Thursday, August 10, 2023

दास्तानें करबला क़िस्त 01

*दास्तानें करबला क़िस्त 01*

*हज़रत इमाम हुसैन की विलादत*

*हज़रत इमाम हुसैन* रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की विलादते मुबारका 5 शाबान 4 हिजरी को *मदीना तैयिबा में हुई।*

सरकारे अक्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने *आप के कान में अज़ान दी, मुंह में लुआबे दहन (थूक मुबारक) डाला और आप के लिये दुआ फरमाई।* फिर सात वें दिन आप का नाम हुसैन रखा और अक़ीक़ा किया। 

हज़रत इमाम हुसैन की कुन्नियत अबू अब्दुल्लाह और लकब “सिले रसूल" व "रैहानतुर रसूल" है। हदीस शरीफ में है, रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि हज़रत हारून अलैहिस्सलाम ने अपने बेटों का नाम शब्बर व शब्बीर रखा और *मैं ने अपने बेटों का नाम उन्हीं के नाम पर हसन और हुसैन*

*📗सवाइक़े मुहर्रिक़ा-118)*

*दास्तानें करबला का सियासी पहलू*  

*हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पेंशनगोई (यानी ग़ैबी ख़बर)*
 
*मफ़हूम ए हदीस*

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि: खिलाफते राशिदा मेरे बाद *तीस (30) साल तक कायम रहेगी* और 30 साल के बाद मलूक़ियत का आगाज़ हो जाएगा। तुम पर मेरी सुन्नत पर अमल करना वाजिब है और इलावा मेरे  जो खुलफ़ा ए राशिदीन है उनकी सुन्नत पर।  

(📚 मिश्कात शरीफ बाब किताबुल फ़ितन )
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*इब्तिदाए दौरे खुलफ़ा-ए-राशिदीन:*

आका ए नामदार, दो जहांन के मालिक-व-मुख्तार हुज़ूर  सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़ाहिरी ज़िन्दगी से पर्दा करने के बाद.... 

1️⃣ पहले खलीफा हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रज़िअल्लाहु तआला अन्हु बने जिनकी  खिलाफ़त का दौर *ढाई साल* रहा....

2️⃣ फिर दूसरे ख़लीफ़ा हज़रत उमर फारूक़ रज़िअल्लाहु तआला अन्हु बने जिनका दौरे खिलाफ़त *दस साल* रहा...

3️⃣ फिर उनके बाद तीसरे ख़लीफ़ा हज़रते उसमाने गनी रज़िअल्लाहु तआला अन्हु बने जिनका दौरे खिलाफ़त *12 साल तक रहा...*

4️⃣ उनके बाद चौथे ख़लीफ़ा हज़रते अली-युल-मुर्तज़ा रज़िअल्लाहु तआला अन्हु का दौरे खिलाफ़त *5 साल रहा...*

इस तरह पहले चार ख़लीफ़ा का दौरे खिलाफ़त *साढ़े उनत्तीस बरस* तक रहा।  

इसके बाद, पहले चार ख़ुलफ़ा ए राशिदीन ही की तरह उसी सुन्नत और उसी तरीक़ा ए हाल के मुआफ़िक *हज़रते सय्यिदना इमाम हसन* रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को खलीफ़ा-ए-राशिद मुकर्रर किया गया.... तो गोया वोह पांचवे खलीफा ए राशिद थे।  

👉🏼    हज़रत सय्यिदना हसन ए मुजतबा 6 माह तक खिलाफते राशिदा के मनसब पर फ़ाइज़ रहे।  इस तरह *हुज़ूर की पेंशनगोई के हिसाब से दौरे खिलाफ़ते राशिदा की 30 साल की मुद्दत मुकम्मल हुई।*

 *खिलाफत के मसअले पर उम्मत में तफ़रीक की इब्तिदा*

जब *हज़रते उस्माने गनी* रज़िअल्लाहु तआला अन्हु की शहादत हुई *तब से खिलाफते इस्लामिया को तक़सीम करने का अमल शुरू हो गया था ।*
 
जब *हज़रत सय्यिदुना अली* शेरे खुदा तख़्त-ए-खिलाफ़त पर बैठे तो उस ज़माने में *हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु मुल्के शाम (यानी दमिश्क़) के हाकिम (गवर्नर) हुआ करते थे।*  

*हज़रते अली* रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने तख़्ते खिलाफ़त संभाला तब *हज़रते मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने आपकी खिलाफ़त पर बैत करने से इन्कार कर दिया* और मुल्के शाम में अपनी गवर्नरी को *आज़ाद हुकूमत* में बदल दिया।  

*उलमा ए अहले सुन्नत के नज़दीक ये है कि खिलाफ़ते हज़रत अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ही हक़ पर कायम थी।* और चुंकि हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु हुज़ूर के सहाबी थे इसलिये आपके के इस क़दम को खता-ए-इज्तिहादि क़रार देते हैं (और खता-ए-इज्तिहादि में ये है की अगर गलती भी हुई हो तो अल्लाह तआला उसे माफ़ फरमा देता हैं ) 

हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के आज़ाद हुकूमत कायम करने से आलमे इस्लाम में दो हुकूमतें क़ाइम हो गईं और उम्मत मे चार तबक़ात वुजूद में आ गए............

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाकी अगली पोस्ट में)*

*मिन जानिब- जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा, गुमला झारखंड*

*Next........*

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*ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत*

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*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
        *🌹ज़िन्दाबाद 🌹*
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