Saturday, September 30, 2023

दुरूद शरीफ पढ़ने के फ़ायदे*

*दुरूद शरीफ पढ़ने के फ़ायदे*

*(1)* अल्लाह तआला के हुक्म की ता'मील होती है। 
*(2)* एक मर्तबा दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले पर दस रहमतें नाज़िल होती हैं। 
*(3)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के दस दर्जात बलन्द होते हैं। 
*(4)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिये दस नेकियां लिखी जाती हैं। 
*(5)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के दस गुनाह मिटाए जाते हैं। 
*(6)* दुआ से पहले दुरूद शरीफ़ पढ़ना दुआ की क़बूलिय्यत का बाइस है। 
*(7)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना नबिय्ये रहमत ﷺ की शफाअत का सबब है। 
*(8)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना गुनाहों की बख़्शिश का बाइस है। 
*(9)* दुरूद शरीफ़ के जरीए अल्लाह तआला बन्दे के ग़मों को दूर करता है।
*(10)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने के बाइस बन्दा क़ियामत के दिन रसूले अकरम ﷺ का कुर्ब हासिल करेगा। 
*(11)* दुरूद शरीफ़ तंगदस्त के लिये सदक़ा के काइम मक़ाम है। 
*(12)* दुरूद शरीफ़ क़ज़ाए हाजात का ज़रीआ है। 
*(13)* दुरूद शरीफ़ अल्लाह तआला की रहमत और फ़िरिश्तों की दुआ का बाइस है।
*(14)* दुरूद शरीफ़ अपने पढ़ने वाले के लिये पाकीज़गी और तहारत का बाइस है। 
*(15)* दुरूद शरीफ़ से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की खुश खबरी मिल जाती है।
*(16)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना कियामत के ख़तरात से नजात का सबब है। 
*(17)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने से बन्दे को भूली हुई बात याद आ जाती है। 
*(18)* दुरूद शरीफ़ मजलिस की पाकीज़गी का बाइस है और क़ियामत के दिन येह मजलिस बाइसे हसरत नहीं होगी। 
*(19)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने से फ़क्र ( तंगदस्ती ) दूर होता है। 
*(20)* येह अमल बन्दे को जन्नत के रास्ते पर डाल देता है। 
*(21)* दुरूद शरीफ़ पुल सिरात पर बन्दे की रोशनी में इज़ाफ़े का बाइस है। 
*(22)* दुरूद शरीफ़ के जरीए बन्दा जुल्म व जफ़ा से निकल जाता है। 
*(23)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बन्दा आस्मान और ज़मीन में क़ाबिले तारीफ़ हो जाता है। 
*(24)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को इस अमल की वजह से उस की जात,अमल,उम्र और बेहतरी के अस्बाब में बरकत हासिल होती है। 
*(25)* दुरूद शरीफ़ रहमते खुदा वन्दी के हुसूल का ज़रीआ है। 
*(26)* दुरूद शरीफ़ महबूबे रब्बुल इज्जत ﷺ से दाइमी महब्बत और इस में ज़ियादत का सबब है और येह (महब्बत) ईमानी उकूद में से है। जिस के बिगैर ईमान मुकम्मल नहीं होता।
*(27)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले से आप ﷺ महब्बत फ़रमाते हैं। 
*(28)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना,बन्दे की हिदायत और उस की ज़िन्दा दिली का सबब है क्यूं कि जब वोह आप ﷺ पर कसरत से दुरूद शरीफ़ पढ़ता है और आप का ज़िक्र करता है तो आप ﷺ की महब्बत उस के दिल पर ग़ालिब आ जाती है। 
*(29)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का येह ए'ज़ाज़ भी है कि सुल्ताने अनाम ﷺ की बारगाहे बेकस पनाह में उस का नाम पेश किया जाता है और उस का ज़िक्र होता है। 
*(30)* दुरूद शरीफ़ पुल सिरात पर साबित क़दमी और सलामती के साथ गुज़रने का बाइस है।
مدنی پنجسورہ ١٦٦
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