Wednesday, November 18, 2020

ह़सद

******ह़सद******

किसी को खाता पीता या फलता फूलता या खुशह़ाल और नेअमतें मिलती देखकर दिल जलाना और उसकी नेअमतों के ज़वाल (खत्म होने) की तमन्ना करना, इस ख़राब जज़्बे का नाम ह़सद हैं!

ये बहुत ही ख़बीस आ़दत और निहायत ही बुरी बला और गुनाहे अ़ज़ीम हैं! ह़सद करने वाले की सारी ज़िन्दगी जलन और घुटन की आग में जलती रहती हैं और उसे चैन व सुकून नसीब नही होता!

अल्लाह तआ़ला ने कुरआने मजीद में अपने प्यारे हबीब ﷺ को हुक्म दिया कि:
"ह़सद करने वाले के ह़सद से आप खुदा की पनाह मांगते रहिए"!
(पारह-30, सूरए फ़लक, आयत-5)

प्यारे आक़ा ﷺ ने फ़रमाया कि:
"ह़सद नेकियों को इस त़रह़ खा जाती हैं जिस त़रह़ आग लकड़ी को खा लेती हैं"!
(सुनन अबू दाउद, जिल्द-4, सफ़ह़ा-360)
और हुज़ूर ﷺ ने ये भी फ़रमाया कि:
"तुम लोग एक दुसरे पर ह़सद न करो और एक दुसरे से क़त्ए तअल्लुक़ न करो और एक दुसरे से बुग़्ज़ न रखो, और ऐं अल्लाह के बन्दों तुम आपस में भाई भाई बनकर (यानी मिल जुल कर) रहो"!
(सह़ीह़ मुस्लिम, सफ़ह़ा-1384)

ह़सद एक बहुत बड़ा गुनाह हैं और इसलिए बड़ा गुनाह हैं कि ह़सद करने वाला गोया अल्लाह तआ़ला पर एतिराज़ कर रहा हैं कि फुलां औ़रत या आदमी इस नेअमत के क़ाबिल नही थे उनको ये नेअमत क्यूं दी हैं?
अब ग़ौर करे की अल्लाह तआ़ला पर ऐतिराज़ करना कितना बड़ा गुनाह होगा, अगर कोई भाई या बहन क़ाबिल नही हो मगर अल्लाह तआ़ला ने उनको कोई नेअमत दी हो तो उनसे जलन पैदा न करे बल्कि इसे अल्लाह तआ़ला कि रिज़ा समझ कर क़बूल करे....

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