Friday, September 30, 2022

शबे जुमुआ का दुरुद शरीफ

*शबे जुमुआ का दुरुद शरीफ*
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
     बुज़ुर्गो ने फ़रमाया की जो शख्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमेरात की दरमियानी रात, जो आज है) इस दुरुद शरीफ को पाबंदी से कम अज़ कम एक मर्तबा पढेगा तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना ﷺ की ज़ियारत करेगा और कब्र में दाखिल होते वक़्त भी, यहाँ तक की वो देखेगा की सरकारे मदीना ﷺ उसे कब्र में अपने रहमत भरे हाथो से उतार रहे है.
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اللّٰھُمَّ صَلِّ وَسَلّـِمْ وبَارِکْ عَلٰی سَیّـِدِ نَا مُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمّـِىِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِ الْعَظِیْمِ الْجَاھِ وَعَلٰی اٰلِهٖ وَصَحْبِهٰ وَسَلّـِم
अल्लाहुम्म-सल्ली-वसल्लिम-व-बारीक-अ'ला-सय्यिदिना-मुहम्मदीन-नबिय्यिल-उम्मिय्यिल-ह्-बिबिल-आ'लिल-क़द्रील-अ'ज़िमील-जाहि-व-अ'ला आलिही व-स्ह्-बिहि व-सल्लिम

【सारे गुनाह मुआफ़】
     हज़रते अनस رضي الله عنه से मरवी है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जो शख्स जुमुआ के दिन नमाज़े फज्र से पहले 3 बार 
اٙسْتٙغْفِرُ اللّٰهٙ الّٙذِىْ لٙآ اِلٰهٙ اِلّٙا هُوٙوٙاٙتُوْبُ اِلٙيْهِ
पढ़े उस के गुनाह बख्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर की झाग से ज़्यादा हो।
*✍🏽अलमुजमुल अवसत लीत्तिब्रनि, 5/392, हदिष:7717*

【हर रात इबादत में गुज़ारने का आसान नुस्खा】
     गराइबुल क़ुरआन पर एक रीवायत नक़्ल की गई है कि जो शख्स रात में इसे 3 मर्तबा पढ़ लेगा तो गोया उसने शबे क़द्र पा लिया।
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙلِيْمُ الْكٙرِيْمٙ، سُبٙحٰنٙ اللّٰهِ رٙبِّ السّٙمٰوٰتِ السّٙبْعِ وٙرٙبِّ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْم
*तर्जमा* : खुदाए हलीम व करीम के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं। अल्लाह पाक है जो सातों आसमानों और अर्शे अज़ीम का परवर दगार है।
*✍🏽फ़ैज़ाने सुन्नत*

नसब नामा


   *اَلصَّــلوٰةُ وَالسَّلامُ عَلَيكَ يَارَسُولَ اللّٰه ﷺ*   

    सीरते मुस्तफा ﷺ
࿐  *खानदानी हालात #01 :* *नसब नामा* नसब नामा हुज़ूरे अक्दस ﷺ का नसब शरीफ वालिदे माजिद की तरफ से येह है (1) हज़रत मुहम्मद (ﷺ)  (2) बिन अब्दुल्लाह (3) बिन अब्दुल मुत्तलिब (4) बिन हाशिम (5) बिन अब्दे मनाफ़ (6) बिन कसी (7) बिन किलाब (8) बिन मुर्रह (9) बिन का'ब (10) बिन लवी (11) बिन गालिब (12) बिन फ़हर (13) बिन मालिक (14) बिन नज़र (15) बिन किनाना (16) बिन खुज़ैमा (17) बिन मुदरिकह (18) बिन इल्यास (19) बिन मज़र (20) बिन नज़ार (21) बिन मअद (22) बिन अदनान। 
    
࿐  और वालिदए माजिदा की तरफ से हुजूर ﷺ का श-ज-रए नसब येह है (1) हज़रत मुहम्मद (ﷺ) (2) बिन आमिना (3) बिन्ते वहब (4) बिन अब्दे मनाफ़ (5) बिन ज़हरा (6) बिन किलाब (7) बिन मुर्रह।
    
࿐   हुज़ूर ﷺ के वालिदैन का नसब नामा “किलाब बिन मुर्रह" पर मिल जाता है और आगे चल कर दोनों सिल्सिले एक हो जाते हैं। “अदनान" तक आप का नसब नामा सहीह सनदों के साथ ब इत्तिफ़ाक़े मुअर्रिख़ीन षाबित है इस के बाद नामों में बहुत कुछ इख़्तिलाफ़ है और हुजूर ﷺ जब भी अपना नामा बयान फ़रमाते थे तो "अदनान" ही तक ज़िक्र फ़रमाते थे। 
  
࿐  मगर इस पर तमाम मुअरिखीन का इत्तिफ़ाक़ है कि "अदनान" हज़रते इस्माईल عليه السلام की औलाद में से हैं, और हज़रते इस्माईल عليه السلام हज़रते इब्राहीम ख़लीलुल्लाह عليه السلام के फ़रज़न्दे अरजुमन्द हैं। 

*📬 क़िताब :- सीरते मुस्तफा (ﷺ) सफ़ह - 49 📚*

*📮Next ◍* आगे इन्शाअल्लाह जारी रहेगा.!


*☝🏻 हमारी दावत सच्चे दीन की तरफ*
*📝 आओ इ़ल्म -ए- दीन सीखें...✍🏻*
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*🪀 मिनजानीब :- Islamic taleem group's*

Tuesday, September 27, 2022

इमाम हसन अल मुज्तबा अलैहिस्सलाम व रदियल्लाहो ता'अला अन्हु*

*आशिक़ ए रसूल ईमान वाले सुन्नी मुसलमान गौर ओ फ़िक्र की ये बात है!*


*ये माह ए सफर उल मुज़फ्फर का महीना है और इसका आख़िरी अशरा है,*

 *बहुत से औलिया अल्लाह का उर्स मनाया गया इस महीने में और बेशक मनाना चाहिए, मगर दयानतदारी से बताऐं क्या इस महीने में अमीरुल मोमिनीन सिब्ते रसुल सरदार ए नोजवान ए जन्नत सुल्तान उल औलिया इमाम हसन अल मुज्तबा का ज़िक्र किया आपने?*
 
*इस महीने की 28 तारीख़ खलिफतुल मुस्लेमीन अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैय्यदना हसन ए मुज्तबा की शहादत से है,*


*आप ने सिर्फ़ कर्बला का दर्द सुना है क्या आपको मालूम है हमारे आका इमाम हसन के साथ किस तरह से ज़ुल्म किया गया है? आपको शायद ही मालूम हो क्योंकि इमाम हसन के बारे में कोई बात ही नहीं करता! इमाम हसन को कई मर्तबा ज़हर दिया गया आख़िरी बार हीरे की कनी पीस कर आपके पानी में मिलाई गई, जिससे आपके कलेजे के टुकड़े टुकड़े हो गए,*

*आपकी आख़री बसीयत थी मुझे नाना के कदमों में दफ़न किया जाए, अफ़सोस उम्मते मुस्लिमा की एक भीड़ आयी और इमाम को बहां दफ़न होने से रोक दिया उनके जनाज़े मुबारक़ पर तीर चलाये, ये पहला जनाज़ा था जिसको दोबारा कफ़न दिया गया, उम्मत इनके अहसान को भूल गयी क्योंकि इंसान भीड़ के साथ ज़्यादा और हक़ साथ हमेशा कम रहा है,*

 *सुन्नीयों याद रखो, इस सफर के महीने को सबसे पहली निस्बत इमाम हसन ए मुज्तबा से है,*

*उसके बाद दूसरे औलिया अल्लाह से और इतने जुम्मा चले गये पर किसी मिम्बर पर खिताब करने वाले मुफ्ती मौलाना को तौफीक नही हुई के इमाम हसन का ज़िक्र करें उनके फज़ाइल, उनकी करामात,उनकी सीरत,उनकी सूरत, शहादत, कुर्बानी पर बयान करें!*

*गुलामों का उर्स मनाया, बादशाहों को भूल गये!*

*जन्नतियों का उर्स मनाया,जन्नत के सरदार को भूल गये!*

*मोमिनीन का उर्स मनाया, अमीरुल मोमिनीन को भूल गये!*

*गुलाम ए रसूल ﷺ का उर्स मनाया, शहजादा ए रसूल ﷺ को भूल गये!*

*जिनकी मुहब्बत अल्लाह ने फ़र्ज़ की है, उनकी याद मनाना भूल गये!!! औलियाओं का उर्स मनाया, सरदार ए औलिया को भूल गये!*

*जिनके सदके कायनात में विलायत मिलती है, उस इमाम को भूल गये?*

 *सुन्नीयों क्या यही इश्क ए अहले बैत है? बहुत से पोस्ट आये हैं व्हाट्सअप और सोशियल मीडिया पर के इनका उर्स है, उनका उर्स हैं और करना भी चाहिये. पर एक भी पोस्ट आपने इमाम हसन ए पाक के ताल्लुक़ से किया?*

*अहलेबैत की मुहब्बत अस्ल ए ईमान हैं*

*किसी पर तनक़ीद करना मक़सद नहीं बेशक औलिया अल्लाह का उर्स मनाना चाहिए पर उन से पहले इमाम उल औलिया सैय्यदना इमाम हसन ए मुज्तबा का उर्स मनाओ, माह ए सफर की इब्तेदा इमाम हसन ए मुज्तबा के ज़िक्र से हो और इंतेहा भी उनके ज़िक्र से हो,*

*अल्लाह जल्ला जलालहु अपने हबीब के सदके तुफैल हमें हक़ीक़ी मायनों में मुहिब् ए अहलेबैत बनाये, आमीन*

*याद रहे, ये तारीख़ 28 सफर उल मुज़फ्फर यौम ए शहादत अमीरुल मोमिनीन खलिफतुल मुस्लेमीन सिब्ते रसूल सरदार ए नोजवान ए जन्नत सुल्तान उल औलिया इमाम हसन अल मुज्तबा अलैहिस्सलाम व रदियल्लाहो ता'अला अन्हु*

 *सल्लल्लाहु अलैही व आलैही व सल्लिम*

*ज़रूर नज़र करें और ज़िक्र ए इमाम हसन अलैहिस्सलाम करें,*
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घर में गरीबी आने के असबाब.

घर में गरीबी आने के असबाब.

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(1) गुस्ल खाने में पैशाब करना,

(2) टूटी हुई कन्घी से कंगा करना,

(3) टूटा हूआ सामान इस्तेमाल करना,
 
(4) घर में कूडा़ करकट रखना,

(5) रिश्तेदारो से बदसलूकी करना,

(6) बांए पैर से पेैजामा पहनना,

(7) मगरिब और ईशा के बीच सोना,

(8) मेहमान आने पर नाराज होना,

(9) आमदनी से ज्यादा खर्च करना,

(10) दाँत से रोटी काट कर खाना,

(12) दांत से नाखून काटना,

(13) खडे़ खडे़ पेजामा पहनना,

(14) औरतो का खडे होकर बाल बांधना,

(15) फटे हुए कपड़े जिस्म पर पहनना,

(16) सुबह सूरज निकलने तक सोना,

(17) दरख्त के नीचे पैशाब करना,

(18) बैतुल खला में बाते करना,

(19) उल्टा सोना,

(20) कब्रिस्तान में हसना,

(21) पीने का पानी रात में खुला रखना,

(22) रात में सवाली को कुछ ना देना,

(23) बुरे ख्यालात करना,

(24) बगैर वजू के कुर'आन पढ़ना,

(25) इस्तंजा करते वक्त बातें करना,

(26) बगैर हाथ धोए खाना शुरू करना,

(27) अपनी औलाद को कोसना,

(28) दरवाजे पर बैठना,

(29) लहसुन प्याज के छीलके जलाना,

(30) फकीर से रोटी या फिर और कोई चीज खरीदना,

(31) फुक से चिराग बुझाना,

(32) बगैर बिस्मिल्लाह पढ़े खाना शुरू करना,

(33) झूठी कसम खाना,

(34) जूता चप्पल उल्टा देख कर सीधा नही करना,
 
(35) हालात जनाबत मे हजामत करना,
 
(36) मकड़ी का जाला घर में रखना,
 
(37) रात को झाडू लगाना,
 
(38) अन्धेरे में खाना,
 
(39) घड़े में मुंह लगाकर पीना,

(40) कुर'आन न पढ़ना। 

```हदीस में है कि जो दूसरो का भला करता है, अल्लाह उसका भला करता है।```
                       
*पढ़ कर दुसरो को भी सुनाओ*

```कुरआन ए पाक के 5 रुकू हर रोज पढ़ने से साल मे 3 कुरआन ए पाक मुकम्मल हो जाती है।```

*जब आप ये मेसेज आगे भेजने लगेंगे तो, शैतान आपको रोकेगा आपके ज़हन मे ख्याल डालेगा की अभी नही बादमे देखेंगे , पर आपने इस साजीश को नाकाम करना है।*

```इस मेसेज को आगे ईतना फैलाए जीतना आप कुरआन ए पाक से मोहब्बत करते हो👈```