Saturday, February 27, 2021

मैं_अहमदाबाद_हूं

🟩 #मैं_अहमदाबाद_हूं...."

➖"26 फरवरी, 1410 के रोज मेरी बुनियाद रखी गई....मुझे सरखेज की मशहूर दीनी शख्सियत शेख अहेमद गंजबख्श रहेमतुल्लाह अलयहि के मशवरे पर बसाया गया....लेकिन अफसोस के तुम्हारे पुरखों के बनाये हुये शहर की तारीख से तुम बेखबर हो...

➖एसै चार अहेमद नाम के बुझुर्गाने दीन ने मेरी बुनियाद रखी, जिन की एक भी असर की नमाज़ कजा नही हुइ थी....अफसोस कि 611 साल पहेले बनी मस्जिदें आज भी जुम्मा के अलावा भर नहि पाती...

➖ मेरे बीच में बसी जाली वाली मस्जिद आप सभी ने देखी होगी, लेकिन सीदी सईद के खिदमते खल्क के कामों से तुम बे खबर हो...

➖तुम ने बहोत से मदरसें बना लिये यह अच्छी बात है, लेकिन शाह वजीउद्दीन रहे. और शाह वलीउल्लाह रहे. के जैसे मदरसों का इतिहास जानने की कोशिश करना, जहां से दीने इस्लाम तुम्हारी नस्लों तक पहुंचा....निरमा युनिवर्सिटी और IIM को जानने वाले यह नहि जानते कि मैं अहमदाबाद- मदरसों के शहर की तरह जाना जाता था...मेरे मदरसों में गैर मुस्लिम भी फारसी शिखने आया करते थे.

➖ लो गार्डन, रिवर फ्रन्ट और परिमल गार्डन घूमने वालों, तुम यह नहि जानते हो कि कभी साबरमती के किनारे बसे हुये 'फतेह महल' और 'फतेह बाग' को देखने दुनिया भर के लोग मेरे यहां आया करते थे...

➖मेरी जमीन पर बहोत से दीनी बुजुर्गों के मझार है, जिन्होंने दीने इस्लाम की तब्लीग के लिये अपनी पूरी जिंदगी खपा दी...जमालपुर नदी के किनारे आ कर बसे 'बावा लू लूई(लवलवी) रहे.' जैसे बारह बावा यानी कि दीनी बुजुर्गों ने तुम्हारे तक दीने इस्लाम पहुंचाया... मगर अफसोस की तुम दीने इस्लाम के दाई न बन सके...

➖शेख अहेमद गंजबख्श और सैयद कुत्बे आलम रहे. जैसे सूफियों कि दीनी तब्लीग से गुजरात में इस्लाम फैला, मगर अफसोस की तुम दीने इस्लाम को फैला न सके...मेरे यहां बसे मझारों और मस्जिदों को देखने हजारों गैर मुस्लिम मेरे यहां आते है, मगर अफसोस कि तुम उन्हें दीन का बुनियादी पैगाम भी नहि पहुंचा सके...

➖मेरे यहां बाई हरीर (बीबी सुलतानी)की वाव और मस्जिद तो अभी आप में से बहुत से लोगों ने नहि देखी होगी...फतेहखान-मोहम्मद बेगडे़ के जमाने के शाही महेल की एक औरत ने अपने खर्च से बनाई यह मस्जिद और वाव तुम्हें यह अहेसास जरुर दिलायेगी कि एक मुस्लिम ख्वातिन कया काम कर सकती है...

➖ मेरे इलाको में बसने वाले लोगों की हिफाजत कई सालों तक मलिक मुहाफिजखान ने की थी...कभी वक्त मिलें तो घी कांटा में बसी मस्जिद देखने जरुर आना...

➖मलिक दरियाखान, मलिक सारंग, मलिक शाबान और मलिक नवरंग के नाम से कुछ इलाके शहर में आज भी मौजूद है...लेकिन अहमदाबाद के इन हूकमरानों की तारीख से तुम बेखबर हो....

➖ मुझे अहमदशाह बादशाह ने बसाया, 250 से ज्यादा सालों तक मैं गुजरात की सल्तनत की राजधानी रहा...मेरे यहां शानदार मस्जिदें और इमारतें तब तामिर हुई जब आग्रा का ताजमहल और दिल्ली का लाल किला भी नहि बसा था....दुनियाभर से लोग मुस्लिम सल्तनत में बनी इमारतों को देखने के लिये यहां आया करते थे....मगर अफसोस की तुम्हारे लिये यह शाही मस्जिदें एक पत्थर के सिवा कुछ भी नहि....इन को देखने के बाद भी तुम्हारे अंदर... तुम्हारे पुरखों के बनाये हुये शहर की तारीख जानने की कोइ दिलचस्पी नहि पैदा होती...

➖मुझे बसाने बाद अहमदशाह और दूसरे बादशाहों ने गैर मुस्लिम ब्यापारीयों को यहां ला कर बसाया...लेकिन अफसोस की कुछ लोग आज मेरा नाम भी बदल देना चाहते है...

➖मेरी जमीन पर दफन बादशाहों, सुल्तानों ने 425 साल हूकुमत की...लेकिन कभी कोई हिन्दू -मुस्लिम दंगा नहि हुआ...अब नफरत की दिवारों ने मुझे बांट दिया है..

➖ मुझ पर बहोत रोंदा गया, लेकिन मैं कभी और शहरों की तरह तबाह-बरबाद नहि हुआ, मैं ने हर बाहर से आनेवाले को एसा अपनाया कि वोह भी मुझ से मोहब्बत करने लगा...मुझ में बसनेवाले लोग आज खुद एक पहचान रखते है...कुत्बे आलम रहें ने मेरे लिये एक दुआ की थी... *"अहमदाबाद- अबदोआबाद( "हंमेशा आबाद रहे"*)

➖तुम्हारे पुरखों ने इस शहर को बसाने में, यहां और गुजरात में दीन फैलाने के लिये अपना हक अदा कर दिया...कभी कारोबार और नौकरी की भागदौड से वक्त मिल जायें, तो तुम्हारे बापदादाओं और पुरखों के बसाये हुये शहर की तारीख जानने की कोशिश करना...यह शाही ईमारतों और मस्जिदों के पत्थर आप से बहोत कुछ बात करना चाहते है.... "

➖ *"मैं अहमदाबाद -आप का प्यारा शहर"*

Friday, February 26, 2021

हज़रते अली का मुख्तसर तआरूफ


अमीरूल मूअमिनीन हज़रते सय्यिदुना हज़रते अली का मुख्तसर तआरूफ 

हज़रते अली رضي الله عنه की वालिदा ने आपका नाम अपने वालिद के नाम पर आपका नाम "हेदर" रखा, ओर वालिद ने आपका नाम "अली" रखा ओर हमारे प्यारे आकाﷺ ने आपको अ-सदुल्लाह के लकब से नवाजा,

इसके इलावा "मुर्तजा (यानी चुना हुआ)", "कर्रार (यानी पलट पलट कर हम्ले करने वाला)", "शेरे खुदा" ओर "मोला मुश्किल कुशा" आपके मशहूर अल्काबात हैं!

आप رضي الله عنه हुज़ूरﷺ के चचाजाद भाई है।

आप رضي الله عنه की कुन्नियत   "अबुल हसन" ओर "अबू तूराब" है

आप رضي الله عنه "आमूल फील" के 30 साल बाद (जब प्यारे आकाﷺ को उम्र शरीफ 30 बरस थी) 13 र-जबुल मुरज्जब बरोज़ जुमुआतुल मुबारक खानए काबा शरीफ के अंदर पैदा हुए

आप رضي الله عنه दस 10 साल की उम्र में ही दाइरए इस्लाम मे दाखिल हो गए थे ओर ता दमे हयात प्यारे आकाﷺ की इमदाद व नुसरत ओर दीने इस्लाम को हिमायत में मसरूफे अमल रहे!

अमीरूल मूअमिनीन हज़रते सय्यिदुना उस्माने गनी رضي الله عنه की शहादत के बाद अन्सार व मुहाजिरीन ने दस्ते बा बरकत पर बैअ़त करके आप رضي الله عنه को अमीरूल मुअमिनीन मुंतखब किया ओर 4 बरस 8 माह 9 दिन तक मस्नदे खिलाफत पर रौनक अफ़रोज़ रहे।17 या 19 रमजानुल मुबारक को एक ख़बीस खारजी के कातिलाना हमले से शदीद ज़ख्मी हो गए ओर 21 रमज़ान शरीफ़ यक शम्बा (इतवार) की रात जामे शहादत नोश फरमा गए।

अस्ले नस्ले सफा वजहे वस्ले खुदा
बाबे फस्ले विलायत पे लाखो सलाम

📒(करामते शेरे खुदा, पेज,11,12,13)

#13रजब_यौमे_विलादत_मोला_अली🌺

🌹🌹तमाम आशिकाने रशुल (स.अ)को, मुहिब्बाने ऐहलेबैत को बाबा ऐ हसनैन करिमैन,वलियो के सरदार, शाहे मर्दा शेरे यजदा हुवते परवर दीगार
मौला अली करम अल्लाहु वजवुल करीम शेरे खुदा की यौमे विलाद्त बहुत बहुत मुबारक हो
ग़ालिब कुल्ले ग़ालिब, 
अमीरुल मोमिनीन,
इमाम उल औलिया,
मौला ए कुल कायनात,
अली इब्न अबू तालीब ع का जुहुर बहोत बहोत मुबारक हो 
आमदे मरहबा मौला अली (क.व)🌹🌹

अली के दर को बाबे शिफ़ाअत कहते हैं
अली की राह को राहे हयात कहते है.... 

अली का चाहने वाला मर के भी नही मरता
अली के इश्क़ को आबे हयात कहते है.... 

*फराज़े दार से मीशम बयान देते हैं*
*कि हम अली की मोहब्बत में जान देते हैं*
*ज़ुबान काट लो, हम पर जो चाहे ज़ुल्म करो*
*रहेगा ज़िक्र अली हम ज़ुबान देते हैं*
*सफ़ें बनाओ मोहिब्बों कि दार से मीशम*
*नमाज़े ईश्क अली की अज़ान देते है*
*अली की विलादत की बात जब आई*
*कहा खुदा ने हम अपना मकान देते हैं* 

लोगो चलो करो सब तैयारी कुछ खास होने वाला है, 

आने वाला है वह नूर दुनिया में जो नबी का चाहने वाला है,

जनाबे अबू तालिब के घर से एक पैगाम आने वाला है,

उम्मत ए मुहम्मदी ﷺ पर खुदा का एहसान आने वाला है,

जो दिखाएगा ख़ैबर, खंदक और हुनैन में गौहर, 

हां वही कहलाएगा असदुल्लाह खैबर शिकन और अली हैदर,

माहे रज्जब की 13 तारीख को जागेगी किस्मत काबे की,

इस्तकबाल में मौला के फटेगी दीवार काबे की,

 मैदान ए गदीर में जिसे अपना नायाब बनाया मोहम्मद ﷺ ने,

शबे हजरत अपने बिस्तर पर जिसे सुलाया मोहम्मद ﷺ ने,

सलमान नियाजी वोही तो शान है मोहम्मद ﷺ के पैगाम की,

जिनका लाल कर्बला में बचाएगा लाज इस्लाम की।।।

तमाम आशिकान ए रसूल ﷺ और आशिकाने अहले बैत को मौला अली 
मौला हैदर
शाहे मर्दा 
शेर ए यज़दा
तस्कीन ए क़ल्ब ए मुज़्तबा ﷺ
जानशीन ए मुस्तफा ﷺ
जाने महबूब ए ख़ुदा
मौलुद ए क़ाबा
इमामुल औलिया
सय्यदुल अस्फिया
अफ़ज़लुल फुकारा
शेर ए ख़ुदा ए दो जहाँ
माम्बा ए फैज़ ओ अता
बाब ए उलूम
राकिब ए दोशे मुस्तफा ﷺ
किब्ला ए कुल आशिका
ज़ौज़ए बतुल
ताजुल आरेफिन
इमामुल अशजईंन
अमीरुल मोमिनीन
खलिफातुल मुस्लेमीन
शहज़ादा ए अबु तालिब
मुर्शीद ए आज़म
ख़ैबर शिकन
अबुल हसन
अबुल हुसैन
अबु तुर्राब
हैदर ए कर्रार
साहिब ए ज़ुल्फ़िक़ार
मौला ए क़ायनात
मुश्किल कुशा
शेर ए ख़ुदा
हाज़त रवां
नफ़्स ए मुस्तफा ﷺ
मौलूद ए क़ाबा
सरकार मौला अली ए मुर्तजा अलैहिस्सलाम....🌹🌹🌹की विलादत मुबारक

Wednesday, February 24, 2021

हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह की वसीयत नमाज़े जनाज़ा के लिए

हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह का जब इन्तेक़ाल हुआ तो उनकी नमाज़े जनाज़ा के लिए लोग इकठ्ठा हुए। भीड़ में ऐलान हुआ की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए कुछ शर्तें हैं जिनकी वसीयत हज़रत ने की थी:

(1) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसने कभी भी बग़ैर वज़ू आसमान की तरफ़ न देखा हो।

(2) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो पढ़ाएगा जिसने कभी किसी पराई औरत पर निगाह न डाली हो ।

(3) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी अस्र की 4 रक्अत सुन्नत कभी न छूटी हो।

(4) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी तहज्जुद की नमाज़ कभी न छूटी हो

जैसे ही भीड़ में ये ऐलान हुआ सारी भीड़ में एक सन्नाटा छा गया। 

सब एक दुसरे का मुँह देखने लगे। सबके क़दम ठिठक गए। आँखे टकटकी लगाए हुए उस शख़्स का इंतज़ार करने लगीं की कौन है वो शख़्स! वक़्त गुज़रता जा रहा था लाखों की भीड़ मगर कोई क़दम आगे नहीं बढ़ा रहे थे। सारे लोग परेशान । सुबह से शाम होने को आने लगी मगर कोई क़दम आगे न बढ़ा। 

◆ बड़े-बड़े उलेमा, मोहद्दिस, मुफ़स्सिर, दायी, सब ख़ामोश सबकी नज़रें नीची, कोई नहीं था जो इन चारों शर्तों पर खरा उतरता। एक अजीब बेचैनी थी लोगों में।

◆ अचानक भीड़ को चीरता हुआ एक नक़ाबपोश आगे बढ़ा और बोला "सफ़ें सीधी की जाएं मेरे अन्दर ये चारों शर्तें पायी जाती हैं।" 

◆ फिर नमाज़े जनाज़ा हुई लोग बेचैन थे उस नेक और परहेज़गार इन्सान की शक्ल देखने के लिए.

नमाज़ ख़त्म होने के बाद वो शख़्स मुड़ा और अपने चेहरे से कपड़ा हटाया, लोगों की हैरत की इन्तेहा न थी, अरे ये तो बादशाहे वक़्त हैं ! अरे ये तो सुल्तान शमसुद्दीन अल्तमस  (जिन्हें आज इतिहास की किताबो में सुल्तान इल्तुतमिश के नाम से जाना जाता है जो 1210 -1236 तक हिन्द के बादशाह रहे इन्ही की बेटी रजिया सुल्ताना थी)                            हैं !

◆ बस यही अल्फाज़ हर एक की ज़ुबान पर थे। और इधर ये नेक और पाक दामन बादशाह दहाड़े मार कर रो रहा था और कह रहा था "आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया"
"आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया। वरना कोई मुझे नहीं जानता था"

मुसलमानो, ये है हमारी तारीख़ और ये हैं हमारे नेक और पाकदामन हुक्मरान। 

◆ अपनी ज़िन्दगी इन लोगों की तरह जीने की कोशिश करो, कल लोग थोड़ा खाकर भी अल्हम्दुलिल्लाह कहते थे, आज अच्छा और ज़्यादा खाकर भी कहते हैं मज़ा नहीं आया।

◆ कल इन्सान शैतान के कामों से तौबा करता था, आज शैतान इन्सान के कामों से तौबा करता है।

◆ कल लोग अल्लाह के दीन के लिए जान देते थे, आज लोग माल के लिए जान देते हैं।

◆ कल घरों से क़ुरआन की तिलावत की आवाज़ आती थी, आज घरों से गाने की आवाज़ आती है।

◆ कल औलाद माँ-बाप का कहा मानती थी, आज माँ-बाप औलाद के कहने के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते है।

◆ कल लोग क़ुरआन व हदीस के मुताबिक ज़िंदगी गुज़ारते थे, आज लोग माडर्न फ़ैशन के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं ।

◆ कल मुसलमान दयानतदारी, सच्चाई और हिम्मत व बहादुरी के लिए मशहूर था, आज मुसलमान  बदअखलाक और बद किरदार के लिए बदनाम है।

◆ कल लोग रात-दिन दीन सीखने और अल्लाह की इबादत में गुजारते थे, आज लोग अपना रात-दिन शोहरत और माल व दौलत कमाने में गुजारते है।

◆ कल लोग दीन के लिए सफर करते थे, आज लोग गुनाहों के लिए सफर करते है।

◆ कल लोग अल्लाह की रज़ा  के लिए हज करते थे, आज लोग नाम व शोहरत के लिए हज करते है।

◆ अल्लाह से दुआ है की - " ऐ दिलों के फेरने वाले हमारे दिलों को आज के बजाए आख़ेरत की तरफ़ फेर दे, ऐ अल्लाह जो हमारे हक़ में बेहतर हो ऐसा हमें अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमा, हमारी बुराईयां हमसे दूर फ़रमा।"

💛आमीन💛

आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह🌹🌸

🌸🌹11 रज्जब उर्स मुबारक कुतुबुल इरशाद आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह🌹🌸

आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह जो कि किछौछा शरीफ़ के जाने माने मशहूर बुज़ुर्ग है और हज़रत मखदूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह की औलादों मे आते हैं और आपको हम शबीह ए ग़ौसुल आज़म भी कहा जाता है, आप हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह से उम्र में 58 साल छोटे हैं। 

"सीरत ए अशरफ़ी सफ़ा 40-41" पर यह वाकया लिखा है कि हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह (जिनकी विलायत का एक आलम मोतरिफ़ है) ,एक दिन आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह और हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह की मुलाकात हुई तो हज़रत ने अशरफ़ी मिया से मसनवी शरीफ़ सुनाने को कहा  और जब आपने अशरफ़ी मिया किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह के मुँह से मसनवी शरीफ़ सुनी तो बहुत खुश हुए और दुआ दी कि जिस तरह हज़रत शम्स तबरेज़ (रहमतुल्लाह अलैह )की सोहबत में मौलाना जलालुद्दीन रूमी (रहमतुल्लाह अलैह )आकर खरा सोना बन गए थे उसी तरह अशरफ़ी मिया!  तुम्हारी सोहबत में जो भी आलिम या उलेमा हक़ आयेगा उसका दिल भी तुम्हारी मोहब्बत में जल कर मोहब्बत की खुशबू फैलाएगा और आपका यह रंगीन लिबास उलेमाओं के दिलों को रंग देगा। यह सुनकर आला हज़रत अशरफ़ी मिया हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह की कदम बोसी के लिए झुकते हैं तो हज़रत मौलाना फ़ज़्ले रहमा साहब ने अपने पाँव समेट लिए और हज़रत अशरफ़ी मिया को सीने से लगा लिया ।

कुछ अरसे बाद हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह की यह दुआ और बशारत हुर्फ़ बा हुर्फ़ सच साबित हुई, बहुत से उलेमाओं और मशाय्खों ने आपकी सोहबत में खुद को रंग लिया और कमाल रुतबा हासिल किया। आप आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह का विसाल 11 रज्जब 1355 हिजरी में हुआ ।

करामात :-
आप आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह की एक मशहूर करामत है कि आपके बचपन के दौर में जब आपकी उम्र 8 साल थी तो आपकी हम-उम्र के कुछ बच्चे छत पर खेल रहे थे और उनमें से एक बच्चा छत से गिर कर मर जाता है, यह देखकर बाकी सभी बच्चे डरकर भाग जाते है और छुप जाते हैं कि अब उनकी खैर नहीं । गाँव में शोर मच जाता है तो यह देखकर हज़रत अशरफ़ी मिया ने कहा कि, "बच्चे को मेरे पास लाओ" जब बच्चे को आपके पास लाया गया तो आपने लोगों से कहा कि, "शोर क्यों मचाते हो? इसे कुछ नहीं हुआ " फ़िर जैसे ही आप बच्चे को देखकर कहते है, "बाबू क्यों खामोश हो, मुस्कुराते क्यों नहीं? " इतना कहते ही उस बच्चे का जिस्म हरकत करने लगता है और वह मुस्कुराते हुए उठ जाता है "

(सीरत ए अशरफ़ी :पेज 102)

इसी तरह एक बार समरी इलाके के बख्तियार पुर मे सैलाब और हर तरफ़ पानी की वजह से लोग कशती पर सवार होकर आया-जाया करते थे । जब आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह कुछ लोगों के साथ कशती पर सवार दूसरे इलाके जाने के लिए रवाना हुए तो जुनूब की तरफ़ से बहुत ज़्यादा पानी बरसाने वाली घटा उठी तो हकीम निज़ामुद्दीन अशरफ़ी ने अर्ज़ किया कि, हुज़ूर!  घंघोर घटा है, बारिश का समा है ।" यह सुनकर आप अशरफ़ी मिया फ़रमाते है, "भय्या घटा है, बढ़ा नहीं है " फ़िर क्या... लोग देखते हैं कि नदी के एक किनारे आप हज़रत की कश्ती चलती रहती और दूसरे किनारे बारिश होती रहती...यहा तक कि कशती पर सवार लोगों पर बारिश का ज़रा भी असर ना पहुंचा. 

(सीरत ए अशरफ़ी :पेज 104)

देखो भाइयों!  क्या शान है हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी (रहमतुल्लाह अलैह)  की... कि किस-किस ने आपकी सोहबत इख्तियार की और कौन-कौन आपसे फ़ैज़ ले गया, कौन नहीं है जिसने आपसे मुलाकात ना की हो...चाहे वह आलम पनाह हाजी वारिस पाक (रहमतुल्लाह अलैह) की ज़ात ए आली हो, आप सरकार वारिस पाक अपने खुल्फ़ा से फ़रमाते है कि मौलाना फ़ज़्ले रहमा साहब (रहमतुल्लाह अलैह) को ऐसी खास कुरबत ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हासिल है कि जो चाहते है हुज़ूर रिसालत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पा लेते है और जिसे चाहते है हुज़ूर रिसालत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में पहुंचा देते है और न बिना इजाज़त ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कोई काम करते हैं और ना बिना पूछे किसी को मुरीद करते है,... आला हज़रत अहमद रज़ा खाँ बरेलवी के दादा हज़रत मौलाना रज़ा अली खाँ तो हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी (रहमतुल्लाह अलैह)  के ही मुरीद थे, इसी वजह से इमाम अहमद रज़ा खाँ बरेलवी (रहमतुल्लाह अलैह) खुद कई बार हज़रत की बारगाह में तशरीफ़ लाए, हज़रत मौलाना फ़ज़्ले रहमा सरकार ने अपनी कला मुबारक (टोपी) उतारकर उनके सिर पर रख दिया और फ़रमाया, "जिस तरह यह टोपी चमक रही है उसी तरह तुम भी चमकोगे(उस वक़्त आला हज़रत अहमद रज़ा खाँ रहमतुल्लाह अलैह की उम्र लगभग 20 साल थी और सरकार फ़ज़्ले रहमा की 80 साल, आज यह हज़रत मौलाना फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह की दुआ है जो इमाम अहमद रज़ा खाँ (रहमतुल्लाह अलैह) का दुनिया में डंका बज रहा है और आज भी वह टोपी मुबारक हज़रत  अज़हरी मिया साहब के बहनोई शौकत हसन साहब (जो पाकिस्तान में है)  उनके पास दीगर तबर्रुकात के साथ मौजूद हैं,इसी तरह अल्लामा इक़बाल साहब हुज़ूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दीदार के लिए वज़ीफ़े की तलब से हज़रत मौलाना फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह के पास तशरीफ़ लाए तो हज़रत ने उनसे फ़रमाया कि बेलौस इश्क ए मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बड़ा वज़ीफ़ा कुछ नहीं है, तुम खुद ऐसा इश्क पैदा करो कि उनकी नज़र खुद उठ जाए, इस मुलाकात का अल्लामा इक़बाल साहब पर यह असर हुआ कि सवा करोड़ बार दरूद पाक पढ़कर आक़ा करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में पेश किया, फिर दीदार भी हुआ और खुद फ़ना फ़ी रसूल के मक़ाम पर फ़ैज़ भी हुए । सर सैय्यद अहमद खां ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी की कामयाबी के लिए आप से दुआ करवाई तो आपने कहा कि "हमने बहुत दूर तक दुआ कर दी है "...आज हम सब उस दुआ का असर देख रहे है।... क्वीन विक्टोरिया ने औलाद के लिए आपसे दुआ करवाई, हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह की दुआ से क्वीन विक्टोरिया को 9 औलादे अता हुई  और आपने क्वीन विक्टोरिया से कहा कि लंदन में मस्जिदें बनवाओ और दीन के काम में रुकावट न डालो, आज लंदन मे इतने मुसलमान है यह भी हज़रत का फ़ैज़ है, इसी तरह लेफ्टिनेंट लाटूश, भोपाल के नवाब सिद्दीक उल हसन और उस दौर के दीगर दुनिया दार और उलेमा मशाय्ख हज़रत से मुलाकात के लिए आते रहते थे, नीचे दिए हुए कुछ नामों से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जब हज़रत के शागिर्दों का यह मक़ाम है तो खुद हज़रत मौलाना फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह का क्या मक़ाम होगा. 

आपके शागिर्दों के नाम है :- पीर जमाअत अली शाह नक्शबंदी मोहद्दिस अलीपुरी, मौलाना दिलदार अली शाह अलीपुरी, मौलाना लुत्फ़ुल्लाह अलीगढ़ी (जिनके शागिर्द पाकिस्तान के हज़रत पीर महर अली शाह है), मौलाना मोहम्मद अली मुंगेरी, मौलाना वसीअ अहमद सूरती, मौलाना अब्दुल हई फिरंगी महली, मौलाना शाह रज़ा अली खां(आला हज़रत अहमद रज़ा खाँ फ़ाज़िल ए बरेलवी के, दादा)  ,कुतुब ए वक़्त हकीम हज़रत नियाज़ अहमद फ़ैज़ाबादी,हज़रत शाह सुलेमान फुलवारी,हज़रत अबू सईद मक्की, मौलाना मोहम्मद अली सहारनपुरी (जिन्होंने बुखारी शरीफ़ का वह नुस्खा लिखा जो आज पढ़ा जा रहा है)  ,मौलाना हसन अहमद कानपुरी, मौलाना अब्दुल सलाम हासावी, हज़रत मारुफ़ मदनी (जो मदीना शरीफ़ से हुक्म ए इलाही पाकर आए), मौलाना अब्दुल करीम    और भी दीगर उलेमा ए किराम और मशाय्ख ए आज़म हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह से फ़ैज़याब हुए ।

ऊपर लिखे हुए कुछ नाम और मामलात पढ़कर मानना ही पढ़ता है कि हमारे फ़ज़्ले रहमा पर किस कदर फ़ज़्ले रहमान है, जहां लोग अपनी ज़ाहिरी तालीम की शुरुआत करते हैं वहीं यह मादरज़ात कुतुब सिर्फ़ 13 बरस की उम्र में ज़ाहिरी तकमील से फ़ारिग़ होकर बातिनी सरफ़राज़ी रब्बानी से मनसब कुतुब पर  साइज़  होते हैं

Saturday, February 20, 2021

मौला अली ‎ का मर्तबा‎

🌺⚘ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती رحمتہ اللہ علیہ से किसी ने पूछा कि: आप भी अल्लाह के वली हैं और अली मौला भी अल्लाह के वली हैं आपकी और मौला अली की विलायत में क्या फर्क़ है?
         मुईनुद्दीन चिश्ती رحمتہ اللہ علیہ ने सवाल करने वाले से पूछा: तुम करते क्या हो? वो बोला: मैं ज़मींदार हूं काफी रक़बे का मालिक हूं इसी सवाल करने वाले के साथ दूसरा आदमी भी था उससे पूछा : तुम क्या करते हो? उसने कहा : इसी ज़मींदार की ज़मीन पर किसान हूं हल चलाता हूं,

          मुईनुद्दीन चिश्ती رحمتہ اللہ علیہ ने कहा: जो फर्क़ ज़मींदार और किसान के मनसब में है वही फर्क़ मेरी और मौला अली رضی اللّٰہ عنہ की विलायत में है अली विलायत की ज़मीन के मालिक हैं और हम उनके किसान- हमारा काम ज़मीने विलायत में हल चलाना है विलायत की फसल के मालिक मौला अली رضی اللّٰہ عنہ हैं,जिसको चाहें खैरात अता कर दें इसीलिए सब औलिया कहते हैं कि हमें विलायत अली رضی اللّٰہ عنہ की बारगाह से मिली और इसीलिए मौला अली को सैय्यदुल औलिया कहा जाता है...!!!
تذکرہ محبوب
ص 221
या अली अली अली या अली 
💕 या ग़रीब नवाज़ 💕⚘🌺

Thursday, February 18, 2021

मौत से पहले आने वाले कासिद्

  हजरते याकूब علیہ الصلوٰۃ والسلام का मलकुल मौत से भाई चारा था, एक दिन मलकुल मौत हाजिर हुए तो हजरते याकूब علیہ الصلوٰۃ والسلام ने पूछा मुलाकात के लिए आए हो या रूह कब्ज करने को? इजराइल علیہ الصلوٰۃ والسلام ने कहा सिर्फ मुलाकात के लिए आया हू! आपعلیہ الصلوٰۃ والسلام ने फर्माया:मुझे एक बात कहनी है!मलकुल मौत बोले! कहिये कौन सी बात है? हजरते याकूब علیہ الصلوٰۃ والسلام ने फर्माया:जब मेरी मौत करीब आ जाए और तुम रूह कब्ज करने के आने वाले हो तो मुझे पहले से आगाह कर देना! मलकुल मौत ने कहा बेहतर! मै अपनी आमद से पहले आप के पास दो तीन कासिद् भेजूंगा! जब हजरते याकूब علیہ الصلوٰۃ والسلام का आखरी वक्त आया और मलकुल मौत रूह कब्ज करने को पहुँचे तो आप علیہ الصلوٰۃ والسلام ने कहा:तुम ने तो वादा किया था की अपने आमद से पहले मेरी तरफ कासिद् भेजोंगे! इजराइल علیہ الصلوٰۃ والسلام ने कहा:मैने ऐसा ही किया था, पहले तो आप علیہ الصلوٰۃ والسلام के सियाह बाल सफेद हुए! ये पहला कासिद् था! फिर बदन की चुस्ती व तवानाइ खत्म हुई! यह दूसरा कासिद् था! और बाद मे आप علیہ الصلوٰۃ والسلام का बदन झुक गया यह तीसरा कासिद् था! ऐ याकूबعلیہ الصلوٰۃ والسلام! हर इंसान के पास मेरे तीन कासिद् आते हैं!


शेख अबू अली दकाक् رَحٔمَةُاللّٰهِ تَعَالٰى عَلَئهِ  कहते हैं:-की मै एक ऐसे बीमार मर्दे सालेह की इयादत को गया जिनका शुमार मशायखे कीबार मे होता था! मैने उनके गिर्द उन शाहगिर्दो को बैठे देखा! शेख अबू अली رَحٔمَةُاللّٰهِ تَعَالٰى عَلَئهِ  फरमाते है:वह बुजुर्ग रो रहे थे मैने कहा:ए शैख़! क्या आप दुनिया पर रो रहे हैं?उन्होंने फरमाया नही! मै अपनी नमाज़ों के क्जा होने पर रो रहा हूँ, मैने कहा:आप तो इबादत गुजार शख्स थे फिर नमाजे किस तरह क्जा हुई? उन्होंने फर्माया:मैने हर सज्दा गफलत मे किया और हर सज्दे मे गफलत से सर उठाया! अब गफलत की हालत में मर रहा हूँ फिर एक आह भरी और ये अशआर पड़े👇


(१) जमाना गुजर गया और गुनाहों को छोड़ गया मौत का कासिद् आ पहुँचा और दिल खुदा से गाफ़िल ही रहा!

(२) तेरी दुनियावी ने'अमते धोका और फरेब हैं और दुनिया मे तेरा हमेशा रहना मुहाल किजब् महज है!

(३) मैने हर दिन, कयामत के दिन और कब्र मे रहने के बारे मे सोचा!

(४) जो इज्जत वकार वाले वजूद के साथ मिट्टी का रहीन होगा! और मिट्टी ही उसका तकया होगा!

(५) मैने युओमे हिसाब की तवालत के बारे में सोचा और उस वक्त की रुस्वाई का ख्याल किया जब नामाये आमाल मुझे दिया जाएगा!


अल्लाहﷻ तमाम ईमान वालो खातिमा बिल खैर फरमाए।آميــــــــــــــــــــن يَارَبَّ الْعَالَمِين آمین بِجَاہِ سَیِّدِ الْمُرْسَلِیْنﷺ


👇👇👇 ((( हवाला))) 👇👇👇

(📖📚(जहरूर्रीयाज़)

(📖📚(मुकाशिफतुल कुलूब् बाब-6- सफाह 54/55/56)


अल्लाहﷻ हमें समझने  और इस पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे आमीन।

Tuesday, February 9, 2021

सदका करने के फायदे / Benefits Of Sadaqah In Islam

सदका करने के फायदे / Benefits Of Sadaqah In Islam
क्या आप को सदक़ा के फ़वाइद मालूम हैं?

खासतौर पर 17, 18, 19 को तवज्जो से पढियेगा

सुन लो !सदक़ा देने वाले भी और जो इस का सबब बनते हैं वो भी!

१- सदक़ा जन्नत के दरवाज़ों में से एक दरवाज़ा है

२- सदक़ा नेक आमाल मैं अफ़ज़ल अमल है , और सबसे अफ़ज़ल सदक़ा खाना खिलाना है.

३- सदक़ा क़ियामत के दिन साया होगा, और अपने देने वाले को आग से ख़लासी दिलाएगा

४- सदक़ा अल्लाह तआला के ग़ज़ब को ठंडा करता है, और क़ब्र की गर्मी की ठंडक का सामान है

५- मय्यत के लिए बेहतरीन हदया और सबसे ज़्यादा नफ़ा बख़श चीज़ सदक़ा है, और सदक़ा के सवाब को अल्लाह-तआला बढाता रहता हैं

६-  सदक़ा मुसफ़्फ़ी (पाक करने वाला है) है, नफ़स की पाकी का ज़रीया और नेकियों को बढाता है

७-  सदक़ा क़ियामत के दिन सदक़ा करने वाले के चेहरे का सुरूर और ताज़गी का सबब है

८- सदक़ा क़ियामत की होलनाकी के ख़ौफ़ से अमान है , और गुज़रे हुए पर अफ़सोस नहीं होने देता.

९- सदक़ा गुनाहों की मग़फ़िरत का सबब और बुराइयों का कफ़्फ़ारा है.

१०- सदक़ा ख़ुशख़बरी है हुस्न ख़ातमा की , और फ़रिश्तों की दुआ का सबब है

११- सदक़ा देने वाला बेहतरीन लोगों में से है , और इस का सवाब हर उस शख़्स को मिलता है जो इस में किसी तौर पर भी शरीक हो.

१२- सदक़ा देने वाले से ख़ैरे कसीर और बड़े अज्र का वादा है

१३- ख़र्च करना आदमी को मुत्तक़ीन की सफ़ में शामिल कर देता है, और सदक़ा करने वाले से अल्लाह की मख़लूक़ महब्बत करती है.

१४- सदक़ा करना जूद-ओ-करम और सख़ावत की अलामत है

१५- सदक़ा दुआओं के क़बूल होने और मुश्किलों से निकालने का ज़रीया है

१६- सदक़ा बला-ओ-मुसीबत को दूर करता है , और दुनिया में सत्तर 70 दरवाज़े बुराई के बंद करता है

१७- सदक़ा उम्र में और माल में इज़ाफे़ का सबब है.कामयाबी और रिज़्क़ का सबब है.

१८- सदक़ा ईलाज भी है दवाई भी और शिफ़ा भी...

१९- सदक़ा आग से जलने, ग़र्क़ होने , चोरी और बुरी मौत को रोकता है

२०- सदक़ा का अज्र मिलता है , चाहे जानवरों और परिंदों पर ही क्यों नाहो..

आख़िरी बात- बेहतरीन सदक़ा इस वक़्त ये है कि आप इस मैसेज को सदक़ा की नीयत से आगे share कर दें!

Saturday, February 6, 2021

शाने सरकारे सिद्दिक़े अकबर रदि अल्लाहु अनहू

_*शाने सरकारे सिद्दिक़े अकबर رَضِى اللهُ عَنه*_

_*📝इब्ने असाकिर हज़रत सय्यिदना अनस رَضِى اللهُ عَنه से रिवायत करते हैं कि रसुले करीम ﷺ ने फरमाया हज़रत सय्यिदना अबु बक्र सिद्दिक़ رَضِى اللهُ عَنه से मुहब्बत करना और उनका शुक्र अदा करना मेरी उम्मत पर वाजिब है।*_

_*📕तारीखुल खुलफा, सफा-121*_
_*📕तारीखे करबला, सफा-97*_

अली का हो नही सकता वो रोजे महेशर तक
जो रखे तुझ से अदावत 
अबू बकर सिद्दीक
(رضی اللہ تعالٰی عنہ)
Beshaq Haq Hai

शैतान को रब का पेहला खलीफा आदम अलयहिस्सलाम पसंद नही था ओर उसकी औलाद को नबी का पहेला खलीफा अबु बकर पसंद नही हे !!
RadiAllahu Anhu

*जिस तरह कुरआन ए पाक़ को छूने के लिए जिस्म का पाक़ होना ज़रूरी है ठीक उसी तरह सैय्यदना अबू बक्र सिद्दीक रज़िअल्लाहु तअला की शान को समझने के लिए ख़ून का पाक़ होना ज़रूरी है मुस्त़फाﷺ का हमसफ़र अबू बक्र अबू बक्र सिद्दीक رضى الله تعالى عنه*

_*शाने सरकारे सिद्दिक़े अकबर رَضِى اللهُ عَنه*_

_*📝इब्ने असाकिर हज़रत सय्यिदना अनस رَضِى اللهُ عَنه से रिवायत करते हैं कि रसुले करीम ﷺ ने फरमाया हज़रत सय्यिदना अबु बक्र सिद्दिक़ رَضِى اللهُ عَنه से मुहब्बत करना और उनका शुक्र अदा करना मेरी उम्मत पर वाजिब है।*_

_*📕तारीखुल खुलफा, सफा-121*_
_*📕तारीखे करबला, सफा-97*_

_*✨शाने सहाबाए किराम ✨*_

_*📝ताजदारे मदीना रहमते आलम नुरे मुजस्सम सरवरे अंबिया हुज़ूर पूरनुर ﷺ ने फरमाया. मेरे किसी सहाबी को बुरा न कहो क्योंकि अगर तुममें का कोई उहुद पहाड़ भर सोना खैरात करे तो मेरे सहाबा के निस्फ के बराबर भी सवाब को नहीं पहुंचेगा।*_

_*📕बुखारी शरीफ, जिल्द-2, सफा-384*_

_*📝उस मुसलमान को आग न छुएगी जिसने मुझे देखा या मेरे देखने वाले को देखा। (यानि सहाबाए किराम और ताब'ईन)*_

_*📕तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द-2, सफा-760*_

_*📝मेरे सहाबा को बुरा कहने वालों पर अल्लाह तबारक व तआला ﷻ और उसके फरिशतों और तमाम लोगों की लाअनत हैं और अल्लाह तबारक व तआला ﷻ उनके फराइज़ और नवाफिल को भी क़ुबूल नही फरमाएगा।*_

_*📕शिफा शरीफ, जिल्द-02, सफा-488*_

हज़रत अबुबक्र_सिद्दीक रदि अल्लाहु अनहू वोह हैं
जिनकी अफज़लियत हर जुमे के ख़ुतबे में बयान की जाती है.❤

બિરાદરાને ઈસ્લામ કો ખબર દી જતી હય કિ ખાનકાહે એહલે સુન્નત , બળૌદા કી જાનીબ સે બહારે ઈસ્લામ કી પેહલી બારીશ , શજરે ઈસ્લામ કા પેહલા ફલ જીનકી મોહબ્બત ઉમ્મતે મોહમ્મદીયા પર વાજીબ હય . જીનકા ઈમાનો પરહેઝગારી કુરઆન સે ષાબિત હય . આલમે ઈસ્લામ કી અઝીમ તરીન શખ્સીયત , સબસે પેહલે ઈમાન લાને વાલે , સબસે પેહલે અલ્લાહ ઔર રસુલ હી તરફ બુલાનેવાલે , સબસે પેહલે મેઅરાજે નબી કી તસદીક દુશ્મનાને નબી કે મજમે મેં કરનેવાલે , નેકીયોં કી હંમેશા તસદીક કરનેવાલે , જીનસે અલ્લાહ પાક મોહબ્બત કરતા હય , અંબિયા કે બાદ ઈન્સાનોં મેં સબ સે બહેતર , ઈમામે સિદકો સફા , જાનશીને રસુલ , ઈમામે અરહાબે રસુલ , સૈયદના વ મૌલાના અબુબકર સિદ્દીકે અકબર રદીઅલ્લાહો તઆલા અન્હો

सिद्दिक ए अकबर तमाम सअदात ए इकराम के भी सैय्यद हैं, और आपको सबसे बड़ा शर्फ ये मिला है आप हुज़ूर ﷺ के ज़माना मुबारक में तमाम सहाबियों के इमाम बन चुके थे।

سلام يا اميرالمؤمنين 
 رضی اللّٰہ تعالٰی عنہ 
#उर्स_मुबारक

✍ शहज़ादे ए ग़ौस ए आज़म अब्दुल अज़ीज़ उल ख़तीब उल हसनी जिलानी

जन्नत के आठो दरवाज़े जिनका इस्तक़बाल करेंगे वो 
अबूबकर सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु है
उर्स मुबारक

👑सिद्दीक़े अकबर​ ( रज़िअल्लाहु तआला अन्हु )
👑नाम​- अब्दुल्लाह
👑लक़ब​- सिद्दीक़े अकबर
🔮वालिद​- अबु कहाफा
🔮वालिदा​- सलमा बिन्त सखर
💎​विलादत​- हुज़ूर की विलादत से 26 महीने बाद
🌸विसाल​- 22/6/13 हिजरी
👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑

**💖आज 22 जमाद उल आख़िर आप सैय्यदना सिद्दीक-ए-अकबर अबू बक्र सिद्दीक़ रदिअल्लाहु तआला अन्हुम वा रदुअन का उर्स-ए-पाक हैं लिहाज़ा हुब्बे इस्लाम वा हुसूले फैज़ों बरकात के लिए तमाम मौमीनीन मौमीनात और मुस्लिमीन मुस्लिमात फातिहा ख्वानी शरीफ़ का एहतेमाम करें जिससे हम तमाम मिलकर आप सैय्यदना सिद्दीक-ए-अकबर अबू बक्र सिद्दीक़ रदिअल्लाहु ताआला अन्हुम वा रदुअन की मुकद्दस बारगाहे पाक में खिराज-ए-अकीदत पैश कर सकें॥* 💚

👑​आपकी सीरत एक पोस्ट में बता पाना नामुमकिन है मगर हुसूले फैज़ के लिए चंद हर्फ आपकी शान में लिखता हूं मौला तआला क़ुबूल फरमाये​| 

👑➤ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि नबियों के बाद तमाम इंसानों में सबसे अफज़ल अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हैं| 

👑➤आपका नस्ब युं है अब्दुल्लाह बिन अबु कहाफा बिन उस्मान बिन आमिर बिन उमर बिन कअब बिन सअद बिन तय्युम बिन मुर्राह बिन कअब,मुर्राह बिन कअब पर आपका नस्ब हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम से जाकर मिल जाता है|. 

👑➤आपके बारे में मशहूर है कि आपने ज़मानये जाहिलियत में भी कभी बुत परस्ती नहीं की और ना कभी शराब पी,जब आप 4 साल के थे तो आपके बाप आपको लेकर अपने बुतों के सामने गए और उनसे कहा कि ये हमारे माबूद हैं तुम इनकी पूजा करो तो 4 साल के सिद्दीक़े अकबर उन बुतों से फरमाते हैं कि मैं भूखा हूं मुझे खाना दो मैं कुछ कहना चाहता हूं मुझसे बात करो जब उधर से कुछ जवाब नहीं आया तो आपने एक पत्थर उठाकर उस बुत पर ऐसा मारा कि वो आपके जलाल का ताब ना ला सका और चकना चूर हो गया,जब आपके बाप ने ये देखा तो आपको तमांचा मारा और घर वापस ले आये,और अपनी बीवी से सारा वाक़िया कह सुनाया तो वो फरमाती हैं कि इसे इसके हाल पर छोड़ दीजिये जब ये पैदा हुआ था तो किसी आवाज़ देने वाले ने ये कहा कि मुबारक हो तुझे कि ये ​मुहम्मद​ सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम का रफीक़ है मुझे नहीं मालूम कि ये ​मुहम्मद​ सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम कौन हैं| 

👑➤मर्दो में सबसे पहले आप ईमान लाये और सबसे पहले हुज़ूर के साथ नमाज़ पढ़ने का शर्फ आपको मिला| 

👑➤आपने दो मर्तबा अपनी पूरी दौलत हुज़ूर के क़दमो पर डाल दी| 

👑➤आपका लक़ब सिद्दीक़ होने का बड़ा मशहूर वाक़िया है कि जब हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम मेराज शरीफ से वापस आये और ये वाक़िया लोगों में बयान किया तो अबु जहल भागता हुआ अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास पहुंचा और कहने लगा कि अगर कोई कहे कि मैं हालाते बेदारी में रात ही रात सातों आसमान की सैर कर आया जन्नत दोज़ख देख आया खुदा से भी मिल आया तो क्या तुम यक़ीन करोगे आपने फरमाया कि नहीं,तो कहने लगा कि जिसका तुम कल्मा पढ़ते हो वो ​मुहम्मद​ सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम तो लोगों से यही कह रहे हैं तो आपने फरमाया कि क्या वाकई वो ऐसा कहते हैं तो अबु जहल बोला कि हां वो ऐसा ही कहते हैं तो आप फरमाते हैं कि जब वो ऐसा कहते हैं तो सच ही फरमाते हैं अब जब आपने उस वाक़िये की तस्दीक़ की तो वो मरदूद वहां से भाग निकला और उसी दिन से आपको सिद्दीक़ का खिताब मिला| 

👑➤आपने हुज़ूर की मौजूदगी में 17 नमाज़ों की इमामत फरमाई| 

👑➤आपके खलीफा बनने पर सबसे पहले हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने आपकी बैयत की| 

👑➤जब आपने तमाम माल लुटा दिया तो फक़ीराना लिबास में बारगाहे नबवी में हाज़िर थे कि हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हाज़िर हुए और कहा कि ऐ सिद्दीक़ आप मालदार होते हुए भी ऐसे कपड़ो में क्यों है तो हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि उन्होंने अपना पूरा माल दीने इस्लाम पर खर्च कर दिया तो हज़रत जिब्रील फरमाते हैं कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अबु बक्र को सलाम भेजा है और पूछा है कि क्या इस हालत में भी अबु बक्र मुझसे राज़ी हैं इतना सुनते ही हज़रते अबु बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु वज्द में आ गए और बा आवाज़े बुलंद यही फरमाते रहे कि मैं अपने रब से राज़ी हूं मैं अपने रब से राज़ी हूं,अल्लाह अल्लाह क्या शान है सिद्दीक़े अकबर की कि खुद मौला उनसे पूछ रहा है कि क्या तुम मुझसे राज़ी हो अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर| 

👑➤आप वो मुक़द्दस सहाबी हुए जिनकी 4 पुश्तें सहाबियत से सरफराज़ हैं,आपके वालिदैन ईमान लाये और सहाबी हुए आप खुद सहाबी हुए आपकी औलाद में मुहम्मद व अब्दुल्लाह व अब्दुर्रहमान व सय्यदना आयशा व सय्यदना अस्मा सब के सब सहाबी हुए और आपके पोते मुहम्मद बिन अब्दुर्रहमान भी सहाबी हुए,ये फज़ीलत आपके सिवा किसी को हासिल नहीं,रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन| 

👑➤आपका और मौला अली का हालते जनाबत में भी मस्जिद में जाना जायज़ था| 

👑➤2 साल 3 महीने 11 दिन आपकी खिलाफत रही| 

👑➤आपसे कई करामतें भी ज़ाहिर हैं,जब आपका विसाल होने लगा तो आपने अपनी प्यारी बेटी सय्यदना आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अंहा को बुलाया और फरमाया कि बेटी मेरा जो भी माल है उसे तुम्हारे दोनों भाई मुहम्मद व अब्दुर्रहमान और तुम्हारी दोनों बहनें हैं उनका हिस्सा क़ुर्आन के मुताबिक बाट देना,इस पर आप फरमाती हैं कि अब्बा जान मेरी तो एक ही बहन है बीबी अस्मा ये दूसरी बहन कौन है तो आप फरमाते हैं कि मेरी एक बीवी बिन्त खारेजा जो कि हामिला हैं उनके बतन में एक लड़की है वो तुम्हारी दूसरी बहन है,और आपके विसाल के बाद ऐसा ही हुआ उनका नाम उम्मे कुलसुम रखा गया,इसमें आपकी 2 करामत ज़ाहिर हुई पहली तो ये कि मैं इसी मर्ज़ में इन्तेक़ाल कर जाऊंगा और दूसरी ये भी कि पैदा होने से पहले ही बता देना कि लड़का है या लड़की|

👑➤आपकी उम्र 63 साल हुई आपकी नमाज़े जनाज़ा हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने पढ़ाई और खुद हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम की इजाज़त से आपको उन्ही के पहलु में दफ्न किया गया,ये आपकी शानो अज़मत है| 

👑➤आपकी शान को समझने के लिए ये तन्हा हदीस ही काफी है हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अगर एक पलड़े में अबु बक्र का ईमान रखा जाए और दूसरे में तमाम जहान वालो का तो सिद्दीक़ का पलड़ा सबसे भारी होगा,अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर,ज़रा सोचिये कि दूसरे पलड़े में तमाम जहान वालों से कौन कौन मुराद हैं अगर अम्बिया के ईमान को मुस्तसना कर भी दिया जाए तब भी क्या ये कम है कि उसी एक पलड़े में उमर फारूक़ का ईमान उस्मान ग़नी का ईमान मौला अली का ईमान तमाम 124000 सहाबा का ईमान फिर तमाम ताबईन का ईमान,इमामे आज़म इमाम शाफई इमाम मालिक इमाम अहमद बिन हम्बल का ईमान,फिर दुनिया भर के औलियाये कामेलीन का ईमान,हुज़ूर ग़ौसे पाक का ईमान,ख्वाजा ग़रीब नवाज़ का ईमान,आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त का ईमान और क़यामत तक के पैदा होने वाले तमाम औलिया व अब्दाल व तमाम मुसलेमीन का ईमान,सब एक ही पलड़े में और दूसरे में सिर्फ अबु बक्र का ईमान फिर भी अबु बक्र का ईमान सब पर भारी,या अल्लाह कैसा ईमान था उनका ​मौला से दुआ है कि अपने उसी बन्दे के ईमान का एक ज़र्रा हम तमाम सुन्नी मुसलमानों को नवाज़ दे ताकि हमारी दुनिया और आखिरत दोनों कामयाब हो जाये आमीन आमीन आमीन या रब्बुल आलमीन बिजाहिस सय्यदिल मुरसलीन सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम​| 

📕 तारीखुल खुल्फा,सफह 90--137
📕 शाने सहाबा,सफह 80--94
📕 मदरेजुन नुबूवत,जिल्द 2,सफह 914
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 547
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यारे गार यारे मजार जा नशीने मुस्तफाﷺ खलिफतुल मुस्लिमीन अमीरूल मोअमीनिन सय्यिदुना अबू बकर सिद्दीक رضي الله عنه की शान बड़ी ही बरतरो बाला जैसा के

✳️आप सबसे पहले कलिमा पड़ने वाले|
✳️मर्दों में सबसे पहले सहाबी कहलाने वाले |
✳️सबसे पहले मोमिन का एजाज़ पाने वाले |
✳️सबसे पहले काबे में खुतबा देने वाले |
✳️कुबूले इस्लाम से पहले ओर बाद हमेशा शराब से दूर रहने वाले |
✳️अपने ज़ाती माल से चालीस हज़ार दिनार प्यारे आकाﷺ के कदमों पे निछावर करने वाले |
✳️मोअज्जी़ने रसूलﷺ हज़रते बिलाल رضي الله عنه को आज़ाद करवाने वाले |
✳️अपने घर का सारा माल राहे खुदा में कुर्बान करने वाले |
✳️प्यारे आकाﷺ को अपने कंधो पर बिठाने की सआदत पाने वाले |
✳️गार में तीन दिन ओर तीन रात आका करीमﷺ के साथ रेहने वाले |
✳️अपने कपड़ों को फाड़ कर गार के सुराखो को बन्द करने वाले |
✳️गार में आका करीमﷺ को अपनी गोद में सुलाने वाले |
✳️सांप के डस्ने की तकलीफ़ को बर्दाश्त करके भी आका करीमﷺ को न जगाने वाले |
✳️हिजरत के मोक़‌अ़ पर आका करीमﷺ की खिदमत करने वाले |
✳️हर मुश्किल और मुसीबत में आका करीमﷺ का साथ देने वाले |
✳️सफर हो या हजर (घर) हो, गार हो या मजार हो हर एक मकाम पर आका करीमﷺ के साथ रेहने वाले | 
✳️ मुन्किरिने जकात का खात्मा फरमाने वाले |
✳️ कुरआने पाक को एक जगह जम्अ़ करने का हुक्म देने वाले |
✳️जिन की एड़ी पर आका करीमﷺ ने अपना लुआबे दहन लगाया |
✳️ कुरआने पाक में जिनको "सानियस्नैन" का लकाब दिया गया |
✳️कुरआन ने जिनके साहिब होने का एलान फरमाया|
✳️जिनकी खिदमत ओर एहसानात का ताज़किरा खुद आका करीमﷺ ने फरमाया |
✳️आका करीमﷺ की ज़िन्दगी में जिन्होंने कई बार इमामत का शरफ हासिल किया |
✳️जन्नत के आठ दरवाज़े है जिन्हे हर एक दरवाज़े से बुलाया जाएगा, वोह मेरे मोला हज़रते सिद्दीके अकबर رضي الله عنه है...!

तो फिर हम क्यूं ना कहें के 
बयां हो किस ज़बाँ से मरतबा सिद्दीक़े अकबर का है यारे गार महबूबे खुदा सिद्दीक़े अकबर का

#22जुमादिल_उखरा_यौमे_यारे_गार ✍️✍️✍️

जा निसार ए रसूल ﷺ
गम गुसार ए रसूलﷺ
वफादार ए रसूलﷺ
राजदार ए रसूलﷺ
फ़िदा कार ए रसूल ﷺ
यारे गार ए रसूलﷺ
यारे मजार ए रसूलﷺ
सैयदना अबू बकर सिद्दीक رضی اللہ تعالٰی عنہ

एक हदीस पाक में आता है कि 360 खसाइल है
जब अल्लाह किसी पर करम फरमाता है तो 
उन 360 का खसाइल में से एक खसलत किसी के अंदर आ जाए तो जन्नत का हकदार बन जाता है सैयदना अबू बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
के बारे में अल्लाह के रसूलﷺ फरमाते हैं 
360 खसाइल तमाम के तमाम अबू बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
की जात में मौजूद हैं 

अबु बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
वह हस्ती है जिनके बारे में अल्लाह के महबूबﷺ
ने यह बसारत दे दी की जन्नत के 8ठो दरवाजे से इनको बुलाया जाएगा
और ये वो हस्ती ए पाक हैं जिनको बगैर हिसाब किताब के जन्नत में दाखिल किया जाएगा

उम्मत ए रसूल ﷺ के लिए खुशखबरी है कि अबू बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
को इजाजत मिल जाएगी कि आप बगैर हिसाब के जन्नत में जाएं
मगर अबु बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
कहेंगे कि मैं उस वक्त तक नहीं जाऊंगा जब तक मेरे चाहने वाले मेरे साथ ना जाए तो अल्लाह कहेगा कि

जब मैंने जन्नत पैदा की थी उसी वक्त कह दिया था कि अबु बकर
رضی اللہ تعالٰی عنہ
के साथ उनके चाहने वालों के लिए भी जन्नत में जगह मख्सूस कर दी गई है 

अबु बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
वो हस्ती हैं
जिनकी वफा की दास्तान
बदर भी बयान करता है 
उहद भी बयान करता है
खन्दक भी बयान करता है
तबूक भी बयान करता है

अबु बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
ने सब कुछ राहे खुदा में लुटा दिया इसलिए अल्लाह के महबूबﷺ ने इरशाद फरमाया के दुनिया के तमाम इंसान के एहसानों का बदला मैंने दे दिया लेकिन अबु बकरرضی اللہ تعالٰی عنہ
के एहसानों का बदला अल्लाह कयामत के दिन देगा

✍ सैय्यद अनवर जावेद