Sunday, July 26, 2020

Mahar ka Bayaan

*करीना-ए-जिन्दगी #19*
 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*♦️महर का बयान*
इस जमाने में ज़्यादातर लोग यही समझते कि महर देना कोई ज़रूरी नहीं बल्कि सिर्फ़ एक रस्म है,और कुछ लोगों का ख़्याल है कि महर तलाक के बाद ही दिया जाता है! और कुछ लोग समझते हैं कि महर इसलिए रखते है कि औरत को महर देने के ख़ौफ से तलाक़ नही दे सकेगा।
         यही वजह है हमारे मुल्क में ज़्यादा तर लोग महर नही देते यहां तक के इन्तिक़ाल के बाद उनके जनाज़े पर उनकी बिवी अाकर महर माफ करती है। वैसे औरत के माफ कर देने से महर माफ तो हो जाता है, लेकिन महर दिए बगै़र दुनिया से चले जाना मुनासीब नही,खुदा न ख्वासता पहले औरत का इंतिक़ाल हो गया और अगर वह माफ न कर सकी, या महर माफ करने की उसे मोहलत न मिली तो हक्कुल-अब्द मे गिरफ्तार और दिन व दुनियॉ मे रुसवा शर्मसार होंगा! और रोजे क़यामत में सख़्त पकड़ और सख़्त अ़ज़ाब होंगा! 
लिहाजा इस खतरे से बचने के लिए महर अदा कर देना चाहिए। इस मे सवाब भी है और यह हमारे आक़ा ﷺ की सुन्नत भी है
*हमारा रब जल्ला जलालाहु इरशाद फरमाता है।*
*तर्जुमा:-* "और औरतों को उन के महर खुशी से दो"
*📓कन्जुल इमान, सूरए निसा,आयत नं 4*
*तर्जुमा:-* तो जीन औरतो को  तुम निकाह मे लाना चाहो उनके बंधे हुए महर उन्हे दो"
*📓कन्जुल इमान, सूरए निसा,  आयत नं 24*
*मसअला:-* औरत अगर होश व हवास मे राजी खुशी से महर माफ कर दे तो हो जाएंगा! हॉ अगर धमकी देकर माफ कराया और औरत ने मारे खौफ के माफ कर दिया तो इस सुरत मे माफ नही होंगा! और अगर मरजुल-मौत मे माफ कराया, जैसा के अवाम मे राईज (रिवाज) है की जब औरत मरने लगती है, तो उससे महर माफ कराते है, तो इस सुरत मे वारीसो की इजाजत के बगैर माफ नही होंगा!
*फतावा आलमगिरी जिल्द 1 सफा नं 293, दुर्रे मुख्तार मआ शामी जिल्द 2 सफा 338*
*👉🏻जेहालत*
अक्सर मुसलमान अपनी हैसियत से ज़्यादा महर रखते है और यह ख़्याल करते हैं। कि *"ज़्यादा महर रख भी दिया तो क्या फ़र्क़ पड़ता है देना तो है ही नही"* यह सख़्त जेहालत है और दीन से मजाक़ है! ऐसे लोगों इस हदिस को पढ कर इबरत हासील करे!
*हदीस:-* अबु याला व तबरीनी व बैहकी मे हजरत उक्बा बिन आमीर रदि अल्लाहु तआला से मरवी है के हुजुर अक्दस ﷺ ने इरशाद फरमाया
_"जो शख्स निकाह करे और नियत यह हो की औरत को महर मे से कुछ ना देगा तो जिस रोज मरेंगा जानी (जिना करने वाला) मरेंगा!_
*📓अबु याला, तबरानी व बैहकी बहवाला बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा नंबर 7 सफा नं 32*
लिहाजा महर इतना ही रखे जितना देने की हैसियत है और महर जितना जल्दी हो सके अदा कर दे। के यही अ़फज़ल तरीक़ा है।
*रसूले मक़बूल ﷺ ने इरशाद फरमाया:-*_"औरतों में वह बहुत बेहतर है जिसका हुस्न व ज़माल (खूबसूरती) ज़्यादा हो और महर कम हो।_
*इमाम ग़ज़ाली रदिअल्लाहो तआला अन्हा फरमाते है:-*"बहुत ज़्यादा महर बांधना मक़रूह है लेकिन हैसियत से कम भी न हो।
*📓कीम्या-ए-सआ़दत, सफा नं 260*
कुछ लोग कम से कम महर बांधते है, और दलील यह देते है के रुपयो पैसो से क्या होता है! दिल मिलना चाहीये, यह भी गलत है! महर की अहमियत को घटाने के लिए अगर कोई कम महर बांधे तो यह भी ठिक नही है! औरतो को अपना महर ज्यादा लेने का हक है! और इस हक से उनको कोई मर्द रोक नही सकता!
_✍🏻 बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله_
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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