Monday, November 7, 2022

जीलानी नुस्खा और नुस्खए बगदादी*بِ

*जीलानी नुस्खा और नुस्खए बगदादी*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*♦️नुस्खए बगदादी* 
(इन्शा'अल्लाह साल भर तक आफ़तों से हिफ़ाज़त ) 
रबीउल गौस की ग्यारहवीं शब (या'नी बड़ी रात) आज रात सरकारे गौसे आ'जम रजियल्लाहु तआला अन्ह के ग्यारह नाम *(अव्वल आख़िर ग्यारह बार दुरूद शरीफ़)* पढ़ कर ग्यारह खजूरों पर दम कर के उसी रात खा लीजिये ,इन्शा'अल्लाह सारा साल मुसीबतों से हिफाज़त होगी। 
*ग्यारह नाम येह हैं :-* 👇🏻
*(1) या शैख़ मुहूयुद्दीन*
*(2) या सय्यिद मुहूयुद्दीन*
*(3) या मौलाना मुहूयुद्दीन*
*(4) या मख्दूम मुहूयुद्दीन*
*(5) या दरवेश मुहूयुद्दीन*
*(6) या ख्वाजा मुहूयुद्दीन*
*(7) या सुल्तान मुहूयुद्दीन*
*(8) या शाह मुहूयुद्दीन*
*(9) या गौस मुहूयुद्दीन*
*(10) या कुत्ब मुहूयुद्दीन*
*(11) या सय्यिदस्सादात अब्दल कादिर मुहूयुद्दीन।*

*♦️जीलानी नुस्खा* 
_(पेट की बीमारियों के लिये)_
 रबीउल गौस की ग्यारहवीं रात तीन खजूरे ले कर एक बार सू-रतुल फ़ातिहा ,एक मरतबा सू-रतुल इख़्लास ,फिर ग्यारह बार *"یَاشَیْخ عَبدَالْقَادِر جِیلانی شَیئََالِلّٰهِ اَلْمَدَد"*
*(या शेख अब्दुल कादिर जिलानी शैअन लिल्लाही अल'मदत)* (अव्वल आखिर एक बार दुरूद शरीफ़) पढ़ कर एक खजूर पर दम कीजिये ,इस के बाद इसी तरह दूसरी और तीसरी खजूर पर भी पढ़ पढ़ कर दम कर दीजिये ,येह खजूरें रातों रात खाना ज़रूरी नहीं जो चाहे जब चाहे जिस दिन चाहे खा सकता है।  
*इन्शा'अल्लाह* पेट की हर तरह की बीमारी (म-सलन पेट का दर्द ,क़ब्ज़ ,गेस ,पेचिश ,कै ,पेट के अल्सर वगैरा) के लिये मुफीद है। 
*_🌹आप जैसा पीर होते क्या गरज़ दर दर फिरूं_*
*_🌹आप से सब कुछमिला या गौसे आज़म दस्त गीर_*
📍06-11-2202 बरोज़ इतवार की शाम से यानी बाद नमाज़े मगरिब 11वी शब लग जाएगी जिसमे आपको यह अमल करना।

*👉🏻नोट:-* वजाइफ़ करने मे फायदा मयस्सर न होने पर न उम्मीद न हो बल्की अपने गुनाहो का तसव्वुर कीजिए। नमाज़ अव्वल शर्त होती है पांच वक़्त बे नमाज़ी लाखों वजीफे करले जब तक नमाज़ का पाबंद न होगा कोई फायदा हासिल न होगा बाकी अल्लाह तआला की रहमत है किसको क्या अता कर दे।
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─

Friday, September 30, 2022

शबे जुमुआ का दुरुद शरीफ

*शबे जुमुआ का दुरुद शरीफ*
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
     बुज़ुर्गो ने फ़रमाया की जो शख्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमेरात की दरमियानी रात, जो आज है) इस दुरुद शरीफ को पाबंदी से कम अज़ कम एक मर्तबा पढेगा तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना ﷺ की ज़ियारत करेगा और कब्र में दाखिल होते वक़्त भी, यहाँ तक की वो देखेगा की सरकारे मदीना ﷺ उसे कब्र में अपने रहमत भरे हाथो से उतार रहे है.
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اللّٰھُمَّ صَلِّ وَسَلّـِمْ وبَارِکْ عَلٰی سَیّـِدِ نَا مُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمّـِىِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِ الْعَظِیْمِ الْجَاھِ وَعَلٰی اٰلِهٖ وَصَحْبِهٰ وَسَلّـِم
अल्लाहुम्म-सल्ली-वसल्लिम-व-बारीक-अ'ला-सय्यिदिना-मुहम्मदीन-नबिय्यिल-उम्मिय्यिल-ह्-बिबिल-आ'लिल-क़द्रील-अ'ज़िमील-जाहि-व-अ'ला आलिही व-स्ह्-बिहि व-सल्लिम

【सारे गुनाह मुआफ़】
     हज़रते अनस رضي الله عنه से मरवी है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जो शख्स जुमुआ के दिन नमाज़े फज्र से पहले 3 बार 
اٙسْتٙغْفِرُ اللّٰهٙ الّٙذِىْ لٙآ اِلٰهٙ اِلّٙا هُوٙوٙاٙتُوْبُ اِلٙيْهِ
पढ़े उस के गुनाह बख्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर की झाग से ज़्यादा हो।
*✍🏽अलमुजमुल अवसत लीत्तिब्रनि, 5/392, हदिष:7717*

【हर रात इबादत में गुज़ारने का आसान नुस्खा】
     गराइबुल क़ुरआन पर एक रीवायत नक़्ल की गई है कि जो शख्स रात में इसे 3 मर्तबा पढ़ लेगा तो गोया उसने शबे क़द्र पा लिया।
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙلِيْمُ الْكٙرِيْمٙ، سُبٙحٰنٙ اللّٰهِ رٙبِّ السّٙمٰوٰتِ السّٙبْعِ وٙرٙبِّ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْم
*तर्जमा* : खुदाए हलीम व करीम के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं। अल्लाह पाक है जो सातों आसमानों और अर्शे अज़ीम का परवर दगार है।
*✍🏽फ़ैज़ाने सुन्नत*

नसब नामा


   *اَلصَّــلوٰةُ وَالسَّلامُ عَلَيكَ يَارَسُولَ اللّٰه ﷺ*   

    सीरते मुस्तफा ﷺ
࿐  *खानदानी हालात #01 :* *नसब नामा* नसब नामा हुज़ूरे अक्दस ﷺ का नसब शरीफ वालिदे माजिद की तरफ से येह है (1) हज़रत मुहम्मद (ﷺ)  (2) बिन अब्दुल्लाह (3) बिन अब्दुल मुत्तलिब (4) बिन हाशिम (5) बिन अब्दे मनाफ़ (6) बिन कसी (7) बिन किलाब (8) बिन मुर्रह (9) बिन का'ब (10) बिन लवी (11) बिन गालिब (12) बिन फ़हर (13) बिन मालिक (14) बिन नज़र (15) बिन किनाना (16) बिन खुज़ैमा (17) बिन मुदरिकह (18) बिन इल्यास (19) बिन मज़र (20) बिन नज़ार (21) बिन मअद (22) बिन अदनान। 
    
࿐  और वालिदए माजिदा की तरफ से हुजूर ﷺ का श-ज-रए नसब येह है (1) हज़रत मुहम्मद (ﷺ) (2) बिन आमिना (3) बिन्ते वहब (4) बिन अब्दे मनाफ़ (5) बिन ज़हरा (6) बिन किलाब (7) बिन मुर्रह।
    
࿐   हुज़ूर ﷺ के वालिदैन का नसब नामा “किलाब बिन मुर्रह" पर मिल जाता है और आगे चल कर दोनों सिल्सिले एक हो जाते हैं। “अदनान" तक आप का नसब नामा सहीह सनदों के साथ ब इत्तिफ़ाक़े मुअर्रिख़ीन षाबित है इस के बाद नामों में बहुत कुछ इख़्तिलाफ़ है और हुजूर ﷺ जब भी अपना नामा बयान फ़रमाते थे तो "अदनान" ही तक ज़िक्र फ़रमाते थे। 
  
࿐  मगर इस पर तमाम मुअरिखीन का इत्तिफ़ाक़ है कि "अदनान" हज़रते इस्माईल عليه السلام की औलाद में से हैं, और हज़रते इस्माईल عليه السلام हज़रते इब्राहीम ख़लीलुल्लाह عليه السلام के फ़रज़न्दे अरजुमन्द हैं। 

*📬 क़िताब :- सीरते मुस्तफा (ﷺ) सफ़ह - 49 📚*

*📮Next ◍* आगे इन्शाअल्लाह जारी रहेगा.!


*☝🏻 हमारी दावत सच्चे दीन की तरफ*
*📝 आओ इ़ल्म -ए- दीन सीखें...✍🏻*
✜─━━━━▣▣▣▣━━━━─✜

*🪀 मिनजानीब :- Islamic taleem group's*

Tuesday, September 27, 2022

इमाम हसन अल मुज्तबा अलैहिस्सलाम व रदियल्लाहो ता'अला अन्हु*

*आशिक़ ए रसूल ईमान वाले सुन्नी मुसलमान गौर ओ फ़िक्र की ये बात है!*


*ये माह ए सफर उल मुज़फ्फर का महीना है और इसका आख़िरी अशरा है,*

 *बहुत से औलिया अल्लाह का उर्स मनाया गया इस महीने में और बेशक मनाना चाहिए, मगर दयानतदारी से बताऐं क्या इस महीने में अमीरुल मोमिनीन सिब्ते रसुल सरदार ए नोजवान ए जन्नत सुल्तान उल औलिया इमाम हसन अल मुज्तबा का ज़िक्र किया आपने?*
 
*इस महीने की 28 तारीख़ खलिफतुल मुस्लेमीन अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैय्यदना हसन ए मुज्तबा की शहादत से है,*


*आप ने सिर्फ़ कर्बला का दर्द सुना है क्या आपको मालूम है हमारे आका इमाम हसन के साथ किस तरह से ज़ुल्म किया गया है? आपको शायद ही मालूम हो क्योंकि इमाम हसन के बारे में कोई बात ही नहीं करता! इमाम हसन को कई मर्तबा ज़हर दिया गया आख़िरी बार हीरे की कनी पीस कर आपके पानी में मिलाई गई, जिससे आपके कलेजे के टुकड़े टुकड़े हो गए,*

*आपकी आख़री बसीयत थी मुझे नाना के कदमों में दफ़न किया जाए, अफ़सोस उम्मते मुस्लिमा की एक भीड़ आयी और इमाम को बहां दफ़न होने से रोक दिया उनके जनाज़े मुबारक़ पर तीर चलाये, ये पहला जनाज़ा था जिसको दोबारा कफ़न दिया गया, उम्मत इनके अहसान को भूल गयी क्योंकि इंसान भीड़ के साथ ज़्यादा और हक़ साथ हमेशा कम रहा है,*

 *सुन्नीयों याद रखो, इस सफर के महीने को सबसे पहली निस्बत इमाम हसन ए मुज्तबा से है,*

*उसके बाद दूसरे औलिया अल्लाह से और इतने जुम्मा चले गये पर किसी मिम्बर पर खिताब करने वाले मुफ्ती मौलाना को तौफीक नही हुई के इमाम हसन का ज़िक्र करें उनके फज़ाइल, उनकी करामात,उनकी सीरत,उनकी सूरत, शहादत, कुर्बानी पर बयान करें!*

*गुलामों का उर्स मनाया, बादशाहों को भूल गये!*

*जन्नतियों का उर्स मनाया,जन्नत के सरदार को भूल गये!*

*मोमिनीन का उर्स मनाया, अमीरुल मोमिनीन को भूल गये!*

*गुलाम ए रसूल ﷺ का उर्स मनाया, शहजादा ए रसूल ﷺ को भूल गये!*

*जिनकी मुहब्बत अल्लाह ने फ़र्ज़ की है, उनकी याद मनाना भूल गये!!! औलियाओं का उर्स मनाया, सरदार ए औलिया को भूल गये!*

*जिनके सदके कायनात में विलायत मिलती है, उस इमाम को भूल गये?*

 *सुन्नीयों क्या यही इश्क ए अहले बैत है? बहुत से पोस्ट आये हैं व्हाट्सअप और सोशियल मीडिया पर के इनका उर्स है, उनका उर्स हैं और करना भी चाहिये. पर एक भी पोस्ट आपने इमाम हसन ए पाक के ताल्लुक़ से किया?*

*अहलेबैत की मुहब्बत अस्ल ए ईमान हैं*

*किसी पर तनक़ीद करना मक़सद नहीं बेशक औलिया अल्लाह का उर्स मनाना चाहिए पर उन से पहले इमाम उल औलिया सैय्यदना इमाम हसन ए मुज्तबा का उर्स मनाओ, माह ए सफर की इब्तेदा इमाम हसन ए मुज्तबा के ज़िक्र से हो और इंतेहा भी उनके ज़िक्र से हो,*

*अल्लाह जल्ला जलालहु अपने हबीब के सदके तुफैल हमें हक़ीक़ी मायनों में मुहिब् ए अहलेबैत बनाये, आमीन*

*याद रहे, ये तारीख़ 28 सफर उल मुज़फ्फर यौम ए शहादत अमीरुल मोमिनीन खलिफतुल मुस्लेमीन सिब्ते रसूल सरदार ए नोजवान ए जन्नत सुल्तान उल औलिया इमाम हसन अल मुज्तबा अलैहिस्सलाम व रदियल्लाहो ता'अला अन्हु*

 *सल्लल्लाहु अलैही व आलैही व सल्लिम*

*ज़रूर नज़र करें और ज़िक्र ए इमाम हसन अलैहिस्सलाम करें,*
https://chat.whatsapp.com/KDKH1H4AdnOAd60zhb85oA

घर में गरीबी आने के असबाब.

घर में गरीबी आने के असबाब.

👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 
                                                    
(1) गुस्ल खाने में पैशाब करना,

(2) टूटी हुई कन्घी से कंगा करना,

(3) टूटा हूआ सामान इस्तेमाल करना,
 
(4) घर में कूडा़ करकट रखना,

(5) रिश्तेदारो से बदसलूकी करना,

(6) बांए पैर से पेैजामा पहनना,

(7) मगरिब और ईशा के बीच सोना,

(8) मेहमान आने पर नाराज होना,

(9) आमदनी से ज्यादा खर्च करना,

(10) दाँत से रोटी काट कर खाना,

(12) दांत से नाखून काटना,

(13) खडे़ खडे़ पेजामा पहनना,

(14) औरतो का खडे होकर बाल बांधना,

(15) फटे हुए कपड़े जिस्म पर पहनना,

(16) सुबह सूरज निकलने तक सोना,

(17) दरख्त के नीचे पैशाब करना,

(18) बैतुल खला में बाते करना,

(19) उल्टा सोना,

(20) कब्रिस्तान में हसना,

(21) पीने का पानी रात में खुला रखना,

(22) रात में सवाली को कुछ ना देना,

(23) बुरे ख्यालात करना,

(24) बगैर वजू के कुर'आन पढ़ना,

(25) इस्तंजा करते वक्त बातें करना,

(26) बगैर हाथ धोए खाना शुरू करना,

(27) अपनी औलाद को कोसना,

(28) दरवाजे पर बैठना,

(29) लहसुन प्याज के छीलके जलाना,

(30) फकीर से रोटी या फिर और कोई चीज खरीदना,

(31) फुक से चिराग बुझाना,

(32) बगैर बिस्मिल्लाह पढ़े खाना शुरू करना,

(33) झूठी कसम खाना,

(34) जूता चप्पल उल्टा देख कर सीधा नही करना,
 
(35) हालात जनाबत मे हजामत करना,
 
(36) मकड़ी का जाला घर में रखना,
 
(37) रात को झाडू लगाना,
 
(38) अन्धेरे में खाना,
 
(39) घड़े में मुंह लगाकर पीना,

(40) कुर'आन न पढ़ना। 

```हदीस में है कि जो दूसरो का भला करता है, अल्लाह उसका भला करता है।```
                       
*पढ़ कर दुसरो को भी सुनाओ*

```कुरआन ए पाक के 5 रुकू हर रोज पढ़ने से साल मे 3 कुरआन ए पाक मुकम्मल हो जाती है।```

*जब आप ये मेसेज आगे भेजने लगेंगे तो, शैतान आपको रोकेगा आपके ज़हन मे ख्याल डालेगा की अभी नही बादमे देखेंगे , पर आपने इस साजीश को नाकाम करना है।*

```इस मेसेज को आगे ईतना फैलाए जीतना आप कुरआन ए पाक से मोहब्बत करते हो👈```

Monday, August 22, 2022

*बैतूल मुकद्दस के अंदर ऐसा क्या था*?

*बैतूल मुकद्दस के अंदर ऐसा क्या था*?

*जिसकी वजह से यहूदी ,ईसाई और मुसलमान इस जगह को मुक़द्दस मानते है* 🕌

*किब्ला क्या है* ?

 *सबसे पहले ये जानिए* 💚________

*हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हजरत मूसा अलैहिस्सलाम तक नमाज (इबादत) पढ़ते वक़्त चेहरे का रुख यानि क़िब्ला क़ाबा शरीफ़ की तरफ़ रहा*। 🕋

*उसके बाद हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से लेकर प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम (17माह) तक क़िब्ला बैतूलमुकद्दस रहा*। 

*यानि बैतूल मुक़द्दस भी क़िब्ला था*। 

*ये इबादतगाह (पुराना क़िब्ला) दरअसल एक मुक़द्दस चट्टान है*। ❤️

*हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम चाहते थे यहाँ एक आलीशान इबादतगाह बने* ।

 *उनके ख्वाब को साकार करने के लिए उनके बेटे सैयदना सुलैमान अलैहिस्सलाम ने उस चट्टान के ऊपर एक इबादतगाह (हैकल) बनवाई*। 

*जिसे हैकल-ऐ-सुलेमानी कहते है*। 🕌

*यही बैतूल मुकद्दस है जिसका अर्थ है- पवित्र घर* ।

*बैतूल मुक़द्दस (यरूशलम) और बैतुल्लाह (मक्का) दोनों अल्लाह के घर हैं*।
*दोनों के मायने क्रमशःपवित्र घर और अल्लाह का घर हैं*।

*सोचिए कितनी अज़ीम निशानी है* 

*बैतूल मुक़द्दस*।

*जब हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम बैतूल मुक़द्दस तामीर करवा रहे थे* 

*उसी दरमियाँ उन की वफात हो गई*।

*तामीर के बाद यहूदियों ने 'ताबुते सकीना' उसमें रख दिया*।
 *सारे यहूदी बैतूल मुक़द्दस में रखे ताबुते सकीना की ज़ानिब मुँह करके नमाज/इबादत करने लगे*। 🕌

*इस तरह ये यहूदियों की मुक़द्दस जगह बन गया*।

*अब जानिए क्या है* ?
 *ताबूत-ऐ-सकीना* 🤔_________________
*ताबूत यानि संदूक और सकीना मतलब जिससे सुकून मिले*। 
*इस मुबारक संदूक से यहूदियों को बहुत-से फैज़ हासिल होते थे। जैसे जेहाद पर जाते वक्त दुश्मनों की तादाद देखकर जब यहूदी ख़ौफ़ज़दा होने लगते और डर के मारे सबके पसीने छूटने लगते* । *यहाँ तक कि उनकी हालत दुम दबाकर भागने की हो जाती*। 
*तब वो नारे लगाकर इस संदूक को सबसे आगे रख देते*। 🕌

*अल्लाह अज्जओजल इस संदूक की बरक़त से यहूदियों की मदद करने के लिए आसमान से फरिश्तों की फ़ौज भेज देते*।
 *आसमान में ' ईजा ज-आ नसुरुल्लाही - वल फ़तहूँ क़रीब ' की सदाएं गूंजने लगती*।
 *चारों ज़ानिब रूहानी माहौल हो जाता*। 

*आयात का विर्द सुनकर और इस ताबूत की बरक़त से डरपोक यहूदियों के दिल मजबूत हो जाते उनके ज़िस्म में रूहानी ताक़त आ जाती*।

 *जिससे उन्हें सुकून हासिल होता इसलिए इस संदूक यानि ताबूत को 'ताबुते सकीना' कहा जाने लगा* ।

*ताबूत-ऐ-सकीना में क्या रखा था*?_________________
*ये शमशाद की लकड़ी का बना हुआ एक संदूक था* 

*जिसकी लम्बाई चौड़ाई तकरीबन 40 बाय 40 फीट थी* | 

*ये मुक़द्दस संदूक हजरत आदम अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुआ था*। 
*इसमें आने वाले तमाम अम्बियाओं (नबियों) के हुलिए मुबारक (तस्वीर) थे*

*जैसे प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम का हुलिया मुबारक़ भी इसमें महफूज़ था* | 
*हजरत आदम अलैहिस्सलाम का आसा (लाठी) जिसे वो जन्नत से लाये*
*वो भी इसी में रखा हुआ था* |
 *ये आख़िर तक आपके पास ही रहा* |

*बतौर मिराज ये एक के बाद एक आपकी औलादों को मिलता रहा | हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से होता हुआ उनके बेटे मदयन फिर उनके वंशज हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम तक पहुंचा*।

 *हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम ने ये आसा बकरियाँ चराते वक़्त हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के हवाले कर दिया*

 *जो उनके दामाद थे*। 

*बाद में ये ताबूत भी हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को मिला*।

 *मूसा अलैहिस्सलाम के बाद उनका आसा (लाठी) भी संदूक में रख दिया गया*।

*दूसरी तरफ ये ताबुते सकीना हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दूसरी औलाद हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम से उनके बेटे हजरत याकूब अलैहिस्सलाम को मिला* | 🕋

*हजरत याकूब अलैहिस्सलाम के पास हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का जन्नती कुर्ता और अपने वालिद हजरत इश्हाक़ अलैहिस्सलाम का कमरबंद (बेल्ट) भी था | इस तरह ये सभी निशानियां इसमें जमा होती रही*।

*हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम हजरत मदयन के बेटे थे* 

*जो हजरत इब्राहीमअलैहिस्सलाम की औलाद थे* । 

*उनके बाद ये ताबूत हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के दामाद हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को मिल गया* |

*मूसा अलैहिस्सलाम इसमें तौरात शरीफ के नुस्खे और अपना खास-ख़ास सामान रखने लगे* | 

*चूंकि ताबूत बहुत बड़ा और शमशाद की लकड़ी का बना हुआ था अल्लाह अज्जओजल की क़ुदरत से हज़ारों बरस सही सलामत रहा*।

 *ना सड़ा-ना गला*।

*इसमें आपकी लानेल मुबारक और बड़े भाई हजरत हारून अलैहिस्सलाम और हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम का अमामा शरीफ भी रखा था* | 

*आसमान से उतरने वाला खाना मन-ओ-सलवा भी बतौर तबर्रूक एक बर्तन में महफूज़ था* | 

*सुब्हान अल्लाह* !!!

*ये बड़ा ही मुक़द्दस और बा-बरकत वाला संदूक था* |

*इस ताबूत का जिक्र कुरआन शरीफ में पारा नंबर 2 (सय्कुल) आयात नंबर 248 , रुकू नं0 16 पर है* |

*बनी इस्राइल में जब भी कोई मसला पैदा होता तो लोग इस संदूक से फैसला करते* |

 *करामत ये थी कि संदुक से फैसले की आवाज़ और फ्यूचर में होने वाली फतह की बशारत भी बनी इस्राईल को सुनाई देती* | 

*ताबूत-ऐ-सकीना से कैसे फैज़ हासिल करते थे*?
____________________________🤔

*बनी इस्राइल इस संदूक को अपने आगे रखकर इसमें रखी पाकीज़ा चीजों को वसीला बनाकर दुआ मांगते उनकी दुआएं मकबूल हो जाती और आने वाली बलाएँ, बीमारियां और मुसीबतें टल जाया करती* | 

*यानी नबी इस्राइल के लिए ताबुते-सकीना बरकत , रहमत का खजाना और अल्लाह की मेहरबानियों का मुक़द्दस ज़रिया था* | ❤️❤️❤️

*ताबुते सकीना हज़रत मूसा तक कैसे पहुंचा*?

*ये तो आपने पढ़ लिया* । 

*हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के बाद ताबूत का क्या हुआ*?

*मूसा अलैहिस्सलाम के बाद बनी इस्राइल 72 फिरकों में बंट गई* ।

 *कौम तरह–तरह के गुनाहों में मुब्तिला हो गई तब अल्लाह अज्जओजल का बनीइस्राइल पर अजाब नाजिल हुआ कि उन लोगों पर बनी अमालका नामक एक काफिर कौम ने हमला कर दिया* |😢

*इन काफिरों ने बनी इस्राइलों का कत्ले-आम करके यरूशलम को तहस-नहस कर डाला |उनके घर तक जमींदोज कर दिए और उनसे ताबुते सकीना छीन लिया* |

*उस वक़्त तक ताबूत को बनी इस्राइल एक गाड़ी पर रखकर लिए-लिए फिरते थे*।

 *काफिर कौमे अमालका ने ताबुते सकीना की अहमियत को नहीं समझा इस मुक़द्दस ताबूत को लूटकर ले गए* 
*उन लोगों ने अपने देश ले जाकर एक कूड़ेखाने में ताबूत को फेंक दिया* | 😢

*ताबुते सकीना की बे-अदबी करने पर अल्लाह अज्जओजल ने कौमे अमालका के देश में तरह-तरह की बीमारियाँ भेज दी* | 

*वहां के लोग बवासीर से पीड़ित हो गए और जहां-देखों वहां चूहें ही चूहें नज़र आने लगे* | 

*जिससे वहां प्लेग (ताऊन) फ़ैल गया* | 👍
*करीब पांच बस्तियां इस बिमारी से साफ़ हो गई* |

*अज़ाबों का सिलसिला देखकर कौमे अमालका के बादशाह को यकीं हो गया कि ये बला उस संदुक की बेअदबी की वजह से आयी है* | 

*चुनांचे उन लोगों ने इस मुक़द्दस संदुक को एक बैलगाड़ी पे लादकर बनी इस्राइल की बस्ती (यरूशलम) की तरफ हांक दिया* | 👍

*अल्लाह अज्जओजल ने फौरन चार फरिश्तों को मुकर्रर फरमा दिया जो इस मुक़द्दस SANDUK को बनी इसराइल के नबी हजरत शमूईल अलैहिस्सलाम की खिदमत में ले आए* | ❤️❤️

*ये वाकिया कुरआन मजीद में तफ़सील से लिखा है*।

*इस तरह फिर बनी इसराईल को उनकी खोई हुई शान और नियामत दौबारा मिल गई* |

 *ये संदुक हजरत शमुइल अलैहिस्सलाम के पास ठीक उस वक्त पहुंचा जब आप हजरत तालुत को बनी इसराइल का सरदार ( बादशाह ) बनाने के लिए बनी इस्राइल को समझा रहे थे*। 

*लेकिन बनी इज़राइल हजरत तालुत को बादशाह मानने पर तैयार नही थे*।

*आख़िर उनमें यही शर्त ठहरी थी कि ताबुते सकीना अगर उन्हें मिल जाए तब हम तालुत की बादशाहत तस्लीम कर लेंगे* | 

*चुनांचे संदूक आ गया और बनी इसराईल हजरत तालुत को बादशाह मानने पर राजी हो गई* | 👑

*तालुत के बादशाह बनने के बनी इस्राईल का सामना जालुत नाम के एक जालिम बादशाह से हुआ* 

*जिसने बैतूल मुक़द्दस शहर पर कब्ज़ा कर रखा था*।
*बैतूल मुक़द्दस को फतेह करने के लिए जालूत को मारना जरूरी था*। ❤️❤️❤️

 *17 बरस के एक नौजवान ने बनी इस्राइल को निजात दिलाई*
 *यानि उन्होंने जालूत को मौत के घाट उतार दिया*।

*तालुत ने वादे के मुताबिक़ अपनी बेटी की शादी उस लड़के से कर दी और आधी बादशाहत भी उसे दे दी* |
*इस तरह ताबुते सकीना भी उस लड़के को मिला*।

*क्या आप जानते है*

 *वो नेक लड़का कौन था*?

*जी हाँ ! वो थे बैतूल मुक़द्दस की तामीर का ख़्वाब देखने वाले हजरत दाउद अलैहिस्सलाम* | 🍁

*हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने यरूशलम पर 30 बरस हुकूमत की आपकी दिली ख्वाहिश थी कि ताबुते सकीना को महफूज़ रखने के लिए एक मुक़द्दस इमारत बनाए* | 

*आपने उस इमारत को बनाने के लिए जगह भी पसंद फरमाई* |

*अल्लाह के हुकुम से उसी जगह (चट्टान) पर आपके बेटे हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने जिन्नातों की मदद से एक मस्जिद तामीर करवाई जिसका काम लगातार सात साल तक चला* | 

*हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम की हुकूमत इंसानों के अलावा जिन्नों , पशु-पक्षियों और हवाओं पर भी थी*
 *और उनकी सारी ताकत एक जादुई अंगूठी में थी* | 
*जिसे आप हमेशा पहना करते और आपके गले में एक तावीज़ था जिस पर आने वाले नबी हजरत मोहम्मद सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम का नाम 'एहमद 'सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम गुदा हुआ था* |👍

*आपकी ये जादुई अंगूठी भी इस ताबूत में रख दी गई* |

 *इसी मस्जिद में एक ख़ास और मुक़द्दस जगह पर ताबुते सकीना को रखा गया*
 *जिसकी तरफ मुंह करके यहूदी इबादत करने लगे* |

*ये मस्जिद बाद में हैकल सुलैमानी से मक़बूल हुई* | 

*इसके आसपास बहुत से पैगम्बर अलैहिस्सलाम की मज़ार और पैदाईशी मुकाम भी हैं* |

*हजरत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम तक तमाम नबियों ने यहां रसूले पाक सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम की इमामत में नमाज भी अदा की है*।

*ये ताबूत जिस मुकदस चट्टान पर रखा था वहां आज गुम्बदे सखरा यानी DOME OF THE ROCK है* | 
*जिसकी तरफ मुंह करके शुरूआती 17 महीने प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम ने नमाज पढाई और यही से मेराज की* | 
*ये हमारा क़िबला –ऐ –अव्वल है* | 
*इसी मुक़द्दस चट्टान के नीचे बतौर निशानी मस्जिद आज भी बनी हुई है* |

 *इसी चट्टान पर हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम भी इबादत किया करते थे* । 

*यहाँ प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम ने भी नमाज़ पढ़ी । यही पर मरियम बिंते इमरान ने इबादत की जहाँ उनके लिए खाना आसमान से आता था*। 

*इसका जिक्र भी क़ुरआन में है*। 

*लिहाज़ा ये जगह ईसाइयों के लिए भी खास हो गई*।

*हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम के बाद उनके बेटों में यरूशलम बंट गया और नबी इस्राइल में ना-इत्तेफाकी बढ़ने लगी* |

*बनी इस्राइल एक अल्लाह अज्जओजल की इबादत छौड़कर हैकले सुलेमानी में पूजापाठ करने लग गए* | 😢

*नतीज़न दोबारा बनी इस्राईल पर अल्लाह का कहर बरपा*। 

*ईसा से 600 बरस पहले बाबुल के बादशाह बखते-नसर ने यरुशलम और हैकले सुलैमानी को जमीन में मिला दिया* |

*कुछ बरस बाद हजरत उजैर अलैहिस्सलाम के बाद वापस इसकी तामीर हजरत ज़ुलकरनैन अलैहिस्सलाम ने करवाई फिर टाईटस (रोमनों) ने इसे तीसरी बार जमींदोज़ कर दिया*

 *और हैकले सुलैमानी के खजाने और ताबुते सकीना को लुट लिया | इसके बाद से ताबुते सकीना का आज तक पता नही चला* ।

*अब कहाँ है? ताबुते सकीना*।

*फिल्हाल ताबुते सकीना ग़ायब है*

 *या लोगों की नज़रों से ओझल है*।
 

*जब कयामत करीब होगी तब ताबुते सकीना को हजरत इमाम मेहंदी अलैहिस्सलाम ढूंढ लेंगे और इसमें रखे हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के आसा (लाठी) और*

 *हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी से काफ़िर और मोमिन की पहचान करके हर मोमिन और काफिर की पेशानी पर निशान लगायेंगे* | 

*मोमिन की पेशानी पर "हाजा मोमिन हक्का" और काफिर की पेशानी (माथे ) पर "हाज़ा काफिर" छप जाएगा* |

(इरशाद उत-तालेबीन पेज नंबर 400 कयामतनामा)

*अल्लाह अज्जओजल मुझे और आपको ज़िन्दगी में एक बार काबा शरीफ और मस्जिदे नबवी के साथ बैतूल मुक़द्दस की ज़ियारत कराएं* |
*जहाँ अल्लाह अज्जओजल ने बरकत रखी है* |

*जिसने भी इस पोस्ट को आगे फॉरवर्ड/शेअर किया समझो उसने अल्लाह के मुक़द्दस घर की मालूमात दूसरों तक पहुंचाई और सवाब का हक़दार बना*।

Tuesday, May 10, 2022

एक_गुनाह_के_10_नुक़सानात

अमीरूल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमरे फ़ारूक़े आज़म رضی اللہ تعالی عنہ ने फ़रमाया : गुनाह चाहे एक हो अपने साथ दस बुरी ख़सलतें लेकर आता है : 

(1) जब बंदा गुनाह करता है तो अल्लाह عزوجل को ग़ज़ब दिलाता है । 
(2) वह (यानी गुनाह करने वाला) इब्लीस मलऊन को ख़ुश करता है । 
(3) जन्नत से दूर हो जाता है । 
(4) जहन्नम के क़रीब आ जाता है । 
(5) अपनी सबसे प्यारी चीज़ यानी अपनी जान को तकलीफ़ देता है ।
(6) अपने बातिन को नापाक कर बैठता है । 
(7) आमाल लिखने वाले फ़िरिश्ते यानी किरामन कातेबीन को ईज़ा देता है । 
(8) नबी करीम صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ को क़ब्रे अनवर में रंजीदा कर देता है । 
(9) ज़मीन व आसमान और तमाम मख़्लूक़ को अपनी नाफ़रमानी पर गवाह बना लेता है । 
(10) तमाम इंसानों से ख़यानत और रब्बुल आलमीन عزوجل की नाफ़रमानी करता है । 
(बह़रुदुमूअ , सफा : 30) 

● आह तुग़य्यानियां गुनाहों की ●
● पार नय्या मेरी लगा या रब ● 
(📗वसाइले बख़्शिश , सफा : 87)
(📙📗हिर्स , सफा : 44📗📙) 

હઝરત ખાલીદ બીન વલીદ (રદી.)

હઝરત ખાલીદ બીન વલીદ (રદી.) કે ઈન્તિકાલ કી ખબર જબ મદીના મુનવ્વરહ પહોંચી, તો હર ઘરમે કોહરામ મચ ગયા.
      જબ હઝરત ખાલીદ બીન વલીદ રદી. કો કબર મેં ઉતારા જા રહા થા તો લોગોં ને યે દેખા કે આપ કા ઘોડા (અશ્કર) જીસ પર બેઠ કર આપ ને જંગે લડી, વો ભી આંસુ બહા રહા થા.  
      હઝરત ખાલીદ બીન વલીદ રદી કી મીરાષ મે સીર્ફ હથીયાર, તલવારેં, ખંજર ઔર નેઝે થે‌. ઈન કે અલાવા એક ગુલામ થા, જો હંમેશા આપ કે સાથ રહેતા થા.
    અલ્લાહ તાઆલા કી યે તલવાર જીસને દો અઝીમ સલ્તનતોં ( રૂમ ઔર ઈરાન ) કે ચિરાગ બુઝાએ, વફાત કે વક્ત ઉનકે પાસ કુછ ભી ન થા
      આપ ને જો કુછ ભી કમાયા, વો અલ્લાહ કી રાહ મેં ખર્ચ કર દિયા.
       સારી ઝીન્દગી મૈદાનેજંગ મેં ગુઝાર દી. 
      સહાબા ને ગવાહી દી કે ઉન્કી મૌજુદગી મેં હમને  શામ  ઔર ઈરાક  મેં કોઈ ભી જુમ્આ ઐસા નહીં  પઢા જીસ સે પહેલે હમ એક શહર ફતેહ ન કર ચુકે હોં. યાની હર દો જુમ્ઓં કે દરમિયાન મેં એક શહર જરૂર ફતેહ હોતા થા.
        બડે બડે જલીલુલ્કદર સહાબા ને હુઝૂર ( સલ્લલ્લાહુ અલયહી વ સલ્લમ ) સે હઝરત ખાલીદ બીન વલીદ રદી કે રૂહાની તઆલ્લુક કી ગવાહી દી.
*ખાલીદ બીન વલીદ કા પૈગામ ઉમ્મત કે નામ :*
     
"મૌત લિખ્ખી ન હો તો મૌત ખુદ ઝીંદગી કી હિફાઝત કરતી હૈ,
જબ મૌત મુકદ્દર હો તો ઝીંદગી મૌત સે લિપટ જાતી હૈ,
ઝીંદગી સે જ્યાદા કોઈ નહીં જી સકતા, ઔર મૌત સે પહેલે કોઈ મર નહીં સકતા.
દુનિયા કે બુઝદીલ કો મેરા યે પૈગામ પહુંચા દો કે અગર મૈદાને જીહાદ મે મૌત લિખ્ખી હોતી તો ઈસ ખાલીદ બીન વલીદ કો મૌત બિસ્તર પર ન આતી."
      ઈસ પૈગામ કો ઈસ દૌર મેં હર મુસલ્માન કો ઝરૂર પઢના ચાહિએ. ઔર બાર બાર પઢના ચાહિએ.
તાકે માયુસી ઔર બુઝદિલી ખત્મ હો.

Sunday, May 8, 2022

मस्जिदे_नबवी

मस्जिदे_नबवी

मस्जिदे नबवी 82000 sqare मीटर में बनी दुनिया की सबसे अज़ीम मस्जिदों में से एक है, जिसकी लागत 6 लाख 50000 करोड़ ₹ की है, जिसमें 2014 पिलर हैं।

मस्जिद में एक साथ 8 लाख 98000 लोग नमाज़ पढ़ सकते हैं। इस मस्जिद में हर वक़्त दुनिया से आए तक़रीबन 3 लाख लोग मौजूद रहते हैं । 

यहां पानी पीने के लिए रोज़ तकरीबन 20 लाख Disposable Glasses का इस्तेमाल होता है।

मस्जिद की सफाई के लिए 1800 कर्मचारी तैनात है जो 3 शिफ्ट में 24 घंटे सफाई करते हैं।

मस्जिद में तक़रीबन 50000 CCTV कैमरे लगे हुए हैं।जिसकी निगरानी 1 लाख लोग करते हैं।

टॉयलेट की बात की जाए तो तीन मंज़िल नीचे तक तकरीबन 1 लाख लोग एक वक्त में गुसलखाने और टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो दिन में तीन बार साफ होता है।

पार्किंग में एक वक्त में 2 लाख 
गाड़ियां खड़ी की जा सकती हैं, जो कि तीन मंज़िल ज़मीन के अंदर तक है।

यहां दुनिया का सबसे बड़ा छाता लगा हुआ है, जो धूप में खुलता और शाम को बंद हो जाता है।

AC की बात की जाए तो मस्जिद में अनगिनत AC लगे हुए हैं,जो मस्जिद के हर कोने को ठंडा रखते हैं।

माशा अल्लाह"
__________________________________❤️👍❤️

Monday, May 2, 2022

ईद उल फितर की नमाज का तरीका

*ईद उल फितर की नमाज का तरीका*

पहले नियत करें इस तरह,

❤️ नियत कि मैं 2 रकात नमाज ईद उल फितर कि, 
जाईद 6 तकबीरों के साथ,
मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ,
वास्ते अल्लाह ताला के,
पीछे इस इमाम के 🌹

इमाम तकबीर कहकर हाथ बांधकर सना पढ़ेगा हमे भी तकबीर कहकर हाथ बांधलेना है,
🔴 उसके बाद 3 ज़ायद तकबीर होंगी,❤️

1️⃣ पहली तकबीर कहकर हाथ कानो तक उठाकर छोड़ देना हे,

2️⃣ इसी तरह दूसरी तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर छोड़ देना है,

3️⃣ अब तीसरी तकबीर कहकर हाथ कानो तक उठाकर बांध लेना है

उसके बाद इमाम किरत करेगा यानी सूरह फातिहा और कोई सूरत पढ़ेगा और रुकू सजदा करके पहली रकात मुकम्मल हो गई

⚫ दूसरी रकात के लिए उठते ही इमाम किरत करेगा यानी सूरह फातिहा और कोई सूरत पड़ेगा उसके बाद रुकू में जाने से पहले 3 ज़ायद तकबीर होंगी

1️⃣ पहली तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठा कर छोड़ देना है,

2️⃣ दूसरी तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर छोड़ देना है

3️⃣ तीसरी तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठा कर छोड़ देना है,

यहां तक ज़ायेद तकबीर मुकम्मल हो गई,
🌹 अब उसके बाद बगैर हाथ उठाये तकबीर कहकर रुकू मैं जाएंगे,

🌹 और बस आगे की नमाज दूसरी नमाजो की तरह पढ़कर सलाम फेरना होगा,

❤️नमाज ईद उल फितर से पहले खूब शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को नमाज ईद का दुरुस्त तरीका मालूम हो सके अल्लाह पाक अमल की तौफीक अता फरमाए,

💐💐💐💐💐💐

Friday, April 29, 2022

અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

કલ્બે આશીક હે અબ પારા પારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં
કુલફતે હીજરો ફુરકત ને મારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

તેરે આને સે દીલ ખુશ હુવા થા
ઓર ઝોકે ઈબાદત બઢ્હા થા
આહ અબ દીલ પે હે ગમ કા ગલબા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

મસ્જીદો મે બહાર આગઈ થી
ઝોક દર ઝોક આતે નમાઝી
હો ગયા કમ નમાઝોં કા જઝબા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

બઝમે ઈફતાર સઝતી થી કેસી
ખુબ સેહરી કી રોનક ભી હોતી
હો ગયા સબ સમા સુના સુના
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

તેરે દીવાને સબ રો રહે હેં
મુઝતરીબ સબ કે સબ હો રહે હેં
હાય અબ વક્તે રૂખ્સત હે આયા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

નેકીયાં કુછ ન હમ કર સકે હેં
આહ ઈસ્યા મે હી દીન કટે હેં
હાય ગફલત મે તુજકો ગુઝારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

વાસતા તુજકો મીઠે નબી કા
હશ્ર મે હમકો મત ભુલ જાના
રોઝે મેહશર હમે બખ્શવાના
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

જબ ગુઝર જાએંગે માહ ગ્યારા
તેરી આમદ કા ફીર શોર હોગા
કયા ભરોસા મેરી ઝીન્દગી કા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

કુછ ન હુસ્ને અમલ કર સકા હું
નઝર ચંદ અશ્ક મે કર રહા હું
બસ યહી હે મેરા કુલ અસાસા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

તુમ પે લાખોં સલામ માહે રમઝાં
તુમ પે લાખોં સલામ માહે ગુફરાં
જાઓ હાફીઝ ખુદા અબ તુમહારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

માહે રમઝાં કી રંગી ફઝાઓં
અબ્રે રહમત સે મમલુ હવાઓં
લો સલામ આખરી અબ હમારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

સાલે આઈંદા શાહે હરમ તુમ
કરના બદકાર પર યે કરમ તુમ
તુમ મદીને મે રમઝાં દીખાના
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

Sunday, April 3, 2022

रोज़े रखने के जिस्मानी फायदे

#रोज़े_के_दौरान_हमारे_जिस्म_का_रद्दे_अमल_क्या_होता_है_?
 इस बारे में कुछ दिलचस्प मालूमात:_*

#पहले_दो_रोज़े:

पहले ही दिन ब्लड शुगर लेवल गिरता है यानी ख़ून से चीनी के ख़तरनाक असरात का दर्जा कम हो जाता है।
दिल की धड़कन सुस्त हो जाती है और ख़ून का दबाव कम हो जाता है। नसें जमाशुदा ग्लाइकोजन को आज़ाद कर देती हैं। जिसकी वजह से जिस्मानी कमज़ोरी का एहसास उजागर होने लगता है। ज़हरीले माद्दों की सफाई के पहले मरहले के नतीज़े में- सरदर्द सर का चकराना, मुंह का बदबूदार होना और ज़बान पर मवाद का जामा होता है।

#तीसरे_से_सातवे_रोज़े_तक:

जिस्म की चर्बी टूट फूट का शिकार होती है और पहले मरहले में ग्लूकोज में बदल जाती है। कुछ लोगों में चमड़ी मुलायम और चिकना हो जाती है। जिस्म भूख का आदी होना शुरु हो जाता है। और इस तरह साल भर मसरूफ रहने वाला हाज़मा सिस्टम छुट्टी मनाता है। खून के सफ़ेद जरसूमे(white blood cells) और इम्युनिटी में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है। हो सकता है रोज़ेदार के फेफड़ों में मामूली तकलीफ़ हो इसलिए के ज़हरीले माद्दों की सफाई का काम शुरू हो चुका है। आंतों और कोलोन की मरम्मत का काम शुरू हो जाता है। आंतों की दीवारों पर जमा मवाद ढीला होना शुरू हो जाता है।

#आठवें_से_पंद्रहवें_रोज़े_तक:

आप पहले से चुस्त महसूस करते हैं। दिमाग़ी तौर पर भी चुस्त और हल्का महसूस करते हैं। हो सकता है कोई पुरानी चोट या ज़ख्म महसूस होना शुरू हो जाए। इसलिए कि आपका जिस्म  अपने बचाव के लिए पहले से ज़्यादा एक्टिव और मज़बूत हो चुका होता है। जिस्म अपने मुर्दा सेल्स को खाना शुरू कर देता है। जिनको आमतौर से केमोथेरेपी से मारने की कोशिश की जाती है। इसी वजह से सेल्स में पुरानी बीमारियों और दर्द का एहसास बढ़ जाता है। नाड़ियों और टांगों में तनाव इसी अमल का क़ुदरती नतीजा होता है। जो इम्युनिटी के जारी अमल की निशानी है। रोज़ाना नामक के ग़रारे नसों की अकड़न का बेहतरीन इलाज है।

#सोलहवें_से_तीसवें_रोज़े_तक:*

जिस्म पूरी तरह भूक और प्यास को बर्दाश्त का आदी हो चुका होता है। आप अपने आप को चुस्त, चाक व चौबंद महसूस जरते हैं।

इन दिनों आप की ज़बान बिल्कुल साफ़ और सुर्ख़ हो जाती है। सांस में भी ताज़गी आजाती है। जिस्म के सारे ज़हरीले माद्दों का ख़ात्मा हो चुका होता है। हाज़मे के सिस्टम की मरम्मत हो चुकी होती है। जिस्म से फालतू चर्बी और ख़राब माद्दे निकल चुके होते हैं। बदन अपनी पूरी ताक़त के साथ अपने फ़राइज़ अदा करना शुरू कर देता है। 

#बीसरोज़ों_के_बाद दिमाग़ और याददाश्त तेज़ हो जाते हैं। तवज्जो और सोच को मरकूज़ करने की सलाहियत बढ़ जाती है। बेशक बदन और रूह तीसरे अशरे की बरकात को भरपूर अंदाज़ से अदा करने के काबिल हो जाते हैं।

ये तो दुनिया का फ़ायदा रहा जिसे बेशक हमारे ख़ालिक़ ने हमारी ही भलाई के लिए हम पर फ़र्ज़ किया। मगर देखिए उसका अंदाज़े कारीमाना कि उसके एहकाम मानने से दुनिया के साथ साथ हमारी आख़िरत भी सवांरने का बेहतरीन बंदोबस्त कर दिया।

तेरी कुदरतो का शुमार क्या !
तेरी वुसअतो का हिसाब क्या! 
तू मुहीते आलमें रंग ओ बू !
तेरी शान जल्ला जला लुहू !!

*सुब्हानल्लाहि व बिहमदिहि सुब्हानल्लाहिल अज़ीम*

Saturday, January 22, 2022

Haj 2022 Information

🕋  *હજ-2022ની વિશેષ માહિતી* 🕋  (ગવર્મેન્ટ માન્ય)
💫-અંદાજીત ખર્ચ રૂ.3,35,000/-થી 4,07,000 વ્યક્તિ દીઠ થઈ શકે.
💫-અગાઉ હજ કરેલ હોય એ વ્યક્તિ અરજી કરી શકશે નહીં.
💫- હજ કમિટી-2022 માટે ફોર્મ ભરવાના ચાલું થયા છે. તા.31-1-2022 સુધી ભરી શકાશે.
💫-ઓનલાઈન ફોર્મ ભરવા. www.hajcommittee.gov.in પર ભરવું.
💫-અરજી માટે 1 ગૃપ (કવર) વધુ માં વધુ પાંચ વ્યકિતનુ કરી શકાશે.
💫-વ્યકિત દીઠ રૂપિયા-300 પ્રોસેસિંગ ફી નોન રીફન્ડેબલ રકમ પુરા કવરની ટોટલ રકમ ઓનલાઈન ભરવાની રહેશે.
💫-65 વર્ષથી ઉપરની વ્યક્તિ તા.10-7-1957. પહેલાની જન્મતારીખ ધરાવતા અરજી નહીં કરી શકે.
💫-હજ ફલાઇટની તારીખ થી 30 દિવસ પહેલા કોવિશીલ્ડ રસીના બે ડોઝ લેવા ફરજીયાત છે.
💫-પાસપોર્ટ વેલિડિટી તા.31-12-2022 પહેલા પુરી ન થતી હોવી જોઈએ.
💫- અરજી સાથે તાજેતરનો 1 ફોટોગ્રાફ વાઈટ બ્રેકગાઉન્ડવાળો કલર ફોટો(3.5×3.5)નો મોકલવાનો રહેશે.
💫-પાસપોર્ટ ઓરીજનલ મોકલવાનો થશે ત્યારે પાસપોર્ટ સાથે એક ફોટોગ્રાફ મોકલવો જે અરજી સાથે હોય.
💫-પાસપોર્ટની ઝેરોક્ષ અરજી સાથે આપવી.
💫-હાલનો એડ્રેસ પાસપોર્ટ મુજબ ના હોય તો એડ્રેસપ્રુફની ઝેરોક્ષ સાથે આપવી.
💫-મુખ્ય અરજદારનાં બેન્ક ખાતાની વિગતો માટે કેન્સલ ચેક અથવા સ્પષ્ટ વાંચી શકાય એવી પાસબુકના પહેલાં પાનાની ઝેરોક્ષ જેમાં ખાતા નંબરની વિગત હોય.
💫-હજ-2022 ફક્ત અઝીઝીયા કેટેગરી રહેશે.
💫- બ્લડ ગૃપની વિગત અરજી ફોર્મમાં આપવાની રહેશે.
💫-હાલ ફક્ત અરજી કરવાની છે.કોવિડના અનીવાર્ય સંજોગો ઉભા થવાની શક્યતા હશે તો આંતરરાષ્ટ્રીય હજ કેન્સલ થઈ શકે છે.
💫- હજ માટે હેલ્પલાઇન નંબર-022-22107070 સોમવાર થી શનિવાર સવારના 8:00 થી સાંજના 8:00 સંપર્ક.
મુસ્લિમ મિત્રો ને ફોરવર્ડ કરશો.
દુઆની દરખાસ્ત સાથે આપની દુઆનો તલબગાર.....