Thursday, August 10, 2023

दास्तानें करबला, क़िस्त 02*

*दास्तानें करबला, क़िस्त 02*

 हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के इजतिहादी फैसले से *आलमे इस्लाम में दो हुकमते काइम हो गई....* और उम्मत मे चार तबकात वुजूद में आ गए । 

1️⃣      *एक तबका जो खिलाफते हज़रते अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को हक़ समझता था* और आपका इतना हामी हुआ की आपकी हिमायत में हज़रत अमीरे मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्ह को बुरा कहने लगे और जंग पर उतर आये। *और सहाबी-ए-रसूल हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्ह की बेअदबी में हद से आगे बढ़ गए।*
 
          *येह तबका अपने आप को शियाने  अली कहने लगा* (इस से मुराद आज का शिया मकतबे फ़िक्र या शिया मसलक नहीं था बल्कि सियासी हिमायती होने के वजह से ये अपने आप को शियाने अली कहेलवाने लगे।)  

2️⃣      *दूसरा तबक़ा इसी तरह वुजूद में आया जिन्होंने हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु की खिलाफ़त को कुबूल किया....* और मअ्ज़अल्लाह हज़रते अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को बुरा कहने लगे। ये लोग भी सहाबी-ए-रसूल की बेअदबी में हद से आगे बढ़ गए ।

    *ना कभी मौला अली शेरे खुदा रज़िअल्लाहु तआला अन्ह ने अपनी ज़ुबाने अक़दस से हज़रते मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्ह को बुरा कहा....*

           *.... और ना कभी हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रत मौला अली रज़िअल्लाहु तआला अन्ह को बुरा कहा था ।*

   जो रिवायत इससे बर-अक्स मिलती है, वह *झूटी और मनघड़त है* ताकि उम्मते मुस्लिमा में इस तफ़रक़े को और बढ़ाया जाए। *और उम्मते मुस्लिमा को आपस में लड़वाया जाए।*

3️⃣      *तीसरा तबका खवारिज का पैदा हुआ.....* जिन्होंने सहाबी ए रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम के इख़्तिलाफ़ का फ़ायदा उठाना चाहा और दोनों सहाबी-ए-रसूल की बैत करने से इनकार कर दिया और *ऐलान किया की हुकूमत का हक़ सिर्फ अल्लाह ही  को है।*

👉🏼      *सय्यिदिना मौला अली रज़िअल्लाहु तआला अन्ह* ने एक मकाम पर इनके लिये फ़रमाया की : *इनके अल्फ़ाज़ अच्छे हैं....मगर नियत बुरी है।*

👉🏼       इस ख़ारजी फ़ितने ने हज़रते मौला अली करम अल्लाहु वजहुल करीम और हज़रते मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा दोनों के लिये मअ्ज़अल्लाह वाजिबुल क़त्ल और काफ़िर होने का ऐलान कर दिया।  

👉🏼      *इस फ़ितने की साजिश दोनों हुकूमत के ख़िलाफ़ शुरू हुई* और जंगे शुरू हुई जिसको हज़रत अली रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने कुचला दिया। 

👉🏼      और यही ख़ारजी फ़ितना हज़रते अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु की शहादत का सबब बना ।  

👉🏼       *इन ख़वारिज का आलम यह था कि यह नमाज़, रोजा, ज़कात, नवाफिल हर चीज़ के पाबन्द थे।*  कसरत के साथ क़ुरआने करीम की तिलावत करते।  वह सारी खूबियां इनमे थी  जिस किस्म की खूबियां आज कल वहाबी देवबंदी अहले हदीस मुल्लाओ की जमाअत में पाई जाती है। 

4️⃣      *चौथा तबका:*

         चौथा तबका उम्मते मुस्लिमा की अक्सरियत का रह गया..... *जो एहले-सुन्नत-व-जमाअत कहलाया ।*

👉🏼     *इन्होने हज़रत मौला अली शेरे खुदा ही को हक़ पर माना।* उन्ही के दस्ते हक़ परस्त पर बैत की, उन्ही को  खलीफा-ए-बरहक़ और इमामे राशिद मानते और उन्ही की हुकूमत को सच्ची हुकूमत मानते। *और हज़रते मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु की हुकूमत पर हया और अदब के लिहाज़ से चुप रहते थे ।*

👉🏼    चूंकि आप सहाबी ए रसूल थे, और *हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* ने आपकी फ़ज़ीलत वाजेह कर दी थी, इसलिए किसी क़िस्म की तान दराज़ी नहीं करते थे ।

     *हज़रत अलियुल मुर्तजा करम अल्लाहु वजहुल करीम* की शहादत के बाद, जब इमाम हसन ए मुजतबा को ख़लीफ़ा चुन लिया गया, तब उन्होंने  अपने दौरे खिलाफ़त में पाया की उम्मत दो हुकूमतो में तक़सीम है। 

           हज़रत इमाम हसन  रज़िअल्लाहु तआला अन्ह ने देखा कि, खवारिज की साजिशे पूर जोश में उम्मत को तक़सीम करने में लगी हुई हैं। *लिहाजा अगर ऐसा ही चलता रहा तो उम्मत हमेशा दो हिस्सों में बटी रह जाएगी............*

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाकी आने वाली पोस्ट में)*

*मिन जानिब-जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा गुमला झारखंड*

*Next........*

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*ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत-🌹*

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*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
        *🌹ज़िन्दाबाद 🌹*
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