Thursday, August 24, 2023

दास्ताने करबला, क़िस्त-11*

*दास्ताने करबला, क़िस्त-11*

*हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील की शहादत*

हज़रत इमाम मुस्लिम रज़िअल्लाहु तआला अन्हु जब कूफ़ा पहुंचे तो बेवफा कूफ़ियों ने आपके हाथ पर बैअत करके फिर आप से मुंह मोड़ लिया और आपका साथ छोड़ दिया, *आप तन्हा रह गये, रात का वक़्त था इब्ने ज़्याद ने आपकी गिरफ़्तारी के लिये शहर के चारो तरफ़ कड़ी निगरानी कर दी।*

हज़रत इमाम मुस्लिम भूके-प्यासे एक मस्जिद मे बैठे रहे रात को बाहर निकले, रास्ते का इल्म न था दिल मे कहते थे अफ़सोस हुसैन से छूटे और दुश्मन में घिरे न कोई हमदम है कि राज़े दिल सुने *ना कोई क़ासिद है कि हुसैन को ख़बर करे। (रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा)* 

इसी तरह हैरान और परेशान एक मुहल्ले मे फिर रहे थे, वहां एक बुढ़िया तौआ नामी को देखकर उससे पानी तलब फ़रमाया तो उसने पानी दिया।  यह मालूम करके कि यह *ग़रीबुल वतन* मुस्लिम हैं। बुढ़िया ने आपको अपने घर मे जगह दी, लेकिन उस बुढ़िया का बेटा इब्ने ज़्याद का आदमी था।  उसने इब्ने ज़्याद को ख़बर दे दी कि, हज़रते मुस्लिम हमारे घर मे हैं। 

*इब्ने ज़्याद ने अपनी फौज भेज दी, जिसने बुढ़िया के मकान को घेर लिया और चाहा की हज़रत मुस्लिम  को गिरफ़्तार कर लें।*
इमाम मुस्लिम को जब इस बात का पता चला तो आप तन्हा तलवार लेकर इब्ने ज़्याद के लश्कर पर टुट पड़े, जैसे शेर बकरियों के झुंड पर हमला आवर होता है। आपके हमले से उनके दिल दहल गए और बहुत आदमी ज़ख्मी हुए और बहुत से मारे गए। 

अब इन ज़ालिमों ने मुक़ाबले की तरक़ीब बदल दी और *सामने से आकर मुक़ाबला करने के बजाय दर व दिवार पर चढ़कर  पत्थर बरसाने शुरू कर दिये जिस से हज़रत मुस्लिम का बदने मुबारक खस्ता हो गया।* एक पत्थर आपकी पेशानी पर लगा, एक पत्थर आकर आपके होठों पर लगा जिनसे खून जारी हो गया, दाढ़ी और बदन मुबारक लहू लुहान हो गया, तो अब मजबूर होकर एक दिवार से तकिया लगाकर बैठ गये कि एक नामर्द ने घर  मे आकर तलवार आपके सर पर मारी जिससे उपर का होठ कट गया, आपने इसी हाल मे उस बुज़दिल को जहन्नम रशीद कर दिया और फिर दीवार से तकिया लगाकर बैठ गये, 
*अर्ज़ करने लगे :* ईलाही ! मैं इस वक़्त प्यासा हुं। 

🩸आपकी फ़रियाद सुनकर वही बुढ़ीया घर से पानी लाई और आपको दिया आपने मुंह से लगाया मगर उसमे खुन मिल गया इसलिए आपने नहीं पिया, बुढ़ीया ने दोबारा दिया वह भी खून आलुदा हो गया, तीसरी बार उसमे आपके दांत निकलकर गिर पड़े, आपने प्याला हाथ से रखकर फरमाया -
"ख़ुदा को मंज़ूर ही नहीं"

फिर खड़े हुए, पीछे से किसी ने नेज़ा मारा जो पीठ के पार हो गया ज़ालिमों ने दौड़कर आपको पकड़ लिया और *आपको इब्ने ज़्याद के पास ले गये, इब्ने ज़्याद बद निहाद ने हुक्म दिया कि इन्हें छत पर ले जाकर क़त्ल कर दो,*

*चुनांचे :* एक ज़ालिम इब्ने बुकैर ने आपका हाथ पकड़ कर आपको छत पर ले गया, हज़रत मुस्लिम दुरूद शरीफ़ पढ़ते जाते और कहते जाते थे.
*अल्ला हुम्मा हकुम बैनना व बैना क़ौमिना बिल हक़,*

जब छत पर पहुंचे तो नीचे देखा की अहले कूफ़ा जमा होकर देख रहे हैं है।,
*आपने फ़रमाया :*

*"ऐ कूफ़ियों जब मेरा सर तन से जुदा किया जाये तो बदन दफ़न करना और कपड़े उतारकर जो काफ़िला मक्का ए मुअज़्ज़मा जाता हो हुसैन के पास भेज देना और मेरे बच्चो पर रहम करना, फिर मक्के की तरफ़ रुख़ कर के कहा*

*भाई यहां की आपको कैसे ख़बर करे*
*हरगिज़ इधर को आप न अज़्मे सफ़र करें..!!*

*इतने मे ज़ालिम क़ातिल ने आपका सरे मुबारक तने अतहर से जुदा कर दिया.......…..*

*(अल्लाहु अकबर)*
-

*इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन*

शहीद मुस्लिम बेकस हुए हज़ार अफ़सोस.
फरिश्ते करते हैं इस गम पे बार बार अफसोस..
शकी ने कुछ भी न ग़ुरबत का उनकी पास किया.
चलाई हलक़ पे शमशीरे आबदार अफ़सोस..?

*सबक़*

दुनियादार नशा-ए-दुनिया में बदमस्त होकर अल्लाह वालों पर इन्तिहाई ज़ुल्म व सितम पर उतर आते ते हैं।, लेकिन अल्लाह वालों के पाए इस्तिक़लाल मे लग्ज़िश नही आती, मालूम हुआ कि यह सारे ज़ुल्म व सितम ढाने वाले बड़े ही झूटे और बुज़दिल होते हैं, ये लोग ज़ाहिर में मुहब्बत वाले दिखते थे, लेकिन बातिन मे दुश्मन होते हैं...!! इनके दिलों में अहले बैत की मुहब्बत के बजाय बुग़्ज़, कीना, और अदावत होती है। 

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाक़ी अगली पोस्ट में)*

*Next........*

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*🌹 तालिबे दुआ 🤲👇*

*ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत-🌹*

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*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
        *🌹ज़िन्दाबाद 🌹*
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