Thursday, September 3, 2020

अल्लामा इकबाल की लीखी बात

*अल्लामा इकबाल*

 ने तकरीबन 80 साल पहले लीखी ये बात कितनी सच है ...


*कल मज़हब पूछकर जिसने बख्श दी थी जान मेरी...*

*आज फिरका पूछकर उसने ही ले ली जान मेरी!*


*मत करो रफादेन पर इतनी बहस मुसलमानों...*

*नमाज़ तो उनकी भी हो जाती है जिनके हाथ नही होते!*


*तुम हाथ बाँधने और हाथ छोड़ने पर बहस में लगे हो...*

*और दुश्मन तुम्हारे हाथ काटने की साजिश में लगे हैं!*


*ज़िन्दगी के फरेब में हम ने हज़ारों सज्दे क़ज़ा कर डाले...*

*हमारे जन्नत के सरदार ने तो तीरों की बरसात में भी नमाज़ क़ज़ा नही की!*


 *सजदा-ए-इश्क़ हो तो "इबादत" मे "मज़ा" आता है...*

*खाली "सजदों" में तो दुनियां ही बसा करती है!*


*लोग कहते हैं के बस "फर्ज़" अदा करना है.....*

*एैसा लगता है कोई "क़र्ज़" लिया हो रब से!*


*तेरे "सजदे" कहीं तुझे "काफ़िर ना कर दें...*

*तू झुकता कहीं और है और "सोचता" कहीं और है!*


*कोई जन्नत का तालिब है तो कोई ग़म से परेशान है...*

*"ज़रूरत" सज्दा करवाती है "इबादत" कौन करता है!*


*क्या हुआ तेरे माथे पर है तो "सजदों" के निशान...*

*कोई ऐसा सजदा भी कर जो छोड़ जाए ज़मीन पर निशान!*


*फिर आज हक़ के लिए जान फ़िदा करे कोई...*

*"वफा" भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई!*


*नमाज़ 1400 सालों से इंतेज़ार में है.....*

*कि मुझे "सहाबाओ" की तरह अदा करे कोई !*


*एक ख़ुदा ही है जो सजदों में मान जाता है...*

*वरना ये इंसान तो जान लेकर भी राज़ी नही होते!*


*देदी अज़ान मस्जिदो में "हय्या अलस्सलाह".....*

*ओर लिख दिया बाहर बोर्ड पर अंदर ना आए फलां और फलां!*


*खौफ़ होता है शौतान को भी आज के मुसलमान को देखकर...*

*नमाज़ भी पढ़ता है तो मस्जिद का नाम देखकर!*


*मुसलमानों के हर फिरके ने एक दूसरे को काफ़िर कहा...*

*एक काफ़िर ही है जो उसने हम सबको मुसलमान कहा !*


*आप सभी लोगों से निवेदन है गुजारिश है कि इसको शेयर करें*

*ज्यादा से ज्यादा*

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