Monday, March 8, 2021

इस्तिबरा क्या है ?*

*इस्तिबरा क्या है ?*

नौजवान लाज़मी पढ़ें

*इस्तिबरा पेशाब के मुकम्मल खुश्क करने को कहते हैं। यह वाजिब है*

*जिस तरह नमाज़ में कोई वाजिब छूट जाए तो नमाज़ सज़दा सहू के बिना मुकम्मल नही होती ऐसे ही अगर पेशाब करने के बाद उसको मुकम्मल खुश्क न किया जाए तो तहारत कामिल नही होती*


*तहारत कामिल नही तो*

*वुज़ू कामिल नही*

*वुज़ू कामिल नही तो*

*नमाज़ नही होती*


*रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही व सल्लम ने फरमाया:-*
मेरी उम्मत के अक्सर लोगो की इबादतें उनकी तहारत की वजह से मुंह पर दे मारी जाएगी अक्सर अज़ाबे क़ब्र पेशाब की बे एहतियाती की वजह से होगा,

पुराने वक़्तों में लोग खुश्क मिट्टी इस्तेमाल करते थे पेशाब को खुश्क करने के लिए।

आज कल *95% फीसद* मर्द व ख्वातीन बिना खुश्क किए ही पेशाब, जल्दी बाजी में पानी बहा कर कपड़े पहन लेते हैं वहीं नापाक पानी फिर कपड़ों को लगता है।

क्यूंकि पानी की टोटी बन्द कर भी दें तो थोड़े थोड़े क़तरे निकलते रहते हैं कुछ वक़्त तक।
यहीं हाल इंसानी जिस्म के *urinary bladder* का है।


*पेशाब की नाली जो की ख्वातीन की निसबत मर्दों में क़दरे बड़ी होती है उसके अंदर कुछ क़तरे राह जाते हैं जैसे ही मर्द या औरत खड़े होते हैं तो Pelvic Muscles रिलैक्स होते हैं और पेशाब के क़तरे जो नाली में थे बाहर की तरफ आते हैं, लिहाज़ा जल्द बाजी न करें, फौरन खड़े न हों, इस बात का यकीन कर लें की आपका मसानह मुकम्मल तौर पर खाली हो चुका है। नाली में फसे क़तरे निकालने के लिए मसनुई तौर पर जान बूझ कर खाँसी करें इससे mascle रीलैक्स होंगे और बाई पांव पर जोर दें दो से तीन दफा, फिर टिसू पेपर से पेशाब खुश्क करके पानी इस्तेमाल करें फिर दोबारा टिसू पेपर इस्तेमाल कर लें तो बेहतर, ना करें तो कोई हर्ज नही अब जो पानी कपड़े को लगेगा वह नापाक नही होगा।*

हम सब कम वक़्त और जल्द बाजी इसी मुआमले में करते हैं, *जो बुनियाद है रूह की पाकीज़गी की, कल्ब के सुकून की।*
फिर कहाँ से इबादतों में लज़्ज़त और सुकून आए जब तहारत ही मुकम्मल ना हो तो।

आज के दौर में *खुश्क मिट्टी की जगह सॉफ्ट टिसू* इस्तेमाल किया जा सकता है।

लेकिन याद रहे *पानी का इस्तेमाल लाज़मी है* सिर्फ टिसू से खुश्क करना ठीक नही है।

*अल्लाह तआला फरमाता है*
*أن اللّه يحب المتطه‍رين*

बेशक अल्लाह तहारत करने वालों से मुहब्बत करता है।

*यहीं वजह है कि हमारी ख्वातीन, बच्चे, मर्द, औरत सब परेशानियों में मुब्तला हैं, जिन्नात, शयातीन के लिए पेशाब की बू और आमेज़िश वाले पानी का एक क़तरा भी काफी होता है जिस पर वह सारा दिन जादू पढ़ पढ़ इंसान के कानों में फूंकते हैं और उसके रूह और दिल को बेकरार रखते हैं, गुस्सा, हसद,बुग्ज़ इन सब की जड़ कामिल तहारत का न होना है।*

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