इस #जंग में सिर्फ 313 सहाबी, #कुफ़्फ़रो पर भारी पड़े थे। हज़रत हमजाرضي الله عنه और अली رضي الله عنهमुसलमानों को लीड कर रहे थे। #हज़रत_अली ने अकेले 36 कुफ्फारों को जहन्नाम का रास्ता दिखाया था। इस जंग में 14 #सहाबी भी #शहीद हुए।
ये वो वक़्त था जब #अल्लाह की रहमत जमीन पर उतर आई थी। अल्लाह के फ़रिश्ते कुफ़्फ़रो पर कहर बनकर टूटे थे।उस वक़्त #मुसलमानों के ज़ोक़ का ये #आलम था कि की नव उम्र सहाबा आप صلى الله عليه وسلم से #आंखें बचाते थे कही उनको कम उम्र की वजह से वापस न भेज दिया #जाय।
इस जंग में #मुसलमानों की फतह हुई अबु सुफियान बच निकला और वापस जाकर #क़ुरैश को बरगलाना शुरू कर दिया।
ये वही वक़्त था जहाँ से यहूदी, #मुसलमानों के खुले #दुश्मन हो गए। यहूदी इस इंतेज़ार में थे कि कुफ़्फ़र की फौज़ आसानी से चंद मुसलमानों को खत्म कर देगी पर ऐसा नही हुआ। #यहूदियों को दुख हुआ और अबू सूफ़ियान से जा मिले और इनके ग़म में मातम भी मनाया।
#अल्लाह उन सहबियों की शहादत के सदके तुफ़ैल में हमारी मग़फ़िरत आता #फरमाए
#Jang_E_Badar #313sahabi
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