे मिसाल हो और इतना हल्का हो कि हर उम्र का इंसान पी सके. उस्ताद हसन खां ने बड़ी मेहनत के बाद एक शर्बत का नुस्खा बनाया. 
जिसमें जड़ी बूटियों में से 
🔴 "खुर्फा" मुनक्का, 
कासनी, 
🔴नीलोफर, गावज़बां और 
हरा धनिया, 
🔴फलों में से संतरा, 
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अनानास, 
🔴तरबूज़ और सब्ज़ियों में गाजर, 
🔴पालक, 
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पुदीना, 
🔴और हरा कदु, फलों में गुलाब, केवड़ा, नींबू, नारंगी जबकि ठंडक और खुश्बू के लिए सलाद पत्ता और संदल को लिया गया.
कहते हैं जब ये शर्बत बन रहा था तो इसकी खुशबू आस पास फैल गयी और लोग देखने आने लगे कि क्या बन रहा है! 
जब ये शर्बत बनकर तैय्यार हुआ तो इसका नाम रूह अफज़ा रखा गया. 
रूह अफज़ा नाम उर्दू की मशहूर मसनवी गुलज़ार ए नसीम से लिया गया है जो एक किरदार का नाम है.
इसकी पहली खेप हाथों हाथ बिक गयी.
रूह अफज़ा को मक़बूल होने में कई साल लगे. इसका ज़बर्दस्त ऐडवेर्टीसेमेंटस कराया गया.
🔴
रूह अफज़ा 1907 में दिल्ली में लाल कुँए में स्थित हमदर्द दवाखाने में ईजाद हुआ..

जानते हैं इज़राइल का इतिहास।

जानते हैं इज़राइल का इतिहास।

इज़रायल नाम का नया राष्ट्र 14 मई सन् 1948 को अस्तित्व में आया , इसके पूर्व इज़राइल नाम का कोई देश नहीं था। इज़रायल राष्ट्र, प्राचीन फ़िलिस्तीन अथवा पैलेस्टाइन का ही बृहत् भाग है।

दरअसल , इसके पहले यहूदियों का कोई अलग राष्ट्र नहीं था, वह पूरी दुनिया के हर हिस्से में फैले हुए थे इसी तरह फिलीस्तीन के इस हिस्से में भी कुछ फैले हुए थे।

इतिहास है कि ,छठी ई. तक इज़रायल पर रोम और उसके पश्चात् पूर्वी रोमी साम्राज्य बीज़ोंतीन का प्रभुत्व कायम रहा। खलीफ़ा हज़रत अबूबक्र रजि• और खलीफ़ा हज़रत उमर रजि• के समय अरब और रोमी (Bizantine) सेनाओं में टक्कर हुई। 

सन् 636 ई. में खलीफ़ा हज़रत उमर रज़ि• की सेनाओं ने रोम की सेनाओं को पूरी तरह पराजित करके फ़िलिस्तीन पर, जिसमें इज़रायल और यहूदा शामिल थे, अपना कब्जा कर लिया। 

खलीफ़ा हज़रत उमर रजि• जब यहूदी और अपने इस्लामिक पैगंबर हज़रत दाऊद अलैहेस्सलाम के प्रार्थनास्थल पर बने यहूदियों के प्राचीन मंदिर में गए तब उस स्थान को उन्होंने कूड़ा कर्कट और गंदगी से भरा हुआ पाया। 

हज़रत उमर रजि• और उनके साथियों ने स्वयं अपने हाथों से उस स्थान को साफ किया और उसे यहूदियों के सपुर्द कर दिया।

यह भाग भले अरबी साम्राज्य के अंतर्गत था परन्तु यहूदी यहाँ रहते थे।

जर्मनी यहूदियों का सबसे बड़ा गढ़ था , एडोल्फ हिटलर ने जब जर्मनी में यहूदियों का कत्ले-आम प्रारंभ किया और चुन चुन कर एक एक यहूदियों को मारने लगा तब मुस्लिम राष्ट्रों ने अपने धर्म इस्लाम की एक मान्यता प्राप्त किताब "तोरेत" और अपने ही धर्म के एक पैगम्बर "हज़रत दाऊद अलैहेस्सलाम" को मानने वाले यहूदियों को अपनी ज़मीन पर पनाह दी , और फिर जर्मनी से जान बचाकर भाग रहे सभी यहूदी इस क्षेत्र में जमा हो गये , यह क्षेत्र यहूदी बहुल हुआ तो धीरे धीरे पूरी दुनिया के यहूदी इसी क्षेत्र में आ कर बसने लगे।

इस्लामिक राष्ट्रों के द्वारा यहूदियों की जान बचाने के लिए दी गयी इस मदद के बदले "यहूदियों" ने फिलिस्तीन और इस्लामिक राष्ट्रों को धोखा दिया और अमेरिका की व्यवस्था में घुस गये यहूदियों के माध्यम से अमेरिका के प्रभाव का प्रयोग करके उस शरणार्थी क्षेत्र को अलग राष्ट्र "इज़राइल" 14 मई सन् 1948 को घोषित करा लिया।

अरब राष्ट्रों के अकूत प्राकृतिक संपदा पर गिद्ध दृष्टि जमाए अमेरिका के लिए यह क्षेत्र सभी इस्लामिक देशों पर अपना नियंत्रण रखने का एक अड्डा बना और आज सारे मुस्लिम राष्ट्र अमेरिका की इसी नीति से अस्थिर हैं। 

यह है कहानी "कर भला तो हो बुरा" , विपत्ति के समय यहूदियों को जान बचाने के लिए दी गयी मुसलमानों द्वारा शरण आज उन्हीं यहूदियों से जान बचाने की स्थिति में वही मुसलमान आ गये जिन्होंने कभी इनकी जान बचाई थी।

इज़राइल का इतिहास है कि वह किसी का सगा नहीं , यहाँ तक कि अमेरिका के रहमों करमो पर पलने वाला यह देश अक्सर अमेरिका को भी धमकी देता रहा है।

इज़राइल "काला नाग" है , जिसका दूध पीता है उसी को डसता है , इज़राइल , इस्लामिक देशों में अमेरिका के आतंकवाद फैलाने और उनको अस्थिर करने का मुख्यालय है , भारत इसीलिए सदैव इस देश से दूर रहा और फिलिस्तीन का समर्थक रहा है।
#FreePalestine #Palestine