Tuesday, September 27, 2022

इमाम हसन अल मुज्तबा अलैहिस्सलाम व रदियल्लाहो ता'अला अन्हु*

*आशिक़ ए रसूल ईमान वाले सुन्नी मुसलमान गौर ओ फ़िक्र की ये बात है!*


*ये माह ए सफर उल मुज़फ्फर का महीना है और इसका आख़िरी अशरा है,*

 *बहुत से औलिया अल्लाह का उर्स मनाया गया इस महीने में और बेशक मनाना चाहिए, मगर दयानतदारी से बताऐं क्या इस महीने में अमीरुल मोमिनीन सिब्ते रसुल सरदार ए नोजवान ए जन्नत सुल्तान उल औलिया इमाम हसन अल मुज्तबा का ज़िक्र किया आपने?*
 
*इस महीने की 28 तारीख़ खलिफतुल मुस्लेमीन अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैय्यदना हसन ए मुज्तबा की शहादत से है,*


*आप ने सिर्फ़ कर्बला का दर्द सुना है क्या आपको मालूम है हमारे आका इमाम हसन के साथ किस तरह से ज़ुल्म किया गया है? आपको शायद ही मालूम हो क्योंकि इमाम हसन के बारे में कोई बात ही नहीं करता! इमाम हसन को कई मर्तबा ज़हर दिया गया आख़िरी बार हीरे की कनी पीस कर आपके पानी में मिलाई गई, जिससे आपके कलेजे के टुकड़े टुकड़े हो गए,*

*आपकी आख़री बसीयत थी मुझे नाना के कदमों में दफ़न किया जाए, अफ़सोस उम्मते मुस्लिमा की एक भीड़ आयी और इमाम को बहां दफ़न होने से रोक दिया उनके जनाज़े मुबारक़ पर तीर चलाये, ये पहला जनाज़ा था जिसको दोबारा कफ़न दिया गया, उम्मत इनके अहसान को भूल गयी क्योंकि इंसान भीड़ के साथ ज़्यादा और हक़ साथ हमेशा कम रहा है,*

 *सुन्नीयों याद रखो, इस सफर के महीने को सबसे पहली निस्बत इमाम हसन ए मुज्तबा से है,*

*उसके बाद दूसरे औलिया अल्लाह से और इतने जुम्मा चले गये पर किसी मिम्बर पर खिताब करने वाले मुफ्ती मौलाना को तौफीक नही हुई के इमाम हसन का ज़िक्र करें उनके फज़ाइल, उनकी करामात,उनकी सीरत,उनकी सूरत, शहादत, कुर्बानी पर बयान करें!*

*गुलामों का उर्स मनाया, बादशाहों को भूल गये!*

*जन्नतियों का उर्स मनाया,जन्नत के सरदार को भूल गये!*

*मोमिनीन का उर्स मनाया, अमीरुल मोमिनीन को भूल गये!*

*गुलाम ए रसूल ﷺ का उर्स मनाया, शहजादा ए रसूल ﷺ को भूल गये!*

*जिनकी मुहब्बत अल्लाह ने फ़र्ज़ की है, उनकी याद मनाना भूल गये!!! औलियाओं का उर्स मनाया, सरदार ए औलिया को भूल गये!*

*जिनके सदके कायनात में विलायत मिलती है, उस इमाम को भूल गये?*

 *सुन्नीयों क्या यही इश्क ए अहले बैत है? बहुत से पोस्ट आये हैं व्हाट्सअप और सोशियल मीडिया पर के इनका उर्स है, उनका उर्स हैं और करना भी चाहिये. पर एक भी पोस्ट आपने इमाम हसन ए पाक के ताल्लुक़ से किया?*

*अहलेबैत की मुहब्बत अस्ल ए ईमान हैं*

*किसी पर तनक़ीद करना मक़सद नहीं बेशक औलिया अल्लाह का उर्स मनाना चाहिए पर उन से पहले इमाम उल औलिया सैय्यदना इमाम हसन ए मुज्तबा का उर्स मनाओ, माह ए सफर की इब्तेदा इमाम हसन ए मुज्तबा के ज़िक्र से हो और इंतेहा भी उनके ज़िक्र से हो,*

*अल्लाह जल्ला जलालहु अपने हबीब के सदके तुफैल हमें हक़ीक़ी मायनों में मुहिब् ए अहलेबैत बनाये, आमीन*

*याद रहे, ये तारीख़ 28 सफर उल मुज़फ्फर यौम ए शहादत अमीरुल मोमिनीन खलिफतुल मुस्लेमीन सिब्ते रसूल सरदार ए नोजवान ए जन्नत सुल्तान उल औलिया इमाम हसन अल मुज्तबा अलैहिस्सलाम व रदियल्लाहो ता'अला अन्हु*

 *सल्लल्लाहु अलैही व आलैही व सल्लिम*

*ज़रूर नज़र करें और ज़िक्र ए इमाम हसन अलैहिस्सलाम करें,*
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