Friday, April 29, 2022

અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

કલ્બે આશીક હે અબ પારા પારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં
કુલફતે હીજરો ફુરકત ને મારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

તેરે આને સે દીલ ખુશ હુવા થા
ઓર ઝોકે ઈબાદત બઢ્હા થા
આહ અબ દીલ પે હે ગમ કા ગલબા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

મસ્જીદો મે બહાર આગઈ થી
ઝોક દર ઝોક આતે નમાઝી
હો ગયા કમ નમાઝોં કા જઝબા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

બઝમે ઈફતાર સઝતી થી કેસી
ખુબ સેહરી કી રોનક ભી હોતી
હો ગયા સબ સમા સુના સુના
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

તેરે દીવાને સબ રો રહે હેં
મુઝતરીબ સબ કે સબ હો રહે હેં
હાય અબ વક્તે રૂખ્સત હે આયા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

નેકીયાં કુછ ન હમ કર સકે હેં
આહ ઈસ્યા મે હી દીન કટે હેં
હાય ગફલત મે તુજકો ગુઝારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

વાસતા તુજકો મીઠે નબી કા
હશ્ર મે હમકો મત ભુલ જાના
રોઝે મેહશર હમે બખ્શવાના
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

જબ ગુઝર જાએંગે માહ ગ્યારા
તેરી આમદ કા ફીર શોર હોગા
કયા ભરોસા મેરી ઝીન્દગી કા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

કુછ ન હુસ્ને અમલ કર સકા હું
નઝર ચંદ અશ્ક મે કર રહા હું
બસ યહી હે મેરા કુલ અસાસા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

તુમ પે લાખોં સલામ માહે રમઝાં
તુમ પે લાખોં સલામ માહે ગુફરાં
જાઓ હાફીઝ ખુદા અબ તુમહારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

માહે રમઝાં કી રંગી ફઝાઓં
અબ્રે રહમત સે મમલુ હવાઓં
લો સલામ આખરી અબ હમારા
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

સાલે આઈંદા શાહે હરમ તુમ
કરના બદકાર પર યે કરમ તુમ
તુમ મદીને મે રમઝાં દીખાના
અલવદા અલવદા માહે રમઝાં

Sunday, April 3, 2022

रोज़े रखने के जिस्मानी फायदे

#रोज़े_के_दौरान_हमारे_जिस्म_का_रद्दे_अमल_क्या_होता_है_?
 इस बारे में कुछ दिलचस्प मालूमात:_*

#पहले_दो_रोज़े:

पहले ही दिन ब्लड शुगर लेवल गिरता है यानी ख़ून से चीनी के ख़तरनाक असरात का दर्जा कम हो जाता है।
दिल की धड़कन सुस्त हो जाती है और ख़ून का दबाव कम हो जाता है। नसें जमाशुदा ग्लाइकोजन को आज़ाद कर देती हैं। जिसकी वजह से जिस्मानी कमज़ोरी का एहसास उजागर होने लगता है। ज़हरीले माद्दों की सफाई के पहले मरहले के नतीज़े में- सरदर्द सर का चकराना, मुंह का बदबूदार होना और ज़बान पर मवाद का जामा होता है।

#तीसरे_से_सातवे_रोज़े_तक:

जिस्म की चर्बी टूट फूट का शिकार होती है और पहले मरहले में ग्लूकोज में बदल जाती है। कुछ लोगों में चमड़ी मुलायम और चिकना हो जाती है। जिस्म भूख का आदी होना शुरु हो जाता है। और इस तरह साल भर मसरूफ रहने वाला हाज़मा सिस्टम छुट्टी मनाता है। खून के सफ़ेद जरसूमे(white blood cells) और इम्युनिटी में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है। हो सकता है रोज़ेदार के फेफड़ों में मामूली तकलीफ़ हो इसलिए के ज़हरीले माद्दों की सफाई का काम शुरू हो चुका है। आंतों और कोलोन की मरम्मत का काम शुरू हो जाता है। आंतों की दीवारों पर जमा मवाद ढीला होना शुरू हो जाता है।

#आठवें_से_पंद्रहवें_रोज़े_तक:

आप पहले से चुस्त महसूस करते हैं। दिमाग़ी तौर पर भी चुस्त और हल्का महसूस करते हैं। हो सकता है कोई पुरानी चोट या ज़ख्म महसूस होना शुरू हो जाए। इसलिए कि आपका जिस्म  अपने बचाव के लिए पहले से ज़्यादा एक्टिव और मज़बूत हो चुका होता है। जिस्म अपने मुर्दा सेल्स को खाना शुरू कर देता है। जिनको आमतौर से केमोथेरेपी से मारने की कोशिश की जाती है। इसी वजह से सेल्स में पुरानी बीमारियों और दर्द का एहसास बढ़ जाता है। नाड़ियों और टांगों में तनाव इसी अमल का क़ुदरती नतीजा होता है। जो इम्युनिटी के जारी अमल की निशानी है। रोज़ाना नामक के ग़रारे नसों की अकड़न का बेहतरीन इलाज है।

#सोलहवें_से_तीसवें_रोज़े_तक:*

जिस्म पूरी तरह भूक और प्यास को बर्दाश्त का आदी हो चुका होता है। आप अपने आप को चुस्त, चाक व चौबंद महसूस जरते हैं।

इन दिनों आप की ज़बान बिल्कुल साफ़ और सुर्ख़ हो जाती है। सांस में भी ताज़गी आजाती है। जिस्म के सारे ज़हरीले माद्दों का ख़ात्मा हो चुका होता है। हाज़मे के सिस्टम की मरम्मत हो चुकी होती है। जिस्म से फालतू चर्बी और ख़राब माद्दे निकल चुके होते हैं। बदन अपनी पूरी ताक़त के साथ अपने फ़राइज़ अदा करना शुरू कर देता है। 

#बीसरोज़ों_के_बाद दिमाग़ और याददाश्त तेज़ हो जाते हैं। तवज्जो और सोच को मरकूज़ करने की सलाहियत बढ़ जाती है। बेशक बदन और रूह तीसरे अशरे की बरकात को भरपूर अंदाज़ से अदा करने के काबिल हो जाते हैं।

ये तो दुनिया का फ़ायदा रहा जिसे बेशक हमारे ख़ालिक़ ने हमारी ही भलाई के लिए हम पर फ़र्ज़ किया। मगर देखिए उसका अंदाज़े कारीमाना कि उसके एहकाम मानने से दुनिया के साथ साथ हमारी आख़िरत भी सवांरने का बेहतरीन बंदोबस्त कर दिया।

तेरी कुदरतो का शुमार क्या !
तेरी वुसअतो का हिसाब क्या! 
तू मुहीते आलमें रंग ओ बू !
तेरी शान जल्ला जला लुहू !!

*सुब्हानल्लाहि व बिहमदिहि सुब्हानल्लाहिल अज़ीम*