अमीरूल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमरे फ़ारूक़े आज़म رضی اللہ تعالی عنہ ने फ़रमाया : गुनाह चाहे एक हो अपने साथ दस बुरी ख़सलतें लेकर आता है :
(1) जब बंदा गुनाह करता है तो अल्लाह عزوجل को ग़ज़ब दिलाता है ।
(2) वह (यानी गुनाह करने वाला) इब्लीस मलऊन को ख़ुश करता है ।
(3) जन्नत से दूर हो जाता है ।
(4) जहन्नम के क़रीब आ जाता है ।
(5) अपनी सबसे प्यारी चीज़ यानी अपनी जान को तकलीफ़ देता है ।
(6) अपने बातिन को नापाक कर बैठता है ।
(7) आमाल लिखने वाले फ़िरिश्ते यानी किरामन कातेबीन को ईज़ा देता है ।
(8) नबी करीम صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ को क़ब्रे अनवर में रंजीदा कर देता है ।
(9) ज़मीन व आसमान और तमाम मख़्लूक़ को अपनी नाफ़रमानी पर गवाह बना लेता है ।
(10) तमाम इंसानों से ख़यानत और रब्बुल आलमीन عزوجل की नाफ़रमानी करता है ।
(बह़रुदुमूअ , सफा : 30)
● आह तुग़य्यानियां गुनाहों की ●
● पार नय्या मेरी लगा या रब ●
(📗वसाइले बख़्शिश , सफा : 87)
(📙📗हिर्स , सफा : 44📗📙)
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