Saturday, July 25, 2020

Qurbani

* مدرس م حنفید وارل العلوم *
* मदरसा हनिया वारिसुल उलूम *




                     * हिस्सा -05 *

                  * मसिले क़ुर्बानी *

* ______________________________________ *

* हलाल जानवर के भी 22 आज़ा का खाना मना है सबकी तफ़सील हस्बे ज़ैल है, * 

* 1। पित्त *
 * 2। मसाना *
 * 3। मदा की फर्ज *
* 4। नर का ज़कर *
 * 5। बैदा यानि कपूर *
 * 6। रगों का खून *
 * 7। गदूद *
 * 8। हराम मग्ज़ *
 * 9। गर्दन के दोनों पुट्ठे जो शाना तक खिंचे होते हैं *
 * 10। जिगर का खून *
 *1 1। तिल्ली का मिश्रित *
 * 12। गोश्त का खून *
 * 13। दिल का खून *
 * 14। सुफरा वो ज़र्द पानी जो पितते में होता है *
 *15. अलक़ा यानि वो खून जो रहम में नुत्फे से बनता है*
 *16. दुबुर यानि पखाने का मक़ाम*
 *17. ओझड़ी*
 *18. आंत*
 *19. नुत्फा यानि मनी*
*20. नुत्फा अगर चे गोश्त बन गया हो*
*21. वो बच्चा जो मुर्दा निकला हो,* 
*22. नाक की रतूबत*

*📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 8,सफह 324*

*औरत और समझदार बच्चे का ज़बीहा हलाल है,पागल नासमझ बच्चा और मुर्तद का ज़बीहा हराम है* 

*📕 फतावा मुस्तफविया,सफह 434*

*गले में 4 रग होती है 1.हलक़ूम जिससे सांस आती है 2.मिर्री जिससे खाना पानी उतरता है और दो रगें खून की रवानी के लिए होती हैं जिन्हे जबीन कहा जाता है,ज़बह में इन चारों में से 3 का कट जाना काफी है और अगर सबका अक्सर हिस्सा कट गया तब भी जानवर हलाल होगा लेकिन अगर सबका आधा हिस्सा कटा और आधा रह गया तो हलाल नहीं होगा* 

*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 15,सफह 116*

*जो बकरे खस्सी नहीं किये जाते वो अक्सर अपना ही पेशाब पीना शुरू कर देते हैं या कुछ जानवर गाय भैंस बकरा बकरी मुर्गा वगैरह नजासत खाने लग जायें तो उनके गोश्त में बदबू आ जाती है ऐसो को जल्लाला कहते हैं,इसके लिए उन्हें कुछ दिन बांधकर रखा जाए ताकि वो नजासत ना खाने पाएं फिर उन्हें ज़बह करें अगर बदबू ना हो तो खायें और अगर बू है तो मना है*

*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 15,सफह 127*

*क़ुर्बानी के वक़्त जानवर उछला कूदा जिससे उसे चोट लग गई ऐबदार हो गया तो ये ऐब मायने नहीं रखता क़ुर्बानी हो जायेगी*

*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 15,सफह 141*

*क़ुर्बानी का जानवर खो गया या मर गया तो लाज़िम है कि दूसरा जानवर क़ुर्बानी करे और अगर दूसरा जानवर लाया और गुम हुआ जानवर मिल गया तो जो मंहगा हो वो क़ुर्बानी करे और अगर सस्ता वाला क़ुर्बानी करेगा तो जितनी कीमत का फर्क आयेगा उतनी कीमत सदक़ा करे,दोनो की भी क़ुर्बानी कर सकता है*

*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 15,सफह142*

* अगर 2 लोग साथ में छुर चले गए हैं तो ज़ब के वक़्त दोनों को बिस्मिल्लाह पढ़ना वाजिब है अगर एक ने भी तर्क किया तो जानवर हराम है *

* ह बहरे शरीयत, भाग 15, सफाह 149 *

* एक ही आदमी कई जानवरों को अपने नाम से क़ुर्बानी करता है कर सकता है एक वाजिब है बाकी सबएलएल, और बड़ा जानवर एक नाम से ज़ब कर दिया तो एक ही माना जाएगा ना कि 7 वां हिस्सा *

* ह बहरे शरीयत, भाग 15, सफह 150 *

* क़ुर्बानी की खाल उसकी गोश्त उसके सर या पैर कोई भी चीज़ काटने वाले को उसकी उजरत के बदले नहीं दे सकते कि ये भी बेचना ही हुआ हां तोहफ़ान दे सकते हैं जैसे कि और मुस्लिम को देते हैं लेकिन फ़ाइलों को नहीं दे सकते *

* ह बहरे शरीयत, भाग 15, सफह 145 *

* क़ुर्बानी की खाल को अपने लिए बेचना मना है और हर दीनी व मिल्ली काम या मदारिस में सदक़ा की जा सकती है या बेचकर उसकी कीमत भी दे सकती है * *

* ह बहरे शरीयत, भाग 15, सफाह 144 *
* __________________________________ *

* इसका और भी हिस्सा मिलता रहेगा इंशाअल्लाह *
* __________________________ *

* *والله تعالی🌹 اعلم بالاواب🌹 *
 * _______________________________________ *
* _अगर आप भी मसलके आला ह'ज़रत की रौशनी में दीनी सवाल जवाब चाहते हैं तो अभी जोइन हों- मदरसा हंफिया वारिसुल उलूम ग्रुप में राब्ता करें राब्ता नम्बर 👉-9628204387_ *

* _ * क़ारी मुज़बुर्रहमान क़ादरी शाहसलीमपुरी- बहराइच शरीफ़ यू, पी, _ *


*مدرسہ حنفیہ وارث العلوم*
*मदरसा ह़नफिया वारिसुल उलूम*




                          *हिस्सा-1*

                   *फज़ाइले क़ुर्बानी*
*_______________________________________*

*_मखसूस जानवर को मखसूस दिन ज़बह करने को क़ुर्बानी कहते हैं,क़ुर्बानी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है जो इस उम्मत में भी बाकी रखी गयी है,मौला तआला क़ुर्आन में इरशाद फरमाता है कि_* 

*अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और क़ुर्बानी करो* 

*📕 पारा 30,सूरह कौसर,आयत 2*

*_पहले एक मसले की वज़ाहत कर दूं फिर आगे बयान करता हूं,जिस तरह कुछ लोग सोशल मीडिया को इल्मे दीन फैलाने के लिए इस्तेमाल करते हैं वहीं कुछ लोग सिवाये खुराफात फैलाने और जिहालत भरे msg भेजकर लोगों को बरगलाने और कंफ्यूज़ करने की कोशिश करते हैं,जैसा कि आज कल एक msg आ रहा है कि इसको बक़र ईद ना कहें बल्कि ईदुल अज़हा कहें,तो ईदुल अज़हा कहना अच्छा है मगर ये कि बक़र ईद ना कहें ये सिवाए जिहालत के और कुछ नहीं है,बक़र माने गाय होती है और इस नाम से क़ुर्आन में पूरी एक सूरह, सूरह बक़र के नाम से मौजूद है तो जो लोग बक़र ईद ना कहने के लिए msg कर रहे हैं ऐसे जाहिलों को चाहिए कि वो इस सूरह का नाम भी बदल कर अपने हिसाब से कुछ अच्छा सा रख लें,खैर बक़र ईद कहना हमारे अस्लाफ से साबित है जैसा कि फक़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा ने अनवारुल हदीस में कई जगह बक़र ईद तस्नीफ फरमाया है,चलिये अब कुछ हदीसे पाक इस बारे में मुलाहज़ा फरमा लें_*

*हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि क़ुर्बानी के दिनों में अल्लाह को क़ुर्बानी से ज़्यादा कोई अमल प्यारा नहीं और जानवर का खून ज़मीन पर गिरने से पहले क़ुबुल हो जाता है,और क़ुर्बानी करने वाले को जानवर के हर बाल के बदले 1 नेकी मिलती है*

*📕 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 264*

*_यानि साहिबे निसाब अगर 5000 की क़ुर्बानी ना करके 1,करोड़ रुपया भी सदक़ा कर देगा तब भी सख्त गुनाहगार होगा लिहाज़ा क़ुर्बानी ही की जाए अगर इतनी इस्तेताअत ना हो कि बकरा खरीद सके तो बड़े जानवर में हिस्सा ले सकता है,और जिस पर क़ुर्बानी वाजिब है यानि साहिबे निसाब तो है मगर पास में पैसा नहीं है यानि सोने चांदी का मालिक है तो ऐसी सूरत में कुछ बेचकर या कर्ज़ लेकर क़ुर्बानी करनी होगी अगर नहीं करेगा तो गुनाहगार होगा_*

*हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो इसतेताअत रखने के बावजूद क़ुर्बानी ना करे तो वो हमारी ईदगाह के क़रीब ना आये*

*📕 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 263*

*_सोचिये ऐसे शख्स को जो कि क़ुर्बानी की ताक़त रखने के बावजूद भी क़ुर्बानी ना करे उसको हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ईदगाह आने की भी इजाज़त नहीं दे रहे हैं,खुदारा ऐसी वईद में गिरफ्तार ना हों अगर साहिबे निसाब हैं तो ज़रूर ज़रूर क़ुर्बानी करें_*

*नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने 2 मेढ़ों की क़ुर्बानी की जो कि खस्सी थे*

*📕 इब्ने माजा,हदीस 3122*
*_______________________________________*

*_इसका और भी हिस्सा मिलता रहेगा इंशाअल्लाह_*
*________________________*

*No more messages No more Headache !,only 1 message in 24 Hour's*
*_______________________________________*

*🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹*
 *_______________________________________ *

              * _नाज़िमे आला_ *

* _मदरसा हनिया वारिसुल उलूम क़स्बा बेलहरा, ज़िला बरबकी।उप- सं। 92828204387 _ "*

No comments:

Post a Comment

tell me your islamic-related information you want .I am try give you