नीर शरीफ की हकीक़त
Thursday, September 17, 2020
सैय्यद मख़्दूम अशरफ सिमनानी रहमतुल्लाही अलैहि
Sunday, September 6, 2020
Thursday, September 3, 2020
अल्लामा इकबाल की लीखी बात
*अल्लामा इकबाल*
ने तकरीबन 80 साल पहले लीखी ये बात कितनी सच है ...
*कल मज़हब पूछकर जिसने बख्श दी थी जान मेरी...*
*आज फिरका पूछकर उसने ही ले ली जान मेरी!*
*मत करो रफादेन पर इतनी बहस मुसलमानों...*
*नमाज़ तो उनकी भी हो जाती है जिनके हाथ नही होते!*
*तुम हाथ बाँधने और हाथ छोड़ने पर बहस में लगे हो...*
*और दुश्मन तुम्हारे हाथ काटने की साजिश में लगे हैं!*
*ज़िन्दगी के फरेब में हम ने हज़ारों सज्दे क़ज़ा कर डाले...*
*हमारे जन्नत के सरदार ने तो तीरों की बरसात में भी नमाज़ क़ज़ा नही की!*
*सजदा-ए-इश्क़ हो तो "इबादत" मे "मज़ा" आता है...*
*खाली "सजदों" में तो दुनियां ही बसा करती है!*
*लोग कहते हैं के बस "फर्ज़" अदा करना है.....*
*एैसा लगता है कोई "क़र्ज़" लिया हो रब से!*
*तेरे "सजदे" कहीं तुझे "काफ़िर ना कर दें...*
*तू झुकता कहीं और है और "सोचता" कहीं और है!*
*कोई जन्नत का तालिब है तो कोई ग़म से परेशान है...*
*"ज़रूरत" सज्दा करवाती है "इबादत" कौन करता है!*
*क्या हुआ तेरे माथे पर है तो "सजदों" के निशान...*
*कोई ऐसा सजदा भी कर जो छोड़ जाए ज़मीन पर निशान!*
*फिर आज हक़ के लिए जान फ़िदा करे कोई...*
*"वफा" भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई!*
*नमाज़ 1400 सालों से इंतेज़ार में है.....*
*कि मुझे "सहाबाओ" की तरह अदा करे कोई !*
*एक ख़ुदा ही है जो सजदों में मान जाता है...*
*वरना ये इंसान तो जान लेकर भी राज़ी नही होते!*
*देदी अज़ान मस्जिदो में "हय्या अलस्सलाह".....*
*ओर लिख दिया बाहर बोर्ड पर अंदर ना आए फलां और फलां!*
*खौफ़ होता है शौतान को भी आज के मुसलमान को देखकर...*
*नमाज़ भी पढ़ता है तो मस्जिद का नाम देखकर!*
*मुसलमानों के हर फिरके ने एक दूसरे को काफ़िर कहा...*
*एक काफ़िर ही है जो उसने हम सबको मुसलमान कहा !*
*आप सभी लोगों से निवेदन है गुजारिश है कि इसको शेयर करें*
*ज्यादा से ज्यादा*
Wednesday, September 2, 2020
अल्लाह से राबता
*एक मस्जिद की बगल मे एक नाई की दुकान थी।।*
*मस्जिद के मौलाना और नाई दोनो दोस्त बन गये थे*
*नाई हमेशा ही मौलाना से कहता,*
*अल्लाह ऐसा क्यो करता है ?*
*वैसा क्यो करता है ?*
*यहाँ बाढ़ आ गई ?*
*वहाँ सूखा हो गया ?*
*यहाँ एक्सीडेंट हुआ ?*
*यहाँ भुखमरी चल रही है*
*नौकरी नही मिल रही हमेशा लोगो को ऐसी बहुत सारी परेशानिया देता रहता है*
*एक दिन उस मौलाना ने नाई को सामने सडक पर बैठै एक इंसान से मिलाया,*
*जो भिखारी था,*
*बाल बहुत बढ़े थे,*
*दाढ़ी भी बहुत बढ़ी थी।*
*और नाई को कहा:-*
*देखो इस इंसान को जिसके बाल बढ़े हुए हैं, दाढ़ी भी बहुत बढ़ी हुई है*
*तुम्हारे होतें हुए ऐसा क्यों है ?*
*नाई बोला:- अरे! उसने मुझसे कभी राबता ही नहीं किया*
*फिर मौलाना ने नाई को समझाया यही तो सारी बात है*
*जो लोग अल्लाह से राबता करते रहते है उनका दुःख मुसीबत ख़ुद ही खत्म हो जाती है*
*जो लोग राबता ही नहीं करते और कहतें हैं हम दुःखी है*
*वो सब अपने अपने आमाल काट रहे होते हैं।*
*इसलिये अल्लाह से ता'अलुक़ मज़बूत कर लो और नमाज़ क़ायम करो*
*🌹नमाज़ पड़ो इससे पहले तुम्हारी नमाज़ पड़ी जाये*
*🤲🏻🌹अल्लाह हम सबको सच्ची पक्की अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये # आमीन🌹🤲🏻*
हालाते हकीकत
*कैसे लड़ोगे तुम कुफ्र की आंधियो से,*
*जब तुम अपना ईमान गवां बैठे*
*जो सर मिलते थे कभी सजदों में,*
*उन्हें सूद, ब्याज और ज़िना कारी में झुका बैठे*
*जिन हाथो से लडा जाता था ज़िहाद इंसाफ का,*
*उन्हें शराब और नाइंसाफी में लगा बैठे।।*
*रोती थी जो आँखे कभी खौफ ए ख़ुदा में,*
*उन्हें गानों और रंगीन फिल्मों में उलझा बैठे।।*
*जिस मुसलमाँ की मोहब्बत थी कभी मस्जिद ए अक़्सा से*
*दिखावे के इस जहां में वही इसे भुला बैठे।।*
*जकात देने में जिस तरह का जोश उम्मते रसूल में था,*
*इसे हम खर्च के बहानो में भुला बैठे।।*
*ये तो एक मस्जीद ऐ बाबर थी,*
*तुम तो उसे भी गवां बैठे।।*
*रही मुक्तसर सी बात*
*बन जा तू मुस्लिम खास,*
*कर भरोसा अपने रब पर*
*तू हैं कमज़ोर लेकिन वो नही,*
*जिसने रेगिस्तान में भी आबे ज़मज़म निकाला,*
*जिसने इब्राहिम को आतिस ऐ नमरूद से बचाया*
*जिसने बचाया फिरौन से उम्मते मूसा को*
*जिसने ज़िंदा रखा मछली के पेट में यूनुस को*
*जिसने जिताया मुस्लिमो को मैदान ए बद्र में*
*हा वही रब अब भी है*
*उसकी हुकूमत अब भी है*
*बदल देगा वो हुकूमत चंद लम्हो में*
*गर तू कामिल मोमिन अब भी है*
Inshallah
बयाने-इज़्ज़ो-शाने-अहले-बैत
बाग़े-जन्नत के हैं बेहरे मदह़-ख़्वाने-अहले-बैत
तुम को मुज़्दा नार का, ए ! दुश्मनाने-अहले-बैत
किस ज़बां से हो बयाने-इज़्ज़ो-शाने-अहले-बैत
मदह़-गोए-मुस्तफ़ा हैं मदह-ख़्वाने-अहले-बैत
उनकी पाकी का ख़ुदा-ए-पाक करता है बयान
आया-ए-तत़हीर से ज़ाहिर है शाने-अहले-बैत
उन के घर बे-इजाज़त जिब्रईल आते नहीं
क़दर वाले जानते हैं क़दरो-शाने-अहले-बैत
फूल ज़ख्मों के खिलाए हैं हवा-ए-दोस्त ने
ख़ून से सींचा गया है गुल्सिताने-अहले-बैत
अहले-बैते-पाक से गुस्ताख़ियां बे-बाकियां
लअ़नतुल्लाहि-अ़लयकुम दुश्मनाने-अहले-बैत
बे-अदब गुस्ताख़ फ़िरक़े को सुना दे ए हसन
यूं कहा करते हैं सुन्नी दास्ताने-अहले-बैत..!!
आशूरा के दिन की 12 नेकियां
आशूरा के दिन 12 चीज़ों को उल्मा ने मुस्तहब लिखा है.
*(१) रोज़ा रखना,*
*(२) सदक़ा करना,*
*(३) नफ़्ल नामज़ पढ़ना,*
*(४) ग़ुस्ल करना,*
*(५) सुर्मा लगाना,*
*(६) नाखून काटना,*
*(७) १००० मर्तबा सुरह इख्लास पढ़ना,*
*(८) उल्मा की ज़ियारत करना,*
*(९) यतीम के सर पर हाथ फेरना,*
*(१०) मरीज़ों की इयादत करना,*
*(११) अपने घरवाले के रिज़्क को बढ़ाना,*
*(१२) दुश्मनो से मिलाप (समझौता) करना.*
*➡किताबी हवाला⤵*
*(📕जन्नती ज़ेवर, सफ़ा नं-158, मुलख्खसा)*
Tuesday, September 1, 2020
हुज़ूर_ﷺ_के_40_उसूल
हुज़ूर_ﷺ_के_40_उसूल
01- आप ﷺ ने फ़रमाया:
फ़ज्र और इशराक़, अस्र और मगरिब, मगरिब और इशा के दरमियान मत सोया करो!
02- आप ﷺ ने फ़रमाया:
बदबूदार व गन्दे लोगों के साथ न बैठा करो
03- आप ﷺ ने फ़रमाया:
उन लोगों के दरमियान न सोए जो सोने से पहले बातें करता हो!
04- आप ﷺ ने फ़रमाया:
उल्टे हाथ से न खाओ!
05- आप ﷺ ने फ़रमाया:
मुंह से खाना निकालकर न खाओ!
06- आप ﷺ ने फ़रमाया:
अपने खाने पर उदास न हुआ करो ये आ़दत हमारे अन्दर नाशुक्री पैदा करती हैं!
07- आप ﷺ ने फ़रमाया:
गर्म खाने को फूंक से ठण्ड़ा मत करो!
08- आप ﷺ ने फ़रमाया:
खाना अन्धेरे में मत खाओ!
09- आप ﷺ ने फ़रमाया:
खाने को सूंघा न करो, खाने को सूंघना बद तहज़ीबी होती हैं!
10- आप ﷺ ने फ़रमाया:
मुंह भर के न खाओ क्यूंकि इस से मैदे में जमादारी बढ़ जाता हैं!
11- आप ﷺ ने फ़रमाया:
हाथ से कडाके न निकालो (चटकाया न करो)!
12- आप ﷺ ने फ़रमाया:
जूते पहनने से पहले झाड़ लिया करो!
13- आप ﷺ ने फ़रमाया:
नमाज़ के दौरान आसमान की त़रफ़ न देखो!
14- आप ﷺ ने फ़रमाया:
रफ्ए ह़ाजत की जगह (Toilet) में मत थूको!
15- आप ﷺ ने फ़रमाया:
लकड़ी के कोयले से दांत साफ़ न करो!
16- आप ﷺ ने फ़रमाया:
अपने दांतों से सख़्त चीज़ मत तोड़ा करो!
17- आप ﷺ ने फ़रमाया:
हमेशा बैठ कर कपड़े तब्दील करो!
18- आप ﷺ ने फ़रमाया:
दुसरों के ऐ़ब तलाश मत करो!
19- आप ﷺ ने फ़रमाया:
बैतुलख़ला (Toilet) में बातें मत किया करो!
20- आप ﷺ ने फ़रमाया:
दोस्त को दुश्मन न बनाओ!
21- आप ﷺ ने फ़रमाया:
दोस्तों के बारे में झूठे किस्से बयान न किया करो!
22- आप ﷺ ने फ़रमाया:
ठहर कर साफ़ बोला करो ताकि बात दुसरे पूरी त़रह़ समझ जाए!
23- आप ﷺ ने फ़रमाया:
चलते हुए बार बार पीछे मुड़कर न देखो!
24- आप ﷺ ने फ़रमाया:
एड़ियां मार कर न चला करो, एड़ियां मार कर चलना तकब्बुर की निशानियों में से हैं!
25- आप ﷺ ने फ़रमाया:
किसी के बारे में झूठ न बोलो!
26- आप ﷺ ने फ़रमाया:
शैख़ी न बघारो!
27- आप ﷺ ने फ़रमाया:
अकेले सफ़र न किया करो!
28- आप ﷺ ने फ़रमाया:
अच्छे कामों में दुसरे की मदद किया करो!
29- आप ﷺ ने फ़रमाया:
फ़ैसले से पहले मशवरा ज़रूर किया करो, और मशवरा हमेशा समझदार के बजाए तजुर्बाकार शख़्स से करना चाहिए!
30- आप ﷺ ने फ़रमाया:
कभी गुरूर न करो, गुरूर एक ऐसी बुरी आ़दत हैं जिसका नतीजा कभी अच्छा नही निकलता!
31- आप ﷺ ने फ़रमाया:
ग़ुरबत में सब्र किया करो!
32- आप ﷺ ने फ़रमाया:
मेहमान की खुले दिल से ख़िदमत करो ये आ़दत हमारी शख़्सिय्यत में कशिश पैदा कर देती हैं!
33- आप ﷺ ने फ़रमाया:
बुरा करने वालों के साथ हमेशा नेकी करो!
34- आप ﷺ ने फ़रमाया:
अल्लाह तआ़ला ने जो दिया हैं उस पर खुश रहो!
35- आप ﷺ ने फ़रमाया:
ज़्यादा न सोया करो, ज़्यादा नींद याददाश्त को कमज़ोर कर देती हैं!
36- आप ﷺ ने फ़रमाया:
इक़ामत और अज़ान के बीच में गुफ्तगू मत किया करो!
37- आप ﷺ ने फ़रमाया:
अपनी कमियों पर ग़ौर किया करो और तौबा किया करो!
38- आप ﷺ ने फ़रमाया:
रोज़ाना कम से कम सौ बार अस्तग़फार किया करो!
39- आप ﷺ ने फ़रमाया:
अज़ान के वक़्त सब काम छोड़कर अज़ान का जवाब दिया करो!
40- आप ﷺ ने फ़रमाया:
पानी हमेशा बैठ कर पिया करो!
●सुब्हान अल्लाह●
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