Sunday, May 23, 2021

मुरीद होने का फायदा

मुरीद होने का फायदा_____

हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन अजमेरी रहमतुल्लाह अलयह की आदते मुबारका थी कि आप हमसाये के हर जनाज़ा मे पहुंचते थे_______
अक्सर अवकात मय्यत के साथ कब्र पर भी तशरीफ ले जाते और तदफीन के बाद जब सब लोग चले जाते तो फिर भी कुछ वक्त के लिए आप रहमतुल्लाह अलयह कब्र पर बैठे रहते___
एक दिन हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलयह का एक मुरीद फौत हो गया___
हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलयह नमाज़े जनाज़ा के बाद हस्बे आदत उसकी कब्र पर बैठे रहे और मुराकबा फरमाया___
हज़रत ख्वाजा कुत्बुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलयह भी साथ मे थे___
अचानक हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलयह दहशत के आलम मे अपनी जगह से गभरा कर उठे और आपके चेहरे का रंग भी बदल गया____
कुछ वक्त के बाद आपकी तबीयत बहाल हुई तो आपने फरमाया____
*बयअत भी अजीब चीज़ है*
हज़रत ख्वाजा कुत्बुद्दीन बख्तियार काकी ने अर्ज़ किया कि___
मेने अजीब कैफ़ियत देखी है पहेले आपका रंग बदल गया था और फिर कुछ वक्त के बाद बहाल हो गया था उसकी क्या वजह थी___??
फरमाया____
जब लोग इस मैयत को दफन करके चले गए तो इसे अज़ाब देने के लिए दो फ़रिश्ते आए__
वोह इसे अज़ाब देना चाहते थे कि हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलयह की सूरत सामने आ गई____
आप हाथ मे असा लिए हुए थे___
आपन फरमाया__
अय फरिश्तो ये हमारे मुरीदो मे से है इसे अज़ाब ना दो___
फरिश्तो ने कहा आपका ये मुरीद आपके तरीके पर नही चलता था______
आपने फरमाया अगर चे ये हमारे तरीके के खिलाफ चलता था लेकिन इसने अपना हाथ मेरे दामन मे डाला हुआ है___
गैब से हुक्म हुआ अय फरिश्तो इसे छोडदो हमने इसके पीर के तुफैल इसके गुनाह बख्श दिए______
तरीकत की बयअत अयसे कठीन मरहले मे काम आती है________!!!

( मिरअतुल आशीकीन 221/222 )

Tuesday, May 18, 2021

सदक़ा

🌹 *GULAM-E-PANJATAN*🌹
                                 *सदक़ा*

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* क़ुरान में मौला तआला इरशाद फरमाता है कि "और जो बुख्ल (कंजूसी) करते हैं उस चीज़ में जो अल्लाह ने उन्हें अपने फज़्ल से दी हरगिज़ उसे अपने लिए अच्छा ना समझें बल्कि वो उनके लिए बुरा है 

📕 पारा 4,सूरह आले इमरान,आयत 180 

* हदीसे पाक में आता है हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि "जाहिल सखी इबादत गुज़ार कंजूस से बेहतर है 

📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 165

* सदक़ा गुनाहों को इस तरह मिटाता है जैसे पानी आग को बुझा देता है 

📕 मजमउज़ ज़वायेद,जिल्द 3,सफह 419

* सदक़ा रब के गज़ब को ठंडा करता है और बुरी मौत को दफा करता है 

📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 527

* सदक़ा वो है कि साईल के हाथ में जाने से पहले मौला तआला क़ुबूल फरमा लेता है 

📕 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 460 

* सदक़ा क़ब्र की गर्मी को कम करता है एक मुसलमान का भूले हुए को राह बताना किसी से मुस्कुराकर बात करना रास्ते से पत्थर हटा देना या कुछ भी ऐसा करना जिससे किसी को फायदा पहुंचता है तो ये उसकी तरफ से सदक़ा है और सदक़ा बन्दे को रब से क़रीब यानि जन्नत से क़रीब कर देता है और कंजूसी रब से दूर और जहन्नम से क़रीब कर देता है 

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 80--84

* मौला तआला ने जब ज़मीन को पैदा फरमाया तो वो रब के जलाल से कांपने लगी तो उस पर पहाड़ बसा दिए जिससे उसकी हरकत मौक़ूफ हो गयी,फरिश्तो को पहाड़ की ताक़त पर बड़ा ताज्जुब हुआ उन्होंने मौला से पूछा कि क्या पहाड़ से भी ताकतवर कोई चीज़ दुनिया में है तो मौला फरमाता है कि हां वो लोहा है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या लोहे से भी ताकतवर कोई चीज़ है तो मौला फरमाता है कि हां वो आग है फिर फरिश्तो ने अर्ज़ किया कि ऐ मौला क्या आग से भी ताकतवर कोई चीज़ है तो मौला फरमाता है कि हां वो पानी है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या पानी से ताक़तवर भी कुछ है तो मौला फरमाता है कि हां वो हवा है फिर फरिश्ते अर्ज़ करते हैं कि मौला क्या हवा से भी कोई चीज़ ताक़तवर है तो मौला इरशाद फरमाता है कि हां इंसान का किया हुआ वो सदक़ा जो उसने छिपाकर दिया हो वो हर चीज़ से ज़्यादा ताकतवर है 

📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 530

* हदीसे पाक में है कि हज़रत सअद बिन उबादा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की मां का इंतेकाल हो गया आपने नबी की बारगाह में अर्ज़ की या रसूल अल्लाह ﷺम मेरी मां का इंतेकाल हो गया अगर मैं उनके लिए सदक़ा करूं तो क्या उनको सवाब पहुंचेगा आप ﷺ ने फरमाया हां फिर उन्होंने पूछा कि कौन सा सदक़ा अफज़ल है तो आप ﷺ ने फरमाया कि पानी 

📕 अबू दाऊद,जिल्द 1,सफह 266

* जो किसी मुसलमान को खाना खिलाये तो मौला उसे जन्नत के मेवे खिलायेगा और जो किसी मुसलमान को पानी पिलाए तो मौला उसे जन्नत का शर्बते खास पिलायेगा और जो किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाये तो मौला उसे जन्नती लिबास पहनायेगा और जब तक उस कपड़े का एक टुकड़ा भी उसके बदन पर रहेगा वो अल्लाह की हिफाज़त में रहेगा 

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 4,सफह 204-218

* फर्ज़ो के बाद एक मुसलमान का अपने मुसलमान भाई का दिल खुश करना अल्लाह को सबसे ज़्यादा पसंद है और जो शख्स किसी मुसलमान की कोई हाजत पूरी करता है तो अल्लाह उसकी हाजत पूरी करता है और जो कोई किसी मुसलमान से कोई तकलीफ दूर करता है तो मौला तआला क़यामत के दिन उसकी तकलीफ को दूर कर देगा 

📕 इज़ानुल अज्रे फी अज़ानिल क़ब्रे,सफह 19-20

* तालिबे इल्म पर एक रुपया खर्च करना ऐसा है जैसे उसने उहद पहाड़ के बराबर सदक़ा किया 

📕 क्या आप जानते हैं,सफह 385

* हुज़ूर ﷺ फरमाते हैं कि बन्दे का राहे खुदा में 1 दरहम खर्च करना कभी कभी 1 लाख दरहम खर्च करने से भी आगे बढ़ जाता है सहाबा इकराम ने पूछा या रसूल अल्लाह ﷺ किस तरह तो आप फरमाते हैं कि किसी के पास कसीर माल है और उसने उसमे से 1 लाख दरहम खर्च किया मगर किसी के पास 2 ही दरहम थे और उसने उसमे से 1 दरहम खर्च कर दिया तो उसके 1 दरहम का सवाब 1 लाख दरहम से भी आगे बढ़ जायेगा 

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 89

* जो अल्लाह की रज़ा के लिए मस्जिद तामीर कराये (यानि उसमे हिस्सा ले) तो अल्लाह उसके लिए जन्नत में मोतियों और याक़ूत से महल बनायेगा

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 591

*ⓩ सदक़ा क्या होता है और क्या कर सकता है उसके लिये ये रिवायत पढ़िये*

* एक ज़िनाकार औरत एक जगह से गुज़री जहां एक कुत्ता प्यासा था वो कुंअे में मुंह लटकाए पानी को देख रहा था,उस औरत ने अपने चमड़े का मोज़ा उतारा और अपने दुपट्टे में बांधकर कुंअे से पानी निकालकर उस कुत्ते को पिलाया उसके इस अमल से मौला खुश हो गया और उसकी मगफिरत हो गई 

📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 409

* हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास एक शख्स आया और कहने लगा कि हज़रत आप मुझे जानवरों की बोलियां सिखा दीजिये आपने उसको मना किया कि इसमे कसीर हिकमतें है लिहाज़ा अपने इस शौक से रुजू करो मगर वो नहीं माना आपने मौला से बात की तो वो फरमाता है कि अगर ये बाज़ नहीं आता तो सिखा दो तो आपने उसे जानवरों की बोलियां सिखा दी
उसके घर में एक मुर्गा और एक कुत्ता पला हुआ था मालिक ने जब रोटी का टुकड़ा फेंका तो मुर्गे ने झट से उठा लिया इस पर कुत्ता बोला कि ये तूने गलत किया कि तेरी गिज़ा दाना दुनका है और तूने मेरी रोटी उठा ली,तो मुर्गा बोला परेशान ना हो कल मालिक का बैल मर जायेगा वो उसे यहीं कहीं फेंक देगा जितना चाहे खा लेना,मालिक ने उन दोनों की बात सुन ली और दूसरे दिन सुबह सुबह ही वो बैल को बाज़ार में बेच आया दूसरे दिन कुत्ते ने कहा कि तुमने झूठ बोला और बिला वजह मुझे उम्मीद दी तो मुर्गा कहने लगा कि मैंने झूठ नहीं कहा था मालिक ने अक्लमंदी दिखाते हुए अपनी मुसीबत दूसरे के गले डाल दी खैर कल मालिक का घोड़ा मर जायेगा तब तुम उसे खा लेना,मालिक ने सुना और दूसरे दिन घोड़ा भी बेच आया अब कुत्ते ने झल्लाते हुए कहा कि तुम बिल्कुल झूठे हो तुम्हारी कोई बात सच्ची नहीं,तो मुर्गा बोला कि ऐसा नहीं है मालिक जिसको अक़्लमंदी समझ रहा है वो उसकी सबसे बड़ी बेवकूफी है क्योंकि मौला ने उस पर कुछ मुसीबतें डाली थी जिसको उसके घर के जानवरों ने अपने सर पर ले लिया कि अगर वो मर जाते तो उसका फिदिया बन जाता मगर अब जबकि उसने अपना माल कुछ ना छोड़ा तो अब कल वो खुद मरेगा अब तो घर में दावत होगी जितना चाहे खा लेना

अब जो मालिक ने सुना तो उसके होश उड़ गए वो भागता हुआ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बारगाह में पहुंचा और सारी बात कह डाली,तो आप फरमाते हैं कि मैंने तो पहले की कहा था कि जो कुछ बन्दों से छिपाकर रखा गया है उसमें उनके ही लिए भलाई है मगर तुम ना माने अगर तुम उनकी बोली ना सीखते तो उन जानवरों की मौत तुमहारी तरफ से सदक़ा हो जाती और तुम्हारी जान बच जाती मगर तुमने उन्हें दूर कर दिया अब ये क़ज़ा टल नहीं सकती कल तुम यक़ीनन मरोगे,और दूसरे दिन वो मर गया 

📕 सच्ची हिकायत,सफह 97

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                                 *END*
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Saturday, May 15, 2021

मस्जिद अल अक्सा

मस्जिद अल अक्सा :-

दरअसल दो दिन पहले ट्विटर पर #indiastandwithisrael टाॅप ट्रेन्ड कराया गया। वह इसलिए कि इज़राईल ने "अल-अक्सा" मस्जिद में नमाज़ पढ़ते मुसलमानों पर गोली चलाइ।



खैर , जहरीले लोग अपनी हरकत से बाज नहीं आने वाले। आईए देखते हैं कि वहाँ गोली क्युँ चली ? क्युँकि मौजूदा दौर में किसी एक धर्मस्थल को लेकर जो सबसे अधिक विवाद है वह है 

                                       "अल अक्सा मस्जिद"

इजरायल के येरुसलम में बनी अल अक्सा मस्जिद दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शुमार है तो यह मस्जिद दुनिया के सबसे बड़े विवाद के कारण फिलिस्तीन और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष की वजह भी है।

असल में कभी कभी दया , नेकी , इंसानियत , मदद और हमदर्दी , इसके करने वाले के लिए ही काल बन जाती है। फिलिस्तीनी आज उसी काल से जूझ रहे हैं।

जर्मनी में हिटलर के जनसंहार के आतंक से जब यहूदी जर्मनी से भाग कर 1943 से पहले विभिन्न देशों में शरण लिए तो मानवता के नाते मुस्लिम बहुल मुल्क फिलिस्तीन की तब की "अग्रेजी हुकूमत" ने भी तब अपने यहाँ उनको बड़े पैमाने पर शरण दी , और फिलिस्तीन की बंजर ज़मीनों पर उनको बसाया और उस सरकार की यही दया , नेकी , इंसानियत , मदद और हमदर्दी, मुसलमानों पर भारी पड़ गयी जिसकी कीमत वह आज भी अपनी जान देकर चुका रहे हैं।

इसके पहले 1-2% यहूदी जिस ज़मीन पर रह रहे थे वह बहुत बड़ी संख्या में आकर फिलिस्तीन के एक बंजर हिस्से पर काबिज़ हो गये। यह यहूदी धीरे धीरे उस ज़मीन पर अपना अधिकार जताने लगे और अमेरिकी व्यवस्था में घुन की तरह घुसे यहूदियों ने फिलिस्तीन का 1947 में संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से बँटवारा कर दिया।

और फिलिस्तीन को दो हिस्सों में विभाजित किया। इस तरह 55 प्रतिशत हिस्सा यहूदियों को मिला जिसे आज "इज़राईल" कहा जाता है और बाकी 45 प्रतिशत जमीन फिलिस्तीनियों के हिस्से में आई।

यह मानवीय आधार पर किसी देश में शरणार्थी बने लोगों द्वारा उसी देश पर कब्ज़ा करने का इकलौता उदाहरण है।

1967 में इजरायल के वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी समेत पूर्वी जेरुसलम पर कब्जा करने के बाद से "अल अक्सा मस्जिद" की इस जमीन को लेकर विवाद और बढ़ गया क्युँकि यह पूर्वी जेरूसलम में ही स्थित है। 

बाद में जॉर्डन और इजरायल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि "इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ" का अल अक्सा मस्जिद के कंपाउंड के भीतर के मामलों पर नियंत्रण रहेगा जबकि बाहरी सुरक्षा इजरायल संभालेगा। 

इसके साथ गैर-मुस्लिमों को मस्जिद परिसर में आने की इजाजत होगी लेकिन उनको प्रार्थना करने का अधिकार नहीं होगा।

यथास्थिति बनाए रखने के वादे के बावजूद, पिछले कुछ सालों में यहूदियों ने मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की जिससे तनाव की स्थिति भी बनी।

इन यहूदी लोगों ने येरूसलम स्थित "अल अक्सा" मस्जिद को हड़पने की कोशिश की और इसी कारण फिलिस्तीन और इज़राईल में संघर्ष बढ़ता गया।

इस "अल अक्सा मस्जिद" को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया हुआ है जो कि तीन धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है।

यह प्राचीन शहर येरूसशम यहूदी, ईसाई और मुसलमानों का पिछले सैकड़ों सालों से विवाद का केंद्र है। तो इसका कारण यह है कि तीनों ही धर्म के लोगों का "पैगंबर हज़रत सुलेमान अलैहिससलाम" को लेकर अलग अलग मत है और वह "अल अक्सा मस्जिद" को लेकर अलग अलग योजनाएँ रखते हैं।

ध्यान रहे कि "हज़रत सुलेमान अलैहिससलाम" तीनों ही धर्म ईसाई , यहूद और इस्लाम के स्विकार्य पैगंबर हैं। इस्लाम और कुरान भी इन धर्मों और इनकी किताबों तौरात , जबूर और इंजील को मान्यता देता है।

"तौरात" हज़रत मूसा अलैहेस्सलाम पर तो "ज़बूर" हज़रत दाउद अलैहेस्सलाम पर और "इंजील" हज़रत ईसा (मसीह) अलैहेस्सलाम पर उतारी गई। और कुरआन इस्लाम की वह अंतिम किताब है जो आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम पर उतारी गयी।

इन तीनों धर्मों में महत्वपुर्ण विवाद केवल किताबों को सबसे अधिक महत्व देने का है वर्ना इनकी सत्यता सभी तीनों धर्म के लोग स्विकार करते हैं।

आज से कोई 5000 साल पहले के हज़रत इब्राहिम अलैहेस्लाम तीनों धर्म के लोगों के पैगंबर हैं , इसीलिए तीनों धर्म को "अब्राहम धर्म" भी कहा जाता है।

खैर , अब आते हैं "अल अक़्सा मस्जिद" पर

मुसलमानों का ईमान है कि "मस्जिद अलअक़्सा" हज़रत आदम अलैहेस्लाम (धरती के पहले मानव) के ज़माने की है और ज़मीन पर बनी दूसरी मस्जिद है।

"मस्जिद अल अक़्सा" के बारे में क़ुरआन में "सुरह अलक़सास" में ज़िक्र है। 

इस्लाम के इतिहास में "मस्जिद अलअक़्सा" को "क़िबला ए अव्वल" कहकर पुकारा जाता है। क्युँकि सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत मुहम्मद के ज़माने में जब तक काबा पर गैरमुस्लिमों का क़ब्ज़ा था , मुसलमान "अलअक़्सा मस्जिद" की तरफ़ मुँह करके नमाज़ पढ़ते थे।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत मुहम्मद ने 17 महीनों तक मस्जिद अल अक़्सा की तरफ़ रुख़ करके नमाज़ अदा की है।

अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों के लिए मक्का , मदीना के बाद तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। "अल अक्सा मस्जिद के पास ही सुनहरा गुम्बद 'डोम ऑफ द रॉक' भी है, जिसे सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम हज़रत मोहम्मद के स्वर्ग जाने से जोड़कर देखा जाता है।

"अल अक़्सा मस्जिद" का 35 एकड़ का हाता है जिसमें इस्लामिक इतिहास के इसी तरह के 44 पुरातात्विक साक्ष्य मौजूद हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब फ़िलस्तीन का बंटवारा हुआ तब भी "मस्जिद अल अक़्सा" फ़िलस्तीन का हिस्सा मानी गई।

अब सवाल यह है कि जो "मस्जिद अलअक़्सा" हज़रत आदम के ज़माने से लेकर हज़रत याक़ूब, हज़रत सुलैमान, हज़रत इब्राहीम, हज़रत इस्माईल, हज़रत मूसा और हज़रत ईसा अलैहिससलाम से लेकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक मुसलमानों के पास रही, उस पर यहूदी क़ब्ज़ा क्यों करना चाहते हैं ? 

दरअसल यहूदियों का मानना है कि "मस्जिद अल अक़्सा" ही वह जगह है जहाँ इज़राईल बनाने वाले हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ और उन्हें वहाँ अपना धर्मस्थल बनाना है। इसलिए यहूदी "मस्जिद अलअक़्सा" पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं।

यहूदी दावा करते हैं कि इस जगह पर पहले यहूदियों के प्रार्थना स्थल हुआ करते थे, लेकिन बाद में यहूदी कानून और इजरायली कैबिनेट ने उनके यहां प्रार्थना करने पर प्रतिबंध लगा दिया। यहां मौजूद वेस्टर्न वॉल को वह अपने उस मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं।

जबकि मुसलमान इसी दीवार को "अल बराक की दीवार" कहता है। उनका मानना है कि ये वही दीवार है जहां पैगंबर मोहम्मद साहब ने "अल बराक" को बांध दिया था। ऐसा वहाँ पुरातात्विक साक्ष्य भी है।

मुसलमानों का इमान है कि कि पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह से बातचीत के लिए इसी अल-बराक जानवर की सवारी की थी।

यहूदी मानते हैं जिस दिन वह इसी स्थान पर हज़रत सुलैमान अलैहिससलाम का धर्मस्थल बना लेंगे तो उन्हें वह तिलिस्मी किताबें हासिल हो जाएंगीं जिनकी मदद से वह अपने मसीहा "दज्जाल" को जल्दी बुला लेंगे और वह दुनिया से इस्लाम को ख़त्म कर देगा।

और वह यहूदियों को वह इस्राइल अता करेगा जिसकी झूठी दलील वह अपनी किताब "तौरेत" में गढ़ चुके हैं। यहूदी भी मस्जिद में इस्राइली पुलिस की सिक्योरिटी के साथ अब भी पूजा के लिए आते हैं।

एक आँख वाले दज्जाल का ज़िक्र हदीस में भी है , जिसका आगमन कयामत की कई निशानियों में से एक बतायी गयी है।

अब इसाईयों का पक्ष समझिए

दरअसल "मस्जिद अलअक्सा" की 35 एकड़ ज़मीन के एक हिस्से पर ही "हज़रत ईसा(मसीह) का जन्म हुआ था और वहाँ उनका "बैतुल अहम" है। इसाई लोग उस जगह को पाना चाहते हैं।

कुल मिलाकर तीन धर्मों के विवाद में एक मस्जिद फंसी है जो हमेशा से मुसलमानों की मस्जिद थी। और कई बार इस्राइली फौजों और पुलिस ने कई हथकंडे अपना कर "मस्जिद अलअक़्सा" पर क़ब्ज़े की कोशिश की है।

कई बार वह 50 साल से ज़्यादा उम्र के फ़िलस्तीनियों के मस्जिद में एंट्री पर रोक लगाते रहे हैं और मस्जिद की बुनियाद को खोदते रहे हैं ताकि मस्जिद को कमज़ोर करके उसे गिराकर हादसे के तौर पर दिखा दिया जाए।

यही नहीं जब मस्जिद पर इस्राइल का क़ब्ज़ा था उसकी दीवारों पर इस्राइलियों ने ख़तरनाक कैमीकल पेंट कर दिया जिससे वह जर्जर हो जाए।

अपने अगले प्रयास में इस्राइली पुलिस ने "मस्जिद अलअक़्सा" से जुड़े दस्तावेज़ चुरा लिए जो मस्जिद की देख रेख कर रही "अलक़ुद्स इस्लामी वक़्फ़" के दफ्तर में रखे हुए थे। यह दस्तावेज़ साबित करते हैं कि मस्जिद अलअक़्सा पर फ़िलस्तीनियों और मुसलमानों का हज़ारों साल का हक़ है।

इस्राइली पुलिस अब भी मस्जिद कम्पाउंड में ही डेरा डाले हुए है और बात बेबात पर गोलियाँ चलाती हैं जिसमें अब तक हज़ारो लोग मारे जा चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले भी नमाज़ियों पर गोली चलाई गयी।

"मस्जिद अल अक़्सा" की आज़ादी तब होगी जब वहाँ इस्राइली यहूदी पुलिस हटेगी, उसका पूरी तरह से क़ब्ज़ा फ़िलस्तीनियों को मिलेगा।

18 अक्टूबर 2016 को "संयुक्त राष्ट्र" की सांस्कृतिक शाखा "यूनेस्को" की कार्यकारी बोर्ड ने तमाम अध्ययन और रिसर्च के बाद एक प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा है कि यरूशलम में मौजूद ऐतिहासिक "अल-अक्सा मस्जिद" पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है।

https://www.bbc.com/hindi/international-37695142

उसने अरब देशों के ज़रिए पेश किए गए एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक़्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है।

हालांकि यहूदी उसे आज भी "टेंपल माउंट" कहते हैं और ना तो वह संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को मान रहे हैं और ना "मस्जिद अल अक्सा" को आज़ाद करने को तैय्यार है।

Wednesday, May 12, 2021

रूह_अफज़ा पसंदीदा_शर्बत

आज रूह_अफज़ा मुस्लिम दुनिया में पिया जाने वाला सब से पसंदीदा_शर्बत है.💞☝️✅

इसके_ईजाद_होने_की_कहानी ये है।
पीलीभीत में पैदा होने वाले हाफिज़ अब्दुल मजीद साहब दिल्ली में आ कर बस गए.
 यहां हकीम अजमल खां के मशहूर हिंदुस्तानी दवाखाने में मुलाज़िम हो गए. 
बाद में मुलाज़मत छोड़ कर अपना "हमदर्द दवाखाना" खोल लिया. 
हकीम साहब को जड़ी बूटियों से खास लगाव था. इसलिए जल्द ही उनकी पहचान में माहिर हो गए. हमदर्द दवाखाने में बनने वाली सब से पहली दवाई 'हब्बे मुक़व्वी ए मैदा" थी.
उस ज़माने में अलग अलग फूलों, फलों और बूटियों के शर्बत दसतियाब थे. मसलन गुलाब का शर्बत, अनार का शर्बत वगैरह वगैरह. 
हमदर्द दवाखाने के दवा बनाने वाले डिपार्टमेंट में सहारनपुर के रहने वाले हकीम उस्ताद हसन खां थे जो एक माहिर दवा बनाने वाले के साथ साथ अच्छे हकीम भी थे. 
हकीम अब्दुल मजीद साहब ने उस्ताद हसन से ये ख्वाहिश ज़ाहिर की कि फलों, फूलों और जड़ी बूटियों को मिला एक ऐसा शर्बत बनाया जाए जिसका ज़ायक़ा बे मिसाल हो और इतना हल्का हो कि हर उम्र का इंसान पी सके. उस्ताद हसन खां ने बड़ी मेहनत के बाद एक शर्बत का नुस्खा बनाया. 
जिसमें जड़ी बूटियों में से 
🔴 "खुर्फा" मुनक्का, 
कासनी, 
🔴नीलोफर, गावज़बां और 
हरा धनिया, 
🔴फलों में से संतरा, 
.
अनानास, 
🔴तरबूज़ और सब्ज़ियों में गाजर, 
🔴पालक, 
.
पुदीना, 
🔴और हरा कदु, फलों में गुलाब, केवड़ा, नींबू, नारंगी जबकि ठंडक और खुश्बू के लिए सलाद पत्ता और संदल को लिया गया.
कहते हैं जब ये शर्बत बन रहा था तो इसकी खुशबू आस पास फैल गयी और लोग देखने आने लगे कि क्या बन रहा है! 
जब ये शर्बत बनकर तैय्यार हुआ तो इसका नाम रूह अफज़ा रखा गया. 
रूह अफज़ा नाम उर्दू की मशहूर मसनवी गुलज़ार ए नसीम से लिया गया है जो एक किरदार का नाम है.
इसकी पहली खेप हाथों हाथ बिक गयी.
रूह अफज़ा को मक़बूल होने में कई साल लगे. इसका ज़बर्दस्त ऐडवेर्टीसेमेंटस कराया गया.
🔴
रूह अफज़ा 1907 में दिल्ली में लाल कुँए में स्थित हमदर्द दवाखाने में ईजाद हुआ..

जानते हैं इज़राइल का इतिहास।

जानते हैं इज़राइल का इतिहास।

इज़रायल नाम का नया राष्ट्र 14 मई सन् 1948 को अस्तित्व में आया , इसके पूर्व इज़राइल नाम का कोई देश नहीं था। इज़रायल राष्ट्र, प्राचीन फ़िलिस्तीन अथवा पैलेस्टाइन का ही बृहत् भाग है।

दरअसल , इसके पहले यहूदियों का कोई अलग राष्ट्र नहीं था, वह पूरी दुनिया के हर हिस्से में फैले हुए थे इसी तरह फिलीस्तीन के इस हिस्से में भी कुछ फैले हुए थे।

इतिहास है कि ,छठी ई. तक इज़रायल पर रोम और उसके पश्चात् पूर्वी रोमी साम्राज्य बीज़ोंतीन का प्रभुत्व कायम रहा। खलीफ़ा हज़रत अबूबक्र रजि• और खलीफ़ा हज़रत उमर रजि• के समय अरब और रोमी (Bizantine) सेनाओं में टक्कर हुई। 

सन् 636 ई. में खलीफ़ा हज़रत उमर रज़ि• की सेनाओं ने रोम की सेनाओं को पूरी तरह पराजित करके फ़िलिस्तीन पर, जिसमें इज़रायल और यहूदा शामिल थे, अपना कब्जा कर लिया। 

खलीफ़ा हज़रत उमर रजि• जब यहूदी और अपने इस्लामिक पैगंबर हज़रत दाऊद अलैहेस्सलाम के प्रार्थनास्थल पर बने यहूदियों के प्राचीन मंदिर में गए तब उस स्थान को उन्होंने कूड़ा कर्कट और गंदगी से भरा हुआ पाया। 

हज़रत उमर रजि• और उनके साथियों ने स्वयं अपने हाथों से उस स्थान को साफ किया और उसे यहूदियों के सपुर्द कर दिया।

यह भाग भले अरबी साम्राज्य के अंतर्गत था परन्तु यहूदी यहाँ रहते थे।

जर्मनी यहूदियों का सबसे बड़ा गढ़ था , एडोल्फ हिटलर ने जब जर्मनी में यहूदियों का कत्ले-आम प्रारंभ किया और चुन चुन कर एक एक यहूदियों को मारने लगा तब मुस्लिम राष्ट्रों ने अपने धर्म इस्लाम की एक मान्यता प्राप्त किताब "तोरेत" और अपने ही धर्म के एक पैगम्बर "हज़रत दाऊद अलैहेस्सलाम" को मानने वाले यहूदियों को अपनी ज़मीन पर पनाह दी , और फिर जर्मनी से जान बचाकर भाग रहे सभी यहूदी इस क्षेत्र में जमा हो गये , यह क्षेत्र यहूदी बहुल हुआ तो धीरे धीरे पूरी दुनिया के यहूदी इसी क्षेत्र में आ कर बसने लगे।

इस्लामिक राष्ट्रों के द्वारा यहूदियों की जान बचाने के लिए दी गयी इस मदद के बदले "यहूदियों" ने फिलिस्तीन और इस्लामिक राष्ट्रों को धोखा दिया और अमेरिका की व्यवस्था में घुस गये यहूदियों के माध्यम से अमेरिका के प्रभाव का प्रयोग करके उस शरणार्थी क्षेत्र को अलग राष्ट्र "इज़राइल" 14 मई सन् 1948 को घोषित करा लिया।

अरब राष्ट्रों के अकूत प्राकृतिक संपदा पर गिद्ध दृष्टि जमाए अमेरिका के लिए यह क्षेत्र सभी इस्लामिक देशों पर अपना नियंत्रण रखने का एक अड्डा बना और आज सारे मुस्लिम राष्ट्र अमेरिका की इसी नीति से अस्थिर हैं। 

यह है कहानी "कर भला तो हो बुरा" , विपत्ति के समय यहूदियों को जान बचाने के लिए दी गयी मुसलमानों द्वारा शरण आज उन्हीं यहूदियों से जान बचाने की स्थिति में वही मुसलमान आ गये जिन्होंने कभी इनकी जान बचाई थी।

इज़राइल का इतिहास है कि वह किसी का सगा नहीं , यहाँ तक कि अमेरिका के रहमों करमो पर पलने वाला यह देश अक्सर अमेरिका को भी धमकी देता रहा है।

इज़राइल "काला नाग" है , जिसका दूध पीता है उसी को डसता है , इज़राइल , इस्लामिक देशों में अमेरिका के आतंकवाद फैलाने और उनको अस्थिर करने का मुख्यालय है , भारत इसीलिए सदैव इस देश से दूर रहा और फिलिस्तीन का समर्थक रहा है।
#FreePalestine #Palestine

बैतूल मुकद्दस - मस्जिद ए अक्सा

बच्चे आपसे पूछे या ना पूछे, आप उन्हें ज़रूर ये बताया कीजिए कि हम "फलस्तीन" से इसलिए मोहब्बत करते हैं कि!.....
* ये फलस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है।
* हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने फ़लस्तीन की तरफ हिजरत फ़रमाई।
* अल्लाह ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को उस अज़ाब से निजात दी जो उनकी क़ौम पर इस जगह नाज़िल हुआ था।

*हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने इस सरजमीं पर सकूनत रखी और यहां अपना एक मेहराब भी तामीर फ़रमाया।

* हज़रत सुलेमान (अलै०हिस०) इस मुल्क में बैठ कर सारी दुनिया पर हूकूमत करते थे।

* कुर‌आन में चींटी का वह मशहूर किस्सा जिसमें एक चींटी ने बाकी साथियों से कहा था " ऐ चींटियों! अपने बिलों में घुस जाओ" ये किस्सा यहिं फलस्तीन के "असक़लान" शहर की वादी में पेश आया था।

* हज़रत ज़करिया अलै०हिस० का मेहराब भी इसी शहर में है।
* हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इस मुल्क के बारे में अपने साथियों से कहा था, इस मुकद्दस शहर में दाखिल हो जाओ! उन्होंने इस शहर को मुकद्दस इसलिए कहा था कि ये शिर्क से पाक और नबियों की सरजमीं है।

* इस शहर में क‌ई मोअज़्ज़े हुए है जिनमें एक कुंवारी बीबी हज़रत मरयम के बुतन से ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई।

* हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को जब उनकी क़ौम ने क़त्ल करना चाहा तो अल्लाह ने उन्हें इसी शहर से आसमां पर उठा लिया था।
* क़यामत की अलामत में से एक हज़रत ईसा की वापसी इस शहर के मुकाम सफेद मीनार के पास होगा।
* इस शहर के मुकाम " बाब ए लुद" पर ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल को क़त्ल करेंगे।
* फलस्तीन ही अरज़े महशर है।
* इसी शहर से ही याजूज माजूज का क़िताल और फसाद शुरू होगा।
* फलस्तीन को नमाज़ के फ़र्ज़ होने के बाद "क़िब्ला ए अव्वल" होने का एजाज़ भी हासिल है। हिजरत के बाद जिबरील अलैहि० अल्लाह के हुक्म से नमाज के दौरान ही मुहम्मद स०अ० को मस्जिद ए अक्सा से बैतुल्लाह (काबा) की तरफ़ रुख़ करा ग‌ए थे, जिस मस्जिद में ये वाकिया पेश आया था वह मस्जिद आज भी मस्जिद ए क़िब्लातैन कहलाती है।

* हुजूर अकरम (स०अ०) मे'अराज की रात आसमान पर ले जाने से पहले मक्का मुकर्रमा से बैतुल मुकद्दस (फलस्तीन) लाए गए।
* अल्लाह के रसूल स०अ० की इक़्तेदा में सारे नबियों ने यहां नमाज़ अदा फरमाई।
* इस्लाम का सुनहरी दौर फारूकी में दुनिया भर के फतह को छोड़ कर महज़ फ़लस्तीन की फ़तह के लिए खूद उमर (रजि०अ०) जाना और यहां पर जाकर नमाज़ अदा करना, इस शहर की अज़मत को बताता है।

* दुसरी बार यानि 27 रजब 583 हिजरी जुमा के दिन को सलाउद्दीन अय्युबी के हाथों इस शहर का दोबारा फ़तह होना।

* बैतूल मुकद्दस का नाम "कुदुस" कूरान से पहले तक हुआ करता था, कूरान नाजिल हुआ तो इसका नाम " मस्जिद ए अक्सा" रखा गया, इस शहर के हुसूल और रूमियो के जबर वह सितम से बचाने के लिए 5000 से ज्यादा सहाबा किराम रजि०अ० ने जामे शहादत नोश किया, और शहादत का बाब आज तक बंद नही हुआ, सिलसिला अभी तक चल रहा है, ये शहर इस तरह शहीदों का शहर है।

* मस्जिद ए अक्सा और शाम की की अहमियत हरमैन की तरह है, जब कूरान पाक की ये आयत 
* उम्मत ए मोहम्मदी हकीकत में इस मुकद्दस सरजमीं की वारिस है।
* फलस्तीन की अज़मत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पर पढ़ी जाने वाली हर नमाज़ का अज्र 500 गुना बढ़ा कर दिया जाता है।
                     
 " निगाहें मुन्तज़िर है बैतूल मुकद्दस की फ़तह के लिए या रब,
   फिर किसी सलाउद्दीन अय्युबी को भेज दे"......

Saturday, May 8, 2021

दुवा

🤲🏻 *दुवा इस तरह मांगनी चाहिए* 🤲🏻

*🤲या अल्लाहﷻ हमारे सगीरा व कबीरा गुनाहौं को माफ फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमारी खताओं को दरगुज़र फार्मा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमें कामिल ईमान नसीब फरमा और पूरी हिदायत फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमारी ज़बान पर कलमा ए तय्यबा हमेशा जारी रख.*
*🤲 या अल्लाहﷻ हमें अपनी ख़ास  रहमतें, बरकतें और अनवारात से मालामाल फ़र्मा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमारे दिलों को इख़लास के साथ दीन की तरफ़ फेर दे*
*🤲याअल्लाहﷻ अपनी खास रहमत नाज़ील फरमा और अपने कहेर व अज़ाब से बचा*
*🤲या अल्लाहﷻ झूठ, गीबत, कीना, बुग़ज़ , तकब्बुर बुराई और झगडे से हमारी हिफाज़त फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ एक लम्हे के लिए भी हमें दुनीया के हवाले ना फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ तंगदस्ती, खौफ़, घबराहट और क़र्ज़ के बोझ को दूर फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ हश्र की रुसवाई से हम और  हमारे  वालिदैन और पूरी उम्मत-ए-मोहम्मदिया की हिफ़ाज़त फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ पुल सिरात से बिजली की तराह गुज़ार दे*
*🤲या अल्लाहﷻ बीना हिसाब व किताब जन्नतुल फिरदौस में हमें जगह अता फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ नाम-ए-आमाल हमारे दाहिने हाथ में अता फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ अपने अर्श के साये में हमें जगह नसीब फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ हज्ज-ए-बैतुल्लाह मक़बूल व मबरूर नसीब फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ  मुंकिर नकिर के सवालात हम पर आसान फरमा*
🤲 *या अल्लाहﷻ  हलाल रोज़ी  अता फरमा*

*🤲या अल्लाहﷻ  इस दुनीया से कोरोना वायरस की वबा का खातमा करदे*

*🤲या अल्लाहﷻ क़यामत के रोज़ अपना दीदार अता फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमें तेरे बंदो का मोहताज ना बना*
🤲 *या अल्लाहﷻ छोटी बड़ी बीमारी से हमारी और कुल* *उम्मत-ए-मोहम्मदिया की हिफ़ाज़त फ़रमा*
*🤲या अल्लाहﷻ  तक्वा और परहेज़गारी नसीब फ़र्मा*
*🤲या अल्लाहﷻ आपﷺ के प्यारे तरीके हमें सीखा दे ,और आप ﷺ की सून्नत पर अमल करने की तौफीक दे*
*🤲या अल्लाहﷻ क़यामत के दिन हुज़ूर ﷺ की शिफ़ाअत नसीब फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ क़यामत के दिन हुज़ूर ﷺ के मुबारक हाथों से जाम-ए-कौसर पीना नसीब फ़र्मा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमारे दिलों में अपनी और हुज़ूर ﷺ की  मोहब्बत नसीब फरमा*
*🤲या अल्लाह हमें सच्ची और पक्की तौबा करने की तौफ़ीक अता फ़र्मा*

*🤲 या-रहमान, या-रहीम, या-मलिक, या-कुदूस, या-सलाम, या-ग़फ़्फ़ार, या-ग़फ़ूर, या-करीम हमारे तमाम गुनाहों का माफ़ फ़र्मा*
*🤲या अल्लाह हमें गुनाहों  से नफ़रत दे दे, * या अल्लाहﷻ जाने अंजाने में हमसे जो गलतियां हुई है उन्हें माफ़ फ़र्मा, या-अल्लाह हम जो गलियतों की तौबा करना भूल गए उन गलतियों को भी माफ फरमा*
*🤲या अल्लाह तमाम मरहुमीन को जन्नत उल फिरदौस में जगह अता फरमा, दोज़ख़ के अज़ाब से कब्र के अज़ाब से और जहन्नुम के आग से बचा*
*🤲या अल्लाह हमें नेक बाना (अमीन)*
*🤲या अल्लाह हमारे बच्चों को नेक तौफीक और नेक हिदायत अता फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमारे बच्चों की ज़िन्दगी आसान कर दे*
*🤲या अल्लाहﷻ हमारे बच्चों  को इम्तेहान में  काम्याबी अता फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ हमें अपने  माँ बाप की तरफ़ प्यार और सब्र से पेश आने की तौफीक अता फरमा*
*🤲या अल्लाहﷻ तमाम उम्मते मुस्लिमा की जाइज़ दुआएं क़ुबूल फ़र्मा*
*🤲ऐ अल्लाह ﷻ* *हमारी दुआओं को अपने फ़ज़ल ओ करम से अपने रहम ओ करम से क़बूल फ़र्मा*

*रब्बना आतीना फिद दुनिया हसनतव् व फिल आखिरती हसनतव् व कीना अज़ाबन नार*
*व कीना अजाबुल क़ब्र* 
*व कीना अजाबुल हश्र*
*व कीना अज़ाबुल फक्र*
*व कीना अजाबुल मीज़ान*
*व कीना अजाबुल कर्ज़*
*व कीना अजाबुल मर्ज़*
*व कीना आज़ाबुल आफात*
*व कीना अज़ाबुल सकरात*
*व कीना अज़बुल मौत*
*व किना अज़ाबुल फ़ितनतुल*  *मसिहिद दज्जाल*
*व किना अज़ाबन्नार...* *(आमीन)*

*🤲 ऐ अल्लाहﷻ इस दुनीया से कोरोना की वबा का खातमा करदे*

*🤲और भेजने वाले की सारी जायज़ दुआ कबूल हो ... (आमीन)*

 *इस दुआ को इतना फैलाए के सारी  उम्मत की  मगफिरत हो जाए*

*ये बोहोत कीमती दुआ है सब को भेजो, सिर्फ़ अपने पास मत रखना..*   🤲

Wednesday, May 5, 2021

दुआ

बहुत ही प्यारी दुआ एक बार जरूर पढ़ें ।
ऐ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ,🌙ऐ सारी क़ायनात के शहंशाह ,🌙ऐ सारी मख्लक़ू के पालने वाले ,🌙ऐ ज़िन्दगी और मौत का फैसला करने वाले ,🌙ऐ आसमानों और ज़मीनों के मालिक ,🌙ऐ पहाड़ों और समन्दरों के मालिक ,🌙ऐ इंसानो और जिन्नातों के माबूद ,🌙ऐ अर्श -ए -आज़म के मालिक ,🌙ऐ फरिश्तों के माबूद ,🌙ऐ इज़्ज़त और ज़िल्लत के मालिक ,🌙ऐ बीमारियों से शिफ़ा देने वाले ,🌙ऐ बादशाहों के बादशाह .🌙ऐ अल्लाह हम तेरे गुनाहगार बन्दे हैं ,🌙तेरे ख़ताकार बन्दे हैं ,🌙हमारे गुनाहों को माफ़ फरमा ,🌙हमारी ख़ताओं को माफ़ फरमा ,🌙ऐ अल्लाह हम अपने अगले पिछले,सगीरा,कबीरा, छोटे, बड़े सभी गुनाहों और खताओं की और ना -फरमानियों की माफ़ी मांगते हैं ...🌙ऐ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हम अपने गुनाहों से तौबा करते हैं .हमारी तौबा क़ुबूल करले ..🌙ऐ अल्लाह हम गुनाहगार हैं ,🌙सियाकार हैं ,🌙बदकार हैं ,लेकिन जैसे भी हैं तेरे महबूब के उम्मती हैं🌙तेरे हुक्मो के ना-फरमान हैं ,🌙ना-शुकरे हैं लेकिन मेरे माबूद तेरे नाम लेवा बंदे हैं तेरी तौहिद की गवाही देते हैं .🌙तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं है .🌙तेरे सिवा कोई बंदगी के लायक नहीं है .🌙तेरे सिवा कोई ताऱीफ के लायक नहीं है .🌙हमारे माबूद हमारे गुनाह तेरी रहमत से बड़े नहीं हैं .🌙तू अपनी रहमत से हमें माफ़ करदे🌙ऐ अल्लाह पाक तू हमें गुमराही के रास्ते से हटा कर सिरातल मुस्तक़ीम के रास्ते पे चलने वाला बना दे🌙ऐ अल्लाह ऐसी नमाज़ पढ़ने की तौफ़ीक़ अता कर जिस नमाज़ से तू राज़ी हो जाये ,🌙ज़िंदगी में ऐसे नेक अमल करने कि तौफ़ीक़ अता कर जिन आमालों से तू राज़ी हो जाये .🌙हमें ऐसी ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता कर जिस ज़िंदगी से तू राज़ी हो जाये .🌙ईमान पे ज़िंदा रख और ईमान पे ही मौत अता कर .🌙ऐ अल्लाह हमें तेरे हुक्मों की फ़र्माबरदारी करने वाला बना ..🌙और तेरे प्यारे हबीब जनाबे मोहम्मद रसूलुल्लाह (सलल्लाहोता 'आला अलैहि वस्सल्लम ) के नेक और पाकीज़ा तरीकों को अपनी ज़िन्दगी में लाने वाला बना .🌙ऐ अल्लाह हमारी परेशानियों को दूर करदे ,🌙ऐ अल्लाह जो बीमार हैं उन्हें शिफ़ा ए-कामिला अता फरमा .🌙ऐ अल्लाह जो क़र्ज़ के बोझ से दबे हुए हैं उनका क़र्ज़ जल्द से जल्द अदा करवा दे ,🌙ऐ अल्लाह शैतान से हमारी हिफाज़त फरमा🌙ऐ अल्लाह इस्लाम के दुश्मनों का मुँह काला कर ,🌙ऐ अल्लाह हलाल रिज़्क़ कमाने कि तौफ़ीक़ अता फरमा ,🌙 ऐ मेरे परवरदिगार पूरी दुनिया मे जितने लोग वफात पा चुके हैं उनकी मग्फिरत फरमा . .🌙उन्हे कब्र के अज़ाब से माफ फरमा . .🌙जो बीमार हैं या परेशान हैं तू अपने करम से माफ फरमा🌙और उनकी बीमारी और परेशानी को दूर फरमा. .🌙और ऐ मेरे परवरदिगार जिसने मुझे ये दुआ भेजी है उसके तमाम गुनाहो को माफ फरमा. .🌙और हर काम में क़ामयाबी अता फरमा . .🌙और उसके नसीब खोल दे. .🌙 ऐ परवर्दिगार- ए -आलम हमें माँगना नहीं आता लेकिन तुझे देना आता है तू हर चीज़ पे क़ादिर है..🌙 ऐ अल्लाह जो मांगा वो भी अता फरमा जो मांगने से रह गय वो भी इनायत फरमा ...🌙 हमारी दुआ अपने रहम से अपने करम से हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के वसीले से क़ुबूल फरमा .और  परेशानियों,तकलीफ़ों,बिमारियों को दूर फरमा और सेहत तंदरूस्ती अताकर..🌹आमीन🌹आमीन🌹आमीन