Friday, September 1, 2023

दास्ताने करबला, क़िस्त-15*

*दास्ताने करबला, क़िस्त-15*

*उमर बिन सा‘द और बाईस हज़ार (22000) का लश्कर*

जब इब्ने ज़्याद को पता चला कि हज़रत इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने यजीद की बैअ्त करने से इन्कार कर दिया तो उसका गुस्सा व तैश और बढ़ गया। उसने और लश्कर बढ़ा दिये, और उसका सिपेह सालार *उमर बिन सा‘द* को बनाया, जो उस ज़माने में मुल्के "रै" का गवर्नर था। रै खुरासान का एक शहर है जो ईरान में है, आजकल उसे तेहरान के नाम से जाना जाता है। 

*इमाम हुसैन की अज़मत और फज़ीलत से हर कोई वाक़िफ़ था।* इसलिए पहले तो उमर बिन सा‘द ने सिपेह सालार बनने से गुरैज़ करना चाहा, लेकिन इब्ने ज़्याद ने कहा कि या तो हुकूमत छोड़ दो या फिर इमाम हुसैन से मुक़ाबला करो। *दुनियावी हुकूमत की लालच ने इब्ने सा‘द को जंग पर आमदा कर दिया।*

इब्ने सा‘द तमाम लश्कर ले कर इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के मुक़ाबले के लिये रवाना हुआ। इब्ने ज़्याद बद निहाद थोड़ा-थोड़ा लश्कर उसके पास भेजता रहा, *यहां तक कि इब्ने सा‘द के पास बाईस हज़ार का लश्कर जमा हो गया।* इब्ने सा‘द ने अपने *22000* के लश्कर के साथ करबला पहुंच कर फ़ुरात के किनारे पड़ाव किया और वहां अपना मर्कज़ क़ायम किया। 

हैरत की बात यह है कि दुनिया की किसी भी जंग में जंगे करबला की मिसाल नहीं मिलती है कि, *अहले बैअ्ते अत़हार कुल बयासी (82) हज़रात थे, जिनमें बीबियां भी, बच्चे भी, बीमार भी और वह भी बे इरादा ए जंग आए हैं। (रज़िअल्लाहु तआला अन्हुम अजमईन)* 

*यज़ीदियों को बयासी अहले बैअ्ते अत़हार का इसक़दर ख़ौफ़ हुआ कि इस छोटी सी जमाअत के लिये दो गुनी नहीं, चार गुनी नहीं, दस गुनी नहीं, बल्कि ढाई सौ गुनी तादाद को भी काफ़ी ना समझा और फौजों के अंबार लगा दिये यानी कुल 82, के मुक़ाबले में 22000। यह है अल्लाह तबारक व तआला के महबूब बंदों का बातिल को डर, हम मुसलमान भी अगर हक़ पसंद परहेज़गार पाबंदे शरा बन जाएं तो दुनिया की कोई भी ज़ालिम ताक़त हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती बल्कि हम ही ग़ालिब रहेंगे क्योंकि यह क़ुरआन से साबित है कि ईमान वाले परहेज़गार ही ग़ालिब रहेंगे, इस लिए मज़बूत ईमान वाला और परहेज़गार बनने के लिए मसलके आलाहज़रत को मज़बूती से पकड़ लो)

इब्ने सा‘द की और से लगातार इमाम हुसैन को यज़ीद की बैअ्त करने पर इसरार किया जा रहा था, *जब आप पर लश्करी ताक़त का कोई असर ना हुआ, तो ज़ालिमों ने आपके क़ाफ़िले पर फ़ुरात नदी का पानी बन्द कर दिया,* ताकि भूख और प्यास की शिद्दत से आप मजबूर हो जाएं, और बैअ्त को क़ुबूल करने पर मजबूर हो जाएं।

*📘सवानाहे करबला सफ़ह 134)*

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाक़ी अगली पोस्ट में)*

*मिन जानिब जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा, गुमला, झारखंड*

*Next........*

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*ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी भारत-🌹*

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*🌹-मसलके आलाहज़रत-🌹*
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