Monday, April 8, 2024

Duaa 2024

रब्बाना आतीना फिद दुन्या हसनतहु व फिल आख़िरती हसनतहु 
वकीना आज़बान नार....
वकीना अज़ाबुल क़ब्र
वकीना अज़ाबुल हशर 
वकीना अज़ाबुल फ़क़र
वकीना अज़ाबुल मीज़ान
वकीना अज़ाबुल कर्ज़
वकीना अज़ाबुल मर्ज़
वकीना अज़ाबुल आफ़त
वकीना अज़ाबुल सकरात 
वकीना अज़ाबुल मौत
वकीना अज़ाबुल फितनातुल मसीहिद दज्जाल
वकीना अजाबन नार.... (आमीन)
कइस दुआ को इतना फैलाएं के सारी उम्मत की मगफिरत होजाये....
ये बहुत किमती दुआ है सबको बताओ, सिर्फ अपने पास मत रखना...
ये दुआ बहुत प्यारी है, इसको सुकून से पढ़ो और दिल में अमीन कहो और इस मैसेज को आगे फॉरवर्ड करो, हो सकता है कि दूसरे लोगो की आमीन से अपनी दुआ कबूल हो जाए (आमीन) 
⚡ ऐ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त,
💧ऐ सारी कायनात के शहंशाह,
💧ऐ सारी मख़लूक के पालने वाले,
💧ऐ जिंदगी और मौत का फैसला करने वाले,
💧ऐ आसमानो और ज़मीन के मालिक,
💧ऐ पहाड़ और समंदर के मालिक
💧ऐ इंसान और जिन्नातों के माबूद,
💧ऐ अर्श-ए-आज़म के मालिक,
💧ऐ फ़रिश्तों के माबूद,
💧ऐ इज्जत और ज़िल्लत के मालिक,
💧ऐ बिमारियों से शिफ़ा देने वाले,
💧ऐ बादशाहों के बादशाह.
💧ए अल्लाह हम तेरे गुनाहगार बंदे हैं,
💧तेरे ख़तकार बंदे हैं,
💧हमारे गुनाहों को माफ फरमा👏,
💧हमारी खतों को माफ फरमा👏।
💧ए अल्लाह हम अपने अगले पिछले, सगीरा
    कबीरा, छोटे बड़े सभी गुनाहों
💧और खताओ की और ना-फ़रमानियों की माफ़ी माँगते हैं👏
💧ऐ अल्लाह रब्बुल इज्जत हम अपने गुनाहों से तौबा करते हैं
हमारी तौबा कुबूल  कर ले...👏
💧ऐ अल्लाह हम गुनहगार हैं,
💧सियाकार हैं, 💧 बतकार हैं,
💧तेरे हुक्मो के
ना-फरमान हैं,
💧ना-शुक्र हैं लेकिन मेरे मबूद तेरे नाम लेवा बंदे
हैं तेरी तौहीद की गवाही देते हैं।
💧तेरे सिवा कोई इबादत के लायक नहीं है।
💧तेरे सिवा कोई बंदगी के लायक नहीं है।
💧तेरे सिवा कोई तारीफ के लायक नहीं है।
💧हमारे  माबूद हमारे गुनाह तेरी रहमत से बड़े नहीं हैं।
💧तू अपनी रहमत से हमें माफ़ करदे👏
💧ऐ अल्लाह पाक आप हमें  गुमराही कर ने 
के रास्ते से हटा कर सिरातल मुस्तकीम
के रास्ते पे चलने वाला बना दे
💧ए अल्लाह ऐसी नमाज पढ़ने की तौफीक अता कर ज जिस नमाज से तू राजी हो जाए,
💧ज़िन्दगी में ऐसे नेक अमल करने की तौफीक अता
कर जिन अमलों से तू राजी हो जाए।
💧हमें ऐसी जिंदगी गुजारने की तौफीक अता कर जिस जिंदगी से तू राजी हो जाए।
💧ईमान पे ज़िंदा रख और ईमान पे ही मौत अता कर..
💧ऐ अल्लाह हमें तेरे हुक्मों की फ़रमाबरदारी करने वाला बना..

💧और तेरे प्यारे हबीब जनाबे
मोहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम
ता'आला अलैहि वसल्लम) के नेक और पाकीज़ा तरीक़ों को अपनी जिंदगी में लाने वाला बाना.
💧ऐ अल्लाह हमारी
परेशानियों को दूर करदे,
💧ए अल्लाह जो
बीमार हैं उनको शिफ़ा अता फरमा,
💧ऐ अल्लाह जो कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं उनका कर्ज जल्दी से जल्दी अदा करवा दे, 
💧ऐ अल्लाह शैतान से हमारी हिफ़ाज़त फरमा,
💧ऐ अल्लाह इस्लाम के दुश्मनों का मुँह
काला कर,
💧ए अल्लाह हलाल रिज़क कमाने की तौफीक अता फरमा,
💧ऐ परवरदिगार-ए-आलम हमें माँगना नहीं आता लेकिन तुझे देना आता है तू हर चीज़   पे कादिर है..
💧ऐ अल्लाह जो मांगा वो बी अता फरमा जो मांगे से रह गया वो बी इनायत फरमा...
💧हमारी दुआ अपने रहम से अपने करम
से कुबूल फरमा... और जिसने ये दुआ भेजी है या जो भी  इसे आगे बढ़ा रहा है उसकी सारी परेशानियो तकलीफ़ो और बिमारियोंको दूर फरमा इनकी सेहत  में तंदुरस्ती अता कर
या अल्लाह मुझे और मारे आने वाली ता कयामत तक आल को सिवाए आप के किसका मोहताज न रखना...
आमीन आमीन या रब्बुल आलमीन🤲❤️
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमारे गुनाहों को माफ़ फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमें कामिल ईमान नसीब फ़रमा और पूरी हिदायत फ़रमा 

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* मरते वक्त हमारी जबान पर कलमा-ए-तैयबा जारी फरमा 

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमें तेरी नेअमत का शूकर अदा करने कि तौफीक अता फरमा 
🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमारे दिलों को इकलास के साथ दीन की तरफ फेर दे

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* अपना खास रहमत नाज़िल फ़रमा और अपने क़हर व अज़ाब से बचा 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* झूठ, ग़ीबत, कीना बोग़ज़, तकब्बुर, बुरई और झगड़े से हमारी हिफ़ाज़त फ़रमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमारे सग़ीरा व कबीरा गुनहौं को माफ़ फ़रमा
 *🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* एक लम्हे के लिए भी हमने दुनिया के हवाले ना फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* तंगदस्ती, ख़ौफ़, घबराहट और क़र्ज़ के बोझ को दूर फ़रमा 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हश्र की रुसवाई से हमारे वालिदैन और पूरी उम्मत-ए-मोहम्मदिया हिफ़ाज़त फ़रमा
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ*  पुलसिरात   के रास्ते से बिजली की तरह  गुजार दे 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* बिना हिसाब ओ किताब जन्नतुल फिरदौस में हमें जगाह अता फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* नाम-ए-आमाल हमारे दायें हाथ में अता फरमा 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* अपने अर्श के साये में जगा नसीब फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हज-ए-बैतुल्लाह मकबूल व मबरूर नसीब फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* मुनकिर व नकीर के सवालात हम पर आसन फरमा 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हलाल रोज़ी अता फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* कयामत के रोज़ अपना दीदार अता फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमें तेरे बंदों का मोहताज न बना 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* छोटी बड़ी बीमारी से हमारी और उम्मत-ए-मोहम्मदिया के हिफ़ाज़त फरमा 

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* तक्वा और परहेजगारी नसीब फरमा
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* आपﷺ के प्यारे तरीके हम को सिखा दे और आप ﷺ के सुन्नत पर चलने के तौफीक दे

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* कयामत के दिन हुजूरﷺ की शिफाअत नसीब फरमा 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* कयामत के दिन हुजूर ﷺ के मुबारक हाथो  से जाम-ए-कौसर पीना नसीब फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमारे दिलों में अपनी और हुजूरﷺ के मुहब्बत नसीब फरमा  
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमें सच्ची पक्की तौबा करने की तौफीक अता फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमें गुनाहों से नफ़रत देदे, 
या-अल्लाह, जाने अंजाने में हमसे जो गलतियां हुई उन्हें माफ फरमा, या-अल्लाह हम जो गलतियों की तौबा करना भूल गए आप उन गलतियों को भी माफ फरमा
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* तमाम मरहूमिन को जन्नततूल फिरदौस अता फरमा, दोजख के अजाब से , कब्र के अज़ाब से और जहन्नुम के आग से बच्चा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमें नेक बना (आमीन) 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमारे बच्चों को   नेक तौफीक और नेक हिदायत अदा फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमारे बच्चों की जिंदगी आसान करदे 
*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमारे बच्चों के इम्तेहान में कामयाबी अता फरमा

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* हमें अपनी मां बाप की तरफ प्यार और सब्र से पेश आने की तौफीक अता फरमा 

*🤲🏻ऐ अल्लाहﷻ* तमाम उम्मते मुस्लिमा की जायज दुआएं कुबूल फरमा
ऐ अल्लाहﷻ हमारी दुआओं को अपने फजल ओ करम से अपने रहमो करम से कबूल फरमा 
या अल्लाह मुझ पर और तमाम उम्मत पर रहम फरमा
आमीन🤲

या अल्लाह मुझे और तमाम उम्मत को 
*बेरोज़गारी से*
*तंगदस्ती से*
*दुश्मनो से*
*बुरी नज़र से*
*आज़माइश से*
*घर की परेशानियों से*
*रिज़्क की कमी से*
*हराम की कमाई से*
*रुसवाई से*
*क़र्ज़ से*
*मर्ज़ से*
*कुफ्र से*
*जहन्नम से*
*हिसाब से*
*औलाद के दुख से*
*तेरी नफ़रमानी से*
*वालिदैन की नफ़रमानी से*
*तेरी नाराज़गी से*
*तेरे और तेरे प्यारे हबीब*
(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के नापसंद कामो से बचा

आमीन 🤲🤲 या रब्बुल आलमीन 🤲
हमारे वालिदेन की
हर परेशानी को दूर फरमा
उनकी सभी जायज तमननाओ और 
ख्वाहिशात को पूरा फरमा,,
.
 ऐ अल्लाह
 ऐ अल्लाह
मेरे घरवालों की
मेरे दोस्तों की
मेरे रिश्तेदारों की
मेरे मोहल्ले वालो की
मेरे शहर वालो की
मेरे मुल्क वालो की
.
ऐ अल्लाह सारे आलम की हिफ़ाज़त फ़रमा है,
ऐ मालिक बुराई से बचा और अच्छी आदतों  से जोड़ दे,,
 ऐ अल्लाह अचानक की
हदीसत से हम सबकी हिफाजत फरमा,
ऐ अल्लाह बुरी मौत से
हम सबकी हिफ़ाज़त फरमा,
जल कर मरने से, काट कर मरने से
डूब कर मरने से हम सबकी हिफ़ाज़त फरमा, , 
ऐ अल्लाह जिस मौत में कफ़न दफ़न न हो
ऐसी मौत से हम सबकी हिफ़ाज़त फरमा,,
ऐ अल्लाह कलमे वली मौत नसीब फरमा
सजादे वली मौत नसीब फरमा,, 
ऐ अल्लाह जिन जिन लोगो ने
मुझसे दुवाओं के लिए कहा
और जिन जिन लोगो के ऊपर मेरा हक है
उनकी सभी जायज जरूरत को पूरा फरमा
रब्बाना आतीना फिद दुन्या हसनतहु व फिल आख़िरती हसनतहु 
वकीना आज़बान नार....
वकीना अज़ाबुल क़ब्र
वकीना अज़ाबुल हशर 
वकीना अज़ाबुल फ़क़र
वकीना अज़ाबुल मीज़ान
वकीना अज़ाबुल कर्ज़
वकीना अज़ाबुल मर्ज़
वकीना अज़ाबुल आफ़त
वकीना अज़ाबुल सकरात 
वकीना अज़ाबुल मौत
वकीना अज़ाबुल फितनातुल मसीहिद दज्जाल
वकीना अजाबन नार.... (आमीन)
*या भेजने वाले की सारी जायज़ दुआ कबूल हो...* *(आमीन)*

ऐ अल्लाह जिसने
ये दुवा लिखी जिसने ये दुवा पढ़ी
और जिसने इसे आगे बढ़ाया उनकी
जिंदगी की सारी परेशानियों को दूर फरमा,,
 उनको ख़ुशी की दौलत से मालामाल फरमा, ,

आमीन सुम्मा  आमीन!!

या अल्लाह दुआ है हमारे पास पहुंचाने वालो की सारी परेशानी दूर कर आमीन
या अल्लाह मेरी ये दुआ तमाम उम्मत के हक में कबूल फरमा।
आमीन आमीन
*इस दुआ को इतना फैलाएं के सारी उम्मत की* *मग़फिरत होजाये 
*ये बहुत दुआ है*

🌹🌹

Wednesday, January 24, 2024

HAZARAT SAIYAD MASTAN ZULFIKAR ALI Rahmatullahi Alayhi - Ursh Mubark - Date 28/03/2019 Thursday







HAZARAT SAIYAD MASTAN ZULFIKARALI (Rahmatullahi Alayhi )

Date Of Ursh Mubark -  28/03/2019 Thursday 

Time Of Sandal Sharif :  10:15 AM













































Sunday, October 15, 2023

તલ ખાવાથી હિમોગ્લોબિન પણ વધારી શકો છો.

હેલ્થ ટીપ્સ: તમે આ ઘરેલું ઉપચાર વડે તમારું હિમોગ્લોબિન વધારી શકો છો
મે ડૉક્ટર પાસે જાઓ ત્યારે પણ ડૉક્ટર તમને કહે છે કે તમે એનિમિયા છો અથવા તમારું હિમોગ્લોબિન ઓછું છે. આવી સ્થિતિમાં ડૉક્ટર તમને દવા લખી આપે છે. પરંતુ જો તમે દવાઓ લેવા માંગતા નથી અને હિમોગ્લોબિન વધારવા માંગતા હોવ તો ઘણા ઘરગથ્થુ ઉપચાર છે જેના દ્વારા તમે તેને વધારી શકો છો.
તમને જણાવી દઈએ કે મોરિંગાના પાંદડા લોહીની ઉણપ અથવા એનિમિયાને દૂર કરી શકે છે.
મોરિંગાના પાનમાં આયર્ન, વિટામિન સી અને ફોલિક એસિડ મળી આવે છે જે હિમોગ્લોબિન વધારવામાં મદદ કરે છે.
આ સિવાય તમે તલ ખાવાથી હિમોગ્લોબિન પણ વધારી શકો છો. તેમાં આયર્ન અને ફાઈબર સારી માત્રામાં હોય છે, જે એનિમિયાને દૂર કરવામાં મદદ કરે છે. આવી સ્થિતિમાં, તમે તલનું સેવન કરીને શરીરમાં હિમોગ્લોબિનનું સ્તર વધારી શકો છો.

Saturday, October 14, 2023

ખજૂરના ફાયદા

હેલ્થ / કબજિયાત અને લોહીની ઊણપથી છો પરેશાન? આ એક વસ્તુ સાચી રીતે ખાવાની પાડી દો ટેવ, હેલ્થી રહેશો જીદંગીભર
ડાયટમાં ખજૂર શામેલ કરવાથી અનેક સમસ્યા દૂર થાય છે
નિયમિતરૂપે સવારે 2-3 ખજૂરનું સેવન કરવું જોઈએ
અનેક બિમારીઓ સામે રાહત મળે છે
ભાગદોડભરી લાઈફમાં ફિટ રહેવું તે એક ચેલેન્જ છે. ફિટ રહેવા માટે લોકો અલગ અલગ ટ્રાય કરતા રહે છે. અહીંયા અમે તમને ખજૂરના ફાયદા વિશે જણાવી રહ્યા છે. ડાયટમાં ખજૂર શામેલ કરવાથી કબજિયાતથી લઈને લોહીની ઊણપ સહિત અન્ય સમસ્યા દૂર થાય છે.
ખજૂરમાં પ્રાકૃતિક મીઠાશ હોય છે, તેથી તમે ખજૂરનું સેવન કરી શકો છો. ફાઈબરયુક્ત ફ્રૂટનું સેવન કરવાથી અનેક બિમારીઓ સામે રાહત મળે છે. નિયમિતરૂપે સવારે 2-3 ખજૂરનું સેવન કરવું જોઈએ. બપોરે નાશ્તામાં પણ ખજૂરનું સેવન કરી શકાય છે.

પલાળેલી ખજૂર ખાવાના ફાયદા
ખજૂર પલાળીને રાખવાથી તેમાં રહેલ ટેનિન તથા ફાઈટિક એસિડ નીકળી જાય છે. જેથી સરળતાથી પોષકતત્ત્વોનું અવશોષણ કરી શકાય છે. જેથી રાત્રે ખજૂર પલાળી દેવી અને ત્યારપછી સવારે તેનું સેવન કરવું જેથી શરીર ખજૂરમાં રહેલ પોષકતત્ત્વો સરળતાથી અવશોષી શકે છે. ખજૂરમાં કાર્બોહાઈડ્રેટ, પ્રોટીન, ફાઈબર, વિટામિન કે, વિટામીન બી, પોટેશિયમ, મેગ્નેશિયમ, આયર્ન, કેલ્શિયમ, મેંગેનીઝ, ઝિંક જેવા પોષકતત્ત્વો રહેલા હોય છે.

ખજૂરના ફાયદા

કબજિયાતથી રાહત મળશે
કોલસ્ટ્રોલ ઓછું કરવામાં લાભદાયી
બ્લડપ્રેશર કંટ્રોલમાં રહેશે
હાડકાં મજબૂત રહેશે
બ્રેઈન ફંક્શન યોગ્ય પ્રકારે કામ કતરી શકશે
એનીમિયાના રોગ માટે ફાયદાકારક
મસાની સમસ્યા દૂર થાય છે
ત્વચા અને વાળ માટે લાભકારી
શારીરિક તાકાત અને સ્ટેમિનામાં વૃદ્ધિ કરે છે
હાર્ટ હેલ્ધી રહે છે
મહિલાઓ અને પુરુષની યૌન શક્તિમાં વૃદ્ધિ થાય છે
(Disclaimer: આરોગ્ય અને સુખાકારી હેઠળ પ્રકાશિત સામગ્રી સામાન્ય જાણકારી ઉપલબ્ધ કરાવે છે. અહીં પ્રકાશિત લેખ તબીબ, વૈદ્ય, નિષ્ણાત અને રિસર્ચ આધારિત નિષ્કર્ષ પર છે. તમામ નિર્દેશોનું પાલન કરી વાંચકોની જાગૃતિ વધારવાના હેતુથી આ સામગ્રી તૈયાર કરાઈ છે. આ લેખ કોઈ પણ રીતે યોગ્ય ઉપચારનો વિકલ્પ નથી, વધુ જાણકારી માટે હંમેશા નિષ્ણાત કે આપના ચિકિત્સકની સલાહ લેવી. vtvgujarati.com આ જાણકારી માટે જવાબદારીનો દાવો કરતું નથી.)

Thursday, October 12, 2023

फलस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है।

आपके बच्चे आपसे पूछे या ना पूछे, आप उन्हें ज़रूर ये बताया कीजिए कि हम "फलस्तीन" से इसलिए मोहब्बत करते हैं कि!.....
* ये फलस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है।
* हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने फ़लस्तीन की तरफ हिजरत फ़रमाई।
* अल्लाह ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को उस अज़ाब से निजात दी जो उनकी क़ौम पर इस जगह नाज़िल हुआ था।

*हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने इस सरजमीं पर सकूनत रखी और यहां अपना एक मेहराब भी तामीर फ़रमाया।

* हज़रत सुलेमान (अलै०हिस०) इस मुल्क में बैठ कर सारी दुनिया पर हूकूमत करते थे।

* कुर‌आन में चींटी का वह मशहूर किस्सा जिसमें एक चींटी ने बाकी साथियों से कहा था " ऐ चींटियों! अपने बिलों में घुस जाओ" ये किस्सा यहिं फलस्तीन के "असक़लान" शहर की वादी में पेश आया था।

* हज़रत ज़करिया अलै०हिस० का मेहराब भी इसी शहर में है।
* हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इस मुल्क के बारे में अपने साथियों से कहा था, इस मुकद्दस शहर में दाखिल हो जाओ! उन्होंने इस शहर को मुकद्दस इसलिए कहा था कि ये शिर्क से पाक और नबियों की सरजमीं है।

* इस शहर में क‌ई मोअज़्ज़े हुए है जिनमें एक कुंवारी बीबी हज़रत मरयम के बुतन से ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई।

* हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को जब उनकी क़ौम ने क़त्ल करना चाहा तो अल्लाह ने उन्हें इसी शहर से आसमां पर उठा लिया था।
* क़यामत की अलामत में से एक हज़रत ईसा की वापसी इस शहर के मुकाम सफेद मीनार के पास होगा।
* इस शहर के मुकाम " बाब ए लुद" पर ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल को क़त्ल करेंगे।
* फलस्तीन ही अरज़े महशर है।
* इसी शहर से ही याजूज माजूज का क़िताल और फसाद शुरू होगा।
* फलस्तीन को नमाज़ के फ़र्ज़ होने के बाद "क़िब्ला ए अव्वल" होने का एजाज़ भी हासिल है। हिजरत के बाद जिबरील अलैहि० अल्लाह के हुक्म से नमाज के दौरान ही मुहम्मद ﷺ को मस्जिद ए अक्सा से बैतुल्लाह (काबा) की तरफ़ रुख़ करा ग‌ए थे, जिस मस्जिद में ये वाकिया पेश आया था वह मस्जिद आज भी मस्जिद ए क़िब्लातैन कहलाती है।

* हुजूर अकरम (ﷺ) मे'अराज की रात आसमान पर ले जाने से पहले मक्का मुकर्रमा से बैतुल मुकद्दस (फलस्तीन) लाए गए।
* अल्लाह के रसूल ﷺ की इक़्तेदा में सारे नबियों ने यहां नमाज़ अदा फरमाई।
* इस्लाम का सुनहरी दौर फारूकी में दुनिया भर के फतह को छोड़ कर महज़ फ़लस्तीन की फ़तह के लिए खूद उमर (रजि०अ०) जाना और यहां पर जाकर नमाज़ अदा करना, इस शहर की अज़मत को बताता है।

* दुसरी बार यानि 27 रजब 583 हिजरी जुमा के दिन को सलाउद्दीन अय्युबी के हाथों इस शहर का दोबारा फ़तह होना।

* बैतूल मुकद्दस का नाम "कुदुस" कूरान से पहले तक हुआ करता था, कूरान नाजिल हुआ तो इसका नाम " मस्जिद ए अक्सा" रखा गया, इस शहर के हुसूल और रूमियो के जबर वह सितम से बचाने के लिए 5000 से ज्यादा सहाबा किराम रजि०अ० ने जामे शहादत नोश किया, और शहादत का बाब आज तक बंद नही हुआ, सिलसिला अभी तक चल रहा है, ये शहर इस तरह शहीदों का शहर है।

* मस्जिद ए अक्सा और शाम की की अहमियत हरमैन की तरह है, जब कूरान पाक की ये आयत 
* उम्मत ए मोहम्मदी हकीकत में इस मुकद्दस सरजमीं की वारिस है।
* फलस्तीन की अज़मत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पर पढ़ी जाने वाली हर नमाज़ का अज्र 500 गुना बढ़ा कर दिया जाता है।
                     
 " निगाहें मुन्तज़िर है बैतूल मुकद्दस की फ़तह के लिए या रब,
   फिर किसी सलाउद्दीन अय्युबी को भेज दे"।

Saturday, September 30, 2023

दुरूद शरीफ पढ़ने के फ़ायदे*

*दुरूद शरीफ पढ़ने के फ़ायदे*

*(1)* अल्लाह तआला के हुक्म की ता'मील होती है। 
*(2)* एक मर्तबा दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले पर दस रहमतें नाज़िल होती हैं। 
*(3)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के दस दर्जात बलन्द होते हैं। 
*(4)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिये दस नेकियां लिखी जाती हैं। 
*(5)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के दस गुनाह मिटाए जाते हैं। 
*(6)* दुआ से पहले दुरूद शरीफ़ पढ़ना दुआ की क़बूलिय्यत का बाइस है। 
*(7)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना नबिय्ये रहमत ﷺ की शफाअत का सबब है। 
*(8)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना गुनाहों की बख़्शिश का बाइस है। 
*(9)* दुरूद शरीफ़ के जरीए अल्लाह तआला बन्दे के ग़मों को दूर करता है।
*(10)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने के बाइस बन्दा क़ियामत के दिन रसूले अकरम ﷺ का कुर्ब हासिल करेगा। 
*(11)* दुरूद शरीफ़ तंगदस्त के लिये सदक़ा के काइम मक़ाम है। 
*(12)* दुरूद शरीफ़ क़ज़ाए हाजात का ज़रीआ है। 
*(13)* दुरूद शरीफ़ अल्लाह तआला की रहमत और फ़िरिश्तों की दुआ का बाइस है।
*(14)* दुरूद शरीफ़ अपने पढ़ने वाले के लिये पाकीज़गी और तहारत का बाइस है। 
*(15)* दुरूद शरीफ़ से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की खुश खबरी मिल जाती है।
*(16)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना कियामत के ख़तरात से नजात का सबब है। 
*(17)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने से बन्दे को भूली हुई बात याद आ जाती है। 
*(18)* दुरूद शरीफ़ मजलिस की पाकीज़गी का बाइस है और क़ियामत के दिन येह मजलिस बाइसे हसरत नहीं होगी। 
*(19)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने से फ़क्र ( तंगदस्ती ) दूर होता है। 
*(20)* येह अमल बन्दे को जन्नत के रास्ते पर डाल देता है। 
*(21)* दुरूद शरीफ़ पुल सिरात पर बन्दे की रोशनी में इज़ाफ़े का बाइस है। 
*(22)* दुरूद शरीफ़ के जरीए बन्दा जुल्म व जफ़ा से निकल जाता है। 
*(23)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बन्दा आस्मान और ज़मीन में क़ाबिले तारीफ़ हो जाता है। 
*(24)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को इस अमल की वजह से उस की जात,अमल,उम्र और बेहतरी के अस्बाब में बरकत हासिल होती है। 
*(25)* दुरूद शरीफ़ रहमते खुदा वन्दी के हुसूल का ज़रीआ है। 
*(26)* दुरूद शरीफ़ महबूबे रब्बुल इज्जत ﷺ से दाइमी महब्बत और इस में ज़ियादत का सबब है और येह (महब्बत) ईमानी उकूद में से है। जिस के बिगैर ईमान मुकम्मल नहीं होता।
*(27)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले से आप ﷺ महब्बत फ़रमाते हैं। 
*(28)* दुरूद शरीफ़ पढ़ना,बन्दे की हिदायत और उस की ज़िन्दा दिली का सबब है क्यूं कि जब वोह आप ﷺ पर कसरत से दुरूद शरीफ़ पढ़ता है और आप का ज़िक्र करता है तो आप ﷺ की महब्बत उस के दिल पर ग़ालिब आ जाती है। 
*(29)* दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का येह ए'ज़ाज़ भी है कि सुल्ताने अनाम ﷺ की बारगाहे बेकस पनाह में उस का नाम पेश किया जाता है और उस का ज़िक्र होता है। 
*(30)* दुरूद शरीफ़ पुल सिरात पर साबित क़दमी और सलामती के साथ गुज़रने का बाइस है।
مدنی پنجسورہ ١٦٦
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Sunday, September 17, 2023

અંજીરનો પરિચય

અંજીરનો પરિચય
(૧) અંજીરને અંગ્રેજી માં “ફીગ”, હિન્દીમાં “ગુલોર”, અરબીમાં “ફયુમીઝ”, કન્નડમાં “અટ્ટી” અને મરાઠીમાં “ઉંબર” તેમજ સંસ્કૃતમાં “ઉદુમ્બર” કહે છે.  
(૨) આયુર્વેદમાં અંજીરને ઠંડુ ઔષધ કહ્યું છે, જયારે યુનાની દેશમાં ગરમ ઔષધ કહેવાયું છે. અંજીરના ઝાડ ૪ થી ૫.૫ મીટર ઊંચા હોય છે. મુખ્યત્વે અંજીર અફઘાનિસ્તાનના કબુલ માં વધુ ઉત્પન્ન થાય છે.

(૩) ૧૦૦ ગ્રામ સુકાયેલા અંજીરમાં ૨૪૯ કેલેરી, ૩.૩ગ્રામ પ્રોટીન, ૦.૯ગ્રામ ફેટ, ૬૯ગ્રામ કાર્બોહાઈડ્રેટ, ૫.૬ ગ્રામ ફાઈબર હોય છે. (૪) ૧૦૦ ગ્રામ ફ્રેશ અંજીરમાં ૮૦ કેલેરી, ૧.૩ગ્રામ પ્રોટીન, ૦.૩ગ્રામ ફેટ, ૨૦.૩ ગ્રામ કાર્બોહાઈડ્રેટ, ૨.૨ ગ્રામ ફાઈબર હોય છે.

(૫) આમ, ફ્રેશ અંજીર કરતા સુકાયેલા અંજીર વધુ લાભદાયી હોય છે. (૬) આયુર્વેદ પ્રમાણે અંજીર સ્વાદિષ્ટ-મધુર, શીતળ, પૌષ્ટિક, રક્ત વિકૃતિઓને મટાડનાર, પચવામાં ભારે, વાયુ અને પિત્તનાશક  છે.

(૭)  અંજીર એક મોસમી ફળ છે. પણ તે સૂકાયેલા સ્વરૂપમાં આખું વર્ષ મળી રહે છે. અંજીરમાં પૌષ્ટિક તત્વો પુષ્કળ પ્રમાણમાં છે. વિટામિન એ, બી, ઉપરાંત ફૉસ્ફરસ, કૅલ્શિયમ, આયર્ન તેમજ મૅંગેનીઝ જેવાં ખનિજોનો સમાવેશ થાય છે.

(૮) અંજીરનાં વૃક્ષોને ભેજવાળી જમીન માફક આવે છે. ભારતમાં કાશ્મીર, પૂના, નાસિક, ઉત્તરપ્રદેશ, બેંગલોર, મૈસૂરમાં તેનું વાવેતર થાય છે પણ ભારતમાં જે અંજીર થાય છે તે બહુ મોટા અને સ્વાદિષ્ટ હોતાં નથી.
અંજીરના લાભ
(1) અંજીર રક્તની શુદ્ધિ કરવામાં ઉપયોગી છે. અંજીર રક્તની શુદ્ધિમાં ખુબ મહત્વનો ભાગ ભજવે છે. રક્તના રોગોમાં તે ઉત્તમ પરિણામ આપે છે. રોજ રાત્રે 3 નંગ અંજીર અને કાળી સૂકી દ્રાક્ષ (બીજ કાઢેલી) 15-20 નંગ લઈ, 1 ગ્લાસ દૂધમાં સારી રીતે ઉકાળીને પછી થોડી વાર બાદ થોડું ઠંડુ થાય ત્યારે એ દૂધ ધીમે ધીમે પી જવું અને સાથે સાથે અંજીર અને દ્રાક્ષ ચાવીને ખાઈ જવા.

(2) અંજીર કબજીયાત માં ઉપયોગી છે. જે લોકો કબજિયાતથી કંટાળી ગયા છે, તેમને આ મુજબ પ્રયોગ કરવો. સવારે ઉઠીને ખાલી પેટે અંજીર ખાવું,  અથવા રાતે 1 ગ્લાસ જેટલા દુધમાં એકાદ અંજીર બોળી રાખીને સવારે એ નરમ થયેલું અંજીર દૂધ સહીત ખાઈ જવું એનાથી જૂની કબજિયાતની બીમારી મટે છે.

(3) અંજીર હાડકાના વિકાસ માટે પણ ઉપયોગી છે. અંજીરનું વધારે પડતું કેલ્શિયમ માનવીના હાડકાંને મજબૂત કરે છે. અંજીરથી તમારા શરીરને યોગ્ય પ્રમાણમાં કેલ્શિયમ મળી રહે છે. 2 અંજીરને 1 ગ્લાસ પાણીમાં આખી રાત પલાળી રાખીને સવારે તેનું પાણી પીવાથી અને તે અંજીર ખાઈ જવાથી શરીરમાં લોહીનું પ્રમાણ વધારી શકાય છે.

(4) અંજીર શ્વાસની તકલીફમાં ઉપયોગી છે. શ્વાસ-દમની તકલીફમાં અંજીર સારું પરિણામ આપે છે કેમ કે અંજીર વાયુનો નાશ કરનાર હોવાથી દમના દર્દીઓ ખુબ લાભદાયક છે. અંજીર અને ગોરખ આમલી આશરે 5 – 5 ગ્રામ જેટલા લઈ, એક સાથે ખૂબ ચાવીને ખાઈ જવા. સવારે અને સાંજે આ રીતે થોડા દિવસ ઉપચાર કરવાથી હૃદય પરનું દબાણ દૂર થાય છે અને શ્વાસ કે દમ બેસી જાય છે.

(5) અંજીર બ્લડ પ્રેશર માટે ઉત્તમ ઔષધ છે. બી.પી ના દર્દીઓ માટે અંજીર બહુ લાભદાયી છે. શરીરની વધારાની ચરબી ધીરે ધીરે દૂર કરીને શરીરનું જાડાપણું ઘટાડે છે. લોહીની ઉણપના લીધે જેમના હાથ-પગ સુન થઇ જતા હોય તેઓને અંજીર ખાવાથી ફાયદો થશે.
6) અંજીર હરસ-મસાની તકલીફ દુર કરે છે.
જેમને મસામાંથી રક્તસ્રાવ થતો હોય તો તેમણે થોડા દિવસ 2-3 નંગ સૂકા અંજીર રોજ રાત્રે પાણીમાં પલાળી દેવા અને સવારે ખાઈ જવા પણ ખુબ ચાવીને ખાવા જેથી પરિણામ સારું મળી શકે. એ જ રીતે બીજા 2-3 અંજીર સવારે પલાળી દઈ સાંજે ખાઈ જવા. થોડા દિવસ આ ઉપચાર કરવો પરિણામ ચોક્કસ મળશે રક્તસ્રાવી મસા શાંત થઈ જશે ક્યારેક વધુ દિવસ પણ ઉપચાર શરુ રાખવો પડે તો રાખવો.

(7) જઠર અને કીડનીના રોગમાં અકસીર
અંજીર જલદી પચી જનારું છે. અંજીર જઠરના અનેક રોગોમાં બહુ ફાયદાકારક છે. અંજીરમાં 50% ટકાથી વધુ કુદરતી ખાંડ છે જે નુકશાન કરતી નથી. અંજીર આમ ઠંડુ હોવાથી જઠરના રોગોમાં ફાયદા કારક છે. અંજીર મૂત્રપિંડ અને કીડનીને પણ કાર્યશીલ રાખે છે. કીડનીને પણ વ્યવસ્થિત રીતે કામ કરવામાં અંજીર મદદ કરે છે. રોજ બની શકે તો 1 અંજીર એમ જ ખાવું.

(8) મોટાપો ઘટાડવામાં મદદરૂપ છે. અંજીર શરીરની વધારાની ચરબી ધીરે ધીરે દૂર કરીને શરીરનું જાડાપણું ઘટાડે છે. અંજીરમાં રહેલા ઉત્તમ તત્વો ફેટને ઘટાડવામાં મદદરૂપ છે. રોજીંદી લાઈફમાં અંજીરનો ઉપયોગ કરવામાં આવે તો મોટાપો ઓછો થઇ જાય છે. વહેલી સવારે જગ્યા બાદ 2 અંજીર ખાવાથી અચૂક તેનું પરિણામ મળે છે. જો ભૂખ લાગે તો ફાસ્ટફૂડ ની જગ્યાએ સુકા મેવા તરીકે થોડા અંજીર પણ લઇ શકે.
9) સ્ત્રીઓ માટે અંજીર ઉપયોગી છે. અંજીરનું સેવન કરતા રહેવાથી સ્ત્રીઓને માસિક નિયમિત થાય છે, બાળકની માતાનું દૂધ પણ અંજીરના સેવનથી વધે છે. સ્ત્રીઓને લાંબી ઉંમરે થતા કમરના દુખાવામાં અંજીર ગુણકારી છે. નિયમિત રીતે અંજીરનું સેવન કરવાથી મોઢા ઉપર તરવરાટ આવે છે. તાજા અંજીરની પેસ્ટ ચહેરા પર લગાડવાથી ચહેરો ખીલી ઊઠે છે. આ પેસ્ટ ‘સ્ક્રબ’નું કાર્ય કરે છે. ચહેરા પરની મૃત પેશીઓને દૂર કરે છે.

જન્નત(સ્વર્ગ)ના ફળ એવા અંજીરના આવા ઉપયોગી ફાયદા વાંચ્યા બાદ તમારે પણ અંજીરનો ઉપયોગ થોડો શરુ કરી દેવો જોઈએ.

Friday, September 1, 2023

दास्ताने करबला, क़िस्त-15*

*दास्ताने करबला, क़िस्त-15*

*उमर बिन सा‘द और बाईस हज़ार (22000) का लश्कर*

जब इब्ने ज़्याद को पता चला कि हज़रत इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने यजीद की बैअ्त करने से इन्कार कर दिया तो उसका गुस्सा व तैश और बढ़ गया। उसने और लश्कर बढ़ा दिये, और उसका सिपेह सालार *उमर बिन सा‘द* को बनाया, जो उस ज़माने में मुल्के "रै" का गवर्नर था। रै खुरासान का एक शहर है जो ईरान में है, आजकल उसे तेहरान के नाम से जाना जाता है। 

*इमाम हुसैन की अज़मत और फज़ीलत से हर कोई वाक़िफ़ था।* इसलिए पहले तो उमर बिन सा‘द ने सिपेह सालार बनने से गुरैज़ करना चाहा, लेकिन इब्ने ज़्याद ने कहा कि या तो हुकूमत छोड़ दो या फिर इमाम हुसैन से मुक़ाबला करो। *दुनियावी हुकूमत की लालच ने इब्ने सा‘द को जंग पर आमदा कर दिया।*

इब्ने सा‘द तमाम लश्कर ले कर इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के मुक़ाबले के लिये रवाना हुआ। इब्ने ज़्याद बद निहाद थोड़ा-थोड़ा लश्कर उसके पास भेजता रहा, *यहां तक कि इब्ने सा‘द के पास बाईस हज़ार का लश्कर जमा हो गया।* इब्ने सा‘द ने अपने *22000* के लश्कर के साथ करबला पहुंच कर फ़ुरात के किनारे पड़ाव किया और वहां अपना मर्कज़ क़ायम किया। 

हैरत की बात यह है कि दुनिया की किसी भी जंग में जंगे करबला की मिसाल नहीं मिलती है कि, *अहले बैअ्ते अत़हार कुल बयासी (82) हज़रात थे, जिनमें बीबियां भी, बच्चे भी, बीमार भी और वह भी बे इरादा ए जंग आए हैं। (रज़िअल्लाहु तआला अन्हुम अजमईन)* 

*यज़ीदियों को बयासी अहले बैअ्ते अत़हार का इसक़दर ख़ौफ़ हुआ कि इस छोटी सी जमाअत के लिये दो गुनी नहीं, चार गुनी नहीं, दस गुनी नहीं, बल्कि ढाई सौ गुनी तादाद को भी काफ़ी ना समझा और फौजों के अंबार लगा दिये यानी कुल 82, के मुक़ाबले में 22000। यह है अल्लाह तबारक व तआला के महबूब बंदों का बातिल को डर, हम मुसलमान भी अगर हक़ पसंद परहेज़गार पाबंदे शरा बन जाएं तो दुनिया की कोई भी ज़ालिम ताक़त हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती बल्कि हम ही ग़ालिब रहेंगे क्योंकि यह क़ुरआन से साबित है कि ईमान वाले परहेज़गार ही ग़ालिब रहेंगे, इस लिए मज़बूत ईमान वाला और परहेज़गार बनने के लिए मसलके आलाहज़रत को मज़बूती से पकड़ लो)

इब्ने सा‘द की और से लगातार इमाम हुसैन को यज़ीद की बैअ्त करने पर इसरार किया जा रहा था, *जब आप पर लश्करी ताक़त का कोई असर ना हुआ, तो ज़ालिमों ने आपके क़ाफ़िले पर फ़ुरात नदी का पानी बन्द कर दिया,* ताकि भूख और प्यास की शिद्दत से आप मजबूर हो जाएं, और बैअ्त को क़ुबूल करने पर मजबूर हो जाएं।

*📘सवानाहे करबला सफ़ह 134)*

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाक़ी अगली पोस्ट में)*

*मिन जानिब जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा, गुमला, झारखंड*

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दास्ताने करबला, क़िस्त-14*

*दास्ताने करबला, क़िस्त-14*

*कूफ़ियों की बद-अख़्लाक़ी और करबला का मैदान*

हज़रत इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को रास्ते ही में हज़रत मुस्लिम और उनके बच्चों के शहीद हो जाने की ख़बर मिल जाने के बावुजूद, आप ने सफ़र जारी रखा। 

आपके मक्का से रवानगी की ख़बर पाकर इब्ने ज़्याद ने *हुर्र बिन रूबाही को एक हज़ार का लश्कर देकर हज़रत इमाम को घेरकर कूफ़ा लाने के वास्ते भेज दिया।*

जब कूफ़ा दो मंजिल की दूरी पर रह गया तब आपको हुर्र बिन रूबाही मिला, *हुर्र के साथ 1000 हथियार बन्द सवार थे।* हज़रत इमाम हुसैन ने जब लश्कर को देखा तो एक शख़्स को मालूम करने के लिये भेजा कि यह  कैसा लश्कर  है, इतने में हुर्र इब्ने रूबाही ख़ुद हज़रत इमाम के सामने आया और कहने लगा कि, *मुझे इब्ने ज़्याद ने आपको घेर कर उसके पास ले जाने के लिये भेजा है।*

हज़रत इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने उस लश्कर मे ख़ुत्बा पढ़कर सुनाया कि: 

 *"ऐ लोगो मेरा इरादा इधर आने का न था, मगर पै दर पै (एक के बाद एक) तुम्हारा खत पहुंचे, और क़ासिद आए कि जल्दी तशरीफ लाओ, इसलिए  मैं आया हूं।*

हुर्र बोले की खुदा की क़सम!  मै उन खुतूत से ख़बरदार नहीं हुं।

*हजरत इमाम हुसैन ने फरमाया :*

       *'मगर तुम्हारे इसी लश्कर में बहुत से ऐसे आदमी मौजूद हैं, जिन्होंने मुझे ख़त लिखे फिर आपने खुतूत पढ़कर सुनाये, अकसर ने सिर निचा किया और कोई जवाब न दिया।*

हुर्र ने हज़रत इमाम से कहा कि : "हजरत इमाम हुसैन (रज़िअल्लाहु तआला अन्हु) ❗️  इब्जे ज्याद ने मुझे हुक्म दिया है कि आपको घेरकर उसके पास ले आऊं। मगर मेरे हाथ कट जायें जो आप पर तलवार उठाऊं। 
        ‘लेकिन मुख़ालिफ़ मेरे साथ हैं, इसलिए मसलेहत यही है कि मैं आपके साथ रहुं। रात को आप मसतुरात (औरतों) का बहाना करके मुझसे अलग हो जाना और जब लश्कर वाले सो जाये तो आप जिस तरफ़ चाहें चले जायें। मैं सुबह को कुछ देर जंगल मे तलाश करके वापस चला जाऊंगा और इब्ने ज़्याद से कुछ बहाना कर दूंगा...!!

*📘सिर्रूश्शहादतैन, सफ़ह-19,*
*📗 तज़किरा-ए-हुसैन, सफ़ह-19)* 

हज़रत इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु और उनके काफ़िले को एक हज़ार के लश्कर ने घेर लिया। *ना ही उन्हें शहर के अंदर दाखिल होने दिया जा रहा था, ना ही वह वापस अपने वतन जा सकते थे।* बिल आख़िर आप कूफ़ा की राह से हट गए, और आपको क़ाफ़िले समेत करबला में नुज़ूल फ़रमाना पड़ा। 

🗓 *ये सन 61 हिजरी मुहर्रम की दूसरी तारीख थी।* आप ने इस मक़ाम का नाम दरयाफ़्त किया तो मालूम हुआ कि, *इस जगह को करबला कहते हैं। इमाम हुसैन करबला से वाक़िफ थे, और आपको मालूम हुआ कि करबला ही वह जगह है जहां अहले बैअ्ते अत़हार को राहे हक़ में अपने ख़ून को बहाना होगा।* 

आप को इन दिनों *हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम* की ज़्यारत नसीब हुई, और आपको शहादत की ख़बर दी गई और आपके सीना ए मुबारक पर दस्ते अक़दस रख कर दुआएं फ़रमाईं।

⛺️अजीब वक़्त है कि जिनको महेमान बनाकर बुलाया गया था, *उन्हें इस तरह बे सरो सामान खुले मैदान में तपती हुई रेत पर तेज़ धूप में औरतों और बच्चों समेत अपना पड़ाव डालने पर मजबूर किया जा रहा है।* और इन मुसाफिरों के सामने हज़ार का लश्कर उन्हें अपनी तलवार और नेज़ों की कुव्वत दिखा रहा है।

अभी इतमीनान से बैठने और थकान दूर करने की सूरत भी नज़र न आयी थी कि *इमामे हुसैन की ख़िदमत में इब्ने ज़्याद का ख़त पहुंचा जिसमें उस ने हज़रत इमाम हुसैन से यज़ीद पलीद की बैअ्त तलब की थी। आपने वह ख़त पढ़ कर डाल दिया और क़ासिद से बैअ्त कर ने से इन्कार कर दिया।---------*

*📚 सवानाहे करबला सफ़ह-131)*

*(इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाक़ी अगली पोस्ट में)*

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Sunday, August 27, 2023

दास्ताने करबला, क़िस्त-13*

*दास्ताने करबला,  क़िस्त-13*

*हज़रत इमाम हुसैन और अहले बैअ्त की कूफ़े को रवानगी*

हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील रज़िअल्लाहु तआला अन्हु का खत मिलने पर आपने सफ़रे इराक़ का इरादा फ़रमाया । लेकिन सहाबा ए किराम और आपके दीगर असहाब, इमाम हुसैन के इस सफ़र से राज़ी ना थे। *उन्होंने आपको सफ़र मुल्तवी करने पर इसरार किया।* लेकिन कूफ़ियों की दरख़्वास्त और हज़रत मुस्लिम का ख़त आपको सफ़र करने से ना रोक पाया। 

*चुनांचे, सन 60 हिजरी 3 जिल हिज्जा को, हज़रत इमामे हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु मक्का ए मुअज़्ज़मा से कूफ़ा की तरफ़ रवाना होते हैं। आपके साथ आपके अहले बैअ्त और ख़ुद्दाम इस तरह कुल मिला कर 82 लोग शामिल थे ।*

यह मुख़्तसर सा अहले बैअ्त का क़ाफ़िला मक्का मुअज़्ज़मा से रुख़सत हुआ *तो, मक्का शरीफ़ का बच्चा- बच्चा इस क़ाफ़िले को रुख़सत होता देखकर आबदीद और गमगीन हो रहा था।* 

हज़रत इब्ने अब्बास, हज़रत इब्ने उमर, हज़रते जाबिर, हज़रत अबू सईद खुदरी, अबू वाकिद लैशी और दूसरे असहाबे किराम रज़िअल्लाहु तआला अन्हुम आखिर तक यही कोशिश करते रहे कि, आप मक्का मुअज़्ज़मा से तशरीफ़ ना ले जाएं, *लेकिन यह तमाम कोशिशें आपके इरादे को ना बदल पाईं।*

रास्ते में बतने जिलरमा नामी मक़ाम से रवाना होने के बाद हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुतीअ् से मुलाक़ात हुई। उन्होंने भी आपको सफ़र तर्क करने पर इसरार किया। 

          *लेकिन हज़रत इमाम हुसैन ने फ़रमाया:*
          "हमें वही मुसीबत पहुंच सकती है, जो ख़ुदावंदे आलम ने हमारे लिये मुक़र्रर फ़रमा दी"

📚 सूरह इब्राहीम: आयत 27)

क़ाफ़िला जब मक़ामे  शकुक मे पहुंचा तो कूफ़ा से आने वाले *एक आदमी ने हज़रत इमाम हुसैन को बताया कि कूफ़ियों ने बेवफ़ाई की और हज़रत मुस्लिम (रज़िअल्लाहु तआला अन्हु) शहीद कर दिये गये।*

हज़रत इमाम हुसैन यह ख़बर सुनकर गमगीन और आबदीदा हो गए और पढ़ा,

*انا لله وانا اليه راجعون*

आप ने ख़ैमे में आकर ये खबर दी और लोगो की इस पर राय मांगी। क़ाफ़िले वालों ने मुख़्तलिफ़ राय दी, एक दफ़ा आपने भी वापसी का इरादा फ़रमाया। *लेकिन बहुत मशवरे के बाद ये तय किया गया की सफ़र जारी रखा जाए और वापसी का ख़याल तर्क किया जाए।*

📚 सवानहे करबला, मुतर्जम सफ़ह 129)

*सबक👇🏿*

हजरत इमाम हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु और आपके अहले बैअ्त सभी हक़ के ख़ातिर कमर कसे हुए थे और उन्हे मौत का कोई डर न था, यज़ीद के फ़िस्क़ व फुजूर के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद करने मे उन्हें किसी दुनियावी नुक़सान का  डर नहीं था. आपने अल्लाह तआला की रज़ा के लिए और शरिअते मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को बचाने के लिए सफ़र जारी रखा,, हम मुसलमानों को भी चाहिए कि जब भी कोई आंच दीने इस्लाम पर आए तो अपनी जान माल को क़ुरबान करने के लिए हमेशा तैयार रहें और नमाज़ रोज़ा यानी मुकम्मल तौर पर शरिअते मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पाबंदी करें जब ही हम सच्चे हुसैनी कहलाएंगे...........

*इन्शा अल्लाहुर्रहमान बाक़ी अगली पोस्ट में*

*मिन जानिब जमाअत रज़ा ए मुस्तफ़ा, गुमला, झारखंड, इंडिया*

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