Thursday, September 17, 2020

सैय्यद मख़्दूम अशरफ सिमनानी रहमतुल्लाही अलैहि

नीर शरीफ की हकीक़त 

 हज़रत सय्यद मख़दूम अशरफ सिम्नानी की दरगाह के पास मौजूद नीर शरीफ की हकीक़त** 

(उर्स मुबारक - 26,27,28 मुहर्रम शरीफ)

 उस दौर में किछैछा शरीफ(उत्तर प्रदेश) में पानी की बहुत किल्लत थी..... इसलिए हज़रत मख़दूम पाक ने अपने मकान के करीब तालाब खोदने का हुक्म दिया,इस तालाब की खुदाई का काम मलक महेमूद के सुपुर्द किया गया था...... 

     दर्वेशों की एक बड़ी जमात यहां रहती थी, अपने फराइज़ व नवाफिल से फारिग होने के बाद उनका काम था तालाब की खुदाई..... नीर शरीफ की खुदाई इस एहतमाम के साथ होती थी कि, फावड़े का हर ज़रब ज़िक्र हद्दादी यानी ला इलाह- इल्लल्लाह मुहम्मदूर रसुल अल्लाह के ज़िक्र के साथ लगता था...... 

     इस काम में औलिया अल्लाह, दरवेशों के साथ आप हज़रत मख़दूम पाक भी खुद अपने रफका के साथ शामिल होते थे, आपकी गैर मौजूदगी में आपकी नयाबत आपके खलीफा शेख कबीर के सुपुर्द होती...... 

     जब तालाब की खुदाई आपके मौजूदा मज़ार शरीफ के तीनों तरफ मुकम्मल हो गई तो , आप हज़रत मख़दूम अशरफ समनानी रहमतुल्लाहि अलैह ने सात बार आबे ज़मज़म शरीफ काफी मिकदार में डालकर तालाब को भर दिया..... ये आपकी बहुत बड़ी करामत है, मक्का शरीफ में आबे ज़मज़म से अपना लोटा भरते और किछौछा में खोदे गए तालाब में डालते जाते , इस तरह सात चक्कर में आपने पूरा तालाब भर दिया..... 

     इसलिए नीर शरीफ के पानी में ये असर पैदा हो गया के ये पानी मसहूर यानी जादू वाले, आसेब ज़दा यानी जिन्नात वाले , पागल मरीज़ और दीगर बहुत अमराज़ के लिए आबे हयात का काम करता है....        
    हज़रत अब्दुर रहमान चिश्ती अपनी किताब मरातुल असरार में नीर शरीफ के बारे में फरमाते हैं... आबे आं होज हर गीज़ गंदा नमी शुवद व आसेब ज़दा शिफा बायद यानी इस हौज़ का पानी कभी गंदा नहीं होता और आसेब ज़दा शिफा पाते हैं.....
 
        इसकी तासीर की वजह से बड़े बड़े जिन्नात भी इस पानी से पनाह मांगते हैं.... 

( किताब - हयाते गौसुल आलम सफा नं. 108 ) 
(उर्स मुबारक - 26,27,28 मुहर्रम शरीफ)


आलमे इस्लाम को सुलतानुत्तारेकीन, गौसुल आलम, महबूबे यजदानी, सुलातनुल आरेफीन, क़ुत्बुल अकताब, हज़रत सुल्तान सैयद मीर उहदुद्दीन मख़्दुम अशरफ जहाँग़ीर सिमनानी (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) का उर्से पाक बहोत बहोत मुबारक हो.!


    🌟🌟🌟शाने मख़दुम अशरफ़ (पार्ट-१)🌟🌟🌟

🌐मरातिबे विलायत में सबसे आला मरतबा जिसको इस्तेलाह में मरतबा-ए-गौ़सियत कहते हैं, रब तबारक व त’आला ने ये मरतबा भी सरकार मख़दुमे पाक (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) को इनायत फरमाया.!

👉🏾और आलम का आलम आपकी बारगाहे बेकस पनाह का भिखारी और फरियादी बन गया.!
👉🏾सरकार मख़दुमे पाक (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) का नामे नामी रद्दे बला व मसाइब और दाफए आसेब व सहर व जुनून के लिए आहिनी क़िला है.!
👉🏾सरकार मख़दुम पाक (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) की विलादत से पहले ही अकाबिर औलिया अल्लाह ने आपके मरतबा-ए-गौ़सियत के मुताअल्लिक़ बशारतें दी थीं.!
   • खूब है दिलनशीं समां अशरफ पिया का उर्स है,
   • खिल उठा दिल का गुलसितां अशरफ पिया का उर्स है.!


🌟🌟🌟शाने मख़दुम अशरफ़ (पार्ट-२)🌟🌟🌟

🌐तबक़ाते सुफिया के हवाले से हज़रत मौलाना निज़ामुद्दीन यमनी (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) नक़्ल करते हैं की हज़रत शैख मुहीय्युद्दीन इब्ने अरबी (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) खान-ए-काबा के तवाफ में मशगूल थे, आपने देखा की एक शख्स निहायत ही तेज़ी के साथ तवाफ कर रहे हैं जब आदमियों के हुजूम से गुज़रते है तो बगैर किसी को हटाए हवा की तरह निकल जाते हैं.!

👉🏾शैख मुहीय्युद्दीन इब्ने अरबी (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) फ़रमाते हैं की जब वो तवाफ़ कर चुके तो मैनें उनको सलाम कीया उन्होंने सलाम का जवाब दीया दरयाफ्त करने पर मालुम हुआ की वो हज़रत अबु बकर वास्ती (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) हैं मैने उनसे पूछा की आपको मालुम है की इस वक़्त गौ़से ज़माना कौन हैं.?

👉🏾फ़रमाया की मैं हूँ और मेरे बाद मीर सैयद जलालुद्दीन मखदुम जहानीया जहाँगश्त (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) होंगे उनके बाद मीर सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानी (ﺭَﺣْﻤَﺔُ ﺍﻟﻠﻪِ ﺗَﻌَﺎﻟٰﻰ ﻋَﻠَﻴْﻪِ) होंगे.!







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