Saturday, August 26, 2023

दास्ताने करबला, क़िस्त-12*

*दास्ताने करबला, क़िस्त-12*

*हज़रत इमाम मुस्लिम के मज़लूम बच्चे*

शैतान इब्ने ज़्याद *हजरत इमाम मुस्लिम रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के* क़त्ल से फ़ारिग हुआ तो उसे पता चला कि इमाम मुस्लिम के दो लड़के भी इसी शहर में हैं। इब्ने ज़्याद ने फ़ौरन ऐलान करा दिया कि जो कोई भी (हज़रत) मुस्लिम के लड़कों को अपने घर मे जगह देगा क़त्ल व गारत किया जायेगा, *उस वक़्त दोनों बच्चे क़ाज़ी शुरैह के घर में थे।* 

*क़ाज़ी शुरैह* साहब ने दोनों बच्चों को सामने बुलाया और बे-इख़्तियार रोने लगे....

*बच्चों ने पूछा :* "आज इस तरह रोने का सबब क्या है...? क्या हम दोनो यतीम तो नहीं हो गये..?

*क़ाज़ी साहब ने फ़रमाया :* "बच्चों, अल्लाह तआला तुम्हे सब्र अता फ़रमाये, वाक़ई तुम दोनों यतीम हो गये हो।"

बच्चों ने यह ख़बर सुनी तो रोने लगे, क़ाज़ी साहब ने कहा : *बच्चों ! चुप रहो इब्ने ज़्याद के आदमी तुम्हारी तलाश में हैं,* 
मुझे तुम्हारी और अपनी जान का ख़ौफ है मै चाहता हुं कि तुम्हे किसी के साथ मदीना शरीफ़ रवाना कर दूं।,

क़ाज़ी साहब ने अपने लड़के असद से कहा कि *आज एक क़ाफ़िला दरवाज़ा ए इराक़ैन से मदीना शरीफ़ को जा रहा है, तुम इन दोनों बच्चों को किसी नेक आदमी के सुपुर्द कर आओ, ताकि, वह उन्हें मदीना शरीफ़ पहुंचा दे।*

असद जब उन्हें लेकर दरवाज़ा ए इराक़ैन आया तो *क़ाफ़िला रवाना हो चुका था।* दूर धूल उड़ती हुई नज़र आ रही थी, असद ने बच्चों से कहा कि क़ाफ़िला अभी अभी यहां से गुज़रा है, दौड़कर उससे मिल जाओ, *बेकस बच्चे क़ाफ़िले की तरफ़ दौड़ पड़े मगर क़ाफ़िला दूर जा चुका था इसलिए क़ाफ़िले को न पा सके।* 

असद घर को वापस आ चुका था अंधेरी रात थी बच्चे रास्ता भूल गये, रात भर इधर-उधर फिरते रहे, *सुबह होने लगी तो एक पानी का चश्मा देखा, थके हुए थे इसलिए चश्मे के पास बैठ गये,* इत्तेफ़ाक़न एक ग़ुलाम उस चश्मे पर पानी भरने आई, उन्हें देखा और जब उसे मालूम हुआ कि यह हज़रत इमाम मुस्लिम रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के यतीम बच्चे हैं तो वह रोने लगी।

और कहा : "साहिबज़ादों मेरे साथ चलो मेरी मालिका अहले बैअ्त से मुहब्बत करने वालों में से है। वह तुम्हें पाकर बहुत खुश होगी, बिल्कुल न घबराओ और मेरे साथ चलो।" 

बच्चे हैरान व परेशान उसके साथ हो लिए। जब घर पहुंचे तो घर की मालकिन यह मालूम करके कि *ये हज़रत मुस्लिम रज़िल्लाहु तआला अन्हु के यतीम बच्चे हैं,* दौड़ी और दोनो को सीने से लगाया और उनके हाले ज़ार पर रोने लगी और फिर खिला-पिलाकर एक कमरे मे सुला दिया..!

यह औरत तो ख़ुदा परस्त और मुहिब्बे अहले बैअ्त थी, लेकिन *उसका खाविन्द *हरीस नामी ख़ुदा ए तआला का नाफ़रमान और दुश्मने अहले बैअ्त था,* दिन भर इन्हीं बच्चों की तलाश में घूमता रहता था कि बच्चे मिल जायें तो उनका क़त्ल करके उनका सर इब्ने-ज़्याद के पास ले जाकर इनाम पाऊं.?

रात को जब  ये ज़ालिम घर आया तो उसकी बीवी डरी के कहीं इसे इन बच्चो का इल्म न हो जाए। 
*चुनांचे:* उसकी बीवी ने उसे जल्दी-जल्दी खाना खिलाकर सो जाने को कहा वह ज़ालिम दिन भर का थकामांदा था सो गया,

कुछ रात गये बड़े बच्चे ने छोटे को जगाया और अपना देखा हुआ ख़्वाब सुनाया। फिर दोनों बाप की याद में एक दूसरे को चिमटकर रोने लगे,

*उनके रोने से हरीस की आंख खुल गई .......*
बीवी से पुछा  ये शोर कैसा ...? वह औरत सहम गई और दौड़ी कि ख़ुदा जाने अब क्या होगा..?

हरीस उठा और चिराग़ जलाकर अंदर आया तो उन दोनो यातीमों को रोते देखकर बोला तुम कौन हो...
*उन साहिबज़ादों ने साफ़ कह दिया कि हम फ़रज़न्द-ए-हज़रत मुस्लिम है, ज़ालिम हरीस खुश हो गया।*

फिर ये ज़ालिम उन साहिबज़ादों को घसीटते हुए बाहर लाया औरत बेचारी बहुत हाथ पैर मारती रही, अपना सिर उसके पैरों पर रखती रही और उसे ज़ुल्म से रोकती रही मगर उस ज़ालिम ने एक न सुनी, *बेरहम तलवार लेकर उठा और दोनों को नहरे फ़ुरात की तरफ़ लेकर चला और उनको क़त्ल करने के लिए तैयार हो गया।*

🩸 ज़ालिम बेरहम हरीस ने तलवार पकड़ ली उस वक़्त बच्चों ने कहा : "हम यतीम हैं, बे वतन हैं, हम पर रहमकर।" 

🩸 मगर उस दुनियां के ज़ालिम कुत्ते ने एक न सुनी और ज़ालिम ने बड़े साहिबज़ादे को पहले शहीद किया फिर देखते ही देखते छोटे को भी शहीद कर दिया...........

*انا لله وانا اليه راجعون،*

 *📘तज़किरा-ए-हुसैन, सफ़ह-48)* 

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाक़ी अगली पोस्ट में)*

*मिन जानिब जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा, गुमला, झारखंड, इंडिया*

*Next........*

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*ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत-🌹*

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*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
        *🌹ज़िन्दाबाद 🌹*
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